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13 फ़रवरी 2014

विरोधाभासों के बीच जीएम फसलों का रकबा सौ गुना

वैश्विक स्तर पर जीएम फसलों का विकास काफी तेजी से हुआ है। 1996 में शुरू जीएम फसलों की खेती अब 1700 लाख हैक्टेयर में होने लगी है। जीएम फसलों की खेती में अमेरिका ब्राजील पहले और दूसरे नंबर हैं। वर्ष 1996 में जीएम फसलें 17 लाख हैक्टेयर में उगाई गईं थी। इस तरह 16 वर्षों में रकबा 100 गुना हो गया। इसके बावजूद जीएम फसलों को लेकर विरोधाभास भी कम नहीं है। अमेरिका में उत्पादित जीएम मक्का की कई खेपें चीन ने इस वजह से नामंजूर कर दीं कि उसने उस नस्ल की जीएम मक्का को मंजूरी नहीं दी है। दुनिया के 28 देशों में जीएम फसलों की खेती हो रही है। इनमें से दस देशों में 10-10 लाख हैक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में जीएम फसलों की खेती हो रही है। वर्ष 2012 में बीटी फसलों का एरिया 6 फीसदी यानि 103 लाख हैक्टेयर बढ़कर 1700 लाख हैक्टेयर हो गया। वर्ष 2012 में जीएम फसलों की खेती में विकासशील देश आगे निकल गए। इन देशों में 52 फीसदी एरिया में बुवाई की गई। दुनिया में सबसे ज्यादा जीएम मक्का की खेती हो रही है। मक्का के अलावा सोयाबीन, कॉटन, गन्ना, पपीता, कनोला और टमाटर की खेती हो रही है। अमेरिका व ब्राजील के अलावा चीन, भारत, अर्जेंटीना और दक्षिण अफ्रीका में जीएम फसलों की खेती हो रही है। हालांकि अमेरिका को छोड़कर दूसरे देशों में सीमित संख्या में ही जीएम फसलों की खेती करने की अनुमति है। भारत में सिर्फ कपास उगाने की अनुमति है। किसी खाद्य फसल की जीएम किस्म को अनुमति नहीं मिली है। चीन में कपास के अलावा पपीता, टमाटर, शिमला मिर्च और चिनार लगाने की अनुमति है। जीएम फसलों का तेज विकास होने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय और आपसी सहमति की भारी कमी है। तमाम देश इसके बारे में अलग-अलग नियम बना रहे हैं और इसके बारे में फैसला कर रहे हैं। इस नई तकनीक को लेकर तालमेल की कमी होने और अंतरराष्ट्रीय संधियों के अभाव में विरोधाभास हो रहा है। पिछले महीनों के दौरान चीन ने अमेरिका में उत्पादित एमआईआर 162 किस्म की जीएम मक्का की कई खेपें रद्द कर दीं। अमेरिका ने जहां सिंजेंटा द्वारा विकसित इस किस्म को मंजूरी है और इसकी वहां खेती हो रही है वहीं, चीन ने अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी है। अनधिकृत किस्म की जीएम मक्का पाए जाने के बाद चीन ने खेपों की कड़ाई से जांच शुरू कर दी। पिछले करीब छह महीनों के दौरान चीन में अमेरिका से आयातित छह लाख टन मक्का की खेपें रद्द हो चुकी है। भारत में बीटी बैंगन की खेती पर रोक लगने के बाद अब अमेरिकी सीड कंपनी मोनसेंटो बांग्लादेश में इसकी खेती शुरू करवाने की जुगत में है। बांग्लादेश में बीटी बैंगन की खेती शुरू होने पर पड़ोसी देश भारत में इसका जीन आसानी से पहुंच सकता है। इस तरह बिना अनुमति के बीटी बैंगन यहां की जैव विविधता को प्रभावित कर सकता है। जीएम फसलों के विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों को मिलजुलकर काम करना होगा। बेहतर समन्वय होने से जीएम फसलों का लाभ उठाया जा सकता है और इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर सभी देशों को समझौते करने होंगे और जीएम फसलों के विकास और इनकी खेती के लिए विस्तृत दिशानिर्देश बनाने होंगे। (Business Bhaskar)

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