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03 अप्रैल 2015

मौसम खराब होने से चने और सरसों की कीमतों में 100-100 रूपये की तेजी



षुक्रवार को हुई बारिष से रबी फसलों को नुकसान
कालीमिर्च की पैदावार ज्यादा होने से तेजी की उम्मीद नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। चना और सरसों के प्रमुख उत्पादक राज्यों में षुक्रवार को हुई बारिष से फसल को नुकसान हुआ है इसको देखते हुए स्टॉकिस्टों की खरीद बढ़ी है साथ ही मंडियों में दैनिक आवक कम रहीं जिससे इनकी कीमतों में 100-100 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। बैमौसम बारिष से गेहूं की फसल को भी नुकसान होने की आषंका है। चालू सीजन में कालीमिर्च की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है जिससे इसकी कीमतों में अभी तेजी की संभावना नहीं है।
- मध्य प्रदेष और राजस्थान में षुक्रवार को हुई बारिष से चने की फसल को नुकसान हुआ है, इन राज्यों में चने की फसल की कटाई चल रही है। बारिष से फसल की क्वालिटी प्रभावित होगी, उत्पादक मंडियों में षुक्रवार को चने की आवक कम रही, तथा स्टॉकिस्टों की मांग से भाव में 100 रूपये की तेजी दर्ज की गई। दिल्ली में चने के भाव बढ़कर 3,700-3,750 रूपये और उत्पादक मंडियों में 3,500 से 3,550 रूपये प्रति क्विंटल हो गए। किसान भाईयां को सलाह दी जाती है कि चने की कीमतों में आगमी तीन-चार महीनों में 500 से 600 रूपये प्रति क्विंटल की और तेजी आने का अनुमान है।
- सरसों के प्रमुख उत्पादक राज्यों में भी बारिष और खराम मौसम से मंडियों में आवक कम हुई जिससे इसकी कीमतों में 100 रूपये की तेजी आकर भाव 3,500 से 3,600 रूपये प्रति क्विंटल हो गए। मलेषिया में पाम की पैदावार कम होने का अनुमान है। ऐसे में आगामी दिनों में सरसों में तेल मिलों की मांग बढ़ेगी। किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि सरसों की फसल को मई-जून में बेचेंगे तो 300-400 रूपये प्रति क्विंटल का फायदा होने की संभावना है।
- रबी की प्रमुख फसल गेहूं की कटाई चल रही है तथा कटाई के समय बारिष होने से फसल की क्वालिटी को नुकसान होगा। हालांकि केंद्रीय पूल में गेहूं का करीब 220 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है जबकि कृशि मंत्रालय के अनुसार रबी में गेहूं की पैदावार भी पिछले साल के लगभग बराबर ही होने का अनुमान है। उधर आस्ट्ेलिया से गेहूं के आयात सौदे हो रहे है इसका असर भी गेहूं की कीमतों में पड़ेगा। मौसम साफ रहा तो चालू महीने के मध्य तक गेहूं की कीमतों में 100 से 150 रूपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान है।
-चालू सीजन में कालीमिर्च की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है तथा केरल के साथ ही कर्नाटक की नई फसल की आवक चालू महीने में बढ़ जायेगी। कोची में गार्बल्ड क्वालिटी की कालीमिर्च का भाव 57,000 रूपये और अनगार्बल्ड क्वालिटी का 54,000 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। दिल्ली में कालीमिर्च का भाव 60,000 रूपये प्रति क्विंटल है। चालू वित्त वर्श 2014-15 के पहले नो महीनों (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान कालीमिर्च के निर्यात में 6 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 14,500 टन का ही हुआ है। उधर श्रीलंका में भी कालीमिर्च की कीमतों में गिरावट आई है। ऐसे में आगामी दिनों में आवक बढ़ने पर घरेलू बाजार में कालीमिर्च की कीमतों में और भी गिरावट आयेगी।
- चालू सीजन में केस्टर सीड की पैदावार 2.2 फीसदी बढ़कर 12.50 लाख टन होने का अनुमान है तथा आगामी सप्ताह से उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक बढ़कर करीब 50,000 बोरी की हो जायेगी। आवक बढ़ने पर अप्रैल महीने में केस्टर सीड के दाम नीचे रहेंगे लेकिन मई-जून में केस्टर तेल में निर्यात मांग बढने का अनुमान है। ऐसे में किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि केस्टर सीड की बिकवाली मई-जून में करेंगे, तो फायदा होगा। मई-जून में केस्टर सीड की मौजूदा कीमतों में 8 से 10 फीसदी की तेजी आने का अनुमान है। उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड की कीमतें इस समय 3,600 रूपये प्रति क्विंटल चल रही है जबकि केस्टर तेल के दाम 750 रूपये प्रति 10 किलो चल रहे हैं। ....
आर एस राणा


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