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31 दिसंबर 2015

कपास की पैदावार 362 लाख गांठ होने का अनुमान


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2015-16 में देष में कपास की पैदावार 362 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल देष में 382.75 लाख गांठ कपास की पैदावार हुई थी।
कॉटन एसोसिषन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू सीजन में देष के कई राज्यों में प्रतिकूल मौसम के कारण कपास की पैदावार में कमी आई है। सीएआई ने पहले 370 लाख गांठ कपास पैदावार का अनुमान लगाया था लेकिन उत्पादक राज्यों में प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में कमी के साथ ही दैनिक आवकों में आई कमी से अब आरंभिक अनुमान 370 लाख गांठ से घटाकर 362 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया है। 30 नवंबर तक देषभर की मंडियों में 59.15 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है।
सीएआई के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 43 लाख गांठ कपास पैदावार का अनुमान है जबकि गुजरात में 99.50 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 83 लाख गांठ तथा मध्य प्रदेष में 13 लाख गांठ पैदावार का अनुमान है। इसी तरह से दक्षिण भारत के राज्यों में तेलंगाना में 58 लाख गांठ, आंध्रप्रदेष में 26 लाख गांठ, कर्नाटका में 20 तथा तमिलनाडु में 7.50 लाख गांठ कपास पैदावार होने का अनुमान है। उड़ीसा में चालू सीजन में 4 लाख गांठ कपास होने की संभावना है।
चालू सीजन में पाकिस्तान की आयात मांग ज्यादा होने से कपास का कुल निर्यात पिछले साल की तुलना में बढ़ने का अनुमान है। ऐसे में आगामी दिनों में कपास की कीमतांें में तेजी ही आने का अनुमान है।........आर एस राणा

Argentina May Harvest Bumper Wheat & Corn Crop In 2016

 Argentina has revised its grain export policies and it would encourage farmers to grow more wheat and corn now.Export permit policy has been cancelled.Export tax  too has been removed on corn and wheat.Local farmers had reduced their wheat and corn area under export permit system and lower price.Now they will double their area under wheat and corn.
 
Argentina’s Agriculture Ministry is forecasting the current wheat crop to be 10.9 million metric tons. That’s below the 2007-08 record crop of 16.4 million, before the export permit policy was initiated.The export of grains has become more profitable for farmers after Argentina’s government lifted four years of currency controls, leading to the the biggest one-day peso devaluation in the last 14 years on Dec. 17.

नया साल मंगलमय हो

जिन सपनों ने 2015 में आप को सोने नही दिया,
उन सपनों को 2016 में पूरा करने की ठान लें;
और पूरे आत्मविश्वास और लगन से मेहनत करें,
ताकि सफलता आपके कदम चूमे।
आपका नया साल मंगलमय हो.................2016............आर एस राणा

Castor Oil Export May Cross 5 Lakh Tonne in 2015-16


Castor Oil export in Nov-2015 was registered at 33464 tonne against 20189 tonne exported in Nov-2014. It is higher by65.75 percent. As prices are ruling lower backed up by ample stock and good production prospects,export volume would continue to remain at higher side this year. Expects over 5 lakh tonne oil export this year against 459.37 tonne export last year.In December-2015,around 42570 tonne oil has been exported till 27th Dec-2015.It is 9.65% lower in comparison to Dec-2015.






सोना 25000 रु के नीचे, क्या करें


साल 2015 का आज अंतिम कारोबारी दिन है और इस साल के दौरान जहां नॉन एग्री कमोडिटी में भारी गिरावट दर्ज हुई है, वहीं कई एग्री कमोडिटी में जोरदार तेजी आई है। इस साल कच्चे तेल में करीब 50 फीसदी की भारी गिरावट आई है। कॉपर करीब 25 फीसदी टूट गया है और सोने और चांदी में भी करीब 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। सोने के लिए ये लगातार तीसरा गिरावट भरा साल रहा है।
वहीं एग्री कमोडिटी में इस साल चीनी में 50 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है। चना समेत दूसरी दालें भी काफी महंगी हो चुकी है। ये जानना जरूरी हो गया है कि अगला साल यानि 2016 में कमोडिटी बाजार की तस्वीर कैसी रहेगी।फिलहाल घरेलू बाजार में सोने का दाम 25,000 रुपये के नीचे लुढ़क गया है। एमसीएक्स पर सोना 0.1 फीसदी की गिरावट के साथ 24,965 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। वहीं चांदी में 0.15 फीसदी की मामूली बढ़त दिख रही है और इसका दाम 33,440 रुपये पर नजर आ रहा है।घरेलू बाजार में कच्चे तेल की चाल सुस्त नजर आ रही है। एमसीएक्स पर कच्चा तेल 2,440 रुपये के आसपास नजर आ रहा है। हालांकि नैचुरल गैस में जोरदार तेजी आई है। एमसीएक्स पर नैचुरल गैस 3.5 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 152.9 रुपये पर पहुंच गया है।बेस मेटल्स में भारी उठापटक हो रही है। निकेल को छोड़ बाकी मेटल में कमजोरी देखने को मिल रही है। एमसीएक्स पर निकेल 0.5 फीसदी की तेजी के साथ 584.1 रुपये के स्तर पर कारोबार है, जबकि एल्युमिनियम में 0.3 फीसदी की कमजोरी आई है और इसका भाव 101.8 रुपये पर आ गया है। एमसीएक्स पर कॉपर 0.4 फीसदी की कमजोरी के साथ 317.25 रुपये पर कारोबार कर रहा है। एमसीएक्स पर लेड 0.3 फीसदी गिरकर 118.8 रुपये पर नजर आ रहा है। जिंक में 0.3 फीसदी की गिरावट आई और ये 108 रुपये पर कारोबार कर रहा है।
वायदा में एग्री कमोडिटी में चीनी की शुरुआती तेजी गायब हो गई है। एनसीडीईएक्स पर चीनी 0.1 फीसदी गिरकर 3,190 रुपये के आसपास नजर आ रही है। शुरुआती कारोबार में चीनी का भाव 3,200 रुपये के ऊपर पहुंच गया था। धनिया में भी गिरावट बढ़ गई है। वायदा में धनिया का दाम 1 साल के निचले स्तर पर आ गया है। दरअसल पैदावार बढ़ने के अनुमान से धनिया में गिरावट आई है। एनसीडीईएक्स पर धनिया करीब 4.5 फीसदी गिरकर 7,150 रुपये के नीचे आ गया है।वहीं सस्ते क्रूड से ग्वार का एक्सपोर्ट घट गया है। वायदा में ग्वार गम में 1.5 फीसदी से ज्यादा और ग्वार सीड में 0.5 फीसदी से ज्यादा की कमजोरी आई है। एनसीडीईएक्स पर ग्वार गम का भाव 6,500 रुपये के नीचे आ गया है, जबकि ग्वार सीड 3,320 रुपये के नीचे फिसल गया है।

खुशगवार सर्दी में झुलस जाएगा गेहूं


इस साल सर्दी लोगों को शायद कुछ कम परेशान करेगी। अनुमान है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार देश में सर्दी का कहर उतना अधिक नहीं होगा। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार 2015-16 सर्दी का मौसम में ठंड दिनों की संख्या 2014-15 के मुकाबले कम रह सकती है। मौसम के इस बदले मिजाज का असर रबी फसलों पर जरूर हो सकता है। इसकी वजह यह है कि देश के उत्तरी मैदानी इलाकों में तापमान में अचानक बढ़ोतरी का असर गेहूं और सरसों के उत्पादन पर दिखेगा।
देश के कई हिस्सों में तापमान पहले ही बढऩा शुरू हो गया है। उत्तरी और देश के मध्य भागों में 2014 के मुकाबले अधिक तापमान दर्ज हो रहा है। 30 दिसंबर को दिल्ली में अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमश: 24 डिग्री और 4 डिग्री सेल्सियस था। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले यह कम से कम 2-3 डिग्री अधिक है। पहाड़ी इलाकों में 2014 के मुकाबले अधिकतम और न्यूनतम तापमान 1-2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। भारतीय मौसम विभाग में निदेशक, लॉन्ग रेंज फोरकास्ट, डी एस पई ने बताया, '2014 के मुकाबले इस बार देश के ज्यादातर भागों में ठंड का असर कम रहेगा।'
दक्षिण एशिया जलवायु परिदृश्य मंच के इस महीने जारी बयान में भी कहा गया है कि दिसंबर 2015 से फरवरी 2016 के बीच दक्षिण एशिया के ऊपरी हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान रह सकता है, जबकि बारिश सामान्य से कम रह सकती है। मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी संस्था स्काईमेट के मुख्य मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत कहते हैं, 'इस साल सर्दी में अब तक भारी हिमपात के मौके कम देखे गए हैं। इसके साथ ही पश्चिम दिशा से आने वाली हलचल के बीच की अवधि 5-6 दिनों से कम रही है जिससे ये सर्द हवाओं का मार्ग अवरुद्ध कर रही है।' (BS Hindi)

जिंसों के कम दामों से घटा निर्यात


भारत से कृषि जिंसों के निर्यात में गिरावट की वजह वैश्विक बाजारों में इनकी कीमतों में भारी गिरावट है। यह बात इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कही है। इंडिया रेटिंग्स के विश्लेषक (कॉरपोरेट्स) वरुण अटवानी ने कहा, 'नवंबर 2015 में समाप्त पिछले 12 महीनों के दौरान भारत का वस्तु निर्यात अमेरिकी डॉलर में 16.1 फीसदी गिरा है। हालांकि निर्यात में कमी (डॉलर में) मात्रा के लिहाज से निर्यात में कमजोरी को परिलक्षित नहीं करती है। निर्यात मेंं गिरावट मुख्य रूप से वैश्विक जिंसों की कीमतों में कमी और यूरो में भारी कमजोरी (सालाना आधार पर 16.6 फीसदी नीचे) की वजह से आई है।
करीब तीन-चौथाई गिरावट कच्चे तेल एïवं इसके उत्पादों और कृषि जिंसों के निर्यात में गिरावट से आई है। जिंसों की कीमतों में भारी गिरावट से बहुत सी मध्यवर्ती और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतें भी कम हुई हैं, जिससे निर्यातित वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आई है। हालांकि वैश्विक मांग की स्थितियां सुस्त बनी हुई हैं, लेकिन निर्यातित मात्रा में ज्यादा गिरावट आने के आसार नहीं हैं। जिंसों की कीमतों में गिरावट से एशिया, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के समूह (ओपेक) और अफ्रीका में मांग कम हुई है। हालांकि यूरोप और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों से मांग को सहारा मिल रहा है।
वाणिज्य मंत्रालय ने हाल में कहा था कि पेट्रोलियम उत्पाद और रत्न एवं आभूषणों को छोड़कर भारत के निर्यात में भारी गिरावट नहीं आई है। हालांकि बहुत से क्षेत्रों ने गिरावट दर्शाई है, लेकिन तैयार परिधान और फार्मास्युटिकल्स जैसे क्षेत्रों से निर्यात बढ़ा है। वाहन निर्यात में भी बढ़त (अप्रैल से नवंबर 2015- 2.2 फीसदी, वित्त वर्ष 2015- 14.9 फीसदी, वित्त वर्ष 2013-7.3 फीसदी) जारी है।
निर्यातित मात्रा पर सीमित असर का पता अप्रैल-अक्टूबर 2015 की अवधि में औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक से भी चलता है। यह सूचकांक आलोच्य अवधि में 4.8 फीसदी बढ़ा है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 2.2 फीसदी था। यह इस बात का संकेत है कि विनिर्माण गतिविधियों में बढ़ोतरी जारी है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गयाा है कि आगे भी निर्यात करने वाले क्षेत्रों का मिलाजुला प्रदर्शन जारी रहेगा, कुछ क्षेत्र अन्य की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। जिंसों की गिरती कीमतों के अफस्फीति प्रभाव के कारण ज्यादातर निर्यातक देशों में कंपनियों की आमदनी मे वृद्धि सुस्त रहेगी (BS Hindi)

30 दिसंबर 2015

South Indian Mills Reluctant To Buy Gujarat Cotton Due to Quality Concerns


South Indian cotton mills in country have terminated the purchase of cotton from Gujarat due to the quality issues being reported in the produce. According to the SIMA (South Indian Mills Association), cotton supplies from Gujarat during December this year are not the up to the mark of the quality standards, although it was good during October and November. Following the reason, the purchase from Gujarat has been fallen down by 60-70 in the current month.

Yellow Rust Surfaces Its Head In Punjab Once Again


Yellow rust has been spotted on wheat crop in some parts of Punjab and it may spread rapidly as condition for its spread is very condusive now. As per latest update by  Punjab Agricultural University (PAU), yellow rust disease has been spotted in a some wheat fields in Anandpur Sahib and Nangal in Ropar district which are sub- mountainous areas of Punjab. The affected crop is HD 2967.PAU has suggested farmers to be careful and use pesticide advised by agri scientists.Farmers need to be  vigilant in  Gurdaspur and Pathankot in Punjab, Yamunanagar in Haryana and Kathua in Jammu and Kashmir.

