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10 अक्तूबर 2015

चीनी मिलों में पेराई में देरी होने की आषंका से भाव में और तेजी संभव


आर एस राणा
नई दिल्ली। त्यौहारी सीजन के कारण बड़ी खपत कंपनियों की मांग बढ़ने से सप्ताहभर की कीमतों में तेजी जारी रही। मंडियों में सप्ताहभर में चीनी की कीमतों में करीब 75 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। दिल्ली में चीनी के भाव 2,850 से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे जबकि उत्तर प्रदेष में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 2,700 से 2,825 रुपये, महाराष्ट्र में 2,450 से 2,500 रुपये तथा कर्नाटका में 2,400 से 2,450 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
चीनी का नया पेराई सीजन पहली अक्टूबर से षुरु हो गया है लेकिन मिलों का कहना है कि गन्ने के दाम ज्यादा है जबकि इसके मुकाबले मंडियों में चीनी के भाव कम हैं, इसीलिए चीनी मिलों ने अभी पेराई षुरु नहीं की है तथा अभी गन्ने की पेराई में और भी देरी होने की आषंका है। इसीलिए चीनी कीमतों में तेजी बनी हुई है।
चीनी की कुल खपत में बड़ी कंपनियों की हिस्सेदारी 60 फीसदी से ज्यादा है। चीनी के भाव नीचे होने के कारण मिलों में पेराई में देरी हो रही है, जिसकी वजह से खपत राज्यों की मांग में बढ़ोतरी हुई है। चीनी मिलों के पास चीनी का बकाया स्टॉक ज्यादा है इसलिए इसकी कीमतों में भारी तेजी की संभावना तो नहीं है लेकिन त्यौहारी सीजन के कारण मौजूदा कीमतों में और भी हल्का सुधार आ सकता है।
उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन में देष में चीनी का उत्पादन 280 लाख टन के करीब हुआ है जोकि देष की सालाना खपत से ज्यादा है। देष में चीनी की सालाना खपत 225 से 230 लाख टन की होती है। विष्व बाजार में चीनी के भाव कम होने के कारण भारत से निर्यात भी सीमित मात्रा में ही हो पा रहा है। उद्योग के अनुसार नए पेराई सीजन में गन्ने के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी के बावजूद चीनी का उत्पादन कम होने की आंषका है क्योंकि अप्रैल और सितंबर में उत्पादक राज्यों में बारिष सामान्य से कम हुई है।
किसानों के बकाया भुगतान को लेकर संजीदा केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग को राहत देने के लिए कई कदम उठाए हैं। चीनी मिलों को केंद्र सरकार ने एक साल के लिए 6,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण देने का फैसला किया है। इससे पहले भी केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को 14 लाख टन रॉ-षुगर के निर्यात पर 4,000 रुपये प्रति टन की दर से इनसेंटिव घोषित कर रखा है साथ ही चीनी के आयात को रोकने के लिए आयात शुुल्क को भी 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी किया हुआ है। चालू पेराई सीजन में अभी तक चार लाख टन के करीब ही रॉ-षुगर का निर्यात हो पाया है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में गन्ने की बुवाई 48.84 लाख हैक्टेयर में ही चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 48.74 लाख हैक्टेयर में गन्ने की बुवाई हुई थी।.......आर एस राणा

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