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28 फ़रवरी 2015

बजट 2015 ने कृषि और किसान को किया निराश----भाकियू


देश की कुल आबादी के 70 प्रतिशत किसानों के लिए केवल 24800 करोड का प्रावधान, औ़घोगिक घरानों को 23000 करोड की छूट शर्मनाक-----चै0 टिकैत
भारत सरकार द्वारा की गयी बजट की घोषणा से निश्चित है कि सरकार की नीति में कृषि प्राथमिक मुद्दा नही है। बजट में कृषि की घोर उपेक्षा की गयी है। कृषि क्षेत्र जिस दौर से गुजर रहा है उसे सम्भालना सरकार की जिम्मेदारी थी, लेकिन कृषि बजट में 1200 करोड की कटौती कर स्पष्ट कर दिया है कि कृषि सरकार की प्राथमिकता में नही हैं। बजट आवंटन की राशी को घटाना समझ से परे है। कृषि कार्ड, सिंचाई, पशु पालन आदि की जो बातें सरकार द्वारा की गई है, बजट आवंटन राशी को देखने से लगता है कि यह सभी योजनाएॅ धन अभाव के कारण दम तोड देगी। आज देश का किसान सूखा बाढ़ आत्महत्या से पीडित है बजट में किसानो की आजीविका तय किये जाने की आवश्यकता थी लेकिन इन तथ्यो पर सरकार द्वारा ध्यान नही दिया गया है। किसानों के साथ भद्दा मजाक किया गया है।
देश की 70 प्रतिशत आबादी के लिए बजट की राशी का आवंटन 26 हजार करोड से घटाकर 24800 करोड कर दिया है दूसरी तरफ औघोगिक घरानो को 23000 करोड की छूट प्रदान कर दी गई है। किसानो को नरेन्द्र मोदी की सरकार से काफी उम्मीदे थी जो बजट के बाद निराशा मे बदल गई है। किसानो को फसल बीमा योजना का दायरा बढाने, किसानो की न्यूनतम आमदनी तय किये जाने, फसलों का लाभकारी मूल्य, किसानो को सीधी सब्सिडी, रासायन एंव उर्वरको के मूल्य में कमी आदि कई योजनाओं की उम्मीदे थी। लेकिन बजट आवंटन की राशी ने किसानों को झुनझुना थमा दिया। बजट से यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार गांव, गरीब और किसान विरोधी है।
यह बजट किसान विरोधी है। इससे किसान खेती छोडने और आत्महत्या करने को मजबूर होगा और कर्ज के जाल में फंस कर अपनी जमीन खो देगा।
इस बजट से स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में किसानो के बुरे दिन और औघोगिक घरानो के अच्छे दिन आ गये हैA  चै0 राकेश टिकै (राष्ट्रीय प्रवक्ता भकियू)

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