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30 सितंबर 2013

जिग्नेश शाह, फाइनेंशियल टेक के दफ्तरों पर छापे

एनएसईएल संकट पर मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने देश भर में जिग्नेश शाह और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज के दफ्तरों पर छापे मारे हैं। ईओडब्ल्यू ने एनएसईएल मामले में देश भर के 52 शहरों में 183 ठिकानों पर छापे मारे हैं। जिग्नेश शाह और जोसेफ मैसी के घर पर छापे मारे गए हैं, जबकि फाइनेंशियल टेक टॉवर में भी छापा मारा गया है। एनएसईएल के देनदारों के यहां भी ईओडब्ल्यू ने छापे मारे हैं। एनएसईएल मामले से जुड़े कई स्टॉक ब्रोकरों के यहां भी छापे मारे गए हैं। ईओडब्ल्यू ने जोसेफ मैसी, जिग्नेश शाह और एमसीएक्स के डायरेक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। एनएसईएल के सभी डिफॉल्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। ईओडब्ल्यू ने धोखाधड़ी और फंड के गलत इस्तेमाल के आरोप में आपराधिक मामले दर्ज किए हैं। इधर, आयकर विभाग की तरफ से एनएसईएल के निवेशकों को नोटिस भेजने की भी खबर है। आयकर विभाग ने एनएसईएल के ब्रोकरों और निवेशकों से वित्त वर्ष 2010 से लेकर वित्त वर्ष 2014 के खातों की जानकारी मांगी है। आयकर विभाग इस बात का पता लगाने में जुटा में है कि एनएसईएल के ब्रोकरों और निवेशकों का पैसा कहां से आया है। आयकर विभाग ने एनएसईएल के ब्रोकरों और निवेशकों से कॉन्ट्रैक्ट नोट मांगे हैं। एनएसईएल ने आर्थिक अपराध शाखा के छापों का स्वागत किया है। एनएसईएल का कहना है कि वो इस मामले में ईओडब्ल्यू की पूरी मदद करेगा। एनएसईएल के मुताबिक वो सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों पर पूरा सहयोग करेगा क्योंकि इसमें निवेशकों का पैसा रिकवर करने में मदद मिलेगी। (Hindi.Moneycantrol,com)

एनएसईएल संकट से खतरा नहीं: एमसीएक्स

एनएसईएल संकट से एमसीएक्स पर कोई खतरा नहीं है। एमसीएक्स के मैनेजमेंट ने आज अपने एजीएम में शेयरधारकों को ये भरोसा दिलाया है। एमसीएक्स के अंतरिम चेयरमैन प्रेमकुमार के मुताबिक अगस्त 2013 तक एमसीएक्स के पास 326.56 करोड़ रुपये का सेटलमेंट गारंटी फंड मौजूद है। प्रेमकुमार के मुताबिक शेयरधारकों ने एफआईआई शेयरहोल्डिंग सीमा 23 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने को मंजूरी दे दी है। अब कंपनी एफआईआई सीमा बढ़ाने पर आरबीआई से मंजूरी मांगेंगी। फिलहाल एमसीएक्स की बायबैक की कोई योजना नहीं है और एनएसईएल संकट से कंपनी के कामकाज को कोई खतरा नहीं देखने को मिलेगा। वहीं जोसेफ मैसी ने फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज के सभी ग्रुप कंपनियों से इस्तीफा दे दिया है। जोसेफ मैसी का कहना है कि उन्होंने ये कदम रेगुलेटरी कारणों स उठाया है (Hindi>moneycantorl.com)

आभूषण निर्यातकों को मिली राहत

सरकार द्वारा सोने की आपूर्ति के प्रावधानों में रियायत देने से आने वाले महीनों में भारत से आभूषणों के निर्यात में उछाल आने के आसार हैं। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने स्वर्णाभूषण निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के लिए जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के सभी सुझावों पर अपनी सहमति जता दी है। जीजेईपीसी स्वर्णाभूषण निर्यात को बढ़ावा देने वाली शीर्ष संस्था है। चालू वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों में भारत से स्वर्णाभूषणों का निर्यात 57.12 फीसदी घटकर 13,809.54 करोड़ रुपये रह गया है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 36,404.17 करोड़ रुपये रहा था। निर्यात में गिरावट की मुख्य वजह सोने की किल्लत रही। सरकार ने चालू खाते के घाटे पर लगाम लगाने के उपायों के तहत सोने के आयात प्रावधानों को सख्त कर दिया था जिससे आभूषण निर्यातकों को पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति नहीं हो पा रही थी। आभूषण निर्यातक अब आसानी से सोना प्राप्त कर सकेंगे जिससे निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। पिछले तीन महीनों के दौरान आपूर्ति बाधित होने से बड़े पैमाने पर आयातित सोने को बंदरगाहों से हरी झंडी नहीं मिली थी। इससे निर्यातकों को काफी नुकसान उठाना पड़ा और बड़े तादाद में निर्यात ऑर्डर को रद्द करना पड़ा। नीतिगत बाधाओं के कारण स्वार्णाभूषण निर्यातकों को हरेक 1 करोड़ रुपये के आभूषण निर्यात पर कम से कम 25,000 सीजेईपीसी के वाइस चेयरमैन पंकज पारेख ने कहा, 'लेकिन डीजीएफटी की ओर से जारी ताजा स्पष्टïीकरण के बाद स्वर्णाभूषणों के निर्यात का कारोबार अब पटरी पर लौट आएगा। हमें आसानी से सोने की आपूर्ति हो सकेगी क्योंकि इस राह में आने वाली सभी बाधाओं को दूर कर लिया गया है।Ó भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी ताजा परिपत्र में कहा गया है कि निर्यातकों को अनिवार्य रूप से 20 फीसदी आयातित सोने की आपूर्ति की जाएगी। लेकिन केवल 20 फीसदी आयात की आपूर्ति पर समान सीमा शुल्क लगाया जाएगा। आभूषण निर्यातक इस बात को लेकर अधिक चिंतित थे कि कहीं अधिक आपूर्ति के लिए इनकार न कर दिया जाए। पारेख ने कहा कि रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के तहत बैंक निर्यातकों को महज 20 फीसदी आपूर्ति कर रहे थे। लेकिन अब निर्यातकों को जरूरत के अनुसार अधिक आपूर्ति भी संभव हो सकेगी। दूसरी सबसे बड़ी समस्या थी दस्तावेजी सबूत जो आभूषणों के निर्यात से प्राप्त होने वाले विदेशी प्राप्तियों का सबूत पेश कर सके। इसमें यह दिखाना जरूरी था कि बैंक से ली गई पहली खेप में का कहां तक इस्तेमाल किया गया। जीजेईपीसी ने निर्यातकों से कहा है कि पहली खेप के तहत आपूर्ति प्राप्त करने के बाद कम से कम 280 दिनों का इंतजार करें। इसमें आभूषण तैयार करने के लिए 90 दिन और 180 दिन आवक विप्रेषण और प्रक्रियागत देरी के लिए 10 दिनों का प्रावधान है। लेकिन अब डीजीएफटी ने स्पष्टï किया है कि निर्यात का केवल एक साक्ष्य प्रस्तुत करने से निर्यातक तीसरे खेप के लिए पात्र माने जाएंगे। (BS Hindi)

