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16 दिसंबर 2013

चीनी उत्पादन में जल्द आएगी तेजी

कम कीमत और ऊंची उत्पादन लागत की समस्या से जूझ रहे चीनी उद्योग ने केंद्र के राहत पैकेज का स्वागत किया है। संजय जोग के साथ साक्षात्कार में इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने चीनी उद्योग के सामने मौजूद चुनौतियों के बारे में बात की 7,200 करोड़ रुपये के पैकेज से चीनी उद्योग को किस तरह मदद मिलेगी? पिछले तीन चीनी सीजनों में सरप्लस उत्पादन और इस साल भी सरप्लस रहने के अनुमान से चीनी उद्योग वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है। 30 सितंबर, 2014 को पिछला बचा हुआ स्टॉक 1 करोड़ टन अनुमानित है। इससे करीब 30,000 करोड़ रुपये की नकदी रुकी रहेगी, जिससे उद्योग पर हर साल 3,600 करोड़ रुपये के ब्याज का बोझ पड़ेगा। इसलिए 7200 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण सही समय पर दी गई सहायता है। इससे अगले 5 वर्षों में न केवल मिलों पर 860 करोड़ रुपये का ब्याज का बोझ कम होगा, बल्कि इस अतिरिक्त नकदी मिलने का इस्तेमाल किसानों को गन्ने की कीमत चुकाने में किया जाएगा। यह संकट बढऩे से पहले अगर इसकी घोषणा की गई होती तो क्या इससे मदद मिलती? अगर मदद पहले दी गई होती तो किसानों को गन्ना भुगतान के बकाये करीब 3500 करोड़ रुपये का अदायगी हो गई होती। लेकिन फिर भी सरकार से स्वीकृतियां मिलने में समय लगता है। इस समय भारत केवल सफेद चीनी का उत्पादन करता है और इसलिए कच्ची चीनी के उत्पादन के लिए प्रोत्साहनों से मिलें अन्य उत्पादों में भी उतरेंगी। चालू सीजन के बारे में आपका क्या अनुमान है? वर्ष 2013-14 के लिए हमारा चीनी उत्पादन अनुमान 250 लाख टन है। इस बात की चिंता जताई जा रही है कि देरी से पेराई शुरू होने से कुछ गन्ने का नुकसान होगा, इसलिए थोड़ा चीनी उत्पादन भी घट सकता है। हमें इस पर और गुड़ बनाने में इस्तेमाल हुए गन्ने का व्यापक विश्लेषण करना होगा। गुड़ बनाने वाली इकाइयों को गन्ने की आपूर्ति दो सप्ताह से की जा रही है। चीनी की रिकवरी कैसे प्रभावित होगी? गन्ना खेतों में ज्यादा दिन खड़े रहा है, लिहाजा शर्करा निर्माण बेहतर होगा, जिससे प्रति टन गन्ना पेराई में चीनी रिकवरी थोड़ी ज्यादा रहेगी। (BS HIndi)

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