Cotton Weekly Export Import Updates

India exported 3.59 lakh bales of cotton last week (21 Dec-27 Dec 2015), which was 3.91 lakh bales previous to last week (14 Dec-20 Dec 2015), according to the data released by IBIS and compiled. Imports on the other hand stood 0.067 lakh bales last week, which was 0.15 lakh bales previous to last week.  

Pakistan Stands the Major Importer of Indian Cotton


Major importer of Indian cotton during the week was Pakistan and India majorly sourced cotton from Australia during the week. According to the data released by IBIS, Pakistan imported 1.35 lakh bales of cotton in the past week that is 21 Dec to 27 Dec 2015. Other major importers were Bangladesh, Vietnam, Indonesia and China and their imported volumes were 1.00 lakh bales, 0.57 lakh bales, 0.29 lakh bales and 0.18 lakh bales respectively.

पासवान ने दालों के आयात में तेजी लाने को कहा

लगातार दूसरे साल दालों के कम उत्पादन और कीमतों में तेजी के आसार को देखते हुए खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने वाणिज्य मंत्रालय से कहा है कि दालों की उपलब्धता में किसी संभावित कमी से निपटने के लिए एमएमटीसी और एसटीसी कंपनियों को आयात की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा जाए। फसल वर्ष 2014-15 में कमजोर और बेमौसम बारिश के कारण दलहन का घरेलू उत्पादन 20 लाख टन घटकर 1.72 करोड़ टन रहने के कारण अक्टूबर में खुदरा बाजार में दालों की कीमत 200 रुपये प्रति किलोग्राम से भी ऊपर निकल गई थी। हालांकि, सरकार के हस्तक्षेप के बाद दलहन के खुदरा दाम में कमी आई है लेकिन अभी भी यह 170-180 रुपये किलोग्राम की ऊंचाई पर बनी हुई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, 'हमने वाणिज्य मंत्रालय को दलहनों का समय पर आयात करने के लिए तत्काल योजना तैयार करने के बारे में लिखा है क्योंकि इस वर्ष भी लगातार सूखे के कारण खरीफ फसल उत्साहवर्धक नहीं रही है।'
पासवान ने अपने पत्र में लिखा है, 'अगर प्रभावी कदम अभी नहीं उठाया गया तो संभावना है कि दालों की मांग आपूर्ति से कहीं अधिक हो जाए जिससे इनकी कीमतों में तेजी आ सकती है।' पासवान ने वाणिज्य मंत्रालय से एमएमटीसी और एसटीसी जैसी व्यापार कंपनियों को निर्देश देने को कहा है कि वे दलहनों का आयात शुरू करें और कृषि मंत्रालय को भी अवगत कराएं कि वह मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) से पर्याप्त धन मुहैया कराए। उन्होंने कहा कि आयातित दलहन बफर स्टॉक बनाने में भी मदद करेगा।
सरकार ने घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए उचित समय पर प्रभावी हस्तक्षेप के जरिए पीएसएफ का इस्तेमाल करते हुए दालों का बफर स्टॉक बनाने का फैसला किया है। समय पर आयात के बारे में पासवान ने कहा कि कृषि मंत्रालय को पहले से ही उत्पादन और मांग के अनुमानों को सामने लाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'इस मुद्दे पर संबंधित मंत्रालयों और प्रधानमंत्री कार्यालय के स्तर पर भी विचार विमर्श किया जा रहा है।'
बफर स्टॉक निर्माण में हुई प्रगति के बारे में मंत्री ने कहा कि सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सीधे किसानों से तुअर दाल की खरीद शुरू की है। उन्होंने कहा, 'इन दो राज्यों में करीब 1,780 क्विंटल तुअर दाल की खरीद की गई है। किसानों से तुअर दाल की खरीद 87 रुपये प्रति किलो के हिसाब से की जा रही है।  एफसीआई के अलावा सरकार ने सहकारी समिति नेफेड और एसएफएसी से 2015-16 फसल वर्ष में डेढ लाख टन दालों की खरीद करने को कहा है। भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक है लेकिन फिर भी वह घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 40 से 50 लाख टन दालों का आयात करता है।

चांदी बनाएगी आयात का नया रिकॉर्ड


चालू कैलेंडर वर्ष में देश में चांदी आयात का नया रिकॉर्ड बना सकती है। इसकी वजह यह है कि ग्राहक अन्य धातु से बने नकली आभूषणों एवं अन्य सामान की जगह चांदी के आभूषणों एवं सामान को तरजीह देने लगे हैं। कीमती धातुओं पर सलाह देने वाली सलाहकार कंपनी स्मॉलगोल्ड डॉट कॉम के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल जनवरी से सितंबर तक 5,819 टन चांदी का आयात हुआ है। हालांकि सालाना आधार पर कैलेंडर वर्ष 2015 में चांदी का कुल आयात 7,759 टन  अनुमानित है, जो भारत का अब तक का किसी कैलेंडर वर्ष में सबसे अधिक आयात है और यह पिछले साल की तुलना में करीब 10 फीसदी अधिक है।
कैलेंडर वर्ष 2014 के दौरान चांदी का कुल आयात 7,083 टन रहा था। भारत में चांदी का बढ़ता आयात इसकी कीमतें गिरने के बाद पिछले तीन वर्षों में ग्राहकों की पसंद में भारी बदलाव का संकेत देता है। बीते वर्षों से इतर अब ग्राहक यह मानने लगे हैं कि आभूषण, शिल्पकृति और सिक्के एवं सिल्ली सहित किसी भी रूप में खरीदी गई चांदी को बेचा जा सकता है।  मुंबई में विश्व चांदी परिषद के उद्घाटन समारोह से इतर इंडिया बुलियन ऐंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहित कंबोज ने कहा, 'जनवरी से सितंबर तक आयात की मात्रा के रुझान से पता चलता है कि इस साल चांदी का आयात नया रिकॉर्ड बनाएगा।'
  आईबीजेए के तहत ही विश्व चांदी परिषद को चांदी खनिकों, आयातकों, रिफाइनरों, कारोबारियों, आभूषण विनिर्माताओं और इस सफेद धातु से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े अन्य सभी लोगों के हितों के संरक्षण के लिए शुरू किया गया था। विश्व चांदी परिषद के अलावा आईबीजेए ने दो अन्य पहल की हैं, जो उसकी कंपनी सामाजिक उत्तरदायित्व पूरे करने के लिए फस्र्ट स्टेप फाउंडेशन और उद्योग में कारीगरों का कौशल बढ़ाने में मदद देने के लिए कौशल विकास परिषद हैं। इन पहलों का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल राम नाथ कोविंद ने किया था।
भारत में चांदी की ज्यादातर मांग आभूषणों और अन्य वस्तुओं के लिए आ रही है क्योंकि उपभोक्ताओं को लगता है कि चांदी को बेचकर अच्छी कीमत मिल सकती है। गिरती कीमतों की वजह से ग्राहक नकली आभूषण एïवं धातु की शिल्पकृतियों के स्थान पर चांदी के गहनों को तरजीह दे रहे हैं।  वर्ष 2014 में 19.31 फीसदी की भारी भरकम गिरावट के बाद चांदी की कीमतें वर्ष 2015 में भी करीब 8 फीसदी लुढ़की हैं। इसका मतलब है कि जिंसों में गिरावट के कारण ग्राहकों के लिए चांदी किफायती हो गई है। पिछले दो साल में चांदी 26 फीसदी से अधिक टूटकर आज 14.62 डॉलर प्रति औंस पर आ गई, जो 1 जनवरी 2014 को 19.47 डॉलर पर थी।
घरेलू मुद्रा में भी इतनी ही गिरावट आई है। इस समय मुंबई के जवेरी बाजार में चांदी की कीमत 34,200 रुपये प्रति किलोग्राम बोली जा रही है, जो 1 जनवरी 2014 को 43,800 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर से 22 फीसदी नीचे है। जवेरी बाजार में चांदी के आभूषणों एवं शिल्पकृतियों की विनिर्माता सिल्वर एम्पोरियम के प्रबंध निदेशक राहुल मेहता ने कहा, 'आयातित चांदी के एक बड़े हिस्से का इस्तेमाल आभूषण एïवं शिल्पकृतियां बनाने में होता है। उद्योग ने यह रुझान दर्ज किया है कि कीमतों में कमी की वजह से नकली आभूषणों के बहुत से ग्राहक अब चांदी के गहने खरीदने लगे हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि नकली गहनों की मांग पूरी तरह खत्म हो गई है। लेकिन चांदी के आभूषणों की बढ़ी मांग के चलते उनकी औसत सालाना वृद्धि दर में कमी आई है।' (BS Hindi)

28 दिसंबर 2015

दलहन की बुवाई बढ़ी लेकिन तिलहनों की पिछड़ी


गेहूं की बुवाई 259 लाख हैक्टेयर के पार, मोटे अनाजों की बुवाई बढ़ी
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में दलहन के साथ ही मोटे अनाजों की बुवाई में तो बढ़ोतरी हुई है लेकिन तिलहनों के साथ ही गेहूं की बुवाई पिछले साल की तुलना में घटी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी दलहन की बुवाई बढ़कर 125.95 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि तिलहन की बुवाई अभी तक केवल 69.64 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है। रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई अभी तक 259.37 लाख हैक्टेयर में हुई है।
अगस्त-सितंबर महीने में हुई कम बारिष का असर चालू रबी में फसलों की बुवाई पर साफ देखा जा रहा हैं। गेहूं की बुवाई चालू रबी में अभी तक केवल 259.37 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 279.60 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से रबी धान की रोपाई अभी तक केवल 12.17 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 13.62 लाख हैक्टेयर में रोपाई हो चुकी थी।
चालू रबी में कुल फसलों की बुवाई अभी तक केवल 520.07 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक देषभर में 540.17 लाख हैक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई हो चुकी थी। चालू रबी में दलहन की बुवाई 125.95 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 124.77 लाख हैक्टेयर में हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 80.44 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 77.61 लाख हैक्टेयर में चना की बुवाई हुई थी।
तिलहनों की बुवाई घटकर चालू रबी में अभी तक केवल 69.64 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 74.35 लाख हैक्टेयर में तिलहनों की बुवाई हो चुकी थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई केवल 59.75 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 64 लाख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी।
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 52.94 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 47.83 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। मोटे अनाजों में जौ की बुवाई 6.55 लाख हैक्टेयर में, मक्का की बुवाई 10.11 लाख हैक्टेयर में और ज्वार की बुवाई 35.61 लाख हैक्टेयर में हुई है।..........आर एस राणा

India Weekly Rice Export Up by 14%


Total Rice exported from India in the third week of December was 178763.75 tonnes, up about 14.17% from last week export of 156573.02 tonnes. Out of total rice exports, basmati rice contributes 58.93%, and non-basmati rice is 41.06% in this period with quantity of around 105349.19 tonnes and 73415 tonnes respectively as per latest data extract from IBIS. Major importers of Indian Basmati rice in this period were Saudi Arabia, Iran and Kuwait whereas top importers for non-basmati were Benin, Djibouti and Nigeria. We expect Middle East countries to remain the major basmati buyers for Indian Basmati from Tuticorin, Mundra, Kandla and Kakinada Port in coming months.

