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30 सितंबर 2015

स्टॉकिस्टों की सक्रियता से ग्वार सीड में तेजी


आर एस राणा
नई दिल्ली। ग्वार गम कंपनियों की मांग बढ़ने से ग्वार सीड की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। हालांकि उत्पादक मंडियों में ग्वार की नई फसल की दैनिक आवक षुरु हो गई है तथा आगामी दिनों में आवक और बढ़ेगी, इसलिए भाव में अभी ज्यादा तेजी नहीं आयेगी। वैसे भी इस समय ग्वार गम उत्पादों की निर्यात मांग कमजोर है। ग्वार सीड की कीमतों में तेजी ग्वार गम उत्पादों की निर्यात मांग बढ़ने के बाद ही आयेगी, उम्मीद है कि आगामी दिनों में निर्यात मांग में कुछ सुधार आये। जोधपुर मंडी में ग्वार का भाव 3,750 रुपये और गंगानगर मंडी में 3,650 रुपये तथा जोधपुर मंडी में ग्वार गम के भाव 7,925 रुपये प्रति क्विंटल रहे। उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड की दैनिक आवक 20 से 25 हजार क्विंटल की हुई।
चालू वित्त वर्ष 2015-16 के पहले पांच महीने से ग्वार गम उत्पादों में निर्यात मांग कमजोर कमजोर रही है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले पांच महीने अप्रैल-अगस्त 2015 में मूल्य के हिसाब से ग्वार गम उत्पादों केे निर्यात में 55.16 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 1,812.40 करोड़ रुपये का ही हुआ है पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 4,042.01 करोड़ रुपये मूल्य का ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था।
एपीडा के अनुसार चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले दो महीने अप्रैल और मई में ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में भारी कमी आई है। अप्रैल-मई में देष से केवल 61,821 टन ग्वार गम उत्पादों का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष 2014-15 के अप्रैल महीने में 1,18,566 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था।.....आर एस राणा

दैनिक आवक बढ़ने से सोयाबीन की कीमतों में गिरावट


आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक राज्यों में मौसम साफ होने से सोयाबीन की खरीफ फसल की दैनिक आवक बढ़ी है जिससे इसकी कीमतों में नरमी देखी गई। चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है लेकिन कटाई के समय बेमौसम बारिष से फसल की उत्पादकता के साथ ही प्रति हैक्टेयर उत्पादन भी प्रभावित होने की आषंका है। ऐसे में सोयाबीन की कीमतों में अभी उठा-पटक जारी रहने का अनुमान है। वैसे भी सोया खली में निर्यात मांग में अब धीरे-धीरे सुधार आने का अनुमान है। मध्य प्रदेष की इंदौर मंडी में सोयाबीन के भाव 3,450 से 3,525 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा राजस्थान की कोटा मंडी में 3,100 से 3,600 रुपये और महाराष्ट्र की लातूर मंडी में 3,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे। इंदौर मंे सोया खली के भाव 31,800 रुपये और कोटा मंे 32,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
इस समय सोया खली में निर्यात मांग काफी कमजोर है लेकिन घरेलू मांग पहले की तुलना में सुधरी है। सोया खली में निर्यात मांग कम होने के कारण सोयाबीन की कीमतों में भारी तेजी की संभावना नहीं है।
उद्योग के अनुमान के अनुसार चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देष से 35,857 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में सोया खली का निर्यात 1,10,259 टन का हुआ था। सोया खली के निर्यात में सबसे ज्यादा कमी जुलाई-अगस्त महीने में आई है। जुलाई महीने में देष से केवल 928 टन और अगस्त में 768 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है।
भारतीय बंदरगाह पर सोया खली के भाव अगस्त में घटकर 480 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि जुलाई महीने में इसके भाव 507 डॉलर प्रति टन थे। विष्व बाजार में सोया खली के दाम नीचे बने हुए है जिसका असर भारत से सोया खली के निर्यात पर पड़ रहा है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई बढ़कर अभी तक 116.1 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 110.30 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई थी।
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2015-16 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी 2,600 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में देष में सोयाबीन की पैदावार घटकर 118.32 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 118.15 लाख टन की हुई थी।....आर एस राणा

स्टॉकिस्टों की मांग से हल्दी तेज


आर एस राणा
नई दिल्ली। त्यौहारी सीजन को देखते हुए मसाला कंपनियों की खरीद बढ़ने से हल्दी की कीमतों में तेजी आई है। पिछले तीन दिनों से इसकी कीमतों में लगातार सुधार आया है। आंध्रप्रदेष की निजामाबाद मंडी में हल्दी के भाव 7,700 से 7,800 रुपये तथा इरोड़ मंडी में भाव 7,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे। निजामाबाद मंडी में हल्दी की दैनिक आवक 500 बोरी की हुई जबकि इरोड़ मंे 5,000 बोरी की आवक रही। नांनदेड़ मंडी में हल्दी के भाव 8,000 स 8,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
हालांकि उत्पादक राज्यों में हाल ही में हुई बारिष से हल्दी की नई फसल को फयादा हुआ है तथा आगामी दिनों में भी मौसम अनुकूल रहा तौ पैदावार ज्यादा ही होने का अनुमान है लेकिन नई फसल की आवक फरवरी-मार्च महीन में बनेगी। इसलिए आगामी दिनों में घरेलू मसाला कंपनियों के साथ ही निर्यातकों की मांग से भाव में और भी सुधार आने का अनुमान है।
चालू सीजन में हल्दी की पैदावार तो पिछले साल से कम हुई थी, लेकिन नई फसल की आवक के समय उत्पादक मंडियों में हल्दी का पिछले साल का बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ था इसलिए हल्दी की कुल उपलब्धता देष में सालाना खपत से ज्यादा ही है।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान हल्दी का निर्यात बढ़कर 86,000 टन का हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में इसका निर्यात 77,500 टन का हुआ था। मसाला बोर्ड ने वित वर्ष 2014-15 में हल्दी के निर्यात का लक्ष्य 80,000 टन का रखा था।  अंतरराष्ट्रीय बाजार में हल्दी का भाव 3.31 डॉलर प्रति किलो है।....आर एस राणा

29 सितंबर 2015

CLOSING STOCK FOR THE 2014-15 COTTON SEASON ONE OF THE HIGHEST IN HISTORY





R S Rana ! New Delhi
The Cotton Association of India (CAI) has released its second estimate for the cotton season 2015-16 beginning at 1st October 2015.  The CAI lowered its estimate for the cotton season 2015-16 and placed the same at 377.00 lakh bales of 170 kgs each.  The projected Balance Sheet drawn by the CAI estimated total cotton supply for the season 2015-16 at 467.65 lakh bales while the domestic consumption is estimated at 325.00 lakh bales thus leaving an available surplus of 142.65 lakh bales.  A statement containing the State-wise estimate of the cotton crop and the Balance Sheet for the season 2015-16 with the corresponding data for the ongoing crop year 2014-15 is enclosed.

The CAI has also released its August estimate for the ongoing cotton season 2014-15 and retained the crop at 382.75 lakh bales of 170 kgs each.  As may be noticed, the country is set to witness one of the highest closing stocks in the history, as at the close of the cotton season 2014-15.

बाजरा की नई फसल की आवक षुरु, भाव घटने की उम्मीद


आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेष, हरियाणा और गुजरात में बाजरा की नई फसल की दैनिक आवक षुरु हो गई है, अक्टूबर में उत्पादक मंडियों में इसकी दैनिक आवक बढ़ेगी, जिससे भाव में हल्की गिरावट आने का अनुमान है। हरियाणा में राज्य सरकार ने एक लाख टन बाजरा की न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी पर खरीदने की योजना बनाई है तथा राज्य की मंडियों से 15 अक्टूबर से बाजारा की खरीद षुरु की जायेगी। राज्य सरकार एमएसपी पर खरीदे गए बाजरा का वितरण सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को करेगी।
हालांकि यह सही है कि सर्दियों का सीजन षुरु होने के बाद बाजारा की खरीद में भी तेजी आयेगी, क्योंकि बाजारा की सबसे ज्यादा खपत पषुआहार के साथ ही खाने में भी होती है। हालांकि चालू खरीफ में पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है इसलिए कीमतों में नरमी की संभावना है।
केंद्र सरकार खरीफ विपणन सीजन 2015-16 के बाजारा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में बाजरा की बुवाई 70.17 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 63.22 लाख हैक्टेयर में हुई थी।
मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2015-15 में 86.4 लाख टन बाजारा का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2014-15 में इसका उत्पादन 75.4 लाख टन का हुआ था।.....आर एस राणा

