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02 अप्रैल 2015

मार्च अंत तक देष में 247 लाख टन हो चुका है चीनी उत्पादन

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2014-15 (अक्टूबर से सितंबर) में 31 मार्च 2015 तक देषभर 247.20 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 28.41 लाख टन ज्यादा है।
इंडियन षुगर मिल्स एसोसिएषन (इस्मा) के अनुसार समय से गन्ने की पेराई आरंभ होने के साथ ही चालू सीजन में गन्ने में रिकवरी की दर पिछले साल से ज्यादा आने के कारण चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़ा है। हालांकि चीनी के दाम कम होने के कारण चीनी मिलों पर किसानों के बकाया का बोझ लगातार बढ़ रहा है तथा देषभर में 31 मार्च 2015 तक 138 चीनी मिलें पेराई बंद कर चुकी है।
चालू पेराई सीजन 2014-15 में 31 मार्च 2015 तक 247.20 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 218.79 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में इस समय 392 चीनी मिलों में पेराई चल रही है। चालू सीजन में 31 मार्च तक देषभर में 138 चीनी मिलों में पेराई बंद हो चुकी है जिसमें उत्तर प्रदेष में 41, महाराश्ट् में 36, आंध्रप्रदेष और तेलंगाना में 26 तथा 10 चीनी मिलें कनार्टक में पेराई बंद चुकी हैं।
सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराश्ट में चालू पेराई सीजन में 31 मार्च तक 93.64 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक 70.69 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। उत्तर प्रदेष में चालू पेराई सीजन में 31 मार्च तक 63.60 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल इस समय तक 59.16 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 31 मार्च तक 42.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 38.84 लाख टन से ज्यादा है। आंध्रप्रदेष और तेलंगाना में 8.60 लाख टन और तमिलनाडु में 7.70 लाख टन, बिहार 5.25 लाख टन, हरियाणा 4.50 लाख टन, पंजाब 4.60 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है।
इस्मा के अनुसार केंद्र सरकार ने रॉ-षुगर के निर्यात पर 4,000 रूपये प्रति टन की दर से चीनी मिलों को इनसेंटिव देने की घोशणा तो कर रखी है लेकिन अंतरराश्टीय बाजार में चीनी के दाम सात साल के न्यूनतम स्तर पर होने के कारण निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं। चालू सीजन में चीनी का उत्पादन सालाना खपत के 248 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान है तथा नए पेराई सीजन के षुरू में करीब 60 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचने की संभावना है।.....आर एस राणा

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