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26 दिसंबर 2013

एफसीआई से अनाज की आवाजाही पर असर

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के कर्मचारी 17 अक्टूबर से वर्क टू रूल (नियमानुसार काम ) के जरिए अपना विरोध जता रहे हैं। अगर आने वाले सप्ताहों में उन्होंने अपना रुख और कड़ा किया तो राज्यों के बीच खाद्यान्न की आवाजाही पर भारी असर पड़ सकता है। इस विरोध प्रदर्शन में एफसीआई के 25,000 में से करीब 20,000 कर्मचारी शामिल हैं, जो बेहतर पेंशन की मांग कर रहे हैं। वर्क टू रूल के तहत केवल निर्धारित कम से कम काम किया जाता है, दूसरे काम नहीं किए जाते हैं। एफसीआई के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि भंडारित अनाज का आवंटन कर उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को चालू रखा है। एक अधिकारी ने कहा, 'आमतौर पर हम हर महीने राज्यों के भीतर और बाहर 30 से 35 लाख टन अनाज भेजते हैं। लेकिन नवंबर में विरोध प्रदर्शन की वजह से मात्रा कम होकर 27 लाख टन रही है, जिसकी भरपाई हम दिसंबर और जनवरी में करने की कोशिश कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'नवंबर और दिसंबर में धान ज्यादा भेजा जाता है, क्योंकि यह पीक खरीद सीजन है। हम इसकी व्यवस्था रेलवे के और अधिक रैक लगाकर कर रहे हैं।' हालांकि ऐसा लगता है कि रेलवे सीमेंट और उर्वरक जैसे अन्य क्षेत्रों में मांग को ज्यादा तरजीह दे रहा है। यह स्थिति कम से कम अगले महीने तक जारी रहने की संभावना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने यह मसला रेलवे के उच्च अधिकारियों के समक्ष भी उठाया था और इसका हल ढूंढने की कोशिश की थी।' उन्होंने कहा कि कुछ आश्वासन मिले हैं, लेकिन यह नहीं कह सकते कि यह कब सामान्य होगा। अक्टूबर के शुरू से 19 दिसंबर तक एफसीआई ने अनाज के करीब 611 रैक रवाना किए, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 935 रैक भेजे गए थे। तृतीय वर्ग के कर्मचारियों के अलावा एफसीआई में नियमित पेरोल पर करीब 50,000 श्रमिक हैं। इसके अलावा करीब 1 लाख अनुबंधित मजदूर हैं। देशव्यापी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सुचारू संचालन के लिए राज्य के भीतर और राज्यों के बीच खाद्यान्न की आवाजाही जरूरी होती है। वर्ष 2012-13 में आवाजाही 11 फीसदी बढ़कर करीब 4.08 करोड़ टन रही, जो एक साल पहले 3.67 करोड़ टन थी। एफसीआई रेलवे और सड़कों के जरिये अनाज को इधर-उधर भेजता है। (BS HIndi)

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