आवक कम होने से मक्का में तेजी


आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ मक्का की दैनिक आवक कम हो रही है जबकि मुर्गीदाना बनाने वाली कंपनियों के साथ ही स्टार्च मिलों की मांग अच्छी है इसलिए मक्का की कीमतों में तेजी आई है। उत्पादक मंडियों में पिछले दस-बारह दिनों में इसकी कीमतों में करीब 40 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। दिल्ली में मक्का के भाव 1,450 रुपये, निजामाबाद मंडी में 1,490 से 1,530 रुपये, दावणगिरी मंडी में 1,560 रुपये और बिहार की गुलाबबाग मंडी में 1,370 से 1,430 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
खरीफ मक्का उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेष और कर्नाटका में अगस्त से सितंबर के मध्य तक बारिष सामान्य से काफी कम हुई जिसका असर मक्का की उत्पादकता पर पड़ने की आषंका है, लेकिन अक्टूबर में उत्पादक मंडियों में दैनिक बावक बढ़ेगी, जिसे भाव में गिरावट आने की आषंका है। साथ ही विष्व बाजार में मक्का के भाव नीचे होने के कारण निर्यात सीतिम मात्रा में ही हो रहा है। यह सही है कि सर्दियों का सीजन षुरु होने के बाद मक्का की खपत में बढ़ोतरी होगी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में मक्का की बुवाई बढ़कर 73.79 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 73.30 लाख हैक्टेयर में हुई थी।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में खरीफ सीजन में मक्का पैदावार घटकर 155.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 160.3 लाख टन की हुई थी। ......आर एस राणा

कमजोर मांग से जीरा की कीमतों में आई गिरावट


आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में जीरा की कीमतों में 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। इस समय जीरा की कीमतों में तेजी-मंदी बनी हुई र्है। घरेलू मसाला कंपनियों के साथ ही निर्यातकों की मांग से भाव बढ़ तो जाते हैं लेकिन बिकवाली ज्यादा आने से तेजी स्थिर नहीं रह पाते। यह सही है कि इस समय त्यौहारी सीजन के कारण जीरा में घरेलू मांग अच्छी है साथ ही, निर्यातकों की मांग निकलने लगी है। ऐसे में अच्छी गुणवत्ता के जीरा की बराबर बनी रहेगी, इसलिए भाव में सुधार आने का अनुमान है।
उंझा मंडी में जीरा के भाव 2,900 से 3,200 रुपये प्रति 20 किलो रहे तथा दैनिक आवक 3,000 बोरियों की हुई जबकि सौदे 5,000 बोरियों के हुए। चालू सीजन में जीरा की पैदावार पिछले साल की तुलना में कम होने का अनुमान है जबकि बेमौसम बारिष और ओलावृष्टि से जीरे की फसल की क्वालिटी भी प्रभावित हुई थी।
वित वर्ष 2014-15 में जीरा के निर्यात में 11 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई थी तथा चालू वित वर्ष 2015-16 में भी देष से जीरा के निर्यात में और भी बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
जीरा के अन्य उत्पादक देषों सीरिया और टर्की में जीरा का नई फसल आने से विष्व बाजार में भी जीरा की कीमतों में हल्की गिरावट आई है। विष्व बाजार में भारतीय जीरे का भाव घटकर 3.31 डॉलर प्रति किलो रह गया जबकि विष्व बाजार में महीनाभर पहले इसके भाव 3.42 डॉलर प्रति किलो थे।
टर्की और सीरिया में राजनीतिक गतिरोध होने के कारण इन देषों से जीरा के निर्यात में कमी आने की आषंका है, जिसका फायदा भारतीय निर्यातकों को मिलने की संभावना है। खाड़ी देषों के आयातक भारत से ज्यादा मात्रा में जीरा के आयात सौदे कर रहे हैं।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान देष से जीरा का निर्यात बढ़कर 1,55,500 टन का हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में इसका निर्यात 1,21,500 टन का हुआ था।.....आर एस राणा

उंचे भाव में कमजोर मांग से लालमिर्च में गिरावट


अक्टूबर के मध्य में आयेगी मध्य प्रदेष की नई फसल
आर एस राणा
नई दिल्ली। उंचे भाव में मसाला कंपनियों की मांग कम होने से लालमिर्च की कीमतों में 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट देखी गई। पिछले सप्ताहभर में उत्पादक मंडियों में इसकी कीमतों में 700 से 800 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई थी। गुंटूर मंडी में 334 किस्म की लालमिर्च का भाव 10,000 से 11,600 रुपये, तेजा क्वालिटी की लालमिर्च का भाव 11,300 से 11,500 रुपये और फटकी क्वालिटी की लालमिर्च का भाव 7,000 से 9,500 रुपये प्रति क्विंटल रहा। गुंटूर मंडी में लालमिर्च की दैनिक आवक 20,000 बोरी की हुई। खम्मम मंडी में तेजा क्वालिटी की लालमिर्च के भाव 11,400 रुपये प्रति क्विंटल और दैनिक आवक 10,000 बोरी की हुई।
मध्य प्रदेष की लालमिर्च की नई फसल की आवक अक्टूबर महीने में बनेगी, तथा मध्य प्रदेष में लालमिर्च की पैदावार पिछले साल की तुलना में कुछ कम होने की आष्ंाका है, ऐसे में लालमिर्च की कीमतों में फिर सुधार आने का अनुमान है। आंध्रप्रदेष की प्रमुख उत्पादक मंडियों में लालमिर्च की दैनिक आवक भी पहले की तुलना कम हो गई है तथा आगामी दिनों में निर्यात मांग बढ़ने का अनुमान है।
उद्योग का मानना है कि लालमिर्च की पैदावार तो पिछले साल के लगभग बराबर ही होने का अनुमान है लेकिन वित वर्ष 2015-16 में देष से लालमिर्च के निर्यात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। विदेषी बाजार में भारतीय लालमिर्च के भाव बढ़कर 3.19 डॉलर प्रति किलो हो गए जबकि पिछले महीने में इसके भाव 2.91 डॉलर प्रति किलो थे।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान देष से लालमिर्च के निर्यात में 11.04 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान देष से लालमिर्च का निर्यात बढ़कर 3,71,710 टन का हो गया। वित वर्ष 2013-14 में देष से 3,12,500 टन लालमिर्च का निर्यात हुआ था।.....आर एस राणा

28 सितंबर 2015

The first tranche of imported Tur dal arrives

The first tranche of 888 MT and 984 MT of Tur Dal has arrived at Chennai Port and JNPT, Mumbai on 23rd September, 2015 and 24th September, 2015 respectively. It is being allocated to States as per their requests. The remaining consignment of 5000 MT of Tur, already ordered for the import, will also be received soon at these two ports.
Bids for importing additional 5000MT of Tur have also been floated by MMTC. These would be opened on October 1, 2015. While consignment of 5000 MT of Urad Dal from Myanmar will reach at the Chennai and JNPT by 20th October, 2015
This was informed during the fourth meeting of the Inter Ministerial Committee on Prices and Availability of essential food items chaired by Secretary Consumer Affairs, Shri C. Viswanath here today. The meeting attended by senior officials of Ministry Agriculture, Commerce, Food, Delhi Government,  MMTC and NAFED reviewed the prices and availability of pulses and onions
Regarding onion, the Committee noted that the arrival of advance crops to the market from Karnataka and Rajasthan has helped in moderating the prices. It was indicated that post Kharif sowing of onions has been good and is expected to lead to improved supply. MMTC informed that the first tranche of onion being imported to improve domestic availability is expected from China and Egypt on October 3, 2015 at JNPT, Mumbai. The imported stock would be made available to States/ UTs as per their demands to help moderate the prices further.

दैनिक आवक बढ़ने से केस्टर सीड में आई गिरावट


आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक राज्यों में मौसम साफ होने से केस्टर सीड की दैनिक आवक पहले की तुलना में बढ़ी है तथा हाल ही में केस्टर सीड के प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात और राजस्थान में कई जगह बारिष हुई है। जिससे केस्टर सीड की आने वाली नई फसल को फयादा होगा। इसीलिए उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।
इस समय केस्टर तेल में निर्यात मांग अच्छी है तथा फसल का ऑफ सीजन होने के कारण आवक सीमित मात्रा में हो रही है, वैसे भी नई फसल आने में अभी काफी समय बचा हुआ है इसलिए केस्टर सीड की कीमतों में फिर से सुधार आने का अनुमान है।
केस्टर तेल में इस समय चीन की आयात मांग अच्छी बनी हुई है। उद्योग के अनुसार चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान 1,71,804 टन केस्टर तेल का निर्यात हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 1,68,427 टन तेल का निर्यात हुआ है। वित वर्ष 2014-15 में देष से 4.59 लाख टन केस्टर तेल का निर्यात हुआ था तथा चालू वित वर्ष 2015-16 में भी निर्यात अच्छा होने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में केस्टर सीड की बुवाई 10.24 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 9.75 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2014-15 में केस्टर सीड की पैदावार बढ़कर 17.33 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 17.27 लाख टन की हुई थी।.......आर एस राणा

