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31 जुलाई 2015

उत्पादक राज्यों में अच्छी बारिष से कपास की कीमतों में और गिरावट की आषंका


सीसीआई के पास करीब 45 लाख गांठ कपास का बचा हुआ है स्टॉक
आर एस राणा
नई दिल्ली। कपास के प्रमुख उत्पादक राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेष, आंध्रप्रदेष और उत्तर भारत के राज्यों में हुई अच्छी बारिष से पैदावार बढ़ने का अनुमान है। इसीलिए कपास की कीमतों में सप्ताहभर में करीब 500 से 800 रुपये की गिरावट आकर अहमदबाद में षंकर-6 किस्म की कपास के भाव 34,000 से 34,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रह गए। कमजोर मांग को देखते हुए मौजूदा कीमतों में और भी गिरावट आने की आषंका है वैसे भी कॉटन कार्पोरेषन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के पास अभी भी करीब 45 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास का स्टॉक बचा हुआ है।
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएषन के अध्यक्ष राकेष राठी ने बताया कि प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेष, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, तेलंगाना और आंध्रप्रदेष में चालू महीने में अच्छी बारिष हुई है जोकि फसल के लिए अच्छी है। हालांकि महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में अभी भी स्थिति चिंताजनक है, मराठवाड़ा में सामान्य से करीब 50 फीसदी कम बारिष हुई है जबकि आंध्रप्रदेष के भी कुछ क्षेत्रों में बारिष कम हुई है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर उत्पादक क्षेत्रों में बारिष अच्छी होने के कारण ही कपास में मिलों की मांग घटी है जबकि सीसीआई ई-निलामी के द्वारा लगातार भाव घटाकर बिकवाली कर रही है। इसीलिए उत्पादक मंडियों में भाव कम हुए हैं तथा मौजूदा कीमतों में और भी गिरावट आने की आषंका है।
सीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निगम चालू सीजन में अभी तक 39 लाख गांठ कपास की बिक्री ई-निलामी के माध्यम से घरेलू बाजार में कर चुकी है जबकि 3 लाख गांठ कपास का निर्यात किया है। निगम के पास अभी भी करीब 45 लाख गांठ कपास का स्टॉक बचा हुआ है तथा आगामी दिनों में निगम बिक्री और भी बढ़ा सकता है। सीसीआई ने चालू सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 87 लाख गांठ कपास की खरीद की थी।
कपास कारोबारी हरी भाई ने बताया कि चालू सीजन में करीब 45 लाख गांठ कपास का निर्यात ही हुआ है तथा विष्व बाजार में इस समय कपास के भाव 63.50 डॉलर प्रति औंस हैं। इन भावो में निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही हो रहे है तथा विष्व बाजार में अभी कीमतो में भारी तेजी की उम्मीद भी नहीं है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुवाई 101.91 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 104.84 लाख हैक्टेयर में हुई थी।......आर एस राणा

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