कमोडिटी बाजारः सोने की आगे कैसी रहेगी चाल


सोने के लिए साल 2015 लगातार तीसरा गिरावट भरा साल साबित होने जा रहा है। इस साल के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना जहां 10 फीसदी का गोता लगा चुका है। वहीं घरेलू बाजार में कमजोर रुपये के बावजूद ये करीब 6 फीसदी गिरा है। दरअसल सोने के फंडामेंटल कमजोर हो गए हैं और इसमें निवेश घटता जा रहा है। दुनिया भर में गोल्ड ईटीएफ की होल्डिंग गिरकर 7 साल के निचले स्तर पर आ गई है। घरेलू गोल्ड ईटीएफ की होल्डिंग भी 3 साल के निचले स्तर पर है। नवंबर तक घरेलू गोल्ड ईटीएफ से करीब 529 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी हुई है। डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है और दूसरे एसेट में रिटर्न ज्यादा मिलने की उम्मीद से निवेशक सोने से दूर होते जा रहे हैं।
घरेलू बाजार में फिलहाल एमसीएक्स पर सोना 0.2 फीसदी की मामूली गिरावट के साथ 25,170 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा है। चांदी भी 0.5 फीसदी से ज्यादा गिरकर 34,150 रुपये के आसपास नजर आ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉमैक्स पर सोना 1,075 डॉलर के नीचे नजर आ रहा है। इसके अलावा कॉमैक्स पर चांदी 14.25 डॉलर के स्तर पर आ गई है।पिछले हफ्ते 15 फीसदी की तेजी के बाद आज क्रूड की शुरुआत गिरावट के साथ हुई है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में बिकवाली हावी है। नायमैक्स पर डब्ल्यूटीआई क्रूड का भाव 38 डॉलर के नीचे आ गया है, जबकि ब्रेंट क्रूड भी 38 डॉलर के नीचे ही नजर आ रहा है।अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिकवाली और रुपये की मजबूती से घरेलू बाजार में कच्चे तेल में दबाव दिखा है। फिलहाल एमसीएक्स पर कच्चा तेल 0.5 फीसदी से ज्यादा फिसलकर 2,510 रुपये पर आ गया है। हालांकि नैचुरल गैस में जोरदार तेजी आई है। एमसीएक्स पर नैचुरल गैस 3 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 141.9 रुपये पर पहुंच गया है।बेस मेटल्स में भी कमजोरी छाई हुई है। एमसीएक्स पर एल्युमिनियम 0.4 फीसदी की गिरावट के साथ 100.45 रुपये पर नजर आ रहा है, जबकि कॉपर करीब 1 फीसदी की कमजोरी के साथ 310.65 रुपये पर कारोबार कर रहा है। एमसीएक्स पर निकेल 0.7 फीसदी गिरकर 563.4 रुपये पर नजर आ रहा है। लेड में 0.6 फीसदी की कमजोरी है और इसका भाव 114.5 रुपये पर आ गया है। जिंक भी करीब 0.5 फीसदी लुढ़का है और इसका भाव 100.75 रुपये पर कारोबार कर रहा है।रुख एग्री कमोडिटी का, जहां सोयाबीन और सरसों में गिरावट देखने को मिल रही है। मसालों में भी हलचल है। जीरा और धनिया में गिरावट है जबकि हल्दी में निचले स्तरों से तेजी लौटी है। लेकिन चीनी में आज भी तेजी जारी है। इस साल के दौरान चीनी में करीब 25 फीसदी की तेजी आ चुकी है। करेंसी पर नजर डालें तो, रुपये में आज भी मजबूती का दौर जारी है। 1 डॉलर की कीमत 66.13 रुपये पर पहुंच गई है।एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन 2.3 फीसदी की तेज गिरावट के साथ 3,720 रुपये पर आ गया है। सरसों का भाव भी 2.3 फीसदी की कमजोरी के साथ 4,470 रुपये पर आ गया है। साथ ही एनसीडीईएक्स पर जीरा 1.4 फीसदी गिरकर 14,400 रुपये पर आ गया है। धनिया 2.5 फीसदी से ज्यादा लुढ़ककर 8,570 रुपये पर आ गया है। हालांकि एनसीडीईएक्स पर हल्दी 1.5 फीसदी से ज्यादा उछलकर 10,000 रुपये के पार निकल गई है। चीनी 1 फीसदी की मजबूती के साथ 3,080 रुपये पर नजर आ रही है।(Hindimoneycantorl.com)

न्यूनतम निर्यात मूल्य में छूट से प्याज में आने लगी तेजी


सरकार की ओर से प्याज को न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) के दायरे से हटाने की घोषणा के बाद से कीमतों में तेजी दिखने लगी है। हालांकि महाराष्टï्र के अधिकांश दुकान क्रिसमस और अन्य त्योहारों के कारण बंद रहीं, लेकिन दिल्ली में प्याज के दाम 100 रुपये बढ़कर 1,250 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए। अमृतसर मंडी में भी प्याज के दाम 200 रुपये बढ़कर 1,400 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए।
इस साल प्याज की बंपर उपज की उम्मीद में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 24 दिसंबर को प्याज पर एमईपी खत्म करने की घोषणा की थी। इससे पहले 12 दिसंबर को डीजीएफटी ने प्याज निर्यात का न्यूनतम मूल्य 700 डॉलर प्रति टन से घटाकर 400 डॉलर प्रति टन करने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य निर्यातकों को बड़े पैमाने पर विदेशों में प्याज निर्यात सौदे से रोकना था।
लासलगांव के प्याज व्यापारी एवं एस ट्रेडर्स के मालिक संजय सनप ने कहा, 'प्याज के दाम बढऩे लगे हैं। प्याज पर एमईपी खत्म करने संबंधी सरकार की घोषणा के बाद थोड़े समय के लिए कीमतों में तेजी दिख सकती है, लेकिन बाद में जबरदस्त आवक होने पर उसमें गिरावट आएगी।' पिछले दो दिनों में लासलगांव मंडी में प्याज के दाम 100 से 500 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 1,100 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुके हैं।
नए सीजन की फसल की आवक शुरू हो चुकी है, लेकिन अगले कुछ सप्ताह में आवक कई गुना बढऩे की उम्मीद है क्योंकि संभवत: जनवरी के अंतिम सप्ताह तक खरीफ और देर-खरीफ फसलों की कटाई शुरू हो जाएगी। इस साल मॉनसूनी बारिश में देरी की वजह से खरीफ की बुवाई में भी देरी हुई थी। लेकिन खरीफ में देर वाली फसलों की बुवाई समय पर हुई थी। इसलिए दोनों किस्मों की फसल की आवक अगले कुछ सप्ताह में एक साथ होने की उम्मीद है।
राष्टï्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठïान (एनएचआरडीएफ) के निदेशक आरपी गुप्ता ने कहा, 'सरकार ने प्याज पर एमईपी खत्म करने की घोषणा की है। यह कदम किसानों के लिए सकारात्मक रहेगा और जैसा पहले भी उम्मीद की जा रही थी कि कीमतों में तेजी आएगी। प्याज के दामों में मौजूदा स्तर से ज्यादा कमी होने की संभावना नहीं दिखती।' भारत में प्याज का सालाना उत्पादन करीब 1.9 करोड़ टन होता है जिसमें दोनों खरीफ मौसम का कुल हिस्सा 40 फीसदी होता है। मॉनसूनी बारिश में देरी के बावजूद इस साल अच्छी उपज की संभावना है। पहले प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य 700 डॉलर प्रति टन था और बाद में इसे 400 डॉलर प्रति टन किया गया। इसका उद्देश्य भारतीय निर्यातकों को विदेश में कारोबार करने से रोकना था। चूंकि विदेशी बाजार में प्याज का मूल्य 275 से 300 डॉलर प्रति टन चल रहा था, इसलिए निर्यातकों ने बाजार से कन्नी काट ली थी।
हॉर्टिक्चलर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजित शाह ने कहा, 'लेकिन अब भारतीय निर्यातक बाजार में आ जाएंगे, जिससे निश्चित रूप से प्याज के दाम गिरने बंद हो जाएंगे। अब भारतीय निर्यातक विदेशों से सौदे शुरू कर देंगे।' भारत सऊदी अरब, श्रीलंका और कुछ अन्य पूर्वी देशों को बड़ी मात्रा में प्याज निर्यात करता है। एक अनुमान के अनुसार यह निर्यात 15 लाख टन प्रतिवर्ष होता है। (BS Hindi)

26 दिसंबर 2015

सोने की चमक इस साल रही कम


समाप्त हो रहे वर्ष 2015 में लगातार तीसरे साल सोने की चमक कम हुई है। इस दौरान सोने के दाम में1,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से भी अधिक की गिरावट आई। सोने के दाम घटने से जहां निवेशक निवेश के लिए दूसरे विकल्पों की तरफ देखने लगे हैं, वहीं सरकार घरों और विभिन्न संस्थानों में बेकार रखे सोने के मुद्रीकरण पर पर जोर दे रही है। चांदी की स्थिति भी अच्छी नहीं रही। साल के दौरान चांदी के मूल्य में 8 फीसदी गिरावट आई। वहीं सोने के दाम करीब पांच फीसदी घटे। रुपये की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव और अमेरिका में ब्याज दरों में वृद्धि को लेकर लंबी खिंची अनिश्चितता की वजह से सोना पूरे साल ऊपर-नीचे होता रहा है। 
 चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती भी चिंता की वजह रही। साथ ही कमजोर घरेलू मांग और वैश्विक खपत में कमी से भी सोने को लेकर धारणा प्रभावित हुई। वहीं शेयर बाजारों के परिदृश्य में सुधार की वजह से निवेशक बेहतर प्रतिफल पाने के लिए अन्य विकल्प तलाशते दिखे। वर्ष के ज्यादातर समय में सोने के आयात पर अंकुश लगाने के उपाय जारी रहे। दूसरी तरफ सरकार की महत्त्वाकांक्षी स्वर्ण मुद्रीकरण योजना का भी प्रभाव रहा। साल की शुरुआत में 26,700 रुपये प्रति 10 ग्राम पर रहने के बाद सोना वर्ष भर उतार चढ़ाव को पार करता हुआ साल के अंत में 25,500 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया। हालांकि, अभी साल के चार कारोबारी दिन बचे हैं। 
 वर्ष 2015 में चांदी भी 37,200 रुपये से घटकर 34,300 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। पीली धातु की कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह से निवेश के लिए मांग बुरी तरह प्रभावित हुई। वहीं कमजोर मॉनसून की वजह से ग्रामीण परिवारों की आय घटने से भी इसकी मांग पर असर हुआ। गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) से निवेश की भारी निकासी से भी सोने की कीमत तथा निवेशकों की उम्मीदों पर असर हुआ। सरकार और रिजर्व बैंक ने साल के  अंत में सोने के कड़े आयात नियमों में कुछ ढील दी है, लेकिन इससे अभी तक मूल्यों को किसी तरह का समर्थन नहीं मिला है। आमतौर पर चौथी तिमाही में शादी ब्याह और त्योहारी सीजन में सोने की मांग में तेजी आती है, लेकिन इस बार घरेलू बाजार में खास सुधार नहीं देखा गया।
 वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में देश में सोने का आयात 36.48 फीसदी घटकर 3.53 अरब डॉलर रह गया। वहीं चांदी का आयात 55 फीसदी गिरकर 28.50 करोड़ डॉलर रह गया। साल की शुरुआत में सोना 28,000 रुपये के स्तर को छूने में कामयाब रहा। जनवरी के मध्य में यह 28,215 रुपये प्रति 10 ग्राम तक गया। हालांकि यह तेजी कुछ समय के लिए ही रही। बाद में इसके प्रभाव से चांदी के दाम भी नीचे आ गए। जुलाई तक सोने का भाव 25,000 रुपये के स्तर से नीचे 24,590 रुपये के स्तर पर आ गया। यह 2011 के बाद सोने का सबसे निचला स्तर है। अगस्त में हालांकि, सोना एक बार फिर 27,250 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऊंचे स्तर तक चला गया। सोने के दाम 28 अगस्त, 2013 को 33,790 रुपये के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचे थे, उसके मुकाबले आज यह 25 फीसदी से अधिक नीचे आ चुका है। (BS Hindi)