निर्यातकों की मांग से इलायची में रुकेगी गिरावट

निर्यातकों की मांग से इलायची में रुकेगी गिरावट
आर एस राणा
नई दिल्ली। ईद की छूट्टिया समाप्त होने के बाद अब इलायची में साउदी अरब के साथ ही अन्य खाड़ी देषों की आयात बढ़ेगी, ऐसे में नीलामी केंद्र पर आवक बढ़ने के बावजूद भी इलायची की कीमतों में चल रही गिरावट रुकने की संभावना है। नीलामी केंद्रों पर साप्ताहिक इलायची की आवक बढ़कर 6 से 7 लाख किलो की हो गई है।
साउदी अरब के साथ ही अन्य खाड़ी देषों की आयात मांग इलायची में बढ़ेगी, सूत्रों के अनुसार जून-जुलाई में देष से करीब 400 टन इलायची का निर्यात हो चुका है। मौजूदा मांग को देखते हुए चालू वित्त वर्ष 2015-16 में इलायची के निर्यात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। विष्व बाजार में भारतीय इलायची का भाव 1.98 डॉलर प्रति किलो है। ग्वाटेमाला के पास बोल्ड किस्म की इलायची का स्टॉक कम है जबकि ग्वाटेमाला में नई इलायची की फसल दिसंबर महीने में आयेगी। ऐसे में अगले 2-3 महीनों में भारत से निर्यात में और भी बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
चालू फसल सीजन में देष में इलायची की पैदावार पिछले साल की तुलना में ज्यादा होने का अनुमान है। तीसरी तुड़ाई षुरु होने के कारण बोल्ड क्वालिटी की इलायची की आवक निलामी केंद्रों पर ज्यादा हो रही है।
त्यौहारी सीजन के कारण उत्तर भारत की मांग इलायची में बढ़ेगी, साथ ही निर्यात मांग को देखते हुए मौजूदा कीमतों में और गिरावट की संभावना कम है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार नीलामी केंद्रों पर इलायची की दैनिक आवक 56,803 किलो की हुई तथा भाव 632 से 984 रुपये प्रति किलो क्वालिटीनुसार रहे।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित्त वर्ष 2014-15 में देष से 4,460 टन इलायची का निर्यात हुआ है। वित्त वर्ष 2013-14 में देष से 4,710 टन इलायची का निर्यात हुआ था।......आर एस राणा

नए पेराई सीजन में 270 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान - इस्मा


आर एस राणा
नई दिल्ली। इंडियन षुगर मिल्स एसोसिएषन (इस्मा) के आरंभिक अनुमान के अनुसार पहली अक्टूबर से षुरु होने वाले नए पेराई सीजन 2015-16 में चीनी का उत्पादन 270 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पेराई सीजन 2014-16 के 282.6 लाख टन से कम है।
इस्मा के सेटेलाईट आंकलन के अनुसार चालू सीजन में गन्ने की बुवाई पिछले साल की तुलना में 0.4 फीसदी घटकर 52.85 लाख हैक्टेयर में हुई है। हालांकि गन्ने की बुवाई में ज्यादा कमी नहीं आई है लेकिन चीनी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में जुलाई-अगस्त में बारिष सामान्य से काफी कम हुई, जबकि इस दौरान गन्ने की फसल को पानी की सबसे ज्यादा जरुरत होती है। इसीलिए महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम होने का अनुमान है।
इस्मा के अनुसार महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन घटकर 2015-16 में 90 लाख टन का रह सकता है जबकि पिछले पेराई सीजन में 105.05 लाख टन का उत्पादन हुआ था। उत्तर प्रदेष में नए पेराई सीजन में 73.51 से 75 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पेराई सीजन 2014-15 में 71.01 लाख टन का उत्पादन हुआ था। कर्नाटका में अक्टूबर से ष्षुरु होने वाले नए पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 4 लाख टन घटकर 46 लाख टन होने का अनुमान है। तमिलनाडु में चालू खरीफ में बारिष अच्छी हुई है तथा गन्ने के बुवाई रकबे में भी बढ़ोतरी हुई है ऐसे में तमिलनाडु चीनी का उत्पादन पिछले पेराई सीजन की तुलना में 1 लाख टन बढ़कर 13.5 लाख टन होने का अनुमान है।
गुजरात में 11.5 लाख टन, आंध्रप्रदेष और तेलंगाना में 8.5 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के लगभग बराबर ही है। खरीफ में बारिष कम होने के कारण पंजाब और हरियाणा में चीनी उत्पादन में पिछले साल की तुलना में कमी आने का अनुमान है।.......आर एस राणा

26 सितंबर 2015

त्यौहारी मांग से आलू की कीमतों में आया सुधार


आर एस राणा
नई दिल्ली। खपत राज्यों की त्यौहारी मांग बढ़ने से सप्ताहभर में आलू की कीमतों में सुधार देखा गया। इस दौरान देषभर की मंडियों में आलू के औसत भाव में 50 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है। देषभर की मंडियों में 21 सितंबर को आलू का औसत भाव 527 से 772 रुपये प्रति क्विंटल था जोकि बढ़कर 576 से 915 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। देषभर की मंडियों में सितंबर में अभी तक 22.60 लाख क्विंटल आलू की आवक हो चुकी है जबकि अगस्त महीने में आलू की आवक 32.53 लाख क्विंटल की हुई थी।
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2015-16 के पहले महीने अप्रैल में आलू के निर्यात में कमी देखी गई। अप्रैल 2015 में देष से 11,780.96 टन आलू का निर्यात हुआ है जबकि अप्रैल 2014 में इसका निर्यात 26,815.71 टन का हुआ था। हालांकि वित्त वर्ष 2014-15 में वित्त वर्ष 2013-14 के मुकबाले निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। वित वर्ष 2014-15 में देष से 3,05,979 टन आलू का निर्यात हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में 1,66,642 टन आलू का ही निर्यात हुआ था।
कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2014-15 में देष में आलू की बुवाई 19.90 लाख हैक्टेयर में हुई है तथा पैदावार 421.74 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल देष में आलू की बुवाई 19.73 लाख हैक्टेयर में हुई थी तथा पैदावार 415.55 लाख टन की हुई थी। हालांकि देष आलू की रिकार्ड पैदावार फसल सीजन 2012-13 में 453.43 लाख टन की हुई थी। ......आर एस राणा

प्याज की कीमतों में आने लगी है गिरावट


आर एस राणा
नई दिल्ली। आयातित प्याज की आवक होने के साथ ही खरीफ प्याज की नई आवक की उम्मीद से कीमतों में गिरावट आई है। उत्पादक मंडियों में सप्ताहभर में इसकी कीमतों में 100 से 250 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। 21 सितंबर को देषभर की मंडियों में प्याज के औसत भाव 2,667 से 4,355 रुपये प्रति क्विंटल थे जोकि घटकर 2,416 से 4,241 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। अगस्त महीने में देषभर की प्रमुख मंडियों में प्याज की कुल आवक 34.74 लाख क्विंटल की हुई थी जबकि सितंबर महीने में अभी तक मंडियों में 26.56 लाख क्विंटल प्याज की आवक हो चुकी है।
सार्वजनिक कपंनियों के साथ ही प्राइवेट आयातक प्याज का आयात कर रहे हैं जबकि अक्टूबर महीने में उत्पादक मंडियों में खरीफ प्याज की नई आवक षुरु हो जायेगी। इसी को देखते हुए प्याज की मांग में कमी देखी जा ही है जबकि बिकवाली ज्यादा आ रही है। ऐसे में आगामी दिनों में प्याज की कीमतों में और भी गिरावट आयेगी।
केंद्र सरकार द्वारा प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य को बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन कर देने निर्यात तो बंद हुआ ही है, साथ ही सार्वजनिक कंपनियों द्वारा किए जा रहे आयातित प्याज की पहली खेप भी आने वाली है।
कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में प्याज की बुवाई 11.92 लाख हैक्टेयर में हुई है तथा पैदावार 193.57 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी बुवाई 12.03 लाख हैक्टेयर में हुई थी तथा पैदावार 194.01 लाख टन की हुई थी। मंत्रालय के अनुसार पिछले साल के मुकाबले 2014-15 में प्याज की बुवाई में कमी आई है जिससे इसकी पैदावार भी पिछले साल के मुकाबले घटने का अनुमान है। वैसे भी प्याज की खुदाई के समय कई क्षेत्रों में बेमौसम बारिष और ओलावृष्टि से भी फसल को नुकसान हुआ था।
वित वर्ष 2014-15 के के दौरान 10.86 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में देष से 13.58 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था जबकि इसके पिछले वित वर्ष 2012-13 में 16.66 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था।......आर एस राणा

मसाला कपंनियों की मांग से लालमिर्च तेज

मसाला कपंनियों की मांग से लालमिर्च तेज
आर एस राणा
नई दिल्ली। मसाला कंपनियों के साथ निर्यातकों की मांग से सप्ताहभर लालमिर्च की कीमतों में तेजी रही उत्पादक मंडियों में सप्ताह में लालमिर्च की कीमतों में करीब 700 से 800 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। गुंटूर मंडी में 334 किस्म की लालमिर्च का भाव 9,800 से 11,500 रुपये, तेजा क्वालिटी की लालमिर्च का भाव 11,200 से 11,800 रुपये और ब्याडगी क्वालिटी की लालमिर्च का भाव 9,500 से 11,200 रुपये प्रति क्विंटल रहा। लालमिर्च की दैनिक आवक 20 से 25 हजार बोरियों की हुई। खम्मम मंडी में तेजा क्वालिटी की लालमिर्च का भाव 11,500 रुपये प्रति क्विंटल तथा दैनिक आवक 4,000 बोरी की हुई।
मध्य प्रदेष की लालमिर्च की नई फसल की आवक अक्टूबर के मध्य में बनेगी, तथा मध्य प्रदेष में लालमिर्च की पैदावार पिछले साल की तुलना में कुछ कम होने की आष्ंाका है, इसीलिए मसाला कंपनियों की खरीद बढ़ी है। आंध्रप्रदेष की प्रमुख उत्पादक मंडियों में लालमिर्च की दैनिक आवक पहले की तुलना कम हो गई है तथा आगामी दिनों में निर्यात मांग बढ़ने का अनुमान है। ऐसे में मौजूदा कीमतों में और भी सुधार आने का अनुमान है।
उद्योग का मानना है कि लालमिर्च की पैदावार तो पिछले साल के लगभग बराबर ही होने का अनुमान है लेकिन वित वर्ष 2015-16 में देष से लालमिर्च के निर्यात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। विदेषी बाजार में भारतीय लालमिर्च के भाव बढ़कर 3.19 डॉलर प्रति किलो हो गए जबकि पिछले महीने में इसके भाव 2.91 डॉलर प्रति किलो थे।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान देष से लालमिर्च के निर्यात में 11.04 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान देष से लालमिर्च का निर्यात बढ़कर 3,71,710 टन का हो गया। वित वर्ष 2013-14 में देष से 3,12,500 टन लालमिर्च का निर्यात हुआ था।......आर एस राणा

