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16 अक्तूबर 2013

भारत के अनाज निर्यात पर दबाव

गेहूं, मक्का और चावल जैसे अनाज के निर्यात को शुरुआत में अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी, लेकिन वर्ष की शेष अवधि के दौरान ज्यादा वैश्विक आपूर्ति और कम कीमत मिलने के अनुमान से देश से निर्यात नरम रहने की संभावना है। कृषि एवं और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के दौरान भारत के निजी निर्यातकों और सरकारी एजेंसियों ने 32.9 लाख टन से ज्यादा गेहूं का निर्यात किया है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में गेहूं निर्यात 15.2 लाख टन रहा था। इसी तरह बासमती और गैर-बासमती चावल के निर्यात भी अच्छी बढ़ोतरी हुई है। यह क्रमश: 17.5 लाख टन और 27.6 लाख टन रहा है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 15 लाख टन और 25.4 लाख टन रहा था। इसी तरह मक्के सहित अन्य अनाजों का निर्यात भी 19.9 लाख टन से बढ़कर 24.1 लाख टन रहा है। हालांकि यह रुझान आगे जारी नहीं रहने की संभावना है। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ (एआईआरईए) के अध्यक्ष एम पी जिंदल ने कहा, 'वैश्विक अति आपूर्ति के चलते कीमतें गिर रही हैं, जिससे आगे यह रुझान पलट सकता है।Ó आपूर्ति बढऩे से पिछले एक साल के दौरान अनाज सहित कृषि जिंसों की कीमतें कम से कम 42 फीसदी गिरी हैं। पिछले एक साल के दौरान शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में गेहूं और मक्के का नजदीकी महीने का अनुबंध क्रमश: 33.48 फीसदी और 40.67 फीसदी गिरकर 9 डॉलर प्रति बुशल और 4.41 डॉलर प्रति बुशल पर आ गया है। हालांकि चावल में केवल 2.23 फीसदी गिरावट आई है और यह 15.13 डॉलर प्रति 100 पौंड है। वैश्विक कीमतों में गिरावट से भारत के अनाज निर्यात के लिए संभावनाएं सीमित हो गई हैं। ]जिंदल का अनुमान है कि इस साल भारत का अनाज निर्यात 15 से 20 फीसदी घटेगा। संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अपनी हाल की रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि वैश्विक अनाज उत्पादन चालू वर्ष के विपणन सत्र (जुलाई-जून) में 7.7 फीसदी बढ़कर 248.91 करोड़ टन रहेगा, जो पिछले साल 231.17 करोड़ टन रहा था। इससे भी अनाज की वैश्विक कीमतों पर दबाव बढ़ा है। वहीं, अनाज की वैश्विक खपत 3.3 फीसदी बढ़कर 241.55 करोड़ रह सकती है। इससे वैश्विक स्तर पर 2013-14 के दौरान अनाज का स्टॉक 12.4 फीसदी बढ़कर 55.89 करोड़ टन हो जाएगा, जो पिछले साल 49.73 करोड़ टन था। एपीडा के सलाहकार ए के गुप्ता ने कहा, 'इस साल गेहूं और मक्के के निर्यात में गिरावट आ सकती है, लेकिन इसकी भरपाई बासमती चावल के निर्यात से हो जाएगी। इसलिए मूल्य लिहाज से अनाज का कुल निर्यात पिछले साल जितना ही रहेगा।Ó हम यह मानें कि अनाज निर्यात से आमदनी पिछले साल जितनी रहेगी तो डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के अनुपात में निर्यातित मात्रा में भी कमी आएगी। इस साल भारत से बासमती चावल का निर्यात बढ़़कर 40 लाख टन हो सकता है, जो पिछले साल 35 लाख टन रहा था। एआईआरईए के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया के मुताबिक भारतीय चावल की कीमत पाकिस्तान, थाईलैंड और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी देशों से ज्यादा मिल रही है। पाकिस्तान करीब 65 लाख टन चावल का उत्पादन करता है और इसकी आधी मात्रा का निर्यात करता है। भारत में हर साल करीब 11 करोड़ टन चावल उत्पादन होता है, जिसमें से करीब 1 करोड़ टन का निर्यात किया जाता है। (BS HIndi)

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