सोयाबीन की रिकॉर्ड पैदावार के आसार

प्रसंंस्करणकर्ताओं के एक प्रमुख औद्योगिक संगठन ने अनुमान जताया है कि भारत में खरीफ के मौजूदा मौसम के दौरान सोयाबीन की पैदावार करीब 130 लाख टन के ऐतिहासिक स्तर को छू सकती है। हालांकि, इस सत्र में देश के मुख्य सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश और खेतों में जल जमाव से तिलहन फसल की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में औसतन 9 फीसदी की गंभीर कमी होने की आशंका है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल ने आज बताया, 'देश में मौजूदा खरीफ सत्र में सोयाबीन का रकबा बढ़कर 120.33 लाख हेक्टेयर की सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच गया। हमारे प्राथमिक अनुमान के मुताबिक सोयाबीन का राष्ट्रीय उत्पादन रिकॉर्ड 129.83 लाख टन रह सकता है।Ó उन्होंने कहा कि इस खरीफ सत्र में मॉनसून की वक्त पर आमद से हालांकि सोयाबीन के रकबे में वर्ष 2012 के करीब 107 लाख हेक्टेयर के बुआई क्षेत्र के मुकाबले करीब 12.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ। लेकिन बुआई के बाद लगातार भारी वर्षा और बाढ़ से तिलहन फसल को खासा नुकसान पहुंचा। प्रसंस्करणकर्ताओं के इंदौर स्थित औद्योगिक संगठन के प्रवक्ता ने बताया कि खराब मौसमी कारकों से इस सत्र में सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता औसतन 1,079 किलोग्राम रहने का अनुमान है। यह पिछले सत्र की 1,185 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की औसत सोयाबीन उत्पादकता से करीब 9 प्रतिशत कम है। अग्रवाल ने बताया कि तिलहन फसल की स्थिति का जमीनी स्तर पर पता लगाने के लिए सोपा और उसकी सहयोगी एजेंसियों ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे 'टॉप..3Ó सोयाबीन उत्पादक राज्यों में 10 से 18 सितंबर के बीच विस्तृत सर्वेक्षण किया। सोपा प्रवक्ता ने बताया कि देश के सबसे बड़ेे सोयाबीन उत्पादक मध्य प्रदेश में मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान इस तिलहन फसल का रकबा 7.7 प्रतिशत की बढ़त के साथ 62.61 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। हालांकि, इस मौसम में मध्यप्रदेश में भारी मॉनसूनी वर्षा के चलते सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता घटकर महज 950 किलोग्राम रह सकती है, जिससे तिलहन फसल की 59.48 लाख टन पैदावार होने का अनुमान है। खरीफ 2012 के दौरान मध्य प्रदेश में 58.13 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हुई थी, जबकि।,150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ इस तिलहन फसल की पैदावार 66.85 लाख टन रही थी। अग्रवाल ने बताया कि मध्यप्रदेेश के हरदा, होशंगाबाद, बैतूल, रायसेन, विदिशा, सागर और दमोह समेत नौ जिलों में लगातार भारी वर्षा और खेतों में जल जमाव के कारण सोयाबीन की फसल को बेहद नुकसान पहुंचा। उन्होंने बताया कि देश के दूसरे सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक महाराष्ट्र में इस मौसम में सोयाबीन बुआई का रकबा पिछले सत्र के मुकाबले 20.45 फीसदी बढ़कर 38.70 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। महाराष्ट्र में इस मौसम के दौरान तिलहन फसल की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता के।,255 किलोग्राम के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है, जिससे राज्य में सोयाबीन उत्पादन 48.57 लाख टन रह सकता है। यानी सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता के मामले में महाराष्ट्र के इस बार सबसे ऊंचे पायदान पर रहने की संभावना है। अग्रवाल ने बताया कि सोयाबीन उत्पादन में देश में तीसरा स्थान रखने वाले राजस्थान में इस बार 10.59 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन बोया गया। यह क्षेत्र राजस्थान में पिछले सत्र में इस तिलहन फसल के 9.87 लाख हेक्टेयर के बुआई रकबे के मुकाबले 7.29 फीसदी अधिक है। राजस्थान में मौजूदा सत्र के दौरान सोयाबीन की पैदावार 1,150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ 12.18 लाख टन पर पहुंच सकती है। आंध्र्र प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, गुजरात और अन्य प्रदेशों में इस बार 8.43 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया और इस तिलहन फसल की 9.62 लाख टन पैदावार का अनुमान है। (BS Hindi)

'भंडारण के कारण बढ़ीं प्याज की कीमतें'

प्याज की कीमतों में मौसमी वृद्धि रोकने के लिए नए उपायों की जरूरत किसानों द्वारा सर्दियों में उगाई गई प्याज का भंडारण करने और बेहतर रिटर्न के लिए उसे बाद में अगस्त-अक्टूबर के दौरान बाजार में बेचने से प्याज की कीमतों में इतनी अधिक वृद्धि हुई है। उपभोक्ता मामलों के सचिव पंकज अग्रवाल के मुताबिक किसानों द्वारा अच्छे रिटर्न के लिए ऐसा कदम उठाने के बाद अब सरकार को भी प्याज की कीमतों में मौसमी वृद्धि को रोकने के कुछ नए उपाए करने की जरूरत है। उपभोक्ता मामलों के सचिव पंकज अग्रवाल के मुताबिक सभी को पहले यह समझना चाहिए कि प्याज एक रबी (सर्दी) फसल है, जो बाजार में बिकती है। भंडार की गई प्याज एक अच्छा उत्पाद है, जिसे अगस्त-अक्टूबर महीनों के दौरान धीर-धीरे बाजार में छोड़ा जाता है। इसलिए प्याज में इस मौसमी वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए यहां नए उपायों की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक प्याज का भंडारण महाराष्ट्र में किया जाता है, यही वह राज्य है जो दिल्ली समेत अन्य राज्यों में प्याज की कीमतें तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अग्रवाल ने बताया कि कर्नाटका और आंध्र प्रदेश से गर्मियों की प्याज फसल जल्दी आने से दक्षिणी क्षेत्र में प्याज की कीमतें तुलनात्मक रूप से कम होती हैं। बावजूद इसके दिल्ली समेत उत्तर भारत के अन्य राज्यों में प्याज की कीमतें अभी भी ६६-७५ रुपये प्रति किलो पर बनी हुई हैं। इसका प्रमुख कारण दक्षिण से प्याज का ट्रांसपोर्टेशन काफी महंगा पडऩा है, इसलिए यहां भंडारित प्याज से ही मांग को पूरा किया जाता है। अग्रवाल के मुताबिक इस वर्ष प्याज उत्पादन में तकरीबन ४ प्रतिशत की कमी आई है, लेकिन अगस्त के दौरान देश में प्याज की आपूर्ति में ३४ प्रतिशत और सितंबर में ३९ प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। अग्रवाल ने कहा कि उत्पादन और आपूर्ति में गिरावट के बीच का यह अंतर मैच नहीं होता। इसका मतलब है कि कोई इसका भंडारण कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा फसलों के उचित भंडारण के लिए गोदामों को बड़ी संख्या में निर्माण कर किसानों को, विशेषकर महाराष्ट्र में, प्याज के भंडारण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि किसान प्याज का भंडारण करता है तो फिर आप उसका भंडारण नहीं कर सकते। अग्रवाल ने कहा कि सरकार के पास यह विकल्प है कि वह प्याज को एक आवश्यक सामग्री घोषित कर भंडारण के खिलाफ कार्रवाई करे। यह कदम उठाने से पहले हमें एक चीज समझनी होगी कि एक फसल चक्र में १.७०-१.८० करोड़ टन प्याज का उत्पादन और भंडारण नहीं किया जा सकता। अप्रैल-मई में ६० फीसदी फसल बाजार में आती है, जबकि २० फीसदी प्याज की फसल सितंबर और नवंबर में आती है। (Business Bhaskar)

रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात शुल्क में हो सकती है बढ़ोतरी

राहत - इससे घरेलू रिफाइनिंग उद्योगों को हो रहे नुकसान से मिलेगी निजात वजह - रिफाइंड खाद्य तेल और क्रूड पाम तेल के आयात शुल्क में इस समय 5 फीसदी का अंतर है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय इस अंतर को बढ़ाकर 7.5 फीसदी करने की कर रहा है तैयारी जिससे आयातक क्रूड पाम तेल के मुकाबले रिफाइंड खाद्य तेलों का आयात ज्यादा मात्रा में न कर सकें घरेलू उद्योग को राहत देने के लिए सरकार रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात शुल्क में 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है। रिफाइंड खाद्य तेल और क्रूड पाम तेल के आयात शुल्क में इस समय 5 फीसदी का अंतर है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय इस अंतर को बढ़ाकर 7.5 फीसदी करने की तैयारी कर रहा है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रिफाइंड खाद्य तेलों और क्रूड पाम तेल के आयात शुल्क में केवल पांच फीसदी का ही अंतर है। रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात पर इस समय 7.5 फीसदी आयात शुल्क है जबकि क्रूड पाम तेल पर आयात शुल्क 2.5 फीसदी है। ऐसे में आयातक क्रूड पाम तेल के मुकाबले रिफाइंड खाद्य तेलों का आयात ज्यादा मात्रा में कर रहे है इससे घरेलू रिफाइनिंग कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात शुल्क को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी करने की सिफारिश की है जबकि क्रूड पाम तेल पर आयात शुल्क 2.5 फीसदी ही रहेगा। इस आशय का प्रस्ताव सभी संबंधित मंत्रालय को भेजा गया है, मंत्रालयों की सहमति के बाद ही आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर फैसला लिया जायेगा। उन्होंने बताया कि पिछले महीने भी इस आशय का प्रस्ताव आयात था लेकिन सभी मंत्रालयों की सहमति नहीं बन पाई थी। चालू खरीफ में तिलहनों की पैदावार में बढ़ोतरी की संभावना है जबकि घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम नीचे बने हुए है इसलिए रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतें प्रभावित होने की संभावना नहीं है। दिल्ली वैजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि खाद्य तेलों में मांग कमजोर बनी हुई है जबकि अक्टूबर में खरीफ तिलहनों की आवक शुरू हो जायेगी। इसीलिए चालू महीने में घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। इंदौर में सोया रिफाइंड तेल का भाव 670 रुपये, हरियाणा में सरसों तेल का भाव 680 रुपये, बंदरगाह पर क्रूड पाम तेल का भाव 535 रुपये और आरबीडी पामोलीन का भाव 575 रुपये तथा राजकोट में मूंगफली तेल का भाव 875 रुपये प्रति 10 किलो चल रहा है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष के पहले दस महीनों (नवंबर-12 से अगस्त-13) के दौरान कुल 87.92 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ है इसमें रिफाइंड खाद्य तेलों की हिस्सेदारी 19.01 लाख टन है जोकि कुल आयात का 22 फीसदी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में कुल खाद्य तेलों के आयात में रिफाइंड खाद्य तेलों की हिस्सेदारी केवल 18 फीसदी ही थी। (Business Bhaskar....R S Rana)

Punjab, Haryana eyeing 166 LT paddy purchase this season

Chandigarh, Sept 30. As paddy procurement starts tomorrow, Punjab and Haryana are eyeing to purchase 166 lakh tonnes (LT) of the crop for central pool for kharif marketing season 2013-14. To ensure hassle free payment to farmers, the two states for the first time have decided to make payment to farmers for their produce directly, though it will be optional for paddy growers to avail new payment system. Though Punjab has made an arrangement of procuring 150 LT of paddy, but it is expected that 130 LT of paddy would arrive in grain markets. "Arrangement for purchasing 150 LT of paddy has been made but we expect the arrival will be 130 LT," a senior official of FCI. Last season, around 127 LT of paddy was procured from Punjab. Paddy procurement for central pool in Punjab and Haryana starts from October 1. In neighboruing states of Haryana, the paddy procurement is expected at 36 lakh tonne, as against 38.53 LT bought in last season, FCI official said. "Because of shift in area under paddy to other crops, arrival of paddy may be lower this year. Arrangement for procuring 36 LT has been made for the new procurement season," said an official of FCI (Haryana). In addition to it, 16 LT of basmati variety of paddy is expected to arrive in Haryana, official said. The major highlight of the new procurement season will be the direct payment to farmers to be made by the procurement agencies as both states are giving an option to growers to receive their payment directly into their bank accounts. With direct payment, growers need not to depend upon commission agents for getting their payment and wait for their dues. "They can receive their payment in to their bank accounts," an official of Haryana State Agricultural Marketing Board. Punjab has asked it farmers to get themselves registered with state Mandi Board for availing direct payment facility. "Farmers are required to first get themselves registered with us for availing direct payment system. Once farmer is registered, he will get payment directly into their bank accounts, " official of Punjab Mandi Board said. Though official said it would take time before the direct payment system gets popular among farmers. In Haryana, the State Agricultural Marketing Board has proposed to tie up with 18 banks to roll out direct payment system for farmers. Under this scheme, co-branded debit cards fitted with chips would be issued to farmers who could get their payment in their banks accounts after they sell their produce in grain markets. "This new system will bring transparency in purchase and sale of produce," official said. Under the traditional payment system, first commission agents better known as 'Arthiyas' get payment for the produce and thereafter, the money was given to growers. FCI officials claimed that stock position was quite comfortable this year, saying that storage capacities have been boosted by building up of new storage capacities in both states.

