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06 दिसंबर 2013

शरद पवार ने चीनी उद्योग पर नरम,बिना ब्याज कर्ज की सिफारिश

षि मंत्री शरद पवार ने चीनी उद्योग के लिए शुक्रवार को 7,200 करोड़ रुपये के बिना ब्याज कर्ज पैकेज सहित अनेक राहतों की सिफारिश की है. चीनी मिलों को किसानों के गन्ना बकाये का भुगतान करने के लिये बैंकों से दिये जाने वाले 7,200 करोड़ रुपये के कर्ज पर सरकार की तरफ से 12 प्रतिशत की ब्याज सहायता (सब्सिडी) दिये जाने की भी सिफारिश की गई है. प्रधानमंत्री की गठित समिति ने मिलों के कर्ज को भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों के अनुरूप नये सिरे से तय करने, 40 लाख टन तक कच्ची चीनी के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन देने, बफर स्टॉक स्थापित करने और इसके अलावा पेट्रोल में इथनॉल के सम्मिश्रण की मात्रा को दोगुना कर 10 प्रतिशत करने की सिफारिश भी की है. समिति ने, हालांकि फिलहाल चीनी आयात शुल्क में तत्काल वृद्धि की संभावना से इंकार किया है. संकटग्रस्त चीनी उद्योग के लिए राहत पैकेज की घोषणा करते हुए पवार ने कहा कि बैंक चीनी उद्योग को 12 प्रतिशत ब्याज दर पर 7,200 करोड़ रुपये का कर्ज प्रदान करेंगे जिसमें शर्त यह होगी कि इस धन का इस्तेमाल किसानों के बकाये के भुगतान के लिए किया जायेगा. ब्याज सहायता 12 प्रतिशत बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि कुल ब्याज सहायता 12 प्रतिशत होगी. इसमें से 7 प्रतिशत का भुगतान चीनी विकास कोष से किया जायेगा जबकि 5 प्रतिशत भारत सरकार की ओर से होगा. उन्होंने कहा कि चीनी मिलों को पांच वर्षो में कर्ज का भुगतान करना होगा लेकिन पहले दो वर्ष तक पुनर्भुगतान पर छूट की अवधि होगी. उन्होंने कहा कि इन उपायों पर अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल द्वारा अगले दो सप्ताह में किया जायेगा. बैठक में वित्त मंत्री पी चिदंबरम, पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली, खाद्य मंत्री के वी थॉमस, नागर विमानन मंत्री अजित सिंह मौजूद थे. बैठक में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे. तमिलनाडु की ओर से प्रदेश का प्रतिनिधित्व प्रदेश के मुख्य सचिव शीला बालाकृष्णन कर रहे थे. इथेनॉल मिलाने के बारे में पवार ने कहा कि पेट्रोल में इथनॉल का सम्मिश्रण पांच से बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने की मांग थी. इस मांग को स्वीकार कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि तेल विपणन कंपनियों और चीनी मिलों के साथ समन्वय करने के लिए एक अंतर विभागीय समिति की स्थापना की जायेगी. गन्ने की अधिक उत्पादन लागत और चीनी की घटती कीमतों के कारण चीनी मिलों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है जिसकी वजह से सितंबर 2013 में समाप्त हुए विपणन वर्ष 2012.13 का गन्ना बकाया 3,400 करोड़ रपये का हो गया. (Sahara Samay)

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