मिलों की मांग से चना में तेजी


आर एस राणा
नई दिल्ली। दाल मिलों की मांग निकलने से सप्ताह के आखिर में चना की कीमतों में 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार देखा गया। घरेलू मंडियों में चना का स्टॉक कम है जबकि दाल और बेसन में मांग अच्छी है। यही वजह से चना की कीमतों तेजी आई है। दिल्ली की लारेंस रोड़ मंडी में चना के भाव बढ़कर 4,750 से 4,800 रुपये, महाराष्ट्र की लातूर मंडी में 4,925 रुपये, मुंबई में आस्ट्रेलिया से आयातित चना के भाव 5,000 रुपये तथा मध्य प्रदेष की इंदौर मंडी में 4,600 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
हाल ही में मध्य प्रदेष और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में बारिष हुई है जोकि चना की नई फसल की बुवाई के लिए अच्छी है लेकिन राजस्थान और उत्तर प्रदेष के चना उत्पादक क्षेत्रों में बारिष की कमी है जिससे इसकी बुवाई पर असर पड़ने की आषंका है।
उत्पादक राज्यों में चना का स्टाक कम होने से दैनिक आवक पहले की तुलना में कम है। जबकि अन्य दालों की तुलना में चना की दाल अभी भी सस्ती होने से इसकी खपत अन्य दालों के मुकाबले ज्यादा हो रही है। पैदावार में कमी आने के कारण चालू रबी सीजन में देष में चना की कुल उपलब्धता सालाना खपत से कम है। वैसे भी आस्ट्रेलिया से आयातित चना के भाव भी तेज बने हुए हैं।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में चना की पैदावार घटकर 71.7 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी रिकार्ड पैदावार 95.3 लाख टन की हुई थी।.....आर एस राणा

सोयाबीन की कीमतों में आई तेजी


आर एस राणा
नई दिल्ली। प्लांटो की मांग बढ़ने से सप्ताह के आखिर में सोयाबीन की कीमतों में 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी देखी गई। मध्य प्रदेष के सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में हाल ही में हुई बारिष से सोयाबीन की कटाई प्रभावित हुई जिससे नई फसल की दैनिक आवक कम हुई है। इसीलिए मिलों की मांग से इसकी कीमतों में तेजी आई है। प्लांटो की मांग को देखते हुए मौजूदा कीमतों में और भी सुधार आने का अनुमान है। इंदौर में सोयाबीन के भाव बढ़कर 3,375 से 3,450 रुपये, मंडियों में 3,200 से 3,400 रुपये, राजस्थान की कोटा मंडी में 3,100 से 3,375 रुपये और महाराष्ट्र की लातूर मंडी में 3,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सोया खली के भाव इंदौर में 30,700 रुपये प्रति टन रहे।
हालांकि इस समय सोया खली में निर्यात मांग काफी कमजोर है लेकिन घरेलू मांग पहले की तुलना में सुधरी है। सोया खली में निर्यात मांग कम होने के कारण सोयाबीन की कीमतों में भारी तेजी की संभावना नहीं है।
उद्योग के अनुमान के अनुसार चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देष से 35,857 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में सोया खली का निर्यात 1,10,259 टन का हुआ था। सोया खली के निर्यात में सबसे ज्यादा कमी जुलाई-अगस्त महीने में आई है। जुलाई महीने में देष से केवल 928 टन और अगस्त में 768 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है।
भारतीय बंदरगाह पर सोया खली के भाव अगस्त में घटकर 480 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि जुलाई महीने में इसके भाव 507 डॉलर प्रति टन थे। विष्व बाजार में सोया खली के दाम नीचे बने हुए है जिसका असर भारत से सोया खली के निर्यात पर पड़ रहा है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई बढ़कर अभी तक 116.1 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 110.30 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई थी।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2014-15 में देष में सोयाबीन की पैदावार घटकर 105.28 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 118.61 लाख टन की हुई थी।....आर एस राणा

25 सितंबर 2015

Kharif Crop Sowing Crosses 1026 Lakh Hectares



Area of Pulses, Oilseeds, Sugarcane and Cotton Exceeds Normal Area

           The total area sown under kharif crops as on 24th September, 2015 has reached to 1026.23 lakh hectares as compared to 1014.24 lakh hectare last year at this time.
             Rice has been sown/transplanted in 374.09 lakh hectares, pulses in 113.45 lakh hectare(normal area 108.18 lakh hectares) coarse cereals in 183.16 lakh hectares, oilseeds in 183.68 lakh hectares (normal area 182.30 lakh hectares), sugarcane in 48.84 lakh hectares (normal area 48.37 lakh hectares)  and cotton in 115.20 lakh hectares (normal area 115.02 lakh hectares).
             The details of the area covered so far and that covered during last year this time given as follows:
                                                                                                                              Lakh hectare 
Crop
Area sown in 2015-16
Area sown in 2014-15
Rice
374.09
373.86
Pulses
113.45
101.83
Coarse Cereals
183.16
178.44
Oilseeds
183.68
177.49
Sugarcane
48.84
48.74
Jute & Mesta
7.80
8.13
Cotton
115.20
125.75
Total
1026.23
1014.24

24 सितंबर 2015

जीरा की कीमतों में तेजी-मंदी जारी


आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में जीरा की कीमतों में तेजी-मंदी बनी हुई र्है। घरेलू मसाला कंपनियों के साथ ही निर्यातकों की मांग से भाव बढ़ तो जाते हैं लेकिन बिकवाली ज्यादा आने से तेजी स्थिर नहीं रह पाती। हालांकि यह सही है कि इस समय त्यौहारी सीजन के कारण जीरा में घरेलू मांग अच्छी है साथ ही, निर्यातकों की मांग निकलने लगी है।
चालू सीजन में जीरा की पैदावार पिछले साल की तुलना में कम होने का अनुमान है जबकि बेमौसम बारिष और ओलावृष्टि से जीरे की फसल की क्वालिटी भी प्रभावित हुई थी। ऐसे में अच्छी गुणवत्ता के जीरा की उपलब्धता कम है जिससे अच्छी गुणवत्ता के जीरा की कीमतों में और भी सुधार आने का अनुमान है, जिससे बढ़िया क्वालिटी के जीरा की कीमतों में तेजी आने का अनुमान है।
वित वर्ष 2014-15 में जीरा के निर्यात में 11 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई थी तथा चालू वित वर्ष 2015-16 में भी देष से जीरा के निर्यात में और भी बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
जीरा के अन्य उत्पादक देषों सीरिया और टर्की में जीरा का नई फसल आने से विष्व बाजार में भी जीरा की कीमतों में हल्की गिरावट आई है। विष्व बाजार में भारतीय जीरे का भाव घटकर 3.31 डॉलर प्रति किलो रह गया जबकि विष्व बाजार में महीनाभर पहले इसके भाव 3.42 डॉलर प्रति किलो थे।
टर्की और सीरिया में राजनीतिक गतिरोध होने के कारण इन देषों से जीरा के निर्यात में कमी आने की आषंका है, जिसका फायदा भारतीय निर्यातकों को मिलने की संभावना है। खाड़ी देषों के आयातक भारत से ज्यादा मात्रा में जीरा के आयात सौदे कर रहे हैं।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान देष से जीरा का निर्यात बढ़कर 1,55,500 टन का हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में इसका निर्यात 1,21,500 टन का हुआ था।....आर एस राणा

अक्टूबर में मक्का की कीमतों में गिरावट आने की आषंका


आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्यों में खरीफ मक्का की दैनिक आवक अक्टूबर महीने में षुरु हो जायेगी जिससे भाव में गिरावट आने की आषंका है। दिल्ली में मक्का के भाव 1,550 से 1,575 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा आंध्रप्रदेष की निजामाबाद मंडी में 1,500 से 1,550 रुपये, बिहार की गुलाबबाग मंडी में 1,350 से 1,400 रुपये, मध्य प्रदेष की इंदौर मंडी में 1,400 से 1,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेष, तेलंगाना और राजस्थान में हाल ही में हुई बारिष से नई फसल की आवक में देरी की संभावना है इसीलिए उत्पादक मंडियों में मक्का की कीमतों में सुधार देखा गया। हालांकि खरीफ मक्का उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेष और कर्नाटका में अगस्त से सितंबर के मध्य तक बारिष सामान्य से काफी कम हुई जिसका असर मक्का की उत्पादकता पर पड़ने की आषंका है, लेकिन अक्टूबर में दैनिक बावक बढ़ेगी, जिसे भाव में एक बार गिरावट आयेगी। वैसे सर्दियों का सीजन षुरु हो है जिससे मक्का की खपत में आगामी दिनों में बढ़ोतरी तो होगी लेकिन विष्व बाजार में दाम कम होने के कारण निर्यात की संभावना काफी कम है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में मक्का की बुवाई बढ़कर 73.79 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 73.30 लाख हैक्टेयर में हुई थी।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2014-15 में मक्का की कुल पैदावार घटकर 236.7 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 242.6 लाख टन की हुई थी।......आर एस राणा