Gold fluctuates amid looming US government shutdown, ETP sales

London, Sept 30. Gold today swung between gains and losses as a potential U.S. government shutdown threatened to boost demand for haven assets even, while investors sold the metal from exchange-traded products. Gold was little changed at USD 1,336.34 an ounce, after earlier climbing to USD 1,354.35, the highest since September 20. Prices are 8.2 per cent higher in the three months ending today, the first quarterly increase since the period to September 2012. Silver fell 0.2 per cent to USD 21.73 an ounce, 11 per cent higher this quarter and heading for the first three-month gain since September 2012. The US government faces its first partial shutdown in 17 years at midnight tonight, potentially furloughing 800,000 federal workers and cutting economic growth by as much as 1.4 percentage points, depending on the duration, according to economists. Holdings in exchange traded funds backed by bullion slumped on September 27 to the lowest since May 2010, and gold is heading for its first annual loss since 2000 as some investors lost faith in the precious metal as a store of wealth.

Gold slips from 3-week high, down Rs 315 on profit-selling

New Delhi, Sep 30. Gold prices slipped from a three-week high by losing Rs 315 to Rs 30,885 per ten grams in the national capital today on profit-selling at prevailing higher levels. Silver also declined by Rs 100 to Rs 49,580 per kg on reduced offtake by industrial units. Traders said profit-selling by stockists at prevailing higher levels amid sluggish demand due to ongoing "Shradhs" mainly led to the fall in precious metals. On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity plunged by Rs 315 each to Rs 30,885 and Rs 30,685 per ten grams, respectively. It had climbed to a three-week high of Rs 31,200 in the previous session. Sovereign also lacked necessary follow up support and declined by Rs 100 to Rs 25,000 per piece of eight gram. In line with a general weak trend, silver ready declined by Rs 100 to Rs 49,580 per kg and weekly-based delivery by Rs 20 to Rs 49,580 per kg. The white metal had surged by Rs 1,225 in the previous session. However, silver coins held steady at Rs 86,000 for buying and Rs 87,000 for selling of 100 pieces.

27 सितंबर 2013

MCX......bullion......copper......crude......soyabean........futured trand.......

Bullion: MCX October Gold futures traded slightly higher in the early part of the last week on speculation that demand for the metal soar before China’s Golden Week holiday as lower prices lure buyers. The ‘Golden Week’ break in the world’s largest consumer after India begins Oct. 1, when consumers typically increase bullion purchases. Further, increasing concern that U.S. budget negotiations have stalled, raising the risk of a government shutdown. The Senate is set to hold a test vote on legislation passed by the House of Representatives to cover federal spending through Dec. 15; the debate may extend past a Sept. 30 deadline. However, gold prices slid on Thursday after a report showed the U.S. jobless claims last week dropped, boosting speculation that the Federal Reserve will scale back stimulus soon. The number of Americans filing applications for unemployment benefits unexpectedly decreased by 5,000 to 305,000 in the week ended Sept. 21. Further, investment demand for gold in SPDR Gold holding Trust, the biggest Exchange-Traded Product (ETP) declined to 909.59 tonnes as on September 26, 2013, down 0.07 per cent compared with 910.19 tonnes September 20, 2013. Additionally, strength in India’s rupee also added bearish market sentiments at domestic bourses. ¬¬¬¬¬Price Movement in the Last week: MCX October gold prices opened the week at Rs 29,812/10 grams, initially traded higher, but found strong resistance of Rs 30,290/10 grams. Later prices fell sharply from high and touched a low of Rs 29,540/10 grams and currently trading around Rs 29,907/10 grams (September 28, Friday at 4.15 PM) with a nominal loss of Rs 5/10 grams. Outlook for this week: MCX December gold prices are expected to trade slightly lower on the back of an improvement of employment conditions in the world’s largest economy. Outcomes of U.S. payrolls data, Federal Reserve Chairman Speech and the European Central Bank’s monetary policy are important to move bullion market this week. Prices at domestic bourses are also pressured as India’s rupee is strengthening against the U.S. dollar. MCX December gold shall find supports at 29,140/28,700 levels and resistances at 30,200/30,700 levels. International Spot gold has supports at 1290/1272 and resistances at 1355/1375 levels. Copper: MCX November Copper futures traded slightly lower in the last week as investors examining on looming political showdown over the U.S. budget. Purchases of new U.S. homes rose in August, capping the weakest two months this year, showing the fallout from mortgage rates at a two-year high is cooling the real-estate rebound. Sales increased 7.9 percent to a 421,000 annualized pace following a 390,000 rate in the prior month that was less than previously estimated and demand slumped 14.1 percent in July, figures showed from the Commerce Department. Orders for U.S. equipment such as computers and machinery climbed less than forecast in August, indicating a strengthening in business spending will take time to develop. The Markit Economics preliminary index of U.S. manufacturing fell to 52.8 in September from a final reading of 53.1 at the end of last month. German business confidence rose less than economists forecast in September amid caution over the recovery in the euro area. The Ifo institute’s business climate index, climbed to 107.7 from a revised 107.6 in August, compares with a median forecast of 108. Price movement in the last week: MCX November copper prices opened the week at Rs 465/kg, traded lower, but found strong support at Rs 455.20/kg. Later, prices bounced back from low and currently trading at Rs 462.85/kg (September 28, Friday at 4.20 PM) with a nominal loss of Rs 3.15/kg. Outlook for this week: MCX November copper is expected to trade with mixed sentiments as U.S. home sales rebounded last month, adding to signs of increasing demand for the metal used in pipes and wiring while global refined copper deficit was expanded to 132,000 tonnes in June from a supply shortfall of 21,000 a month earlier said International Copper Study Group (ICSG) in its latest report. However, gains in rupee may restrict from rising sharply at domestic bourses. MCX-November copper shall find a supports at 451/442 levels and resistances at 470/480 levels. Crude: MCX October crude oil futures traded lower in the third consecutive week as U.S. oil inventories unexpectedly increased and technical sell-off weighed on market. As per the Energy Information Administration, crude oil inventories rose 2.64 million barrels to 358.3 million barrels. Gasoline supplies increased 217,000 barrels to 216.2 million and distillate fuels, including diesel and heating oil, slid 234,000 barrels to 130.9 million. Further, there is a speculation that the United Nations (UN) resolution this week will reduce the likelihood of a U.S.-led military strike against Syria. On Thursday, United Nations diplomats moved closer to adopting their first resolution on Syria after the United States and Russia reached agreement on how Damascus will turn over its chemical weapons arsenal to international supervision. Price movement in the last week: MCX October crude oil prices opened the week at Rs 6622/bbl, initially traded mildly higher, but found strong resistance of Rs 6644/bbl. Later, prices came under pressure and touched a low of Rs 6370/bbl and currently trading at Rs 6430/bbl (September 28, Friday at 4.20 PM) with a loss of Rs 207/bbl. Outlook for this week: Crude oil is expected to trade lower on record high inventories and strength of currency would also pressurize in domestic bourses. However, U.S. economic growth may restrict from sharp fall in prices. MCX October crude oil shall find a support at 6190/6100 levels and resistance 6580/6800 levels. Soybean: NCDEX November soybean futures traded slightly higher in the last week on account of slow harvesting due to continuous rains in major growing areas of Madhya Pradesh and Maharashtra. Further, there is fear of quality issue in new crop among the market participants due to incessant rain at this stage also provided support to the prices. However, higher production in first advance estimate by Ministry of Agriculture restricted from sharp rise in prices. The Ministry of Agriculture released its 1st Advance Estimates on 24th September, whereby 2013-14 soybean output it projected at 15.68 million tonnes as against 14.67 million tonnes in 2012-13. As per Ministry of Agriculture (GOI), Kharif oilseeds sowing area covered to 193.24 lakh hectares till September 20, 2013, up 11% against 173.95 lakh hectares last year during the same period. Kharif oilseeds includes soybean (122.17 lh), groundnut (43.02 lh), Sesamum (14.44 lh), Sunflower (2.42 lh), Niger Seed (1.85 lh) and Castor Seed (9.34 lh). Area covered under soybean throughout India was 122.17 lakh ha, up 14.27% compared to 106.91 lakh ha recorded during corresponding period of last year. Area covered under soybean in Madhya Pradesh was 63.80 lakh ha till September 20, 2013 compared to 58.12 lakh ha recorded during corresponding period of last year. Area covered under soybean in Maharashtra was 39.16 lakh ha compared to 32.19 lakh ha recorded during corresponding period of last year. Area covered under soybean in Rajasthan was 10.59 lakh ha compared to 9.87 lakh ha recorded during corresponding period of last year. As per USDA’s weekly export sales report, net export sales for soybeans came in at a whopping 2.816 million tonnes which was higher than expected. Cumulative sales stand at 68.9% of the USDA forecast for 2013/2014 (current) marketing year versus a 5 year average of 46.9%. Sales of just 234,000 tonnes are needed each week to reach the USDA forecast. Meal sales showed cancellation of 60,400 metric tonnes for the old crop season and 307,100 for new crop for a total of 246,700. Cumulative soybean meal sales stand at 27.4% of the USDA forecast versus a 5 year average of 18.8%. Sales of 116,000 tonnes are needed each week to reach the USDA forecast. Outlook for this week: Soybean is expected trade slightly higher on the back of slow harvesting due to rains in major producing states. Further, there is talk about quality issue in new crop due to continuous rains in at this time is also positive for prices. However, higher production estimates this year as compared to last year coupled with arrival pressure of new crops may restrict from sharp rise in prices. NCDEX November soybean shall find a support at 3390/3350 levels and resistance 3572/3622 levels.