गन्ने की बेहतर पेराई... चीनी कीमतों में तेजी आई


चालू सीजन में गन्ने की बेहतर पेराई के बावजूद चीनी की कीमतें मजबूत बनी हुई है। पिछले छह महीने से चीनी के दाम करीब 25 फीसदी बढ़ चुके हैं। घरेलू बाजार में पर्याप्त स्टॉक होने और अधिक उत्पादन की संभावनाओं के बावजूद कीमतें बढऩे की वजह मिल मालिकों की यह उम्मीद है कि निर्यात मांग में बढ़ोतरी होगी। मुनाफे की मिठास की इसी आस में निवेशक वायदा बाजार में दाव लगा रहे हैं। 
 इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के आंकड़ों के मुताबिक मुंबई थोक बाजार वाशी में चीनी के दाम बढ़कर 2887 रुपये (एम - 30) हो गए। पिछले एक महीने में हाजिर बाजार में एस-30 ग्रेड की कीमत 8 फीसदी और एम 30 की कीमत मेंं 5.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि छह महीने में इन दोनों ग्रेड की दाम 25.2 फीसदी और 22.7 बढ़ चुके हैं। वायदा बाजार में चीनी की मिठास और तेजी से बढ़ी है। पिछले छह महीने में वायदा बाजार में चीनी के भाव 36 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुके हैं। एनसीडीईएक्स में चालू अनुबंध (मार्च 2016) की चीनी के दाम 3052 रुपये प्रति क्ंिवटल तक पहुंच गए जबकि छह महीने पहले इस अनुबंध में चीनी के दाम 2242 रुपये प्रति क्ंिवटल बोले जा रहे थे। जुलाई अनुबंध में चीन 3209 रुपये तक पहुंच गई है। 
 खुदरा बाजार में भी चीन 45 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी है। उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस समय देश में चीनी की औसत कीमत 36 रुपये किलोग्राम हो चुकी है जो एक महीना पहले 32 रुपये किलो थी। चीनी कारोबारियों की मानी जाए तो स्टॉकिस्टों की खरीदारी की वजह से कीमतें बढ़ रही हैं। स्टॉकिस्टों और चीनी मील मालिकों को इस साल निर्यात बढऩे की उम्मीद है जिससे चीनी का भारी स्टॉक कम करने में मदद मिलेगी और यही वजह है कि कीमतें बढ़ रही है। देश के चीनी उत्पादक राज्यों में सूखे की स्थिति के कारण उत्पादन कम होने की आशंका जताई जा रही थी हालांकि अभी तक के गन्ना पेराई के आंकड़े पिछले साल की अपेक्षा बेहतर हैं। कारोबारियों का मानना है कि फिलहाल चीनी की कीमतें अब स्थिर रहने वाली हैं क्योंकि पेराई अच्छी होने के आंकड़े आ रहे हैं। लेकिन सूखे का असर अगले साल देखने को मिल सकता है। निर्यात बढऩे से स्टॉक कम होगा जबकि सूखे से उत्पादन प्रभावित होगा जो कीमतों पर असर डालेगा।
 एसएमसी रिसर्च फर्म की कमोडिटी जानकार वंदना भारतीय के मुताबिक सरकार ने गैसोलीन में एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य बढ़ाकर दोगुना यानी 10 फीसदी करने की घोषणा की है। बढ़ते प्रदूषण पर  नियंत्रण के लिए सरकार स्वच्छ ईधन और चीनी उद्योग की मदद करने की कोशिश कर रही है। हाजिर बाजार में मांग और आपूर्ति लगभग बराबर होने के कारण कीमतों में थोड़ी स्थिरता है लेकिन मिलों के स्तर पर मांग के अभाव के कारण उत्पादकों ने बिक्री के लिए कीमतों में कमी की संभावना को खुला रखा है। नवी मुंबई (वाशी) एपीएमसी में इस समय लगभग 115-120 ट्रक चीनी का भंडार है । 
 चालू चीनी वर्ष में चीन का उत्पादन अधिक होने की आशा है। गन्ने की पेराई पिछले साल से करीब 13.2 फीसदी ज्यादा हुई है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक इस साल 15 दिसंबर तक देश की 440 मिलों में 47.86 लाख टन  गन्ने के रस का उत्पादन हुआ जबकि पिछले साल 453 मिलों में 42.29 लाख लीटर का उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)


24 दिसंबर 2015

Weekly Guar Gum Export Figures




In the third week of December 2015, India has exported 4146.8 tons of guar gum powder, 1100 tons of guar splits and 2736 tons of guar meal.
Recent week guar gum powder exports are 5.5% higher compared to last week export figures but declined by 5.1% compared to last month same period.

Cardamom Supply Reported Up Current Year


Cardamom supply reported up during the week. Total arrivals during the season from April to 18th December were at around 11304 tonnes against 10204 tonnes in the corresponding period last year. Sales were at 7089 tonnes and 3258 tonnes respectively.

Egypt Buys Wheat From Argentina At $190.94 Per T


Egypt Buys 1.2 lakh tonne wheat from Argentina for January end delivery.Wheat has been brought from Louis Dreyfus at the average price of $190.94 a tonne cost and freight.It is first time Argentina has brought wheat from Argentina.

किसानों के लिए जारी किए दो ऐप


सरकार ने किसानों के लिए दो मोबाइल ऐप शुरू किए हैं जिनके जरिये किसान फसल बीमा तथा देश की विभिन्न मंडियों में जिंसों के भावों की जानकारी ले सकेंगे। एग्रीमार्केट मोबाइल ऐप और क्रॉप इंश्योरेंस मोबाइल ऐप को कृषि मंत्रालय के विभागीय आतंरिक आईटी प्रकोष्ठ ने तैयार किया है। इसे गूगल स्टोर या एमकिसान पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है। 
 इन ऐप्लिकेशनों की शुरुआत करते हुए कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने  बताया कि किसान उपलब्ध फसल बीमा कवर की जानकारी हासिल कर सकेंगे, इसके अलावा वे क्षेत्रफल, बीमा राशि और ऋण की राशि के आधार पर प्रीमियम की गणना भी कर सकेंगे। इसके अलावा साधारण बीमित राशि, विस्तारित बीमित राशि और किसी भी अधिसूचित क्षेत्र में किसी भी अधिसूचित फसल को लेकर सब्सिडी की जानकारी भी किसानों को आसानी उपलब्ध हो सकेगी। 
 एग्री मार्केट ऐप की खूबियों की जानकारी देते हुए मंत्री ने कहा कि इसे किसानों को फसल की कीमत की नवीनतम जानकारी मुहैया कराने और घबराकर जल्दबाजी में बिक्री से बचाने के लिए विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि एग्री मार्केट मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर किसान अपनी डिवाइस के 50 किमी के दायरे में आने वाले बाजारों में फसलों की कीमतों से संबंधित जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा अगर किसान जीपीएस की सुविधा का इस्तेमाल न करना चाहे तो उस स्थिति में किसी भी बाजार और किसी भी फसल और किसी बाजार की कीमत जान सकते हैं। कृषि जिंसों की कीमतें एग्रीमार्केट पोर्टल से ली जाएंगी। फिलहाल ये ऐप अंग्रेजी और हिंदी में ही उपलब्ध है।

23 दिसंबर 2015

जौ की पैदावार में कमी आने की आषंका


आर एस राणा
नई दिल्ली। बुवाई में आई कमी से चालू रबी में जौ की पैदावार में कमी आने की आषंका है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में जौ की बुवाई अभी तक 6.26 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 6.96 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में जौ की बुवाई 2.86 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.60 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। इसी तरह से उत्तर प्रदेष में जौ की बुवाई 1.34 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 1.53 लाख हैक्टेयर में जौ की बुवाई हुई थी। बुवाई में तो कमी आई ही है, साथ ही अभी तक उत्पादक राज्यों में सर्दियों की बारिष भी नहीं हुई है जिससे प्रति हैक्टेयर उत्पादकता भी कम रहने का अनुमान है।
उत्पादक मंडियों में इस समय जौ की दैनिक आवक सीमित मात्रा में हो रही है जबकि पषुआहार कंपनियों की मांग अच्छी बनी हुई है, साथ ही निर्यात मांग भी अच्छी बनी हुई है। जनवरी से माल्ट कंपनियों की मांग भी निकली षुरु हो जायेगी, इसलिए आगामी दिनों में जौ की कीमतों में तेजी ही आने का अनुमान है। राजस्थान की जोधपुर मंडी में जौ के भाव 1,490 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे। राज्य की कोटा मंडी में जौ के भाव 1,420 से 1,450 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
कृषि मंत्रालय ने फसल सीजन 2015-16 में 17.8 लाख टन जौ की पैदावार का लक्ष्य तय किया है जबकि फसल सीजन 2014-15 में पैदावार 16 लाख टन की हुई थी।........आर एस राणा

पहले आठ महीने में केेस्टर तेल का निर्यात 3.15 लाख टन


चालू वित वर्ष में केस्टर तेल का निर्यात 15 फीसदी बढ़ने का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान देष से केस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 3.15 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 2.79 लाख टन का हुआ था।
उद्योग के अनुसार केस्टर तेल में इस समय निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है तथा निर्यात 1,280 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे हैं। पिछले दो महीनों अक्टूबर और नवंबर मं इसका निर्यात पिछले साल के दाम महीनों के मुकाबले 35 से 40 फीसदी बढ़ा है चीन की आयात मांग को देखते हुए चालू वित वर्ष 2015-16 में इसके निर्यात में 12 से 15 फीसदी की कुल बढ़ोतरी होने का अनुमान है। वित वर्ष 2014-15 में देष से कुल 4.59 लाख टन केस्टर तेल का निर्यात हुआ था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान केस्टर तेल का निर्यात मूल्य के हिसाब से घटा है। इस दौरान देष से 2,628.22 लाख रुपये मूल्य का केस्टर तेल का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष 2014-15 के पहले सात महीनों में 2,670.60 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था।
गुजरात की उत्पादक मंडियों में इस समय केस्टर सीड की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हो रही है। हालांकि नई फसल को देखते हुए मिलर भी जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं। राजकोट मंडी में बुधवार को केस्टर सीड का भाव 3,250 से 3,495 रुपये प्रति क्विंटल रहा। दिसा मंडी में इसके भाव 3,780 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
व्यापारियों के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में केस्टर सीड की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है इसलिए मिलर की खरीद कम है। हालांकि केस्टर तेल की निर्यात मांग को देखते हुए मध्य जनवरी तक इसकी कीमतें तेज ही बनी रह सकती है।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में केस्टर सीड की पैदावार 19.44 लाख टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2014-15 में इसकी पैदावार 17.33 लाख टन की हुई थी।..........आर एस राणा

Pakistan Becomes Major Buyer of Indian Cotton


Pakistan has surpassed Bangladesh and China being the largest cotton importer from India during the week. According to the data released by IBIS, Pakistan imported 1.82 lakh bales of cotton in the past week that is 14 Dec to 20 Dec 2015. Other major importers were Bangladesh, Vietnam, China and Indonesia and their imported volumes were 0.87 lakh bales, 0.54 lakh bales, 0.23 lakh bales and 0.20 lakh bales respectively.

पैन अनिवार्यता से ज्वैलरों को कारोबार घटने का डर

केंद्र सरकार 2 लाख रुपये और इससे अधिक किसी भी लेन-देन पर पैन कार्ड की आवश्यकता अगले माह से अनिवार्य करने जा रही है। इससे आभूषण विक्रेताओं को कारोबार घटने का डर सता रहा है। कारोबारियों ने सरकार से इस क्षेत्र के लिए पैनकार्ड की इस बाध्यता को लागू न करने के साथ मौजूदा 5 लाख रुपये की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की मांग की है।
 ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ) के अध्यक्ष श्रीधर जी वी ने कहा कि ज्वैलरी का 70 फीसदी कारोबार ग्रामीण क्षेत्र में होता है। इस क्षेत्र के ज्यादातर खरीदार ना तो आयकर दायरे में आते हैं और ना ही उनके पास पैनकार्ड होता है। इस क्षेत्र के खरीदार शादी हेतु आमतौर पर कम से कम  3 से 5 लाख रुपये के गहने खरीदते हैं। लिहाजा पैनकार्ड अनिवार्यता से ज्वैलरों का धंधा चौपट हो जाएगा। जीजेएफ के निदेशक अशोक मीनावाला ने कहा कि पैन अनिवार्यता के नियम से सबसे ज्यादा नुकसान संगठित क्षेत्र के ज्वैलरों को होगा क्योंकि लोग असंगठित क्षेत्र के ज्वैलरों के पास चले जाएंगे। 
 इस कदम से तस्करी भी बढ़ेगी। जैसा कि स्वर्ण आयात शुल्क बढऩे से हो रहा है। जेम्स ऐंड ज्वैलरी काले धन का स्रोत भी नहीं है। काले धन का स्रोत सोना हो सकता है। करोलबाग ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय खन्ना ने कहा कि बीते कुछ सालों से ज्वैलरी कारोबार सुस्त चल रहा है। ऐसे में पैन कार्ड अनिवार्यता लागू होने से खासकर संगठित क्षेत्र के ज्वैलरों को और नुकसान होगा। सरकार को ज्वैलरी क्षेत्र के लिए पैनकार्ड की बाध्यता खत्म करनी चाहिए। जीजेएफ ने केंद्र सरकार से सोना-चांदी, जेम्स ऐंड ज्वैलरी व ज्वैलरी मशीनों पर लगने वाले आयात शुल्क को भी कम करने की मांग की है। श्रीधर ने कहा आयात शुल्क 10 फीसदी होने पर भी इस वित्त वर्ष रिकॉर्ड 1000 टन सोना आयात होने का अनुमान है। गलत तरीके व तस्करी के जरिये करीब 100 टन सोना आयात होने की संभावना है। (BS Hindi)

22 दिसंबर 2015

Castor Oil Export Increases By 47.96 % Last Week


Castor Oil Export during week ended 20 th Dec-2015 was registered 47.96 % higher to 15693.28 tonne week on week basis. Price realization too increase by 1.16 percent during the same period of time.Previous week India has exported 10606.6 tonne oil at an ave price of $1320.31 per tonne.India exported castor oil at an average price of $1335.78 per tonne. As prices are ruling lower, export volume is expected to remain at higher level in January-2016 too.

