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01 जनवरी 2015

कैसी रहेगी 2015 में कमोडिटी बाजार की चाल

2014 सोने के लिए जहां लगातार तीसरा साल गिरावट भरा रहा है। वहीं कच्चे तेल के लिए ये पिछले 5 सालों में सबसे खराब रहा। चीन और यूरोजोन की इकोनॉमी के दबाव में बेस मेटल्स भी कुछ खास नहीं कर सके। हालांकि साल की दूसरी छमाही में एग्री कमोडिटी दमखम दिखाने में जरूर कामयाब रहीं। अब नया साल सामने है। अमेरिकी इकोनॉमी के बदलते माहौल के बीच वहां ब्याज दरें बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं कीमतों में 45 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दिखाने के बाद भी ओपेक क्रूड प्रोडक्शन में कटौती का फैसला नहीं कर सकता है। चीन की इकोनॉमी को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है। वहीं करेंसी को लेकर भी बाजार में कई अटकलें है। इस सबके बीच खाने के तेल, तिलहन और दलहन समेत मसालों का रुख क्या होगा। ये जानने के लिए आया है ये खास पेशकश एक्शन 2015।

2014 में चांदी 43,870 रुपये से 15 .5 फीसदी गिरकर 37000 रुपये के स्तर पर आ गई है। जबकि सोना इस एक साल में 5 फीसदी गिरकर 28400 रुपये पर आ गया है। इसी तरह इस दौरान एमसीएक्स पर कच्चा तेल 6124 रुपये से 44 फीसदी फिसलकर 3400 रुपये पर आ गया है। नायमैक्स कच्चे तेल में 2014 में 42 फीसदी की गिरावट हुई है। 2014 में कॉपर में 15 फीसदी और लेड में 14 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जबकि इस दौरान जिंक और निकेल में 8 और 10 फीसदी की बढ़त हुई है।

एग्री कमोडिटीज की बात करें तो 2014 में सोया तेल 688 रुपये प्रति 10 किलो से 6 फीसदी गिरकर 650 रुपये पर आ गया है। इसी तरह इस दौरान क्रूड पाम तेल में 16 फीसदी की गिरावट हुई है। 2014 में सोयाबीन 3800 रुपये प्रति क्विंटल से 10 फीसदी गिरकर 3400 रुपये पर आ गया है। जबकि सरसों इस दौरान 22 फीसदी बढ़कर 4300 रुपये पर पहुंच गया है। 2014 में चने में भी बढ़त दर्ज की गई है और ये 20 फीसदी उछलकर 3700 रुपये पर पहुंच गया है। 2014 में जीरे और हल्दी में भी बढ़त देखने को मिली है। इस दौरान जीरा 20 फीसदी बढ़कर 15,700 रुपये पर और हल्दी 28 फीसदी बढ़कर 8600
 रुपये के स्तर पर चला गया है।

इंडियानिवेश कमोडिटीज के मनोज कुमार जैन का कहना है कि 2014 में हमें दुनिया के कई देशों में जियोपोलिटिकल तनाव देखने को मिले लेकिन साल के अंत तक इनमें काफी कमी आ गई। इस दौरान क्रूड आयल के प्रोडक्शन में रिवाइवल की वजह से क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में करीब 50 फीसदी की गिरावट हो चुकी है और भारत में भी कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 40-45 फीसदी गिरावट देखने को मिली है।

मनोज कुमार जैन मुताबिक अगर 2015 की बात करें तो  जियो पोलिटिकल टेंशन की उम्मीद अभी हाल फिलहाल दिखाई नहीं दे रही है। ओपेक देश भी वर्तमान स्तरों से उत्पाद घटाना नहीं चाहते। इस लिहाज से देखें तो आगे चलकर कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट हो सकती है। कच्चे तेल की कीमतें 2015 में 45 से 48 डॉलर प्रति बैरल के बीच जा सकती हैं।

एसएमसी कॉमट्रेड के रवि सिंह का कहना है कि कच्चे तेल में सप्लाई और डिमांड में काफी गैप बना हुआ। मांग की तुलना में कच्चे तेल की सप्लाई बहुत ज्यादा है। जिसकी वजह से 2015 में कच्चे तेल की कीमतों में दबाव बना रहेगा। 2015 में हमें डाउन साइड पर कच्चे तेल की कीमतें 45 डॉलर प्रति बैरल और अप साइड पर 60 डॉलर प्रति बैरल देखने को मिल सकती हैं। (Hindimoneycantorl.com)

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