India’s New sugar season 2015-16 (Oct-Sep) is likely to start with a record opening stock

R S Rana
New Delhi. India’s New sugar season 2015-16 (Oct-Sep) is likely to start with a record opening stock of 9.6 million up 28% on year, said a senior official of Indian Sugar Mills Association (ISMA).
   Last year opening stock was 7.5 million ton.
   “Huge opening stocks-equivalent to domestic consumption of nearly four and half months- is really a concern as heavy amount has been blocked in the stocks,” a senior official of ISMA.
   Sugar season 2014-15 had started with an opening stock of 7.5 million ton and with estimated output of 28.3 million ton total availability in the current year is 35.8 million.
   India exported 1.1 million ton sugar and with estimated domestic consumption of 25.1 million ton, total 26.2 million ton of sugar will be liquated during the year leaving a balance of 9.6 ton, showed ISMA data.

23 सितंबर 2015

मसाला कंपनियों की मांग घटने से हल्दी में गिरावट


आर एस राणा
नई दिल्ली। हल्दी के प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु के कुछ क्षेत्रों में बारिश हुई है जिससे हल्दी की नई फसल को फायदा हुआ है। इसीलिए हल्दी में मसाला कंपनियों की मांग कमजोर रही, जिससे भाव में गिरावट दर्ज की गई। मौसम विभाग ने हल्दी उत्पादक राज्यों में और बारिश होने की भविष्यवाणी की हुई है, ऐसे में आगामी दिनों में उत्पादक राज्यों में होने वाली बारिश का असर हल्दी की कीमतों पर पड़ेगा। आंध्रप्रदेश की निजामाबाद मंडी में हल्दी के भाव 7,600 रुपये, इरोड़ मंडी में हल्दी के भाव 7,200 रुपये और नानंदेड में 8,000 से 8,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
चालू सीजन में हल्दी की पैदावार तो पिछले साल से कम हुई थी, लेकिन नई फसल की आवक के समय उत्पादक मंडियों में हल्दी का पिछले साल का बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ था इसलिए हल्दी की कुल उपलब्धता देष में सालाना खपत से ज्यादा ही है।
इस समय खाड़ी देशों की आयात मांग भी हल्दी में आनी शुरु हो गई है त्यौहारी सीजन को देखते उत्तर भारत के राज्यों की मांग भी बढ़ी है इसलिए जिन किसानों के पास हल्दी का स्टॉक है वह उत्पादक राज्यों में मौसम के साथ ही मंडियों में हल्दी के भाव पर नजर रखेंगे तो हल्दी बेचने के लिए बेहतर रणनीति बना सकेंगे। हल्दी की नई फसल आने में अभी करीब 6 महीने बचे हुए हैं, हल्दी की नई फसल की आवक फरवरी महीने में बनेगी।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान हल्दी का निर्यात बढ़कर 86,000 टन का हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में इसका निर्यात 77,500 टन का हुआ था। मसाला बोर्ड ने वित वर्ष 2014-15 में हल्दी के निर्यात का लक्ष्य 80,000 टन का रखा था।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में हल्दी का भाव 3.31 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसके भाव 3.53 डॉलर प्रति किलो थे।

स्टॉक लिमिट भी नहीं रोक पाई चना की तेजी


आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा दलहन पर स्टॉक लिमिट की अवधि को 30 सितंबर 2016 तक बढ़ाने से 22 सितंबर को मंडियों में चना की कीमतों में गिरावट तो आई थी लेकिन कुल उपलब्धता कम होने के कारण गिरावट फिर से तेजी में बदल गई। उत्पादक मंडियों में बुधवार चना की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।
दिल्ली के लारेंस रोड़ पर चना के भाव बढ़कर 4,650 रुपये, इंदौर मंडी में 4,550 रुपये, महाराष्ट्र की नागपुर मंडी में 4,850 रुपये और अकोला मंडी में 4,850 रुपये प्रति क्विंटल रहे। आस्ट्रेलिया से आयातित चना के भाव मुंबई में 4,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
घटे भाव में दाल मिलों की मांग निकलने से चना की कीमतों में तेजी आई है। घरेलू मंडियों में चना का स्टॉक कम है जबकि दाल और बेसन में मांग अच्छी है। यही वजह से चना की कीमतों एक दिन की गिरावट के बाद फिर से तेजी देखने को मिली।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हाल ही में हुई बारिश चना की नई फसल की बुवाई के लिए अच्छी है। उत्पादक राज्यों में चना का स्टाक कम होने से दैनिक आवक पहले की तुलना में कम है। जबकि अन्य दालों की तुलना में चना की दाल अभी भी सस्ती होने से इसकी खपत अन्य दालों के मुकाबले ज्यादा हो रही है। इसलिए इसकी कीमतों में भारी गिरावट आने का अनुमान नहीं है। पैदावार में कमी आने के कारण चालू रबी सीजन में देश में चना की कुल उपलब्धता सालाना खपत से कम है। वैसे भी आस्ट्रेलिया से आयातित चना के भाव भी तेज बने हुए हैं।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में चना की पैदावार घटकर 71.7 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी रिकार्ड पैदावार 95.3 लाख टन की हुई थी।.......आर एस राणा

अरहर की कीमतों में गिरावट का रुख


आर एस राणा
नई दिल्ली। आयातित अरहर की पहली खेप अक्टूबर महीने के शुरु में भारतीय बंदरगाह पर पहुंच रही है इसी को देखते हुए मिलों की मांग कम होने से अरहर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। पिछले तीन-चार दिनों में इसकी कीमतों में करीब 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। मुंबई में आयातित अरहर के भाव 9,400 रुपये प्रति क्विंटल रहे। महाराष्ट्र की अकोला मंडी में अरहर के भाव 9,500 रुपये और दिल्ली में 9,600 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
प्रमुख अरहर उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और आंध्रप्रदेश में अरहर की नई फसल की आवक दिसंबर-जनवरी में बनेगी जिससे कीमतों में और भी गिरावट आने का अनुमान है। चालू फसल सीजन में अरहर की बुवाई में हुई बढ़ोतरी से इसकी पैदावार बढ़ने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अरहर की बुवाई बढ़कर 35.4 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 34.9 लाख हैक्टेयर में हुई थी। मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में अरहर की पैदावार 26.1 लाख टन होेने का अनुमान है।....आर एस राणा

22 सितंबर 2015

प्याज की कीमतों में बनने लगी है गिरावट


आर एस राणा
नई दिल्ली। आयातित प्याज की आवक होने के साथ ही खरीफ प्याज की नई आवक की उम्मीद से इसकी कीमतों में गिरावट आने लगी है। उत्पादक मंडियों में सप्ताहभर में इसकी कीमतों में 200 से 600 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। देषभर की मंडियों में प्याज के औसत भाव 15 सितंबर को 2,868 से 4,981 रुपये प्रति क्विंटल थे जोकि घटकर 2,667 से 4,355 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। अगस्त महीने में देषभर की प्रमुख मंडियों में प्याज की कुल आवक 34.74 लाख क्विंटल की हुई थी जबकि सितंबर महीने में अभी तक मंडियों में 22.48 लाख क्विंटल प्याज की आवक हो चुकी है।
सार्वजनिक कपंनियों के साथ ही प्राइवेट आयातक प्याज का आयात कर रहे हैं जबकि अक्टूबर महीने में उत्पादक मंडियों में खरीफ प्याज की नई आवक षुरु हो जायेगी। इसी को देखते हुए प्याज की मांग में कमी देखी जा ही है जबकि बिकवाली ज्यादा आ रही है। ऐसे में आगामी दिनों में प्याज की कीमतों में और भी गिरावट आयेगी।
केंद्र सरकार द्वारा प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य को बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन कर देने निर्यात तो बंद हुआ ही है, साथ ही सार्वजनिक कंपनियों द्वारा किए जा रहे आयातित प्याज की पहली खेप चालू सप्ताह में पहुंच जायेगी।
केंद्र सरकार ने प्याज की नई फसल की आवक के समय अप्रैल महीने में प्याज के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 300 डॉलर प्रति टन से घटाकर 250 डॉलर प्रति टन किया था लेकिन घरेलू मंडियों में प्याज की कीमतों में आई तेजी के कारण उपभोक्ताओं के हित के लिए केंद्र सरकार ने जून महीने में एमईपी को बढ़ाकर 425 डॉलर प्रति टन कर दिया था। इसके बाद भी प्याज का निर्यात बंद नहीं हुआ तो सरकार निर्यात को हत्तोसाहित करने के लिए एमईपी को बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन कर दिया।
अक्टूबर में खरीफ के प्याज की आवक षुरु हो जायेगी। प्याज की पैदावार देष में रबी सीजन के अलावा खरीफ और लेट खरीफ में भी होता है। रबी प्याज की आवक उत्पादक मंडियोें में मार्च से जून महीने तक होती है जबकि खरीफ प्याज की आवक अक्टूबर से दिसंबर तक तथा लेट खरीफ प्याज की आवक उत्पादक मंडियों में जनवरी से मार्च तक होती है। खरीफ में प्याज का उत्पादन 15 से 20 फीसदी और लेट खरीफ में 20 से 25 फीसदी होता है जबकि रबी में प्याज का उत्पादन 60 से 65 फीसदी तक होता है।
कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में प्याज की बुवाई 11.92 लाख हैक्टेयर में हुई है तथा पैदावार 193.57 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी बुवाई 12.03 लाख हैक्टेयर में हुई थी तथा पैदावार 194.01 लाख टन की हुई थी। मंत्रालय के अनुसार पिछले साल के मुकाबले 2014-15 में प्याज की बुवाई में कमी आई है जिससे इसकी पैदावार भी पिछले साल के मुकाबले घटने का अनुमान है। वैसे भी प्याज की खुदाई के समय कई क्षेत्रों में बेमौसम बारिष और ओलावृष्टि से भी फसल को नुकसान हुआ था।
वित वर्ष 2014-15 के के दौरान 10.86 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में देष से 13.58 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था जबकि इसके पिछले वित वर्ष 2012-13 में 16.66 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था।
देष में प्याज की सबसे ज्यादा पैदावार महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, गुजरात, आंध्रप्रदेष, उत्तर प्रदेष, उड़ीसा और मध्य प्रदेष में होती है। आंध्रप्रदेष में प्याज की फसल की आवक का पीक सीजन अप्रैल और जून के बाद सितंबर से नवंबर तक रहता है। बिहार में प्याज की आवक का सीजन मार्च-अप्रैल महीना है जबकि असम में प्याज की आवक जनवरी-फरवरी में होती है। गुजरात में फरवरी में प्याज की आवक रहती है जबकि कर्नाटका में अप्रैल से जून तक तथा सितंबर से अक्टूबर तक आवक का पीक सीजन रहता है। मध्य प्रदेष में मार्च-अप्रैल में प्याज की आवक होती है जबकि महाराष्ट्र में मंडियों में आवक का दबाव अप्रैल महीने में होता है।
विष्व में प्याज के उत्पादन में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। विष्व में प्याज के उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी 26.3 फीसदी और भारत की 22.6 फीसदी है। ......आर एस राणा