Kharif sowing area up 5 pc so far; cash crops area stagnant

New Delhi, Sept 27. Area under kharif crops, other than cash crop, has increased by 5 per cent to over 1,047.07 lakh hectare so far this season on account of good monsoon. The acreage of paddy, a major kharif (summer-sown) crop, rose marginally by 2 per cent to 376.51 lakh hectare from 368.81 lakh hectare in the year-ago period, according to the Agriculture Ministry data. "The total sown area, as per reports received from States, stands at 1047.07 lakh hectare as compared to 993.99 hectare at this time last year and 1038.27 lakh hectare on September 20," the ministry said in a statement. Sowing of kharif (summer) crops begins with the onset of southwest monsoon in June which accounted for the country's 98 per cent rainfall between June and August, is expected to continue the momentum this month as it enters its last phase. Rainfall for the country during September is likely to be "normal" at 96 per cent in September, according to the Indian Meteorological Department forecast. The advancement in monsoon rains has pushed area under pulses to 109.18 lakh hectare as of now. In the same period last year, pulses were sown in 99.81 lakh hectare. Oilseeds farmers also took up sowing in a big way taking advantage of rains. As a result, the acreage has increased to 193.96 lakh hectare, compared to 174.74 lakh hectare in the same period last year. Similarly, area sown under coarse cereals has increased to 195.84 lakh hectare, from 175.93 lakh hectare a year ago. Among cash crops, cotton sowing stood at 114.37 lakh hectare, marginally less than last year's level of 116.04 lakh hectare. Sugarcane planting declined to 48.74 lakh hectare, as against 50.06 lakh hectare in the same period last year. Area under jute and mesta has also declined marginally to 8.47 lakh hectare from 8.60 lakh hectare in the year-ago period.

Pawar to address ASEAN-India agri-meet in Malaysia tomorrow

New Delhi, Sept 27. Agriculture Minister Sharad Pawar has left for Kuala Lumpur, Malaysia to participate in the third ASEAN-India ministerial meeting on farm sector. The previous meeting was held in New Delhi. Pawar will address the meet tomorrow. The meeting is expected to strengthen cooperation between the ASEAN nations and India in agriculture, an official statement said. India has worked with major ASEAN nations on many areas of cooperation especially in farm research and education, organic certification for fruit and vegetables besides dynamics of avian influenza viruses in wild and aquatic migratory birds of India. Association of Southeast Asian Nations (ASEAN) members include Indonesia, Malaysia, the Philippines, Singapore, Thailand and Vietnam.

NSEL fiasco: Exchange-broker-client nexus under scanner

Mumbai, Sep 27. A possible collusion between the exchange officials, brokers and clients, including HNIs and politically connected entities, has come to the fore in the NSEL matter being probed by multiple agencies and regulators. Preliminary investigations conducted by capital markets regulator Sebi and inputs from other regulators and government departments suggest that some brokers were offering structured financial products to their HNI clients under some portfolio investments schemes for high returns of 10-20 per cent. The brokers are believed to have been working in close coordination with some top officials at National Spot Exchange Limited (NSEL), as also certain other group entities, while many of the clients could also have been in the loop about such structured products being in contravention of the extant norms, a senior official said. While investigations are as yet in initial stages, further evidence in these directions could lead to formal proceedings against the suspected entities under regulations governing fraudulent and unfair trade practices, portfolio management schemes and rules governing code of conduct of market intermediaries, he added. Sources said that the NSEL fiasco is turning out to be a unique case where even the investors could be among the main culprits, as they were not the common people who usually get conned in ponzi schemes and other investment frauds. In contrast, most of these so-called victims are rather well-heeled brokers or high networth individuals (HNIs) and some of them have been found to have close connections with certain politically active persons in Mumbai, he added. Sebi is also ascertaining facts from Financial Technologies on withdrawal of report by its auditor. Deloitte Haskins & Sells had withdrawn its audit report certifying accounts of the company for FY'13 fiscal as Rs 5,500-crore payment crisis at its group company NSEL ballooned. The regulator has already sought details from various brokers about their direct and indirect exposure to the NSEL. Besides, it has also sought to ascertain whether the brokerage firms and individual brokers have put in place effective 'chinese-wall' like structure to ensure that the problems in spot commodity markets do not spill over to the equity and other segments. NSEL, which offers an electronic platform for spot market trading in various farm commodities as also bullion contracts, has suspended trade in almost all its products. A major crisis erupted at NSEL last month after it suspended most trades on its platform, prompting the government to order an enquiry by the commodity regulator FMC, while Sebi also began a separate probe. Sebi is probing into the matter and is looking into potential violations of rules related to insider trading, fraudulent trade practices and possible payment defaults. Besides, the Consumer Affairs Ministry, Finance Ministry, commodity regulator FMC and Corporate Affairs Ministry are also keeping a close watch on the situation.

