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04 अप्रैल 2014

निर्यात की टोकरी में चमकीं कृषि जिंस

देश के कृषि निर्यात में बढ़ोतरी से अन्य उत्पादों के निर्यात में तेजी आई है। बंपर कृषि उत्पादन के चलते भारी स्टॉक जमा होने और अनुकूल सरकारी नीतियों से पिछले कुछ वर्षों के दौरान निर्यात होने वाली वस्तुओं में इन उत्पादों का हिस्सा लगातार बढ़ा है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2010-11 में कृषि निर्यात 17.35 अरब डॉलर, 2011-12 में 27.43 अरब डॉलर, 2012-13 में 31.86 अरब डॉलर रहा, जबकि 2013-14 के पहले 11 महीनों के दौरान इसका निर्यात 29.3 अरब डॉलर दर्ज किया गया है। इन चार वर्षों के दौरान कुल निर्यात में 93 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्ष 2012-13 में देश के कुल निर्यात में कृषि जिंसों का हिस्सा बढ़कर 10.66 फीसदी हो गया है, जो 2009-10 में 7.06 फीसदी था। शनिवार को मुंबई में बिज़नेस स्टैंडर्ड अवॉर्ड कार्यक्रम से इतर वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा था, 'संभावनाएं बढऩे और अनुकूल दीर्घकालिक नीतिगत समर्थन से कृषि निर्यात में वृद्धि आगे भी जारी रहेगी।' शर्मा ने कहा कि अब बासमती चावल में पूसा 1121 किस्म भी शामिल होगी। प्रमुख आयातक देशों में प्रचार के विभिन्न प्रयासों से पूसा 1121 किस्म को सबसे ज्यादा पसंद किया जाने लगा है। साथ ही, केंद्र ने कृषि उत्पादों की कमी वाले कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते किए हैं। सरकार ने खाद्यान्न और अन्य कृषि जिंसों के निर्यात को कोटे के आधार पर मंजूरी दी, जिसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। हाल में सरकार ने मालदीव को दालों के सीमित निर्यात को मंजूरी दी है। सरकार चीनी निर्यात पर सब्सिडी की घोषणा पहले ही कर चुकी है, जिससे निर्यात में तेजी आई है। निर्यात होने वाले उत्पादों में भैंस के मांस और ग्वार गम में भी अहम बढ़ोतरी हुई है। हालांकि पिछले साल ग्वार गम की कीमतें गिरी हैं, लेकिन मात्रा के लिहाज से निर्यात बढ़ा है। रसना के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक और खाद्य प्रसंस्करण पर कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री की राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन पिरुज खंबाटा ने कहा, 'भारत के कृषि निर्यात में वृद्धि अगले कुछ वर्षों में बनी रहने की संभावना है। आम के गूदे, सूखी व संरक्षित सब्जियों, मांस और कुक्कुट उत्पाद समेत प्रसंस्कृत खाद्य का हिस्सा बढ़ रहा है। लेन-देन की लागत में कमी, समय, बंदरगाहों पर उचित व्यवस्था और मौद्रिक प्रोत्साहनों से निर्यात बढ़ा है। खाद्य सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मानकों के पालन पर लगातार ध्यान देने से हम निश्चित रूप से नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे।' विश्व व्यापार संगठन के मुताबिक कृषि और खाद्य उत्पादों का वैश्विक निर्यात 1.66 ट्रिलियन डॉलर और आयात 1.82 ट्रिलियन डॉलर है, जिनमें भारत का हिस्सा क्रमश: 2.07 फीसदी और 1.24 फीसदी है। यह इस बात का प्रमाण है कि भारत कृषि उत्पादों का शुद्ध निर्यातक है। वैश्विक कृषि एवं खाद्य निर्यात के लिहाज से देश का 10वां स्थान है। हाल के वर्षों में सरकार के नीतिगत प्रोत्साहन से कृषि निर्यात में स्थिरता आई है। देश के केंद्रीय भंडार में खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक है, इसलिए सरकार ने गेहूं के निर्यात को मंजूरी दी है। इसके अलावा बागवानी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। वर्ष 2012-13 के आर्थिक सर्वे में कहा गया है, 'हालांकि ये सभी उपाय सही दिशा में जा रहे हैं, लेकिन जिंसों में वैश्विक उपस्थिति हासिल करने के लिए एक दीर्घकालिक व्यापार नीति की जरूरत पड़ सकती है।' शर्मा ने कहा कि कृषि जिंसों में स्थायी वृद्धि के लिए सरकार दीर्घकालिक नीति पर काम कर रही है। इस समय भारत चावल का सबसे बड़ा और गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। बागवानी निर्यात में भी अच्छी बढ़ोतरी हुई है। शर्मा ने कहा, 'भारत को फसलों के पैटर्न में बदलाव की जरूरत है, जिसमें उत्तरी भारत पर ज्यादा ध्यान दिया जाए।'(BS Hindi)

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