बारिष से सोयाबीन की कीमतों में आया सुधार


आर एस राणा
नई दिल्ली। प्लांटो की मांग बढ़ने से सोयाबीन की कीमतों में हल्का सुधार देखा गया। मध्य प्रदेष के सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में बारिष होने से सोयाबीन की कटाई प्रभावित हुई है जिससे इसकी कीमतों में सुधार देखा गया। जहां फसल पक कर कटाई के लिए तैयार है वहां हुई तेज बारिष से फसल की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता के साथ ही क्वालिटी प्रभावित होने की आषंका है ऐसे में भाव में थोड़ा और सुधार आ सकता है। मध्य प्रदेष की इंदौर मंडी में सोयाबीन के भाव 3,275 से 3,330 रुपये, राजस्थान की कोटा मंडी में 3,000 से 3,250 रुपये और महाराष्ट्र की लातूर मंडी में 3,310 रुपये प्रति क्विंटल रहे। इंदौर में सोया खली का भाव 29,600 रुपये प्रति टन रहा।
हालांकि इस समय सोया खली में निर्यात मांग काफी कमजोर है लेकिन घरेलू मांग पहले की तुलना में सुधरी है। सोया खली में निर्यात मांग कम होने के कारण सोयाबीन की कीमतों में भारी तेजी की संभावना नहीं है।
उद्योग के अनुमान के अनुसार चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देष से 35,857 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में सोया खली का निर्यात 1,10,259 टन का हुआ था। सोया खली के निर्यात में सबसे ज्यादा कमी जुलाई-अगस्त महीने में आई है। जुलाई महीने में देष से केवल 928 टन और अगस्त में 768 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है।
भारतीय बंदरगाह पर सोया खली के भाव अगस्त में घटकर 480 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि जुलाई महीने में इसके भाव 507 डॉलर प्रति टन थे। विष्व बाजार में सोया खली के दाम नीचे बने हुए है जिसका असर भारत से सोया खली के निर्यात पर पड़ रहा है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई बढ़कर अभी तक 116.1 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 110.30 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई थी।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2014-15 में देष में सोयाबीन की पैदावार घटकर 105.28 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 118.61 लाख टन की हुई थी।....आर एस राणा

Controls imposed under the Essential Commodities, Act, 1955 – extension of validity

Controls imposed under the Essential Commodities, Act, 1955 – extension of validity of the Central Order No.SO.2559(E) dated 30.9.2014 in respect of pulses, edible oils and edible oilseeds beyond 30.09.2015
The Union Cabinet chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi, today has given its approval for extension of validity of Central Order No.SO.2559 (E) dated 30.9.2014 for a further period of one year, that is from 1st October, 2015 to 30th September 2016 in respect of pulses, edible oils and edible oilseeds.

This will enable States to regulate trade of these essential commodities and to continue to take effective operations under the Essential Commodities Act, 1955. They can impose stock limits/licensing requirements etc. to curb unscrupulous trading, hoarding and profiteering. The extension will also help the States in tackling the problem of ensuring adequate availability of these commodities in the domestic market and keep prices under control.

The Government has taken a series of policies, initiatives and measures to enhance availability and moderate prices of essential commodities, especially pulses and onions. Future trade in pulses like urad and tur has already been suspended. Export of pulses has been banned and there is zero duty on import of pulses. Pulses have also been included for assistance under the Price Stabilization scheme. To increase availability of pulses in the domestic market 5000 tons of urad and 5000 tons of tur has been ordered to be imported. These imports are likely to reach shortly, which will ease the price situation.

दलहन, तिलहन और खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट की अवधि एक साल के लिए बढ़ी


आर एस राणा
नई दिल्ली। कीमतों पर अंकुष लगाने के लिए केंद्र सरकार ने दलहन, तिलहन के साथ ही खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट की अवधि को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्ष में हुई केबिनेट की बैठक में दलहन, तिलहन और खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट की अवधि को 30 सितंबर 2106 कर दिया है। पिछले साल दलहन और खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी के कारण सरकार ने आवष्यक वस्तु अधिनियम के तहत स्टॉक लिमिट लगा दी थी।
केबिनेट की बैठक के बाद दूरसंचार मंत्री रविषंकर प्रसाद ने पत्रकारों को बताया कि दलहन, खाद्य तेल तथा तिलहन की कीमतों को काबू में रखने के लिए सरकार ने स्टॉक लिमिट की अवधि को एक साल बढ़ाने का फैसला किया है। राज्य सरकारे स्टॉक लिमिट के तहत जमाखोरों के खिलाफ कार्यवाही कर सकती है इससे इन वस्तुओं की उपलब्धता बाजार में बनी रहेगी।
सरकार ने दलहन और प्याज की उंची कीमतों पर अंकुष लगाने के लिए इनका आयात किया जा रहा है। प्याज और आयातित अरहर की पहली खेप चालू सप्ताह में पहुंचने की उम्मीद है। केंद्र सरकार सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से 5,000 टन अरहर और 5,000 उड़द का आयात कर रही है।......आर एस राणा

21 सितंबर 2015

बारिष से केस्टर सीड की फसल को होगा फायदा


आर एस राणा
नई दिल्ली। केस्टर सीड के प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में कई जगह बारिष हुई है। जिससे फसल को फायदा होगा। बारिष की वजह से मंडियों में केस्टर सीड की दैनिक आवक प्रभावित हुई जबकि मिलों की मांग अच्छी होने से इसकी कीमतों में तेजी दर्ज की गई। गुजरात की जामनगर मंडी में केस्टर सीड के भाव 3,750 से 3,880 रुपये तथा राजकोट मंडी में 3,950 से 4,050 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
इस समय केस्टर तेल में निर्यात मांग अच्छी है तथा मंडियों में केस्टर सीड की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हो गई है। ऐसे में मिलों की मांग से केस्टर सीड की कीमतों में और भी सुधार आने का अनुमान है।
केस्टर तेल के निर्यात सौदे 1,280 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे है तथा इस समय चीन की आयात मांग अच्छी बनी हुई है। उद्योग के अनुसार चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले दो महीनों अप्रैल से मई के दौरान 90,396 टन केस्टर तेल का निर्यात हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 85,837 टन तेल का निर्यात हुआ है। वित वर्ष 2014-15 में देष से 4.59 लाख टन केस्टर तेल का निर्यात हुआ था तथा चालू वित वर्ष 2015-16 में भी निर्यात अच्छा होने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में केस्टर सीड की बुवाई 10.24 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 9.75 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2014-15 में केस्टर सीड की पैदावार बढ़कर 17.33 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 17.27 लाख टन की हुई थी।....आर एस राणा

