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02 जनवरी 2016

कृषि में कम लागत व ज्यादा पैदावार पर जोर


कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि फसल की पैदावार बढ़ाना, उत्पादन लागत कम करना, बेहतर विपणन की सुविधा उपलब्ध कराना और आधुनिक प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल वर्ष 2016 में सरकार की शीर्ष प्राथमिकता होगी। मंत्री ने घोषणा की कि सभी 585 थोक मंडियों को मार्च 2018 के अंत तक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म से जोड़ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 50,000 करोड़ रुपसे की  प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जिलावार सिंचाई योजना अगले वर्ष तक तैयार हो जाएगी।
सिंह ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, 'मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। ... सरकार की प्रतिबद्धता उत्पादकता बढ़ाना है। जब तक फसल ऊपज को नहीं बढ़ाया जाता, किसान समृद्ध नहीं होंगे।' उन्होंने कहा, 'उत्पादन की लागत को कम करना, बेहतर बाजार प्रदान करना, नई प्रौद्योगिकियों का व्यापक इस्तेमाल इस वर्ष के लिए हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में है।' अभी तक कृषि क्षेत्र के लिए राजग सरकार द्वारा की गई पहल को रेखांकित करते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार वित्त वर्ष 2015-16 में पांच करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करेगी और बाकी नौ करोड़ किसानों को अगले वित्त वर्ष के अंत तक इसे दिया जाएगा। इस योजना के लिए आवंटित किए गए 568 करोड़ रुपये में से दिसंबर तक 109 करोड़ रुपये पहले ही वितरित किए जा चुके हैं। राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक कृषि बाजार की स्थापना की दिशा में हुई प्रगति के बारे में मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार ने गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और चंडीगढ़ जैसे 8 राज्यों को 214 मंडियों को ई.प्लेटफॉर्म से जोडऩे के लिए 111.16 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने भी इलेक्ट्रॉनिक कृषि बाजार प्लेटफॉर्म की स्थापना के प्रति अपनी रूचि प्रदर्शित की है।
राधामोहन सिंह ने सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने, जैविक खेती, पशुपालन और मत्स्यपालन को प्रोत्साहित करने और उन्हें बढ़ाने के लिए की गई पहल के बारे में बताया। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के बारे में मंत्री ने कहा, 'जिला वार सिंचाई योजना को तैयार करने के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। मार्च 2016 तक 100 जिला सिंचाई योजना तैयार हो जानी चाहिए तथा शेष बचे जिलों की योजनाएं अगले वर्ष तक तैयार हो जानी चाहिए।'   

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