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02 अप्रैल 2015

जौ और मक्का की कीमतों में गिरावट, सरसों और जीरे की कीमतों में रहेगी तेजी

जौ और मक्का की कीमतों में गिरावट, सरसों और जीरे की कीमतों में रहेगी तेजी
सोया खली में निर्यात मांग घटने से सोयाबीन में मांग कमजोर
चीनी मिलें बंद होने से गन्ना किसानों की परेषानी और बढ़ी
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जौ की पैदावार तो कम होने का अनुमान है लेकिन नई फसल को देखते हुए माल्ट कंपनियां खरीद नहीं कर रही है इसलिए कीमतों में गिरावट आई है। उत्पादक मंडियों में जौ के भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,150 रूपये प्रति क्विंटल से भी नीचे आ गए हैं। हालांकि मक्का की पैदावार भी चालू सीजन में घटेगी, लेकिन निर्यात मांग कमजोर होने और दैनिक आवक बढ़ने से अप्रैल में कीमतों में गिरावट की उम्मीद है। सरसों खली में निर्यात मांग अच्छी है इसलिए भविश्य में सरसों की कीमतें तेज ही रहेंगी। सीरिया और टर्की में राजनैतिक हालात खराब होने के कारण भारत से जीरे का निर्यात बढ़ेगा, जिससे भविश्य में जीरा तेज रहेगा।
- राजस्थान, उत्तर प्रदेष और हरियाणा की मंडियों में जौ की दैनिक आवक बढ़कर करीब 6 से 7 लाख बोरी (एक बोरी-80 किलो) की हो गई है जबकि माल्ट कंपनियां अभी खरीद नहीं कर रही है। इसीलिए उत्पादक मंडियों में जौ के भाव घटकर 900 से 1,050 रूपये प्रति क्विंटल रह गए हैं जबकि केंद्र सरकार ने जौ का एमएसपी 1,150 रूपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि मई-जून में माल्ट कंपनियों की मांग निकलेगी, जिससे जौ की कीमतों में 150 से 200 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी आयेगी।
- रबी में मक्का की पैदावार बिहार, आंध्रप्रदेष, तमिलनाडु और महाराश्ट् में होती है। बिहार में नई मक्का की आवक षुरू हो गई है जबकि अन्य राज्यों में 10 अप्रैल तक आवक षुरू हो जायेगी। आवक बढ़ने से अप्रैल में मक्का की कीमतें घटेंगी, ऐसे में किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि मक्का की बिकवाली एक-दो महीने बाद करें, तो भाव ज्यादा मिलेंगे। बिहार में मक्का की कीमतों 1,400 से 1,440 रूपये प्रति क्विंटल चल रही हैं।
- सरसों खली में निर्यात मांग अच्छी है तथा आगामी महीनों के निर्यात सौदे ज्यादा हुए हैं। ऐसे में आवक बढ़ने से अप्रैल महीने में तो सरसों की कीमतों में गिरावट रहेगी, लेकिन मई-जून में भाव बढ़ जायेंगे। कृशि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में सरसों की पैदावार 73.63 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल पैदावार 78.77 लाख टन की हुई थी। जानकारों का मानना है कि मार्च महीने में बारिष और ओलावृश्टि से सरसों की फसल को 10 से 12 फीसदी का नुकसान हुआ है इसलिए पैदावार सरकारी अनुमान से कम रहेगी। मई-जून में सरसों की कीमतों में 300 से 400 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी आने का अनुमान है।
- जीरे की पैदावार चालू सीजन में कम हुई है जबकि टर्की और सीरिया में राजनैतिक गतिरोध चल रहा है। इसलिए भारत से जीरे के निर्यात में इस बार बढ़ोतरी होगी। रमजान के त्यौहार को देखते हुए खाड़ी देष की जीरे में आयात मांग जून महीने में बढ़ जायेगी इसलिए जीरे की मौजूदा कीमतों में 500 से 600 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी आने का अनुमान है। ऐसे में किसान अप्रैल महीने में जीरे की बिकवाली से परहेज करे तो लाभदायक होगा।
-सोयाबीन खली में निर्यात मांग कमजोर है जबकि मौसम विभाग खरीफ में सामान्य मानसून की संभावना जता रहा है। उत्पादक मंडियों में सोयाबीन का स्टॉक भी बचा हुआ है जबकि आयातित तेल सस्ते होने के कारण सोयाबीन तेल में भी मांग कमजोर है।
-चीनी मिलों द्वारा पेराई बंद करने से गन्ना किसानों की मुष्किले बढ़ी।
चालू सीजन में 31 मार्च तक 138 चीनी मिलें गन्ने की पेराई बंद कर चुकी है जबकि अभी किसानों का गन्ना खेत में खड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेष में सबसे ज्यादा 41, महाराश्ट् में 36, आंध्रप्रदेष और तेलंगाना में 26 तथा 10 चीनी मिलें कर्नाटक में पेराई बंद कर चुकी हैं। चीनी मिलें बंद होने से किसानों को औने-पौने दाम पर गन्ना कोल्हू संचालकों को बेचना पड़ेगा जिससे किसानों पर दोहारी मार पड़ेगी। चीनी मिलों पर चालू पेराई सीजन का करीब 17,000 करोड़ रूपया किसानों का बकाया हो चुका है।

आर एस राणा

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