Gold, silver drop on sluggish demand, global cues

New Delhi, Sep 27. Gold and silver prices tumbled in the national capital today on sluggish demand and a weak global trend. While gold prices declined by Rs 340 to Rs 30,200 per ten gram, silver dropped by Rs 540 to Rs 48,455 per kg on reduced offtake by jewellers and coin makers. Traders said sluggish demand due to ongoing "sharads" an inauspicious fortnight in Hindu mythology for making new purchases mainly kept pressure on gold and silver prices. They said a weakening global trend where gold dropped, following an unexpected decline in US jobless claims boosted speculation the Federal Reserve might taper stimulus, further influenced the sentiment. Gold in Singapore, which normally sets price trend on the domestic front, declined by 0.13 per cent to USD 1,322.10 an ounce. Silver lost 0.4 per cent to USD 21.64 an ounce. On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity plunged by Rs 340 each to Rs 30,200 and Rs 30,000 per ten gram, respectively. However, sovereign held steady at Rs 25,000 for a piece of eight gram in restricted activity. Silver ready tumbled by Rs 540 to Rs 48,455 per kg and weekly-based delivery by a similar margin to Rs 48,355 per kg. Silver coins also dropped by Rs 1,000 to Rs 84,000 for buying and Rs 85,000 for selling of 100 pieces.

एनएसईएल पर कार्रवाई जल्द: सचिन पायलट

कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्री सचिन पायलट ने एक बार फिर कहा है कि कंपनी कानूनों का उल्लंघन पाए जाने पर फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज और एनएसईएल से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सचिन पायलट ने कहा कि इस बारे उनका मंत्रालय रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है। एनएसईएल मामले में एनएसईएल से जुड़ी कंपनियों के रजिस्ट्रार से रिपोर्ट मांगी है। सचिन पायलट ने बताया कि एनएसईएल बोर्ड को दोबारा गठन की सिफारिश नहीं की है। साथ ही एनएसईएल मामले की जांच की रिपोर्ट की समय सीमा भी नहीं तय की है। वहीं वित्त मंत्री से कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के खर्चों को टैक्स फ्री करने को कहा है। (Hindi.moneycantrol.com)

कमोडिटी बाजार: एग्री में आगे क्या करें

ग्री कमोडिटी में आज का कारोबार बंद हो गया है। दलहन की पैदावार बढ़ने के अनुमान से एनसीडीईएक्स पर चना 3.5 फीसदी लुढ़का। चने का भाव एमएसपी के नीचे आ गया। चीनी करीब 0.5 फीसदी गिरी। गेहूं पर भी दबाव रहा। कारोबार के आखिरी घंटों में ग्वार में भी भारी बिकवाली आई। एनसीडीईएक्स पर ग्वार गम 1 फीसदी और ग्वार सीड 2 फीसदी टूटे। एमसीएक्स पर ग्वार सीड 3 फीसदी लुढ़का। वहीं, मेंथा तेल में 1 फीसदी की तेजी आई। मसालों में एमसीएक्स पर इलायची 1.5 फीसदी गिरी। एनसीडीईएक्स पर लाल मिर्च करीब 1 फीसदी और हल्दी 0.6 फीसदी कमजोर हुए। वहीं, धनिया 4 फीसदी उछला। जीरे में हल्की बढ़त आई। एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन और सरसों में दबाव रहा। हालांकि, रुपये में कमजोरी आने की वजह से सोया तेल में करीब 1 फीसदी की तेजी आई। सीपीओ में हल्की बढ़त आई। पैराडाइम कमोडिटी की निवेशकों के लिए टिप्स जीरा: खरीदें - 12700, लक्ष्य - 13100, स्टॉपलॉस - 12500 शाम के सत्र में नॉन-एग्री में क्या करें रुपये में कमजोरी आने से घरेलू बाजार में सोने-चांदी की चाल बदल गई है। एमसीएक्स पर सोना 2 फीसदी चढ़कर 30400 रुपये पर कारोबार कर रहा है। वहीं, चांदी 1.5 फीसदी की तेजी के साथ 49300 रुपये के ऊपर आ गई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी सोने-चांदी में उछाल आया है। कॉमैक्स पर सप्लाई बढ़ने से डब्ल्टीआई और ब्रेंट क्रूड में लगातार गिरावट जारी है। ब्रेंट क्रूड में ये लगातार तीसरा हफ्ता बिकवाली भरा रहा है और भाव 109 डॉलर के भी नीचे फिसल गए हैं। हालांकि, घरेलू बाजार में कच्चे तेल में तेजी है। एमसीएक्स पर कच्चा तेल 1 फीसदी चढ़ा है। कच्चे तेल के साथ-साथ नैचुरल गैस में भी तेजी आई है। एमसीएक्स पर नैचुरल गैस में मजबूती बढ़कर 1.5 फीसदी हो गई है और भाव 224 रुपये के ऊपर है। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में नैचुरल गैस में गिरावट है। कई दिनों लगातार बिकवाली के बाद घरेलू बाजार में बेस मेटल्स में निचले स्तरों पर खरीदारी लौटी है। कमजोर रुपये का फायदा बेस मेटल्स को मिल रहा है। एमसीएक्स पर कॉपर 1.5 फीसदी चढ़कर 465 रुपये के ऊपर कारोबार कर रहा है। निकेल, जिंक, एल्यूमिनियम और लेड 2 फीसदी चढ़े हैं। ग्लोब कैपिटल की निवेशकों के लिए टिप्स कच्चा तेल (अक्टूबर वायदा): बेचें - 6520, स्टॉपलॉस - 6601, लक्ष्य - 6280 कॉपर (नवंबर वायदा): बेचें - 466, स्टॉपलॉस - 471, लक्ष्य - 452 (Hindi.Moneycantrol.com)