उत्पादक मंडियों में सोयाबीन की दैनिक आवक बढ़ी, भाव में गिरावट


आर एस राणा
नई दिल्ली। मध्य प्रदेष, महाराष्ट्र तथा राजस्थान में सोयाबीन की नई फसल की दैनिक आवक बढ़ी है जिससे भाव में गिरावट देखी गई। मध्य प्रदेष की इंदौर मंडी में सोयाबीन के भाव 2,500 से 3,200 रुपये, इटारसी मंडी में 2,551 से 3,336 रुपये और महाराष्ट्र की अहमदपुर मंडी में 3,200 रुपये तथा राजस्थान की कोटा मंडी में भाव 2,901 से 3,341 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
अप्रैल-सितंबर में उत्पादक राज्यों में बारिष की कमी के साथ ही कुछेक क्षेत्रों में बीमारी से फसल को नुकसान हुआ है तथा चालू फसल सीजन में सोयाबीन की पैदावार तो कम होने का अनुमान है लेकिन खाद्य तेलों के आयात में बढ़ोतरी के साथ ही सोया खली में निर्यात मांग कमजोर होने से भाव में तेजी की संभावना नहीं है।
हालांकि केंद्र सरकार ने किसानों के हितों के लिए खाद्य तेलों के आयात षुल्क में बढ़ोतरी कर दी है। केंद्र सरकार क्रुड पाम तेल के आयात षुल्क को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी और रिफाइंड तेल के आयात पर षुल्क को 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया है।
उद्योग के अनुमान के अनुसार चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देष से 35,857 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में सोया खली का निर्यात 1,10,259 टन का हुआ था। सोया खली के निर्यात में सबसे ज्यादा कमी जुलाई-अगस्त महीने में आई है। जुलाई महीने में देष से केवल 928 टन और अगस्त में 768 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है।
भारतीय बंदरगाह पर सोया खली के भाव अगस्त में घटकर 480 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि जुलाई महीने में इसके भाव 507 डॉलर प्रति टन थे। विष्व बाजार में सोया खली के दाम नीचे बने हुए है जिसका असर भारत से सोया खली के निर्यात पर पड़ रहा है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई बढ़कर अभी तक 116.1 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 110.30 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई थी।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2014-15 में देष में सोयाबीन की पैदावार घटकर 105.28 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 118.61 लाख टन की हुई थी।....आर एस राणा


19 सितंबर 2015

चना की कीमतों में फिर आई तेजी


आर एस राणा
नई दिल्ली। सप्ताह के षुरु में चना की कीमतों में गिरावट आई थी लेकिन उसके बाद लगातार चार कार्य दिवस में इसकी कीमतों में तेजी दर्ज की गई। सप्ताह के आखिरी चार दिनों मंे इसकी कीमतों में 250 से 275 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। दिल्ली के लारेंस रोड पर चना के भाव 4,700 से 4,750 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा दैनिक आवक 25 मोटर की हुई। मुंबई में आस्ट्रेलिया से आयातित चना के भाव बढ़कर 4,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
चना की फसल की बुवाई अक्टूबर में षुरु हो जायेगी, तथा चना की ज्यादातर बुवाई असिंचित क्षेत्रफल में होती है इसलिए प्रमुख उत्पादक राज्यों में सितंबर में होने वाली बारिष इसकी बुवाई के लिए काफी अहम है।
दाल एवं बेसन मिलों की मांग बढ़ने से चना की कीमतों में तेजी बनी हुई, उत्पादक राज्यों में चना का स्टाक कम होने से दैनिक आवक पहले की तुलना में कम है। जबकि अन्य दालों की तुलना में चना की दाल अभी भी सस्ती होने से इसकी खपत अन्य दालों के मुकाबले ज्यादा हो रही है। इसलिए इसकी कीमतों में और भी सुधार आने का अनुमान है। पैदावार में कमी आने के कारण चालू रबी सीजन में देष में चना की कुल उपलब्धता सालाना खपत से कम है। आस्ट्रेलिया से आयातित चना के भाव भी तेज बने हुए हैं।
आस्ट्रेलिया में चना की नई फसल की आवक चालू महीने के आखिर तक षुरु हो जायेगी तथा अनुकूल मौसम से आस्ट्रेलिया में चना की पैदावार पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है। ऐसे में अक्टूबर-नवंबर में आस्ट्रेलिया से नए चना की षिपमेंट आनी षुरु हो जायेगी। देष में चना के आयात में आस्ट्रेलिया से करीब 65 से 70 फीसदी चना का आयात होता है।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में चना की पैदावार घटकर 71.7 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी रिकार्ड पैदावार 95.3 लाख टन की हुई थी।.....आर एस राणा

निर्यातकों की मांग से जीरा की कीमतों में आई तेजी


आर एस राणा
नई दिल्ली। सप्ताह के षुरु में जीरा की कीमतों में गिरारट जरुर आई थी लेकिन उसके बाद से नीचे भाव में मसाला कंपनियों के साथ ही निर्यातकों की मांग से भाव तेजी देखी गई। त्यौहारी सीजन होने के कारण जीरा में घरेलू मांग अच्छी है साथ ही, निर्यातकों की मांग भी अब बढ़ने लगी है। गुजरात की उंझा मंडी में जीरा के भाव 3,000 से 3,300 रुपये प्रति 20 किलो रहे तथा दैनिक आवक 2,500 से 3,000 बोरी की हुई जबकि दैनिक सौदे 7,000 बोरियों के हुए।
चालू सीजन में जीरा की पैदावार पिछले साल की तुलना में कम होने का अनुमान है जबकि बेमौसम बारिष और ओलावृष्टि से जीरे की फसल की क्वालिटी भी प्रभावित हुई थी। ऐसे में अच्छी गुणवत्ता के जीरा की उपलब्धता कम है जिससे अच्छी गुणवत्ता के जीरा की कीमतों में और भी सुधार आने का अनुमान है।
जीरा के अन्य उत्पादक देषों सीरिया और टर्की में जीरा का नई फसल आने से विष्व बाजार में भी जीरा की कीमतों में हल्की गिरावट आई है। विष्व बाजार में भारतीय जीरे का भाव घटकर 3.31 डॉलर प्रति किलो रह गया जबकि विष्व बाजार में महीनाभर पहले इसके भाव 3.42 डॉलर प्रति किलो थे। हालांकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले विष्व बाजार में जीरा के भाव तेज है। पिछले साल की समान अवधि में अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीरा के भाव 2.93 डॉलर प्रति किलो थे।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान देष से जीरा का निर्यात बढ़कर 1,55,500 टन का हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में इसका निर्यात 1,21,500 टन का हुआ था।.....आर एस राणा

हल्दी उत्पादक राज्यों में बारिष, हल्की की बारिष से फसल को होगा फायदा


आर एस राणा
नई दिल्ली। हल्दी के प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेष और तेलंगाना में बारिष होने की संभावना है, हल्दी बारिष से नई फसल को फायदा होगा, लेकिन ज्यादा बारिष हुई नीचे के इलाकों मंे फसल को नुकसान भी हो सकता है। इसीलिए हल्दी की तेजी-मंदी मानसूनी बारिष पर निर्भर करेगी। आंध्रप्रदेष की निजामाबाद मंडी में हल्दी के भाव 8,200 रुपये और इंरोड़ मंडी में 7,600 रुपये प्रति क्विंटल रहे। सेलम मंडी में इसके भाव 8,100 और नांनदेड में 7,000 से 7,600 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
सप्ताहभर हल्दी की कीमतों में तेजी-मंदी बनी रही। जहां सप्ताह के मध्य में इसकी कीमतों में गिरावट आई थी वहीं सप्ताह के आखिर में भाव में सुधार देखा गया। महाराष्ट्र के हल्दी उत्पादक क्षेत्रों में हल्की बारिष होने से फसल को फयादा हुआ है। आंध्रप्रदेष और तेलंगाना में भी आगामी दिनों में बारिष होने की संभावना है।
चालू सीजन में हल्दी की पैदावार तो पिछले साल से कम हुई थी, लेकिन नई फसल की आवक के समय उत्पादक मंडियों में हल्दी का पिछले साल का बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ था इसलिए हल्दी की कुल उपलब्धता देष में सालाना खपत से ज्यादा ही है।
इस समय खाड़ी देषों की आयात मांग भी हल्दी में आनी षुरु हो गई है त्यौहारी सीजन को देखते उत्तर भारत के राज्यों की मांग भी बढ़ी है इसलिए जिन स्टॉकिस्टों के पास हल्दी का स्टॉक है वह उत्पादक राज्यों में मौसम के साथ ही मंडियों में हल्दी के भाव पर नजर रखेंगे तो हल्दी बेचने के लिए बेहतर रणनीति बना सकेंगे।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान हल्दी का निर्यात बढ़कर 86,000 टन का हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में इसका निर्यात 77,500 टन का हुआ था। मसाला बोर्ड ने वित वर्ष 2014-15 में हल्दी के निर्यात का लक्ष्य 80,000 टन का रखा था।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में हल्दी का भाव 3.31 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसके भाव 3.53 डॉलर प्रति किलो थे।.....आर एस राणा

