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04 मई 2015

स्टॉकिस्टों की सक्रियता से मेंथा तेल की कीमतों में तेजी की आशंका


आर एस राणा
नई दिल्ली। मार्च-अप्रैल महीने में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से मेंथा की रोपाई में हुई देरी से मेंथा की नई फसल की आवक लेट होने की आशंका है। इसलिए स्टॉकिस्टों की सक्रियता से मेंथा तेल की कीमतों में तेजी बनने की संभावना है।
मेंथा कारोबारी अनुराग रस्तोगी ने बताया कि प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल महीने में हुई बारिश से मेंथा की रोपाई में देरी हुई जिसकी वजह से नई फसल की आवक 15-20 दिन देर से शुरू होगी। चालू फसल सीजन में मेंथा तेल की कीमतें भी कम रही थी जिसकी वजह से नए सीजन में किसानों ने मेंथा की बुवाई भी कम की है। यही कारण है कि इस समय मेंथा में स्टॉकिस्टों की खरीद बढ़ गई है जिससे भाव में तेजी का रुख बना हुआ है। सोमवार को चंदौसी में मेंथा तेल के भाव बढ़कर 1,125 रूपये और संभल मंडी में 1,135 रुपये प्रति किलो हो गए। उत्पादक मंडियों में मेंथा तेल की दैनिक आवक 200-250 ड्रम (एम ड्रम-180 किलो) की हो रही है।
मेंथा निर्यातक जुगल किशोर ने बताया कि सिंथेटिक मेंथा की खपत लगातार बढ़ रही है तथा कुछ बढ़ी कंपनियां भी सिथेंटिक मेंथ तेल का उपयोग कर रही है इसलिए मेंथा तेल के भाव चालू सीजन में नीचे ही थे। उन्होंने बताया कि सिथेंटिक तेल बनाने में लागत भी काफी कम आती है। उन्होंने बताया कि नए सीजन में मैंथा की पैदावार पिछले साल की तुलना में घटने का अनुमान है। पिछले साल देश में 50,000 टन मेंथा तेल का उत्पादन हुआ था, नए सीजन में 10 से 12 फीसदी पैदावार कम होने का अनुमान है।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित्त वर्ष 2014-25 के पहले 9 महीनों (अप्रैल से दिसंबर 2014) के दौरान मेंथा उत्पादों का निर्यात 21,700 टन का रहा जोकि अप्रैल-दिसंबर 2013 के 19,546 टन के मुकाबले ज्यादा है। मेंथा तेल के निर्यात सौदे अप्रैल में 15 से 16 डॉलर प्रति किलो की दर से हुए थे उन्हीं का भुगतान तो रहा है।......आर एस राणा

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