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08 जनवरी 2016

अपेक्षित ठंड नहीं होने से गेहूं की फसल को नुकसान की आषंका


प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में आयेगी कमी
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में गेहूं की बुवाई में तो कमी आई ही है, साथ ही प्रमुख उत्पादक राज्यों में मध्य दिसंबर से अभी तक अपेक्षित ठंड भी नहीं पड़नी षुरु हुई है जिसका असर इसकी प्रति हैक्टेयर उत्पादकता पर पड़ने की आषंका है जिससे कुल पैदावार में कमी आ सकती है। चालू रबी में गेहूं की पैदावार पिछले साल के 889.4 लाख टन से भी कम रहने की आषंका है।
गेहूं अनुसंधान निदेषालय (डीडब्ल्यूआर) करनाल की परियोजना निदेषक इंदु षर्मा ने बताया आमतौर पर उत्तर भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में दिसंबर के मध्य से ठंड के साथ ही पाला पड़ना षुरु हो जाता है जिससे गेहूं के पौधों का विकास अच्छा होता है। पाले से गेहूं के पौधों में फुटाव ज्यादा होता है। चालू रबी में मध्य दिसंबर के बाद से मौसम में गर्माहट रही है तथा अपेक्षित ठंड नहीं पड़ी है, जोकि गेहूं के पौधों के विकास के लिए बाधक है। उन्होंने बताया कि हालांकि मध्य जनवरी से ठंड पड़ने की मौसम विभाग भविष्यवाणी कर रहा है लेकिन जो महीनाभर मौसम गर्म रहा है इसका गेहूं की फसल खासकर के अगेती फसल पर प्रभाव जरुर पड़ेगा और इससे इसकी प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में कमी आने की आषंका है।
उन्होंने बताया कि गेहूं की बुवाई पिछले साल के लगभग बराबर पहुंचने की संभावना है। पिछले साल मार्च-अप्रैल में बेमौसम बारिष और ओलावृष्ठि से फसल को नुकसान हुआ था जबकि चालू रबी में मौसम में गर्माहट होने से गेहूं की फसल प्रभावित होने की आषंका बन गई है। हालांकि चालू रबी सीजन में भी गेहूं की फसल के लिए मार्च-अप्रैल महीने में रहने वाला मौसम काफी अहम होगा।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में गेहूं की बुवाई अभी तक केवल 271.46 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 293.16 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में गेहूं की पैदावार का लक्ष्य 947.5 लाख टन का तय किया है जबकि फसल सीजन 2014-15 में इसकी पैदावार 889.4 लाख टन की हुई थी।.......आर एस राणा

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