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04 मार्च 2015

भारतीय चावल निर्यात में आएगी कमी

इस साल देश के चावल निर्यात को विश्व के सबसे बड़े निर्यातक देश थाईलैंड के सस्ते निर्यात से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी। उद्योग के अधिकारियों और व्यापारियों का कहना है कि थाईलैंड अपने बड़े सरकारी भंडार से चावल की बिक्री करने की योजना बना रहा है। प्रमुख भारतीय चावल वितरक पट्टा भी एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक बी वी कृष्णा राव ने कहा कि देश का निर्यात इस साल 20 फीसदी तक घट कर 80 लाख टन रह सकता है। कम निर्यात की वजह से भारत के पास अधिक चावल मौजूद रहेगा, जिससे भंडारण का दबाव बढ़ेगा और अस्थायी साइलो में अनाज रखे जाने से नुकसान की आशंका बढ़ गई है।  दुनिया के दो प्रमुख निर्यातकों के बीच प्रतिस्पर्धा बढऩे से कीमतों पर प्रभाव पड़ेगा। अक्टूबर से कीमतों में 5 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। हालांकि नाइजीरिया और सेनेगल जैसे अफ्रीकी देशों के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि वे अक्सर एशियाई चावल के प्रमुख खरीदार रहे हैं।

राव ने कहा, 'थाईलैंड सरकार अपने स्वयं के गोदामों से चावल की बिक्री पर जोर दे रही है जिससे वैश्विक कीमतों पर दबाव बढ़ा है और भारतीय निर्यात सीमित हो रहा है।' थाईलैंड मार्च में लगभग 10 लाख टन चावल बेचने के निविदा जारी करेगा, क्योंकि वह 1.7 करोड़ टन चावल विवादास्पद सब्सिडी योजना के तहत निर्यात करने की कोशिश कर रहा है। उसने 2015 में 1 करोड़ टन और अगले साल 70 लाख टन की बिक्री करने का लक्ष्य रखा है।

दक्षिण भारत में प्रमुख चावल निर्यातक श्री ललिता में कार्यकारी निदेशक एम आदिशंकर ने कहा  कि भारतीय निर्यातकों को थाईलैंड के निजी व्यापारियों के साथ प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन सरकार के साथ कोई समस्या नहीं है, क्योंकि वह पुराने भंडार के लिए मांग सृजित करने के लिए कीमतों में कटौती कर सकती है।

नई निविदा में थाईलैंड ने पुराने भंडार से 236 डॉलर से 378 डॉलर प्रति टन की कीमत पर 5-प्रतिशत टूटा चावल बेचा है, हालांकि नई फसल के लिए बाजार भाव लगभग 415 डॉलर के आसपास था। भारत ने हाल में लगभग 400 डॉलर पर समान ग्रेड के चावल की पेशकश की है। थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के एक अधिकारी ने कहा, 'सरकार का चावल पुराना है और लंबे समय से भंडार में रखा हुआ है, इसलिए इस हिसाब से इसका मूल्य घट रहा है।' (BS Hindi)

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