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10 दिसंबर 2015

राजस्थान में चने का रकबा पिछले साल से आधा


मॉनसून सीजन में कम बारिश और इस वजह से मिट्टी में कम नमी होने के कारण इस साल राजस्थान में चने की बुआई पिछले साल से करीब आधी ही हो पाई है। राज्य के व्यापारियों का कहना है कि चने की बुआई का समय लगभग निकल चुका है। उनका कहना है कि अगर आने वाले 5 से 10 दिन में प्रदेश में बारिश होती है तो चने का रकबा कुछ बढ़ सकता है, अन्यथा अब आगे बुआई नहीं होगी।
व्यापारियों का कहना है कि कम बुआई के चलते अगले वर्ष चने का उत्पादन भी आधे से कम रह जाएगा। राजस्थान देश का सबसे बड़ा चना उत्पादक राज्य है। राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश, गुजारात, कर्नाटक और तमिलनाडु में चने का उत्पादन होता है। जयपुर के एक चना व्यापारी का कहना है कि राजस्थान में चने की बुआई कम बारिश की वजह से प्रभावित हुई है। वर्ष 2014-15 में राजस्थान में 1 लाख 25 हजार हेक्टेयर में चने की बुआई हुई थी, जबकि 2015-16 में 20 नवंबर तक पूरे प्रदेश में मात्र 58,150.59 हेक्टेयर में ही चने की बुआई हो पाई है। कम रकबे को देखते हुए अगले वर्ष चने का उत्पादन घटकर आधा रहने के आसार हैं और देश में दलहनों की उपलब्धता कीस्थिति बिगड़ेगी।
व्यापारी ने बताया कि राजस्थान में काले चने के मुख्य उत्पादक क्षेत्रों जयपुर, अजमेर, केकड़ी, किशनगढ़, नसीराबाद, फागी, फुलेरा, सांभर, टोंक में चने की बुआई न के बराबर हुई है। इन इलाकों में उन्हीं किसानों ने चने की बुआई की है, जिनके पास ट्यूबवैल या कुएं से सिंचाई की व्यवस्था है। प्रदेश में जो थोड़ी-बहुत बुआई हुई है, वह जैसलमेर, बीकानेर और शेखावटी क्षेत्र में हो पाई है। गौरतलब है कि इस साल राजस्थान में चने की बुआई का लक्ष्य 1.25 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 1.45 लाख हेक्टेयर तय किया गया है। (BS Hindi)

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