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22 नवंबर 2013

आगामी माह भी खुलेंगी गेहूं निविदा

सरकारी गोदामों से गेहूं बेचने के लिए जारी निविदाओं को मिली तगड़ी प्रतिक्रिया से उत्साहित सरकार जनवरी, फरवरी और मार्च में भी ऐसी निर्यात निविदाएं खोलने की योजना बना रही है। इनके जरिये विदेशी बाजार में करीब 20 लाख टन गेहूं बेचा जाएगा। खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक 2,10,000 टन गेहूं के निर्यात के लिए अगली निविदा 12 दिसंबर को खोली जाएगी। यह गेहूं कांडला, विजाग और पीपावाव बंदरगाहों से निर्यात किया जाएगा। इस सप्ताह की शुरुआत में सरकारी ट्रेडिंग कंपनियों- एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी को एफसीआई के गोदामों से 3.4 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए 284.7 से 289.9 डॉलर प्रति टन की बोली मिली थी। इन तीनों ट्रेडिंग कंपनियों को मिलीं बोलियां एफसीआई द्वारा खरीदे गए गेहूं के निर्यात के लिए सरकार द्वारा तय की गई आधार कीमत 260 डॉलर प्रति टन से ज्यादा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'हमने आने वाले महीनों में भी अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद है।Ó डेढ़ लाख टन गेहूं के निर्यात में सफल न रहने पर सरकार को आधार कीमत 300 डॉलर से घटाकर 260 डॉलर प्रति टन करना पड़ी। यह निविदा इसलिए रद्द करनी पड़ी थी, क्योंकि प्राप्त हुई बोलियां आधार कीमत से काफी कम थीं। अधिकारी ने कहा, 'हम कीमत 270-275 डॉलर प्रति टन मिलने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन बोली की कीमत (290 डॉलर प्रति टन) अप्रत्याशित है। यह इस बात को दर्शाता है कि भारतीय गेहूं को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ज्यादा कीमत मिलनी शुरू हो गई है।Ó उन्होंने कहा कि बोली की कीमत ब्लैक सी व्हीट से भी ज्यादा रही है, जो वैश्विक बाजार में सबसे कीमती गेहूं ब्रांड है। उन्होंने कहा, 'आने वाले महीनों में भी यह रुझान बने रहने की संभावना है। खबरों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में गेहूं की फसल उम्मीद के मुताबिक अच्छी नहीं है, जिससे हमें विदेशी बाजारों में ज्यादा गेहूं बेचने में मदद मिलेगी।Ó उन्होंने कहा कि सरकार के लिए गेहू निर्यात घरेलू बाजार में बेचने से ज्यादा फायदेमंद था। सरकार को गेहूं निर्यात से 18,000 रुपये प्रति टन की आमदनी होगी, जबकि इसे घरेलू बाजार में बेचने पर 16,000 रुपये प्रति टन की आमदनी होती। वित्त वर्ष 2012-13 में सार्वजनिक कंपनियों द्वारा किए गए 42 लाख टन के निर्यात से सरकार को 1.4 अरब डॉलर की आमदनी हुई थी। * हाल में 3.4 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए जारी हुई थी निविदा * बोली 284.7 से 289.9 डॉलर प्रति टन मिली बुखारी बनाने के लिए निविदा जारी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने आज खाद्यान्न लॉजिस्टिक्स के आधुनिकीकरण के लिए एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना शुरू की। इसने देश के विभिन्न हिस्सों में अत्याधुनिक इस्पात की बुखारियां बनाने के लिए निविदा जारी की है। निगम ने एक बयान में कहा कि इस्पात की ये बुखारियां 9 राज्यों में 36 जगहों पर बनाई जाएंगी। इनकी कुल क्षमता करीब 17.5 लाख टन होगी। एफसीआई के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सी विश्वनाथ ने कहा, 'एफसीआई डीबीएफओओ पद्धति के लिए मॉडल दस्तावेज तैयार करने के लिए पहला सरकारी संगठन है।Ó डीबीएफओओ मॉडल के तहत डेवलपर को बुखारियों के निर्माण के लिए रेलवे के पास जमीन खरीदनी होती है। डेवलपर को 20 वर्षों तक निर्धारित भंडारण शुल्क चुकाया जाता है। यह इस परियोजना की बोली का मानक है। (BS Hindi)

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