India Exports 772.49 Tonne Wheat last Week At An Ave FoB Of $332.78 Per Tonne

 India Exports 772.49 Tonne Wheat last Week At An Ave FoB Of $332.78 Per Tonne
Wheat export from India begins once again after a gap of three weeks. India exported 772.49 tonne wheat during the week ended 20th Dec-2015 at an average price of $332.78 per tonne. Philippines brought 222.78 tonne, UAE 378 tonne and Somalia around 100 tonne last week. Other Buyers were Bahrain and South Africa.During the same period India imported3850 tonne wheat from Australia at an average CiF of $254.42 per T.Wheat has been sourced from Australia and offloaded at Cochine port.

चावल की सरकारी खरीद 163 लाख टन के पार


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2015-16 में चावल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद बढ़कर 163.79 लाख टन की हो गई है जबकि पिछले खरीफ विपणन सीजन की समान अवधि में 150 लाख टन चावल की सरकारी खरीद हुई थी।
अभी तक कुल खरीद में जहां पंजाब की हिस्सेदारी 93.49 लाख टन की है वहीं हरियाणा की हिस्सेदारी 28.54 लाख टन है। अन्य राज्यों में आंध्रप्रदेष से अभी तक एमएसपी पर 5.99 लाख टन, तेलंगाना से 7.41 लाख टन, छत्तीसगढ़ से 14.26 लाख टन तथा उत्तर प्रदेष से 5.74 लाख टन चावल की सरकारी खरीद हुई है।
केंद्र सरकार चालू खरीफ विपणन सीजन 2015-16 के लिए एमएसपी पर चावल की खरीद का लक्ष्य 299.70 लाख टन का तय किया है जबकि पिछले साल एमएसपी पर 321.61 लाख टन चावल की सरकारी खरीद हुई थी।------आर एस राणा

हरियाणा और पंजाब में बढ़ेगा गेहूं उत्पादन, यूपी और एमपी में कमी की आषंका


चालू रबी में गेहूं का कुल उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम रहने का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में हरियाणा के साथ ही पंजाब में भी गेहूं की पैदावार बढ़ने का अनुमान है लेकिन सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेष के साथ ही मध्य प्रदेष में भी उत्पादन में कमी की आषंका है। कृषि मंत्रालय के फसल सीजन 2015-16 के लिए पैदावार का लक्ष्य 947.5 लाख टन का रखा है जबकि उत्पादन 880 लाख टन से भी कम होने की आषंका है। फसल सीजन 2014-15 में देष में गेहूं का उत्पादन 889.4 लाख टन का हुआ था।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू रबी में गेहूं की बुवाई में कमी आई ही है साथ ही अभी तक प्रमुख उत्पादक राज्यों में सर्दियों की बारिष भी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि हालांकि उत्पादक राज्यों में मौसम बारिष का बना हुआ है तथा बारिष हो जाती है तो फिर फसल को फायदा होगा। उन्होंने बताया कि चालू रबी में कुल बुवाई तो पिछले साल के लगभग बराबर ही होने का अनुमान है लेकिन पछेती बुवाई व बारिष की कमी के कारण प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में कमी आने की आषंका है। ऐसे में गेहूं की पैदावार पिछले साल की तुलना में कम होने की आषंका है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में जहां पंजाब और हरियाणा में गेहूं की बुवाई बढ़ी है वहीं उत्तर प्रदेष और मध्यप्रदेष में बुवाई में कमी आई है। अभी तक देषभर में 239.45 लाख हैक्टेयर में ही गेहूं की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 268.26 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। पंजाब में अभी तक 34.30 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 34.08 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। इसी तरह से हरियाणा में पिछले साल की समान अवधि के 24.40 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 24.66 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है। सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेष में केवल 75.59 लाख हैक्टेयर में ही अभी तक गेहूं की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 92.28 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मध्य प्रदेष में भी चालू रबी में अभी तक 40.58 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 46.82 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।---------आर एस राणा

Jeera Sowing Scenario in Rajasthan and Gujarat State

In 2015-16, Jeera sowing in Rajasthan (Jodhpur division) reported 2,42,000 hectares as compared to last year 2,39,882 hectares till 15-12-2015. Current year in Jodhpur district area reported 1,30,000 hectares as compared to last year 1,35, 359 hectares and in Barmer district, Jeera area reported 1,12, 000 hectares  as compared to last year 1,04, 523 hectares. Sources revealed that, Jeera sowing almost finished in Rajasthan major growing regions. 
In Gujarat state, current year till 14-12-2015, sowing completed 2,43,000 hectares, Normal area is 3,52,300 hectares. Last year Jeera sowing reported 2,66,700 hectares. Jeera sowing reported low in Gujarat as compared to last year area, 95% sowing completed in Gujarat current year. Farmers reveled that, Jeera sowing delay in Gujarat as compared to Rajasthan around 15 – 20 days. As per trade information, new Jeera crop arrivals may delay as compared to normal arrivals time.

21 दिसंबर 2015

मूंगफली की कीमतों में तेजी आने का अनुमान


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में मंूंगफली की बुवाई में कमी आई है जबकि उत्पादक मंडियों में खरीफ मूंगफली की दैनिक आवक घटने लगी हैं। इस समय मूंगफली तेल में घरेलू मांग अच्छी है इसलिए आगामी दिनों में मूंगफली की कीमतों में तेजी आने का अनुमान है। गुजरात की मंडियों में सोमवार को मूंगफली के भाव 4,400 से 4,700 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में मूंगफली की बुवाई 2.88 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 3.28 लाख हैक्टेयर में हुई थी। कारोबारियों के अनुसार गुजरात की मंडियों में मूंगफली की दैनिक आवक घटकर 50,000 बोरी की रह गई है जबकि राजस्थान की मंडियों में दैनिक आवक 15,000 से 20,000 बोरी की हो रही है। खरीफ में तो मूंगफली की पैदावार में कमी आई ही थी साथ ही रबी में भी पैदावार कमी आने की आषंका है इसीलिए आगामी दिनों में इसकी मौजूदा कीमतों में तेजी आने का अनुमान है।
मूंगफली दाने के निर्यात में हालांकि चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान कमी आई है। चालू वित वर्ष के पहले सात महीनों में केवल 2.19 लाख टन ही मूंगफली दाने का निर्यात हो पाया है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 2.81 लाख टन का हुआ था। हालांकि मूल्य के हिसाब से इस दौरान मामूली बढ़ोतरी देखी गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 1,783.35 करोड़ टन रुपये का मूंगफली दाने का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 1,768.54 करोड़ रुपये का हुआ था। मूल्य के हिसाब से दाने के निर्यात में बढ़ोतरी का प्रमुख घरेलू चालू खरीफ में उत्पादक मंडियों में मूंगफली के भाव तेज होना है।
इस समय मूंगफली तेल में घरेलू मांग अच्छी बनी हुई है तथा राजकोट मंें मूंगफली तेल के भाव सोमवार को 950 रुपये प्रति 10 किलो रहे। गुजरात की जूनागढ़ मंडी में मूंगफली का भाव 4,640 रुपये प्रति क्विंटल रहा। राजस्थान की बिकानेर मंडी में इसका भाव 4,400 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ में मूंगफली की पैदावार 51.07 लाख टन होने का अनुमान है जबकि रबी में 18.99 लाख टन पैदावार का लक्ष्य तय किया है।  ........आर एस राणा

कमोडिटी बाजारः क्रूड में नरमी, क्या करें

कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव है। ब्रेंट 2004 के निचले स्तर के करीब पहुंच गया है। सप्लाई आगे और बढ़ने से कीमतों पर दबाव बना हुआ है। रूस, ईरान और अमेरिका से सप्लाई बढ़ने के कारण कच्चे तेल पर भारी दबाव है। रूस में क्रूड उत्पादन अब तक सबसे ऊंचे स्तर यानि 1 करोड़ बैरल के स्तर पर है। वहीं अमेरिका में रिग काउंट बढ़ने से सप्लाई और ज्यादा होने की संभावना है। ईरान से भी एक्सपोर्ट बढ़ने के आसार हैं जिससे कीमतों में कमजोरी है। एमसीएक्स पर कच्चा तेल 0.4 फीसदी फिसलकर 2,400 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। हालांकि, नैचुरल गैस में आज खासी तेजी है। एमसीएक्स पर नैचुरल गैस 3.3 फीसदी की बढ़त के साथ 121.3 रुपये के स्तर पर पहुंच गया है।

सोने की कीमतों में आज चमक लौटते दिख रही है। डॉलर में कमजोरी और निचले स्तर पर लिवाली से कीमतों को थोड़ा सपोर्ट मिल रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 0.25 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है। वहीं घरेलू बाजार में भी बढ़त है। फिलहाल एमसीएक्स पर सोना 0.3 फीसदी की बढ़त के साथ 25,160 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा है। हालांकि चांदी में नरमी का रुख है। एमसीएक्स चांदी 0.1 फीसदी की मामूली कमजोरी के साथ 33,900 रुपये के आसपास कारोबार कर रही है।

बेस मेटल्स में तेजी देखी जा रही है। एमसीएक्स पर एल्युमिनियम 1.4 फीसदी की मजबूती के साथ 100.95 रुपये पर नजर आ रहा है, जबकि कॉपर की चाल सपाट है और ये 313.4 रुपये पर नजर आ रहा है। एमसीएक्स पर निकेल 0.25 फीसदी बढ़कर 582.4 रुपये पर नजर आ रहा है। लेड में 1.3 फीसदी की तेजी आई है और इसका भाव 113.25 रुपये पर नजर आ रहा है। जिंक 1.5 फीसदी चढ़कर 101.2 रुपये पर कारोबार कर रहा है।

बेहतर मांग और सप्लाई कम होने से कपास खली में भारी तेजी देखने को मिल रही है। एनसीडीईएक्स पर कपास खली वायदा में ऊपरी सर्किट लग गया है। कपास खली के जनवरी वायदा का भाव 1,990 रुपये के ऊपर पहुंच गया है। वहीं एनसीडीईएक्स पर सरसों करीब 1 फीसदी बढ़कर 4,600 रुपये के स्तर पर नजर आ रहा है। हालांकि एनसीडीईएक्स पर जीरा करीब 0.5 फीसदी गिरकर 14,600 रुपये के नीचे आ गया है।

निर्मल बंग कमोडिटीज की निवेश सलाह

कॉपर एमसीएक्स (फरवरी वायदा) : खरीदें - 311, स्टॉपलॉस - 308 और लक्ष्य - 316.5-317

चांदी एमसीएक्स (मार्च वायदा) : खरीदें - 33900, स्टॉपलॉस - 33650 और लक्ष्य - 34500

कच्चा तेल एमसीएक्स (जनवरी वायदा) : खरीदें - 2365, स्टॉपलॉस - 2330 और लक्ष्य - 2450

निकेल एमसीएक्स (दिसंबर वायदा) : खरीदें - 578, स्टॉपलॉस - 568 और लक्ष्य - 595

सरसों एनसीडीईएक्स (जनवरी वायदा) : खरीदें - 4580, स्टॉपलॉस - 4535 और लक्ष्य - 4680

जीरा एनसीडीईएक्स (जनवरी वायदा) : बेचें - 14750, स्टॉपलॉस - 14900 और लक्ष्य - 14300 (Hindimoneycantorl.com)

कपास उत्पादन में 11 फीसदी गिरावट अनुमानित : रिपोर्ट


एक रिपोर्ट के अनुसार कपास खेती के कम रकबे और उपज में भारी कमी के कारण चालू वर्ष में देश का कपास उत्पादन 11 फीसदी घटकर 335 लाख गांठ रह जाने का अनुमान है। एडलवाइज एग्री रिसर्च के एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है। इसके अनुसार, 'चालू वर्ष में कपास उत्पादन 335 लाख गांठ रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 376.6 लाख गांठों के उत्पादन से 11 फीसदी कमी को दर्शाता है। कम उत्पादन का मुख्य कारण उत्तर भारत में व्हाइट फ्लाई संक्रमण के कारण उपज में भारी गिरावट का आना और खेती के कम रकबे का होना है।' 
 अध्ययन में कहा गया है कि पिछले सत्र में कमजोर बारिश के कारण कपास की खेती के रकबे में 7.5 फीसदी गिरावट आई है और यह गिरावट पूरे प्रदेश भर में देखने को मिली है। कुल उपज में 3.8 फीसदी कमी आने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण उत्तर भारत में उपज में भारी कमी आना है, जो करीब 35 फीसदी कम हुआ है। इसमें कहा गया है कि ऐसी आशंका है कि उपज में और कमी आ सकती है क्योंकि संक्रमण काफी अधिक होने के कारण कई खेतों में कटाई भी नहीं की जा सकी। 

