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18 मई 2015

कपड़ा और परिधान निर्यात वृद्घि की सुस्त रफ्तार

दुनिया भर में कम होती मांग और घटती प्रतिस्पर्धा का असर वर्ष 2014-15 में कपड़ा और परिधान क्षेत्र के निर्यात पर पड़ सकता है। उद्योगों के सूत्रों का कहना है यह गिरावट पांच फीसदी तक हो सकती है। हालांकि अकेले परिधानों के निर्यात पर गौर करें तो इस क्षेत्र में 10-13 फीसदी वृद्घि दर्ज की गई, लेकिन यह पिछले कुछ सालों के दौरान यह वृद्घि की रफ्तार का न्यूनतम स्तर है। केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर बिज़नेस स्टैंडर्ड रिसर्च ब्यूरो का कहना है कि अप्रैल, 2014 से जनवरी, 2015 के बीच 10 महीनों के दौरान कपड़ा निर्यात करीब 4 फीसदी बढ़कर 34 अरब डॉलर हो गया। व्यापक तौर पर देखें तो इसका मतलब है कि पूरे साल 41 अरब डॉलर का निर्यात हो सकता है।

वर्ष 2013-14 में ये बढ़ोतरी 12.4 फीसदी की थी। जून, 2014 में केंद्रीय कपड़ा मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था कि वर्ष 2014-15 में इस क्षेत्र का निर्यात 25 फीसदी बढ़कर 50 अरब डॉलर होने की उम्मीद है। विशेषज्ञों ने वृद्घि के कमजोर रहने के कई कारणों का भी जिक्र किया है, उनका मानना है कि मौजूदा स्थिति जस की तस बनी रही तो वर्ष 2015-16 में भी वृद्घि दर कमजोर ही रहेगी। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री के महासचिव डी के नायर ने कहा, 'उद्योग सरकार से कई तरह निर्यात संबंधी प्रोत्साहनों की मांग कर रहा है। अन्य उद्योगों के मुकाबले इस उद्योग में प्रतिस्पर्धा की कमी है। अगले साल तक स्थिति में सुधार करने के लिए सरकार को कपड़ा एवं परिधान निर्यात को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाने होंगे।' परिधानों को छोड़कर संपूर्ण मूल्य शृंखला की निर्यात वृद्घि में कमजोरी देखने को मिल रही है। हालांकि परिधान निर्यात 10 फीसदी से भी अधिक दर से बढऩे की उम्मीद है। BS Hindi

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