18 सितंबर 2015

मिलों की मांग से चना की कीमतों में आई तेजी


आर एस राणा
नई दिल्ली।
दाल एवं बेसन मिलों की मांग बढ़ने से चना की कीमतों में तेजी बनी हुई है, पिछले तीन दिनों में चना की कीमतों में 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। उत्पादक राज्यों में चना का स्टाक कम होने से दैनिक आवक पहले की तुलना में कम है। जबकि अन्य दालों की तुलना में चना की दाल अभी भी सस्ती होने से इसकी खपत अन्य दालों के मुकाबले ज्यादा हो रही है। इसलिए इसकी कीमतों में और भी सुधार आने का अनुमान है। लारेंस रोड़ पर चना के भाव 4,700 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा दैनिक आवक 15 से 20 मोटर की हुई।
अगस्त से मध्य सितंबर तक प्रमुख चना उत्पादक राज्यों में बारिष कम हुई है जबकि अक्टूबर से चना की बुवाई षुरु हो जायेगी। चना की बुवाई ज्यादातर असिचिंत क्षेत्रफल में होती है इसलिए भी स्टॉकिस्ट बिकवाली नहीं कर रहे हैं। हालांकि मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में बारिष होने की भविष्यवाणी की हुई है अगर उत्पादक राज्यों में बारिष हो जाती है तो फिर चना की बुवाई के फायदेमंद होगी और भाव घट भी सकते हैं।
पैदावार में कमी आने के कारण चालू रबी सीजन में देष में चना की कुल उपलब्धता सालाना खपत से कम है। आस्ट्रेलिया से आयातित चना के भाव भी तेज बने हुए हैं। अक्टूबर-नवंबर षिपमेंट के सौदे 790-800 डॉलर प्रति टन की दर से हुए हैं। आस्ट्रेलिया में चना की नई फसल की आवक चालू महीने के आखिर तक षुरु हो जायेगी तथा अनुकूल मौसम से आस्ट्रेलिया में चना की पैदावार पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है। ऐसे में अक्टूबर-नवंबर में आस्ट्रेलिया से नए चना की षिपमेंट आनी षुरु हो जायेगी।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में चना की पैदावार घटकर 71.7 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी रिकार्ड पैदावार 95.3 लाख टन की हुई थी।....आर एस राणा

खाद्य तेलों पर आयात षुल्क में बढ़ोतरी से सोयाबीन की कीमतों में सुधार


आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के आयात पर आयात षुल्क को बढ़ा दिया है। क्रुड पॉम तेल पर आयात षुल्क को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी और रिफाइंड तेल पर आयात षुल्क को 15 से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया है जिससे आयातित खाद्य तेल महंगे हो जायेंगे। इसीलिए उत्पादक मंडियों में सोयाबीन की कीमतों में सुधार देखा गया।
मध्य प्रदेष और महाराष्ट्र के कुछ उत्पादक क्षेत्रों की मंडियों में सोयाबीन की नई फसल की दैनिक आवक षुरु हो गई है। इस समय उत्पादक मंडियों में करीब 20 से 20 हजार क्विंटल की नई सोयाबीन की आवक हो रही है जबकि नमी युक्त मालों की बिक्री 2,800 से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रही है। पुरानी सोयाबीन के भाव 3,200 रुपये प्रति क्विंटल है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, मध्य प्रदेष और राजस्थान के सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में अगस्त महीने में बारिष सामान्य से कम काफी कम हुई थी जिसकी वजह से सोयाबीन की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में कमी आने की आषंका है। हालांकि इस समय सोया खली में निर्यात मांग काफी कमजोर है लेकिन घरेलू मांग पहले की तुलना में सुधरी है। सोया खली में निर्यात मांग कम होने के कारण सोयाबीन की कीमतों में भारी तेजी की संभावना नहीं है वैसे भी आगामी दिनों में उत्पादक मंडियों में सोयाबीन की दैनिक आवक बढ़ेगी।
उद्योग के अनुमान के अनुसार चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देष से 35,857 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में सोया खली का निर्यात 1,10,259 टन का हुआ था। सोया खली के निर्यात में सबसे ज्यादा कमी जुलाई-अगस्त महीने में आई है। जुलाई महीने में देष से केवल 928 टन और अगस्त में 768 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है।
भारतीय बंदरगाह पर सोया खली के भाव अगस्त में घटकर 480 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि जुलाई महीने में इसके भाव 507 डॉलर प्रति टन थे। विष्व बाजार में सोया खली के दाम नीचे बने हुए है जिसका असर भारत से सोया खली के निर्यात पर पड़ रहा है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई बढ़कर अभी तक 116.1 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 110.30 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई थी।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2014-15 में देष में सोयाबीन की पैदावार घटकर 105.28 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 118.61 लाख टन की हुई थी।.....आर एस राणा

Market Update: Import Duty Tariff Notification on Veg oil

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF FINANCE
(DEPARTMENT OF REVENUE)
Notification
No. 46/2015-Customs
New Delhi, the 17th September, 2015
             G.S. R.           (E).—In exercise of the powers conferred by sub-section (1) of section 25 of the Customs Act, 1962 (52 of 1962), the Central Government being satisfied that it is necessary in the public interest so to do, hereby makes the following further amendments in the notification of the Government of India in the Ministry of Finance (Department of Revenue) No. 12/2012-Customs, dated the 17th March, 2012, published in the Gazette of India, Extraordinary, Part II, Section 3, Sub-section (i), vide number G.S.R.185(E), dated the 17th March, 2012, namely:-

In the said notification, -
(A)  in the Table,-
(i)        against S.No.51, for the entries occurring in column (4) against clauses (A), (B) and (C) of item II of column (3), the entry “12.5%” shall respectively be substituted;
(ii)       against S.No.55, for the entry in column (4), the entry “12.5%” shall be substituted;
(iii)      against S.No. 56, for the entry in column (4), the entry “20%” shall be substituted;
(iv)      against S.No.57, for the entry in column (4), the entry “12.5%” shall be substituted;
(v)       against S.No. 58, for the entry in column (4), the entry “20%” shall be substituted;
 (vi)      against S.No. 59, for the entry in column (4), the entry “20%” shall be substituted;
 (vii)     against S.No. 62, for the entry in column (4), the entry “12.5%” shall be substituted;
 (viii)    against S.No. 63, for the entry in column (4), the entry “20%” shall be substituted;
 (ix)      against S.No. 65, for the entry in column (4), the entry “12.5%” shall be substituted;
 (x)       against S.No. 66, for the entry in column (4), the entry “20%” shall be substituted;
 (xi)      against S.No. 69, for the entry in column (4), the entry “20%” shall be substituted;
 (xii)     against S.No. 71, for the entry in column (4), the entry “20%” shall be substituted.
 
(B)              in the ANNEXURE, in Condition No. 101, under the column heading "Conditions",-
 (a)       for clause (iii), the following clause shall be substituted, namely:-
 “(iii)  such ships or  vessels carry containerised cargo namely, export-import cargo or     empty  containers or domestic cargo, between such ports;";
 (b)      for clause (iv), the following clause shall be substituted, namely:-
 “(iv)  such ships or vessels file an import manifest (IGM) or an export manifest      (EGM), as the case may be, in each leg of the voyage;";   
  (C)              in List 33,  after item number (6) and the entries relating thereto, the following shall be inserted, namely:-   
 “7.  Gorakhpur Haryana Anu Vidyut Pariyojana (GHAVP) Units -1 and  2 (700 MW x2)
  8.  Kudankulam Nuclear Power Project (KKNPP) Units – 3 and 4 (1000 MW x 2)".
 [F. No. 354/126/2014-TRU]

 
(Akshay Joshi)
Under Secretary to the Government of India
 Note.- The principal notification No. 12/2012-Customs, dated the 17th March, 2012 was published in the Gazette of India, Extraordinary, Part II, Section 3, Sub-section (i) vide number G.S.R. 185(E), dated the 17th March, 2012  and last amended by notification No. 45/2015-Customs, dated the 12thAugust, 2015, published in the Gazette of India, Extraordinary, Part II, Section 3, Sub-section (i) vide number G.S.R 623(E), dated the 12th August, 2015.

Past and New Structure


17 सितंबर 2015

मसाला कंपनियों की मांग से लालमिर्च में तेजी


आर एस राणा
नई दिल्ली। नीचे भाव में घरेलू मसाला कंपनियों की मांग बढ़ने से लालमिर्च की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। पिछले चार-पांच दिनों में लालमिर्च की कीमतों में 700 से 800 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई थी। मध्य प्रदेष की लालमिर्च की नई फसल की आवक अक्टूबर महीने में बनेगी, तथा मध्य प्रदेष में लालमिर्च की पैदावार पिछले साल की तुलना में कुछ कम होने की आष्ंाका है, इसीलिए मसाला कंपनियों की खरीद बढ़ी है।
आंध्रप्रदेष की प्रमुख उत्पादक मंडियों में लालमिर्च की दैनिक आवक पहले की तुलना कम हो गई है तथा आगामी दिनों में निर्यात मांग बढ़ने का अनुमान है। उद्योग का मानना है कि लालमिर्च की पैदावार तो पिछले साल के लगभग बराबर ही होने का अनुमान है लेकिन वित वर्ष 2015-16 में देष से लालमिर्च के निर्यात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। विदेषी बाजार में भारतीय लालमिर्च के भाव बढ़कर 3.19 डॉलर प्रति किलो हो गए जबकि पिछले सप्ताह में इसके भाव 3.09 डॉलर प्रति किलो थे।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान देष से लालमिर्च के निर्यात में 11.04 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान देष से लालमिर्च का निर्यात बढ़कर 3,71,710 टन का हो गया। वित वर्ष 2013-14 में देष से 3,12,500 टन लालमिर्च का निर्यात हुआ था।....आर एस राणा