18 दिसंबर 2015

Rabi Crops Sowing Crosess 496 Lakh Hactare



          As per preliminary reports received from the States, the total area sown under Rabi crops as on 18th   December, 2015 stands to 496.58 lakh hectares.
             Wheat has been sown/transplanted in 239.45 lakh hectares, pulses in 123.70 lakh hectares, coarse cereals in 52.45 lakh hectares. Area sown under oilseeds is 69.20 lakh hectares and Rice is 11.79 lakh hectares.      
 The area sown so far and that sown during last year this time is as follows:
                                                                                                                              Lakh hectare 
Crop
Area sown in 2015-16
Area sown in 2014-15
Wheat
239.45
268.26
Pulses
123.70
122.26
Coarse Cereals
52.45
47.81
Oilseeds
69.20
73.43
Rice
11.79
13.47
Total
496.58
525.23

सरसों की पैदावार पिछले साल की तुलना में कम रहने की आषंका


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में सरसों की बुवाई में तो कमी आई है, साथ ही उत्पादक राज्यों में सर्दियों की बारिष नहीं होने प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में भी कमी आने का अनुमान है। ऐसे में सरसों की पैदावार 2015-16 में पिछले साल से भी कम रहने की आषंका है। फसल सीजन 2014-15 में देष में सरसों की पैदावार घटकर 63.09 लाख टन की हुई थी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में सरसों की बुवाई अभी तक 59.37 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 63.67 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
कृषि मंत्रालय ने फसल सीजन 2015-16 में सरसों की पैदावार का लक्ष्य 81.09 लाख टन का तय किया था लेकिन अक्टूबर-सितंबर में मानसूनी बारिष की कमी के कारण उत्पादक राज्यों में सरसों की बुवाई में कमी आई है। साथ ही उत्पादक राज्यों में अभी तक सर्दियों की बारिष भी नहीं हुई है जिसका असर चालू रबी में इसकी प्रति हैक्टेयर उत्पादकता पर पड़ेगा।
उत्पादक मंडियों में सरसों की उपलब्धता कम है लेकिन आयातित तेलों के भाव कम होने के कारण सरसों की कीमतों में गिरावट आई है। प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की जयपुर मंडी में सरसों के भाव घटकर 4,955 रुपये, अलवर मंडी में 4,900 रुपये, उत्तर प्रदेष की आगरा मंडी में 5,400 रुपये तथा मध्य प्रदेष की मोरेना मंडी में 4,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।.......आर एस राणा

20 डॉलर तक गिरेगा क्रूड: सीएलएसए


गोल्डमैन सैक्स के बाद अब सीएलएसए ने भी क्रूड के 20 डॉलर तक गिरने की बात कही है। जून से अब तक अमेरिका में क्रूड का प्रोडक्शन सिर्फ 4.5 फीसदी ही घटा है। जहां एक तरफ सऊदी अरब और ईरान में विवाद चल रहा है वहीं ओपेक की बात भी नहीं मानी जा रही है। यही वजह है कि सीएलएसए ने क्रूड के 20 डॉलर तक गिरने का अनुमान जताया है।

17 दिसंबर 2015

अमेरिका में दरें बढ़ीं, कमोडिटी बाजार पर दबाव


फेडरल रिजर्व के दरें बढ़ाने के बाद कमोडिटी मार्केट पर दबाव देखा जा रहा है। अमेरिका में दरें बढ़ने के बाद कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बढ़ा है। ब्रेंट क्रूड 0.5 फीसदी से ज्यादा गिरकर 37.25 डॉलर पर आ गया है जबकि नायमैक्स पर डब्ल्यूटीआई क्रूड 35.5 डॉलर के आसपास नजर आ रहा है। घरेलू बाजार में एमसीएक्स पर कच्चा तेल करीब 1 फीसदी गिरकर 2,360 रुपये के करीब आ गया है। दरें बढ़ने के अलावा अमेरिका में इंवेंट्री में भारी बढ़त से भी कच्चा तेल फिसला है। अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार 48 लाख बैरल बढ़ा है। हालांकि, नैचुरल गैस के दाम बढ़े हैं। एमसीएक्स पर नैचुरल गैस करीब 0.5 फीसदी बढ़कर 121.3 रुपये पर पहुंच गया है।
फेड के दरें बढ़ाने के बाद सोने पर भी दबाव पड़ा है। घरेलू बाजार में सोना करीब 1 फीसदी गिर गया है और इसका भाव 25,230 रुपये पर आ गया है। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कॉमैक्स पर सोना करीब 1 फीसदी गिरकर 1,070 डॉलर के नीचे आ गया है। फेड के फैसले के बाद डॉलर में मजबूती है जिसका असर सोने पर दिख रहा है। सोने के मुकाबले चांदी पर ज्यादा दबाव है। एमसीएक्स पर चांदी 1 फीसदी से ज्यादा टूटकर 34,000 रुपये के नीचे आ गई है।बेस मेटल्स में आज चौतरफा दबाव देखा जा रहा है। अमेरिका में दरें बढ़ने का असर साफ तौर पर मेटल्स पर दिख रहा है। एमसीएक्स पर एल्युमिनियम 0.4 फीसदी की गिरावट के साथ 99.15 रुपये पर नजर आ रहा है, जबकि कॉपर 0.6 फीसदी की कमजोरी के साथ 308.3 रुपये पर कारोबार कर रहा है। एमसीएक्स पर निकेल 1.2 फीसदी गिरकर 580 रुपये पर नजर आ रहा है। लेड में 0.75 फीसदी की कमजोरी है और इसका भाव 110.1 रुपये पर आ गया है। जिंक 0.6 फीसदी लुढ़ककर 100 रुपये पर कारोबार कर रहा है।कपास खली में आज तेजी का रुझान देखा जा रहा है। अच्छी मांग के कारण कीमतों में 1 फीसदी की तेजी आई है। एनसीडीईएक्स पर कपास खली का भाव 1,900 रुपये के ऊपर पहुंच गया है। हालांकि सोयाबीन की कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है। खराब ग्लोबल संकेतों और निर्यात में गिरावट से सोयाबीन पर दबाव है। एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन 0.15 फीसदी गिरकर 3,600 रुपये के नीचे आ गया है।कच्चे तेल में गिरावट के बावजूद ग्वार सीड और ग्वार गम में आज खासी तेजी देखी जा रही है। फूड इंडस्ट्री की मांग से ग्वार सीड और ग्वार गम में बढ़त देखने को मिल रही है। इसके अलावा निचले स्तरों पर खरीदारी से ग्वार की कीमतों को सपोर्ट मिला है। एनसीडीईएक्स पर ग्वार सीड 3.5 फीसदी की मजबूती के साथ 3,250 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। वहीं ग्वार गम 3 फीसदी बढ़कर 6,060 रुपये पर नजर आ रहा है। (Moneycantorlhindi)

कपास किसानों को राहत, सरकार देगी बोनस


गुजरात सरकार कपास के किसानों को जल्द राहत देने जा रही है। गुजरात सरकार ने किसानों को अतिरिक्त बोनस देने की घोषणा की है। राज्य सरकार ने इसके लिए चार कैबिनेट मंत्रियों की एक कमेटी बनाई है ताकि किसानों को कपास का बेहतर मार्केट रेट मिल सके। कमेटी ने अधिकारियों, किसान संगठनों, किसान संघ के प्रतिनिधियों से लंबी बातचीत के बाद अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंप दी है। इस प्रक्रिया के बाद फैसला किया गया कि किसानों को 20 किलो कपास पर मिलने वाले 810 रुपये के अलावा सरकार अपनी तरफ से 110 रुपये अतिरिक्त भुगतान करेगी।

दिसंबर 15 तक चीनी उत्पादन 13 फीसदी ज्यादा


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2015-16    में पहले अक्टूबर से 15 दिसंबर तक चीनी का उत्पादन 13.2 फीसदी बढ़कर 47.86 लाख टन का हो चुका है। इस समय देषभर में 440 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है।
इंडियन षुगर मिल्स एसोसिएषन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 5.57 लाख टन बढ़कर 47.86 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 42.29 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। हालांकि चालू पेराई सीजन में अभी तक केवल 440 चीनी मिलों में ही पेराई आरंभ हुई है जबकि पिछले साल इस समय 453 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी थी।
सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में 164 चीनी मिलों में पेराई चल रही है तथा राज्य में अभी तक 22.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 20.73 लाख टन चीनी का उत्पादन ही हुआ था। उत्तर प्रदेष में 119 चीनी मिलों में से 105 में पेराई आरंभ हो गई है तथा राज्य में 17 दिसंबर तक 8.52 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 7.94 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
कर्नाटका में चालू पेराई सीजन में अभी तक 10.29 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 3.23 लाख टन ज्यादा है। गुजरात में चालू पेराई सीजन में 15 दिसंबर तक 3.25 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 2.68 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
चालू पेराई सीजन में अभी तक करीब 5 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे हो चुके हैं तथा 2.5 लाख टन निर्यात भी हो चुकी है। इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में 270 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले साल 282 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
दिल्ली में चीनी के थोक भाव बढ़कर 3,150 से 3,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए है जबकि उत्तर प्रदेष में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,025 से 3,150 रुपये, महाराष्ट्र में 2,700 से 2,775 रुपये और कर्नाटका में 2,650 से 2,725 रुपये प्रति क्विंटल है।.......आर एस राणा

निर्यात बढऩे से घटेगा चीनी का भंडार


उम्मीद है विपणन वर्ष 2016-17 की शुरुआत में देश का चीनी भंडार 26.4 फीसदी घटकर 67 लाख टन रह जाएगा। दुनिया में चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश द्वारा निर्यात में इजाफा किए जाने से चीनी का भंडार कम होगा। भारतीय निर्यात बढऩे से वैश्विक कीमतों पर दबाव बढ़ेगा लेकिन स्थानीय बाजारों को मजबूती मिलेगी और गन्ने के लिए राज्य द्वारा तय की गई कीमतों पर मिलों को किसानों का भुगतान करने में सहायता मिलेगी। भारत ने 1 अक्टूबर को 2015-16 की शुरुआत 91 लाख टन चीनी के भंडार के साथ की थी।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अध्यक्ष ए वेल्लयन ने कहा, 'हम निश्चित रूप से 10 लाख से 12 लाख टन सफेद चीनी का निर्यात कर सकते हैं। इसके साथ ही हम 20 लाख टन कच्ची चीनी का निर्यात कर सकते हैं।' ब्राजील, थाईलैंड और पाकिस्तान से मुकाबला करने वाला भारत आम तौर पर सफेद चीनी का ही उत्पादन करता है। देश में श्रीलंका और पश्चिम एशिया एवं अफ्रीका के खरीदारों को निर्यात करने के लिए ही कच्ची चीनी का उत्पादन किया जाता है। चालू सीजन में मिलों ने अब तक 6,00,000 टन चीनी निर्यात के सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं, इसमें इंडियन शुगर एक्जिम कॉरपोरेशन द्वारा किया गया 1,25,000 टन का सौदा भी शामिल है।
एक अन्य कारोबारी संगठन के अधिकारी ने कहा कि 3,00,000 टन चीनी पहले ही भेजी जा चुकी है और बाकी चीनी आने वाले दो तीन महीनों में भेज दी जाएगी। सरकार देसी मिलों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी बेचने के लिए प्रेरित कर रही है और इससे होने वाली कमाई से गन्ना किसानों का बकाया चुकाने के निर्देश दिए गए हैं। पिछले कुछ सालों से कर्ज के बोझ से दबी मिलें अपने मुख्य चीनी कारोबार से इतर कमाई करने के साधन तलाश रही हैं क्योंकि स्थानीय बाजार में चीनी की कीमतें काफी नीचे गिर गई हैं। वेल्लयन ने कहा चीनी मिलें एथेनॉल की आपूर्ति दोगुनी होने की उम्मीद कर रही हैं। गैसोलीन के मुकाबले एथेनॉल स्वच्छ ईंधन का विकल्प है।  (BS Hindi)

15 दिसंबर 2015

घरेलू मांग निकलने से सोयाबीन की गिरावट रुकने की संभावना


आर एस राणा
नई दिल्ली। खली में निर्यात मांग कमजोर होने से सोयाबीन की कीमतों में लगातार गिरावट बनी हुई है। हालांकि सप्ताहभर से सोया खली में दक्षिण भारत की मांग निकलनी षुरु हो गई है जिससे सोयाबीन की कीमतों में चल रही गिरावट रुकने की संभावना है। मंगलवार को मध्य प्रदेष की मंडियों में सोयाबीन के दाम 3,500 से 3,600 रुपये, कोटा में 3,300 से 3,650 रुपये और लातूर में 3,700 से 3,780 रुपये प्रति क्विंटल रहे। इंदौर में मंगलवार को सोया रिफाइंड तेल का भाव 635 से 638 रुपये प्रति 10 किलो रहा।
जानकारों के अनुसार सोया खली में निर्यात मांग तो अभी भी कमजोर है लेकिन दक्षिण भारत की मांग निकलनी षुरु हो गई है जिससे सोयाबीन की कीमतों में गिरावट रुकने का अनुमान है। सर्दियों का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में दक्षिण भारत के साथ ही उत्तर भारत के पोल्ट्र निर्माताओं की मांग भी सोया खली में और बढ़ने का अनुमान है जिसका असर इसकी कीमतों पर पड़ेगा।
चालू खरीफ में सोयाबीन की पैदावार में कमी आने का अनुमान है लेकिन सोया खली की निर्यात मांग में भारी कमी के चलते इसकी कीमतों में लगातार गिरावट बनी हुई है। सोया खली के भाव भारतीय बंदरगाह पर 32,000 से 32,600 रुपये प्रति टन चल रहे हैं। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएषन आफ इंडिया (एसईए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान देष से केवल 55,889 टन सोया खली का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि मं 2,50,904 टन सोया खली का निर्यात हुआ था।
सोया खली के निर्यात सौदे नवंबर में 489 डॉलर प्रति टन भारतीय बंदरगाह पर हुए थे लेकिन अक्टूबर में इसके सौदे 511 डॉलर प्रति टन की दर से हुए थे। ब्राजील, अर्जेंटीना और अमेरिका की सोया खली भारत के मुकाबले सस्ती है जिसकी वजह से भारत से इस बार निर्यात में भारी गिरावट आई है।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ में सोयाबीन की पैदावार 118.32 लाख टन होने का अनुमान है हालांकि जानकारों की मानें तो पैदावार 100 लाख टन से भी कम ही रहेगी।........आर एस राणा

अभी और महंगी होगी दाल!


