कुल पेज दृश्य

31 दिसंबर 2013

आभूषण आयात में भारी कमी

चालू खाते के घाटे (सीएडी) को नियंत्रित करने की खातिर सरकार के पीली धातु के आयात पर रोक लगाने के फैसले से चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में सोने के आभूषणों का आयात 93 फीसदी से ज्यादा गिरा है। रत्नाभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल से नवंबर तक देश में सोने के आभूषणों का आयात महज 1,521.11 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 22,989.31 करोड़ रुपये था। सोने के आभूषणों के आयात में भारी गिरावट की दो मुख्य वजह हैं। सरकार ने आभूषण कारोबारियों पर शिकंजा कसा है। ये आभूषण कारोबारी भारत और थाईलैंड बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का फायदा उठा रहे थे। इस समझौते से थाईलैंड से सोने के आभूषणों के आयात पर महज 1 फीसदी शुल्क लग रहा था, अन्यथा यह 10 फीसदी था। इस एफटीए के तहत सरकार ने थाईलैंड में 20 फीसदी मूल्य संवर्धन अनिवार्य कर दिया। कारोबारियों का कहना है कि सोने के गहनों मे इतने मूल्य संवर्धन की गुंजाइश नहीं थी। इसलिए भारत में आयात हुए सोने के सभी गहनों का विनिर्माण चीन या किसी देश में हुआ और उन्होंने थाईलैंड के जरिये इसे भारत को निर्यात किया। ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फैडरेशन (जीजेएफ) ने कहा, 'आभूषणों का ज्यादातर आयात उस दौरान हुआ, जब थाईलैंड से तैयार उत्पादों पर आयात शुल्क 1 फीसदी और कच्चे माल पर 4 फीसदी किया गया। स्वर्ण आभूषण विनिर्माण उद्योग का वजूद बनाए रखने के लिए चीन सहित अन्य देशों के मामले में शुल्क का अंतर कम से कम 10 फीसदी होना चाहिए।' केंद्र सरकार ने एफटीए के तहत थाईलैंड से सोने के आभूषणों पर रोक लगाई है। हालांकि थाईलैंड की सरकार ने यह पेशकश की थी कि वह भारत में सोने का आयात शुल्क चुकाएगी, लेकिन आयातक इसकी व्यावहारिकता को लेकर रहे।' जीजेईपीसी के वाइस चेयरमैन पंकज पारेख ने कहा, 'तैयार उत्पादों के बढ़ते आयात ने घरेलू विनिर्माण उद्योग को खस्ताहाली में धकेल दिया। थाईलैंड से सोने के आभूषणों के बढ़ते आयात का असर भारतीय कारीगरों पड़ा है। वे भारत में विनिर्माण काम कम होने से बेरोजगार हो गए हैं।' एक पुराने उद्यमी ने कहा, 'सरकार ने इस साल जून-जुलाई में आयात शुल्क बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया था, जो इससे 18 महीने पहले 1 फीसदी से भी कम था। सरकार के इन प्रयासों से चालू खाते के घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिली है, जो इस साल 5.5 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गया था और अब यह 3.1 फीसदी पर है। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: