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28 नवंबर 2015

बेमौसम बारिश ने डुबोई रबी फसल

किसानों को इस साल फरवरी-अप्रैल के दौरान बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि के चलते 20,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 100 लाख टन रबी फसलों का नुकसान हुआ। सीएसई ने एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है। सेंटर फॉर साइंस ऐंड ऐनवायरनमेंट (सीएसई) ने अपनी रिपोर्ट 'लिव्ड एनोमली' में कहा कि इसके परिणामस्वरूप भारत को चालू वर्ष में 10 लाख टन गेहूं का आयात करना पड़ सकता है क्योंकि पिछले रबी सीजन में बेमौसम बारिश के चलते करीब 68.2 लाख टन अनाज क्षतिग्रस्त हो गया। इस साल फरवरी-अप्रैल में 182.38 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी फसल या संपूर्ण रबी बुआई रकबे का 29.61 प्रतिशत प्रभावित हुआ। इसका छह-सात प्रतिशत गेहूं की फसल थी।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'प्रमुख खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में गिरावट करीब 86.3 लाख टन थी जिससे 15,777 करोड़ रुपये मूल्य के खाद्यान्न का नुकसान हुआ। वहीं तिलहन के उत्पादन में 14.1 लाख टन गिरावट से 4,676 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नुकसान हुआ। कुल आर्थिक नुकसान करीब 20,453 करोड़ रुपये रहा।' सीएसई के अनुमानों के मुताबिक गेहूं के बुआई रकबे का 40 प्रतिशत, दलहन और तिलहन के बुआई रकबे का 14 प्रतिशत और मोटे अनाजों के बुआई रकबे का चार प्रतिशत बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित हुआ। सीएसई के उप महाप्रबंधक चंद्र भूषण ने कहा, 'हमने न्यूनतम समर्थन मूल्य को ध्यान में रखते हुए फसल नुकसान को मौद्रिक आंकड़ों में परिवर्तित करने में कुछ समय खर्च किया। अगर आप बागवानी क्षेत्र के नुकसान को छोड़कर बाकी आंकड़ों पर नजर डालें तो महज खाद्यान्न और तिलहन के लिए यह नुकसान 20,000 करोड़ रुपये बैठता है।'
रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि भारतीय किसान मौसम में तेज बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं और उनके लिए संरक्षण के उपाय किए जाने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देश में सबसे अधिक रोजगार देने वाले कृषि क्षेत्र में और गिरावट न आए। सीएसई के विशेषज्ञों की एक टीम ने मौसम में बदलाव से प्रभावित किसानों के लिए किए गए उपायों के असर, मौजूदा राहत और मुआवजे की व्यवस्था की भी पड़ताल की। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा, 'हमें मौसम में तेज बदलाव देखने को मिल रहा है। भारत में किसानों को कृषि क्षेत्र में परेशानी और मौसम में बदलाव की दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए उनकी सहायता के लिए बेहतर संरक्षण व्यवस्था सहित कई उपाय किए जाने की जरूरत है।' (BS Hindi)

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