पिछले कुछ महीनों से सरकार का सिरदर्द बन चुकीं दालों की कीमतें एक बार फिर से नई मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। स्थानीय स्तर पर उत्पादन बढ़ाने की ओर कम ध्यान दिए जाने और मांग में लगातार तेजी का रुख कायम रहने की वजह से दालों की कीमतें फिर से सिर उठा सकती हैं। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के एक अध्ययन के मुताबिक दलहन के कुल रकबे में से महज 12 फीसदी इलाका ऐसा है जहां सिंचाई की सुविधा मौजूद है। अनुमान के मुताबिक इस वर्ष दलहन का रकबा 222.6 लाख हेक्टेयर रहेगा जिसमें से 26.9 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होगा। इस क्षेत्र में दालों का उत्पादन मौसम की स्थिति पर निर्भर नहीं करेगा। मौसम चाहे जैसा भी हो इस क्षेत्र से होने वाले दलहन उत्पादन को सुनिश्चित किया जा सकता है। लेकिन 88 फीसदी रकबा अभी भी बारिश पर निर्भर है जिसकी वजह से ये इलाका मौसम की स्थिति पर निर्भर करता है और इस क्षेत्र से होने वाला उत्पादन भी मौसम पर निर्भर है।
अक्टूबर में दलहन की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली थी। खबरों के मुताबिक कारोबारियों द्वारा कालाबाजारी किए जाने की वजह से दलहन की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिली थी। बड़े शहरों में अरहर दाल की कीमत 200 रुपये प्रति किग्रा के स्तर तक पहुंच गई थीं। छह महीनों में अरहर दाल की कीमतों में 70-80 फीसदी तेजी देखने को मिली। दलहनों की कीमतों में कुछ साल बाद तेजी देखने को मिलती है। जब भी मांग बढ़ती है या आपूर्ति में गिरावट आती है तो दलहनों की कीमतों में तेजी आती है। भारत के मामले में इन दोनों ही कारकों ने अहम भूमिका निभाई है। भारत में प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी के साथ ही दलहन की मांग में इजाफा देखने को मिला है और लोगों की खानपान की पद्घति में सुधार हुआ है। आज के समय में प्रोटीन-मुद्रास्फीति एक ऐसी अवधारणा है जिसके बारे में सभी को पता है और इस पर काफी काम हो चुका है। आपूर्ति पिछले कुछ सालों से 1.7-1.9 करोड़ टन पर स्थिर है क्योंकि उत्पादन और रकबा स्थिर है। अरहर दाल पर सबसे बुरा असर पड़ा है क्योंकि अरहर दाल का महज 6 फीसदी रकबा सिंचित है।
दुर्भाग्यवश भारत में पैदा होने वाले सभी प्रकार के दलहन को सिंचाई की कमी का सामना करना पड़ सकता है। भारत में दालों के खेत का औसत आकार 1 हेक्टेयर है जबकि कनाडा में यह आंकड़ा 178 हेक्टेयर है जिसने भारत को सबसे अधिक मात्रा में दालें भेजी हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में एक हेक्टेयर में करीब 700 किग्रा दलहन का उत्पादन होता है जो कनाडा के मुकाबले आधे से भी कम है। इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि मांग बढऩे के बाद भी भारत को अनिश्चित उत्पादन का सामना करना पड़ता है।

14 दिसंबर 2015

चीनी उपकर 100 रुपये बढ़ाने की तैयारी


केंद्र सरकार ने मिलों द्वारा बेची जाने वाली चीनी पर उपकर में करीब 100 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा करने की योजना बनाई है। सरकार इस पैसे का इस्तेमाल गन्ना किसानों के खातों में सीधे 4.5 रुपये प्रति क्विंटल भेजने की अपनी महत्त्वाकांक्षी योजना के लिए करेगी। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने पिछले सप्ताह लोक सभा में चीनी उपकर (संशोधन) विधेयक, 2015 पेश किया था, जिससे केंद्र को ऐसे उपकर की सीमा वर्तमान 25 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 200 रुपये करने की शक्ति मिलेगी। इस समय केंद्र सरकार चीनी पर 24 रुपये प्रति क्विंटल की दर से लगाती है, जबकि इसकी अधिकतम सीमा 25 रुपये प्रति क्विंटल है।
अधिनियम में संशोधन से सरकार वास्तविक उपकर को बढ़ाकर 124 रुपये प्रति क्विंटल कर पाएगी, क्योंकि उसके बाद केंद्र को 200 रुपये प्रति क्विंटल तक का उपकर लगाने की शक्ति मिल जाएगी। अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने 100 रुपये प्रति क्विंटल उपकर बढ़ाकर करीब 2,500 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है। यह राशि केंद्र के 4.50 रुपये प्रति क्विंटल का उत्पादन प्रोत्साहन देने से पडऩे वाले खर्च की भरपाई के लिए पर्याप्त होगी।
उत्पादन प्रोत्साहन पर नकदी हस्तांतरण का सालाना खर्च करीब 1,147 करोड़ रुपये आने का अनुमान है। हालांकि सूत्रों ने कहा कि चीनी पर 100 रुपये प्रति क्विंटल के भारी-भरकम उपकर से इसकी खुदरा कीमतों में इजाफा नहीं होगा, क्योंकि उपकर तभी संग्रहित किया जाएगा, जब खुदरा कीमतें कम होंगी। उत्पादन से संबंधित प्रत्यक्ष प्रोत्साहन तभी किसानों के खातों में हस्तांतरित किया जाएगा, जब कीमतें कम होंगी और मिलें किसानों को भुगतान की स्थिति में नहीं होंगी। संसद में संशोधन के लिए रखे गए विधेयक में कहा गया है, 'किसानों को गन्ने के बकाया का समय से भुगतान सुनिश्चित करने के लिए बढ़ती देनदारियां और वित्तीय हस्तक्षेपों के कारण उपकर की दर में बढ़ोतरी जरूरी हो गई है।'
पिछले महीने एक बड़ी पहल करते हुए आर्थिक मामलों की केंद्रीय कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने अक्टूबर से शुरू हुए सीजन 2015-16 के लिए गन्ना किसानों को 4.5 रुपये प्रति क्विंटल की उत्पादन सब्सिडी सीधे उनके खाते में भेजने का फैसला किया था। इस पहल से नकदी की किल्लत झेल रही मिलों को बढ़ते बकाया का भुगतान करने में मदद मिलेगी क्योंकि अब उन्हें 230 रुपये प्रति क्विंटल की उचित एवं लाभकारी कीमत (एफआरपी) से इतनी कम राशि चुकानी होगी। मिलों पर अब भी किसानों के करीब 6,500 करोड़ रुपये बकाया हैं।
एक मोटा आकलन दर्शाता है कि देश में गन्ने की औसत प्रति हेक्टेयर उत्पादकता करीब 700 क्विंटल को देखते हुए इस सीजन में प्रत्येक किसान परिवार को केंद्र सरकार से 2,000 रुपये से अधिक सीधे मिल सकते हैं।  इस पहल से केंद्र सरकार पर सब्सिडी का बोझ करीब 1,147 करोड़ रुपये आएगा, जिसकी भरपाई चीनी उपकर से करने का फैसला लिया गया है। चीनी उपकर से आने वाले पैसे को चीनी विकास फंड (एसडीएफ) में डाला जाएगा। (BS Hindi)

अगले सप्ताह सोने की कीमतों में रहेगा उतार-चढ़ाव


अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के बुधवार को अपनी बैठक में ब्याज दरें बढ़ाने की प्रबल संभावना है, इसलिए अगले कुछ सप्ताह के दौरान सोने में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। आर्थिक वृद्धि के विपरीत चाल होने के कारण जनवरी 2016 के पहले सप्ताह तक सोने की कीमत में घटत-बढ़त 100  डॉलर के बीच रहने के आसार हैं। कारोबारी सूत्रों का अनुमान है कि सोने की कीमतों के लिए आगे दो तरह की स्थितियां बन रही हैं। पहला, अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दर में 25 से 50 आधार अंक की बढ़ोतरी करता है तो त्वरित प्रतिक्रिया के रूप में शुरुआत में सोने की कीमतें गिरेंगी। लेकिन कुछ कारोबारियों के लिए यह लंबी अवधि की संभावनाओं के लिहाज से सोने में निवेश का एक अवसर हो सकता है।
दूसरा, फिलहाल कारोबारी फेडरल रिजर्व के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी से ज्यादा उसके द्वारा कारणों का हवाला देते हुए इस्तेमाल की जानी वाली भाषा अहम होगी। अगर भविष्य में ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला नहीं लिया गया तो कारोबारियों के बीच सोना कमजोर आर्थिक वृद्धि से मुकाबले का हेज बना रहेगा और इसलिए वे सोने में अपना निवेश बढ़ा सकते हैं। लेकिन अगर ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला लिया गया तो कारोबारी बिकवाली कर सकते हैं।
कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, 'अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में बढ़ोतरी की मात्रा से ज्यादा अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर उसकी भाषा अहम होगी। शुरुआती त्वरित प्रतिक्रिया के बाद सोना स्थिर हो जाएगा और अगले कुछ सप्ताह के दौरान 1,020 से 1,120 डॉलर प्रति औंस के दायरे में रहेगा।' किसी भी तरफ कुछेक अस्थायी झटकों को छोड़कर सोना पिछले एक महीने के दौरान एक सीमित दायरे में रहा। यह शनिवार को मुंबई के जवेरी बाजार में 25,770 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। हालांकि वैश्विक बाजारों में सोना 10 डॉलर की मामूली गिरावट के साथ शुक्रवार को 1,074.74 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ। औद्योगिक जिंसों में व्यापक रुझान के बाद चांदी शुक्रवार को 0.41 डॉलर गिरकर 13.92 डॉलर पर बंद हुई, जो रुपये में 33,970 रुपये प्रति किलोग्राम बैठती है।
त्यागराजन ने कहा, 'इसलिए अगला सप्ताह सराफा कारोबारियों के लिए अहम होगा। कारोबारी अमेरिकी फेडरल रिजर्व की घोषणा पर करीब से नजर जमाए हुए हैं।' इस बीच सोने की कीमत शुक्रवार को अमेरिका में एक सप्ताह के निचले स्तर पर आ गई। न्यूयॉक मर्केन्टाइल एकक्सचेंज के कॉमेक्स डिविजन पर सोने का फरवरी अनुबंध 7.70 डॉलर या 0.7 फीसदी गिरकर 1,064.30 डॉलर पर बंद हुआ। (BS Hindi)

वैश्विक रुझान में नरमी के बीच चांदी 93 रुपये टूटा


वैश्विक बाजारों में रुझान में नरमी के बीच कारोबारियों की ओर से बिकवाली बढऩे से चांदी 93 रुपये टूटकर 34,305 रूपए प्रति किलो पर आ गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में मई 2016 की डिलिवरी के लिए चांदी चार लाट के कारोबार में 93 रूपए या 0.27 प्रतिशत टूटकर 25,724 रुपये प्रति किलो पर आ गया। इसी तरह चांदी, मार्च की डिलीवरी के लिए 240 लाट के कारोबार में 79 रूपए या 0.23 प्रतिशत गिरकर 33,904 रुपये प्रति किलो पर आ गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी थोड़े-बहुत बदलाव के साथ सिंगापुर में 13.91 डॉलर प्रति औंस पर आ गया।