सरकार ने रोक लगाई कॉटन व यार्न निर्यात के इंसेंटिव पर

मौजूदा स्थिति - कॉटन यार्न पर मिलता है चार फीसदी तक इंसेंटिव उद्योग की अपील निर्यात लाभ वापस लागू करने का अनुरोध भारत सबसे सस्ता कॉटन यार्न उत्पादक कॉटन यार्न के लिए निर्यात के अवसर बढ़ रहे निर्यातकों को कॉटन के निर्यात कारोबार को झटका लगने का अंदेशा कॉटन व कॉटन यार्न निर्यात को फोकस मार्केट स्कीम (एफएमएस) और इंक्रीमेंटल एक्सपोर्ट स्कीम के तहत मिलने वाले इंसेंटिव पर सरकार ने रोक लगा दी है। इस संबंध में बुधवार को देर रात विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की तरफ से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। कॉटन यार्न निर्यातकों ने इसे बड़ा झटका बताते हुए सरकार से इन इंसेंटिव को जारी रखने की गुजारिश की है। कॉटन यार्न निर्यातकों के मुताबिक अब तक उन्हें फोकस मार्केट स्कीम के तहत कुछ विदेशी बाजार के लिए 3 फीसदी की दर से तो कुछ विशेष बाजार के लिए 4 फीसदी की दर से इंसेंटिव मिलते थे। लेकिन अब उन्हें यह इंसेंटिव नहीं दिया जाएगा। वहीं, कॉटन व कॉटन यार्न निर्यातकों को इंक्रीमेंटल स्कीम के तहत मिलने वाली इंसेंटिव पर भी रोक लगा दी गई है। इंक्रीमेंटल एक्सपोर्ट स्कीम के तहत पिछले साल के मुकाबले अधिक निर्यात करने पर निर्यातकों को इंसेंटिव देने की घोषणा की गई थी। कन्फेडरेशन आफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के चेयरमैन प्रेम मलिक के मुताबिक कॉटन यार्न के निर्यात पर सरकार की तरफ से कोई प्रतिबंध नहीं है और न ही इस निर्यात पर कोई शुल्क है। ऐसे में सरकार की तरफ से कॉटन यार्न निर्यातकों को फोकस मार्केट स्कीम से वंचित करना जायज नहीं है। सदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन टी. राजकुमार ने बताया कि इससे स्पिनिंग में निवेश करने वाले निर्यातकों को काफी झटका लगेगा। उन्होंने बताया कि देश में अभी 11.50-12.50 करोड़ किलोग्राम कॉटन यार्न का स्टाक है जबकि पिछले साल इस दौरान यह स्टाक 10 करोड़ किलोग्राम का था। उन्होंने बताया कि पिछले एक दस दिनों के दौरान निर्यात व घरेलू मांग में कमी से कॉटन यार्न की कीमत में 10-20 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ टेक्सटाइल निर्यात के लक्ष्य को 43 अरब डालर तक ले जाना चाहती है वहीं दूसरी तरफ कॉटन यार्न निर्यात को हतोत्साहित कर रही है। (Business Bhaskar)

डॉलर की उथल-पुथल से केस्टर तेल के निर्यात सौदे प्रभावित

पिछले हफ्ते भर में केस्टर सीड के दाम करीब 9 फीसदी लुढ़के अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की भारी उथल-पुथल से केस्टर तेल के निर्यात सौदे प्रभावित हो रहे हैं। इससे घरेलू बाजार में सप्ताहभर में केस्टर सीड की कीमतों में करीब 400 रुपये की गिरावट आकर भाव 3,400-3,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। वायदा बाजार में पिछले दस दिनों में केस्टर सीड की कीमतों में 9 फीसदी की गिरावट आई है। जयंत एग्रो ऑर्गेनिक लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक वामन भाई ने बताया कि डॉलर की तेजी-मंदी से केस्टर तेल के निर्यात सौदे प्रभावित हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में केस्टर तेल के निर्यात सौदे 1,175-1,185 डॉलर प्रति टन की दर से हो हैं। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार जुलाई महीने में 57,214 टन केस्टर तेल का निर्यात हुआ था जो पिछले साल की समान अवधि के 35,130 टन से ज्यादा था। वामन भाई ने बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर 68 के स्तर को पार कर गया था जबकि बुधवार को 62.44 केस्टर पर आ गया। एस सी केमिकल के मैनेजिंग डायरेक्टर कुशल राज पारिख ने बताया कि हाल ही में हुई बारिश से केस्टर सीड की फसल को फायदा हुआ है। इससे नई फसल की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि नीचे भाव में उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड की दैनिक आवक कम हो गई है जबकि नई फसल की आवक बनने में अभी करीब चार महीने से ज्यादा का समय बचा हुआ है। इसलिए आगामी दिनों में केस्टर सीड और तेल की कीमतों में तेजी आने की संभावना है। उत्पादक मंडियों में अच्छी मांग रही जिससे केस्टर सीड की कीमतों में 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। केस्टर के थोक कारोबारी रौनक भाई ने बताया कि उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड की दैनिक आवक 30,000 से 35,000 बोरियों (एक बोरी-75 किलो) की हो रही है। गुजरात में अभी तक हुई बारिश से फसल को फायदा हुआ है लेकिन अगर और ज्यादा बारिश तो फिर नुकसान भी हो सकता है। एनसीडीईएक्स पर अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में 13 सितंबर को केस्टर सीड का भाव 3,767 रुपये प्रति क्विंटल था जो गुरुवार को भाव 3,438 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। (Business Bhaskar....R S Rana)

हरियाणा को सबसे पहले खाद्यान्न आवंटन

आर एस राणा नई दिल्ली | Sep 27, 2013, 00:07AM IST खाद्य सुरक्षा में 49 लाख लाभार्थियों के लिए 28 हजार टन गेहूं आवंटित खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद खाद्यान्न का पहला आवंटन हरियाणा सरकार को किया गया है। सितंबर महीने के आवंटन के लिए केंद्र सरकार ने हरियाणा को 28,416.5 टन गेहूं का आवंटन किया है। इसका आवंटन राज्य सरकार 49,45,863 लाभार्थियों को करेगी। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने के लिए चार राज्यों हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश ने खाद्यान्न आवंटन की मांग की है। तीन राज्यों दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों में कुछ कमी थी इसलिए इन राज्यों से और दस्तावेज मांगे गए हैं। हरियाणा सरकार द्वारा पेश किए गए दस्तावेज पूरे थी इसलिए राज्य को खाद्यान्न का आवंटन कर दिया है। केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सितंबर महीने में आवंटन के लिए हरियाणा सरकार को 28,416.5 टन गेहूं का आवंटन किया है। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा पहले फेज में खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 49,45,863 लाभार्थियों को गेहूं का आवंटन किया गया है। इसमें 2,67,569 परिवार अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) श्रेणी के है। एएवाई श्रेणी के परिवारों को हर महीने 35 किलो खाद्यान्न का आवंटन किया जायेगा। इसके अलावा 38,10,379 लाभार्थी प्राथमिकता वाले परिवारों से है। प्राथमिकता वाले परिवार के प्रत्येक लाभार्थियों को हर महीने पांच किलो खाद्यान्न का आवंटन किया जायेगा। खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लाभार्थियों को 3 रुपये प्रति किलो चावल, 2 रुपये प्रति किलो गेहूं और 1 रुपये प्रति किलो की दर से मोटे अनाजों का आवंटन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत हरियाणा के 90.28 लाख ग्रामीण और 36.21 लाख शहरी आबादी को शामिल किया गया है। हरियाणा सरकार ने पहले फेज में खाद्य सुरक्षा कानून में 49,45,863 लाभार्थियों को शामिल किया है तथा दूसरे फेज में बचे हुए लाभार्थियों को भी शामिल किया जायेगा। सभी लाभार्थियों के शामिल होने के बाद हरियाणा को सालाना 7.95 लाख टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। (Business Bhaskar....R S Rana)