बीटी कपास के बीज के दाम तय होंगे


केंद्र ने आनुवांशिक परिवर्तन से तैयार कपास (बीटी कपास) के बीजों और अन्य किस्मों की कीमत नियंत्रित करने का फैसला किया है। इसके लिए मार्च 2016 से समान रूप अधिकतम बिक्री मूल्य (एमआरपी) का निर्धारण किया जाएगा।  यह कदम मोनसैंटो जैसी वैश्विक हाइब्रिड बीज कंपनी के लिए बड़ा झटका मना जा रहा है। कृषि मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार बीज का मूल्य और रॉयल्टी या प्रजाति मूल्य (ट्रेट वैल्यू) समेत लाइसेंस शुल्क का निर्धारण एवं नियमन करने का भी फैसला किया है। फिलहाल देश के विभिन्न भागों में बीटी कपास के बीज अलग-अलग दरों पर बेचे जाते हैं। पंजाब और हरियाणा में 450 ग्राम के पैकेट का मूल्य 1,000 रुपये है जबकि महाराष्ट्र में 830 रुपये और आंध्र प्रदेश समेत छह राज्यों में 930 रुपये है।
सात दिसंबर को जारी अधिसूचना में कृषि मंत्रालय ने कहा कि जीन संवद्र्धित मौजूदा और भविष्य के कपास बीजों एवं अन्य कपास बीजों के बिक्री मूल्य का एक समान नियमन करने के लिए कपास बीज कीमत (नियंत्रण) आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि इसका मकसद किसानों को कपास बीज निष्पक्ष, उचित और सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराने के साथ देश भर में कपास बीजों की कीमत एक समान रखना है। इससे पहले इस बारे में किसानों और भारतीय राष्ट्रीय बीज संगठन ने बीटी कपास और अन्य किस्मों के बिक्री मूल्य के नियमन के लिए मंत्रालय को ज्ञापन दिया था। अधिसूचना के अनुसार कपास बीज का एमआरपी हर साल 31 मार्च या उससे पहले सरकारी राजपत्र में अधिसूचित किया जाएगा और यह अगले वित्त वर्ष के लिए लागू होगा।    

नवंबर में वनस्पति तेलों का आयात 13 फीसदी बढ़ा


आर एस राणा
नई दिल्ली। विष्व बाजार में कीमतें कम होने से देष में वनस्पति तेलों के आयात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जिसका असर घरेलू बाजार में तिलहनों की कीमतों पर पड़ रहा है। नवंबर महीने में देष वनस्पति तेलों के आयात में 13 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 1,342,435 टन का हो चुका है।
साल्वेंट एक्सट्रेक्षन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार इंडोनेषिया और मलेषिया में वनस्पति तेलों के निर्यात पर षून्य षुल्क कर रखा है, जबकि विष्व बाजार में भाव नीचे बने हुए हैं। विष्व बाजार में वनस्पति तेलों के भाव पिछले आठ साल के न्यूनतम स्तर पर हैं। यहीं कारण है कि देष में खाद्य तेलों के आयात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जिसका खामियाजा उद्योग के साथ ही किसानों को भी उठाना पड़ रहा है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन के भाव उत्पादक मंडियों में घटकर 3,200 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गए हैं जबकि सरसों की कीमतो में पिछले दो महीने में करीब 1,000 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है।
भारतीय बंदरगाह पर आयातित आरबीडी पॉमोलीन का भाव अक्टूबर महीने में 599 डॉलर प्रति टन था जोकि नवंबर में घटकर 556 डॉलर प्रति टन रह गया। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का भाव इस दौरान 562 डॉलर से घटकर 526 डॉलर प्रति टन रह गया।.........आर एस राणा

12 दिसंबर 2015

प्याज का एमईपी घटाकर 400 डॉलर प्रति टन किया


घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों में तेज गिरावट के मद्देनजर सरकार ने इसके निर्यात को प्रोत्साहित करने के उपाय के तहत प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 700 डॉलर प्रति टन से घटा कर 400 डॉलर प्रति टन कर दिया है। इससे सस्ती दर के प्याज का निर्यात भी संभव हो सकेगा। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने आज जारी अधिसूचना में कहा,'विभिन्न किस्म के प्याज का एमईपी 700 डॉलर प्रतिटन (एफओबी) से घटाकर 400 डॉलर प्रति टन किया जाता है।' कोई निर्यातक एमईपी से कम दर पर निर्यात नहीं कर सकता।

अगस्त में प्याज के भावों में उछाल के मद्देनजर इसका एमईपी 425 डॉलर से बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन कर दिया गया था। लेकिन हाल में नए प्याज की आपूर्ति बढने से प्याज की कीमतें स्थानीय थोक मंडियों में 10 रुपये प्रति किलो तक गिर गई हैं। महाराष्ट्र सरकार ने इसी सप्ताह की शुरुआत में केंद्र से एमईपी खत्म करने का अनुरोध किया था ताकि प्याज किसानों के हितों की रक्षा में मदद मिल सके।  राष्ट्रीय बागवानी एवं विकास प्रतिष्ठान के आंकड़ों के अनुसार लासलगांव थोक मंडी (नासिक) में प्याज के भाव 10-14 रुपये प्रति किलो के आस पास चल रहे हैं। अगस्त में भाव 57 रुपये किलो तक पहुंच गए थे। किसान प्याज खराब होने की चिंता में अपनी उपज की बिक्री कर रहे हैं, जिससे नासिक की थोक मंडी में दाम सीजन के सबसे निचले स्तर 7 रुपये प्रति किलोग्राम तक लुढ़क गए।

11 दिसंबर 2015

Rabi Crops Sowing Crosess 442 Lakh Hactare


As per preliminary reports received from the States, the total area sown under Rabi crops as on 11th December, 2015 stands to 442.33 lakh hectares.
             Wheat has been sown/transplanted in 202.28 lakh hectares, pulses in 114.51 lakh hectares, coarse cereals in 48.92 lakh hectares. Area sown under oilseeds is 65.68 lakh hectares and Rice is 10.94 lakh hectares.      
 The area sown so far and that sown during last year this time is as follows:
                                                                                                                              Lakh hectare 
Crop
Area sown in 2015-16
Area sown in 2014-15
Wheat
202.28
241.91
Pulses
114.51
115.34
Coarse Cereals
48.92
45.42
Oilseeds
65.68
71.18
Rice
10.94
12.85
Total
442.33
486.69

चावल की सरकारी खरीद 150 लाख टन के पार


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2015-16 में चावल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद बढ़कर 153.43 लाख टन की हो चुकी है। पंजाब और हरियाणा में जहां खरीद कम हो गई है वहीं उत्तर प्रदेष, मध्य प्रदेष, आंध्रप्रदेष, तेलंगाना, उत्तराखंड तथा पष्चिमी बंगाल में खरीद हो रही है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू खरीफ विपणन सीजन 2015-16 में एमएसपी पर चावल की बढ़कर 153.43 लाख टन की हो चुकी है। चवल की अभी तक हुई खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी 93.45 लाख टन, हरियाणा की 28.54 लाख टन चंडीगढ़ की 16,338 टन, गुजरात की 489 टन, जम्मू-कष्मीर की 4,550 टन, केरल की 1.02 लाख टन, मध्य प्रदेष की 1.86 लाख टन, तमिलनाडु की 40,332 टन, उत्तर प्रदेष की 5.05 लाख टन तथा उत्तराखंड की 1.87 लाख टन है। चालू खरीफ में केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 300 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य किया है जबकि पिछले खरीफ विपणन सीजन 2014-15 में एमएसपी पर 321.61 लाख टन चावल की खरीद हुई थी।
करनाल में पूसा-1,121 बासमती धान की कीमतों षुक्रवार को 2,400 से 2,450 रुपये, पूसा-1,509 की 1,850 से 1,900 रुपये, डुप्लीकेट बासमती की 2,100 से 2,200 रुपये, सुंगधा की 1,550 से 1,600 रुपये तथा सरबती की 1,500 से 1,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। पूसा-1,121 बासमती चावल के सेले का भाव 4,500 रुपये, स्टीम का 5,700 रुपये और रॉ का भाव 5,000 रुपये प्रति क्विंटल रही।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन 2015-16 में चावल की पैदावार 9.06 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2014-15 खरीफ में इसकी 9.08 करोड़ टन की हुई थी।......आर एस राणा

भारतीय कपास उद्योग को पड़ोसियों से मदद


भले ही कुछ महीनों पहले चीन ने भारतीय कपास निर्यातकों को निराश किया हो, लेकिन पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों ने निश्चित रूप से उनके चेहरे पर फिर से मुस्कान ला दी है। सालाना आधार पर 30 नवंबर तक निर्यात अनुबंधों में 35 फीसदी इजाफा हुआ है। यह मुख्य रूप से पाकिस्तान से आयात ऑर्डर दोगुने होने की बदौलत ही संभव हो पाया है। चालू कपास वर्ष (अक्टूबर 2015 से सितंबर 2016) के दौरान पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार भारतीय कपास के शीर्ष आयातकों के रूप में उभरे हैं।
चालू फसल वर्ष के पहले दो महीनों के दौरान 30 नवंबर तक भारत ने कपास के निर्यात अनुबंधों में करीब 35 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की है और इसमें पाकिस्तान से आयात ऑर्डर दोगुने होने का अहम योगदान रहा है। उद्योग के सूत्रों के मुताबिक अब तक कपास की 30 लाख गांठों (एक गांठ में 170 किलोग्राम) के निर्यात अनुबंध हुए हैं, जिसमें से 10 लाख गांठों के ऑर्डर अकेले पाकिस्तान से आए हैं। पिछले साल इस समय तक करीब 22 लाख गांठों के निर्यात अनुबंध हुए थे और इसमें पाकिस्तान का हिस्सा नगण्य था।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष धीरेन सेठ ने कहा, 'पाकिस्तान की बदौलत इस साल भारत के निर्यात अनुबंधों में इजाफा हुआ है। पाकिस्तान अब तक भारत से 10 लाख कपास की गांठों के आयात के लिए अनुबंध कर चुका है। ज्यादा आयात की वजह वहां बाढ़ आना है, जिसमें कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ था।' पिछले साल पाकिस्तान में बाढ़ से फसलों को नुकसान पहुंचने के कारण इस पड़ोसी देश ने पूरे विपणन वर्ष 2014-15 में 5 लाख गांठों का आयात किया था।

कपास उद्योग को उम्मीद है कि चालू कपास सीजन में पाकिस्तान भारत से करीब 15 से 17 लाख गांठों का आयात कर सकता है। उद्योग के सूत्रों के मुताबिक गुणवत्ता, मात्रा और कीमत सहित सभी कारक पाकिस्तान के अनुकूल हैं। इस समय नए सीजन की अच्छी फसल बाजार में आ रही है और कपास की कीमत भी निचले स्तरों पर है। राजकोट की जयदीप कॉटन फाइबर प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अरविंद पान ने कहा, 'आमतौर पर पाकिस्तान वाघा बॉर्डर के जरिये पंजाब से आयात करता है, लेकिन इस साल वह मुख्य रूप से गुजरात और महाराष्ट्र से जल मार्ग से आयात कर रहा है।' जयदीप कॉटन इस साल पाकिस्तान को कपास की 80,000 गांठों का निर्यात कर चुकी है। पान के मुताबिक पाकिस्तान के साथ अनुबंध 32,500 रुपये प्रति कैंडी के आसपास किए गए हैं।
पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश, म्यांमार और इंडोनेशिया जैसे देश भी भारत से कपास का आयता कर रहे हैं। वर्ष 2014-15 के दौरान भारत का कपास निर्यात घटकर 54 लाख गांठ रहा था। वर्ष 2013-14 में चीन को निर्यात 110 लाख गांठ रहा था, जो उसके अगले साल घटकर 25 लाख गांठ रहा। उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि चालू वर्ष में चीन से आने वाली मांग पिछले साल से भी कम रहने का अनुमान है।
अहमदाबाद के एक प्रमुख कारोबारी अरुण दलाल ने कहा, 'पिछले साल देश का कुल कपास निर्यात घटकर 54 लाख गांठ रहा था, लेकिन इस साल देश का कपास निर्यात 60 से 65 लाख गांठ पर पहुंच सकता है। इसमें पाकिस्तान की अहम भूमिका होगी, उसका भारत से आयात इस साल 15 लाख गांठों का स्तर पार कर सकता है।' सीएआई के ताजा अनुमानों के मुताबिक देश का कपास उत्पादन वर्ष 2015-16 में 3.70 करोड़ गांठ होने का अनुमान है, जो पिछले साल 3.82 करोड़ गांठ रहा था। घरेलू खपत 3.25 करोड़ गांठ रहने का अनुमान है, जबकि इस साल आयात 14 लाख गांठ रहेगा।  (BS Hindi)