एनएसईएल की जांच का दायरा बढ़ा

नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) मामले में जांच का दायरा बढ़ाते हुए कॉरर्पोरेट मामले के मंत्रालय ने स्पॉट एक्सचेंज की मूल कंपनी फाईनैशियल टेक्नोलॉजीज समूह और उससे अन्य संबंधित इकाइयों की वित्तीय रिपोर्ट और अन्य ब्योरे तलब किए हैं। जिग्नेश शाह के नेतृत्व वाली फाईनैशियल टेक्नोलॉजीज समूह द्वारा प्रवर्तित एनएसईएल में 5,600 करोड़ रुपये के भुगतान चूक और विभिन्न नियामकीय मानदंडों के लगातार उल्लंघन के संबंध में अलग-अलग नियामकीय और अन्य जांच एजेंसियां पड़ताल कर रही हैं। कॉरर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने इससे पहले रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) मुंबई को एनएसईएल का ब्योरा इकट्ठा करने के लिए कहा था। अब इससे समूह की अन्य कंपनियों के बारे में भी ब्योरा मांगा गया है। एनएसईएल के अलावा फाईनैशियल टेक्नोलॉजीज समूह देश के शीर्ष जिंस बाजार एमसीएक्स, शेयर बाजार एमसीएसक्स-एसएक्स के साथ-साथ एक्सचेंज प्रौद्योगिकी समाधान आदि से जुड़ी इकाइयों की भी प्रवर्तक है। एनएसईएल की जांच के बारे में पूछने पर कॉरर्पोरेट मामले के मंत्री सचिन पायलट ने कहा, 'जहां तक मंत्रालय का सवाल है तो हम संदेह के दायरे में आई सभी कंपनियों और इकाइयों की जांच करेंगे और हमने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से सभी नतीजे, आंकड़े से जुड़े तुलना पत्र आदि मांगे हैं और इस बात की भी जांच की जाएगी कि कंपनी ने किसी कानून का उल्लंघन तो नहीं किया।' उन्होंने कहा, 'रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से संदेह के दायरे में आई सभी कंपनियों की रिपोर्ट मिलने पर हम कार्रवाई करेंगे।' मंत्री ने यह भी कहा कि अब तक कॉरर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने एनएसईएल मामले में कोई सुझाव नहीं दिए हैं। (BS Hindi)

26 सितंबर 2013

एनएसईएल: कब मिलेंगे निवेशकों को पैसे

एनएसईएल की जांच में तगड़ा झटका लगा है। दरअसल वित्त मंत्री पी चिदंबरम के मुताबिक निवेशकों ने तमाम खतरों को जानते हुए भी पैसे लगाए थे। वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि जांच कब खत्म होगी इसकी कोई समय सीमा नहीं बता सकते। ऐसे में एनएसईएल में करीब 7,000 छोटे निवेशकों के फंसे हुए पैसे कब मिलेंगे ये कोई नहीं जानता। सरकार से उम्मीद थी कि वो एनएसईएल घोटाले की तेजी से जांच कराएगी और फंसे हुए पैसा वापस दिलाएगी। लेकिन खुद वित्त मंत्री ने इस मामले पर बड़ा बेतुका बयान दिया है। वित्त मंत्री ने कहा है कि एनएसईएल किसी रेगुलेटर के दायरे में नहीं था और पहले दिन से ही उसका बिजनेस मॉडल संदेह के दायरे में था। वित्त मंत्री के मुताबिक एनएसईएल घोटाले की जांच कॉरपोरेट मंत्रालय, आयकर विभाग के अलावा कई एजेंसियां कर रही हैं और अब इसकी शिकायत सीबीआई से भी की गई है। ये बताना मुश्किल है कि एनएसईएल पर कार्रवाई कब तक होगी। वित्त मंत्री ने कहा है कि निवेशकों ने एनएसईएल में जानबूझकर पैसे लगाएं हैं। पी चिदंबरम के मुताबिक एनएसईएल पहले दिन से ही नियमों का उल्लंघन कर रहा था। एनएसईएल एक्सचेंज के तौर पर रजिस्टर्ड नहीं था, इसलिए एफएमसी के दायरे में नहीं था। पी चिदंबरम का कहना है कि एनएसईएल की देनदारी सिर्फ कोर्ट ही तय कर सकता है। मायाराम कमेटी को एनएसईएल में कोई सिस्टमिक खामी नहीं मिली है। सेबी और एफएमसी को मामले पर नजर रखने को कहा है। एफएमसी और कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय एनएसईएल पर मिली रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं। वित्त मंत्री के मुताबिक सत्यम मामले की तुलना नहीं हो सकती है। (Hindi.Moneycantrol.com)

एफटी ने मांगी सरकार और निवेशकों से मदद

भुगतान संकट से जूझ रही नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) की प्रवर्तक फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिस (इंडिया) लिमिटेड ने वर्तमान संकट से निपटने के लिए सरकार औैर निवेशकों से मदद की गुहार लगाई गई है। कंपनी के प्रमुख ने कहा कि उनकी लाभप्रदता 50 फीसदी तक प्रभावित नहीं हुई है जैसा कि बजार में कयास लगाए जा रहे हैं। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिस के शेयर बुधवार को 10.25 फीसदी गिरकर 150.20 रुपये पर बंद हुए। चेन्नई में कंपनी की वार्षिक आम बैठक से इतर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिस के चेयरमैन जिग्नेश शाह ने कहा कि कुछ वर्षों के बाद वह पहली बार एजीएम में भाग लेने आए हैं। उनका मकसद शेयरधारकों के प्रति अपना सहयोग और प्रतिबद्धता दिखाना है। शाह ने कहा, 'मेरा मानना है कि एफटी के छोटे शेयरधारकों के प्रति उनकी भी बराबर की जिम्मेदारी बनती है। साथ ही हम निवेशकों के दर्द को समझते हैं और मैं एनएसईएल की निवेशक फोरम के साथ बातचीत करूंगा। आप इस बात को समझिए कि इस कंपनी का मूल्यांकन एनएसईएल द्वारा न किया जाए।Ó उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को इस संस्थान की साख कम नहीं करनी चाहिए और हमने एमसीएक्स, एसएक्स, आईईएक्स जैसे एक्सचेंज और एफटी बनाई है। शाह ने कहा, 'वित्तीय बाजार हमारे सबसे प्रिय ग्राहक हैं।Ó शाह ने निवेशक फोरम से कंपनी के साथ कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कंपनी अपनी पैसे लेकर चंपत होने वाले 23 प्लांटरों से अधिकतम वसूली करनी की कोशिश करेगी। शाह ने कहा, 'अगर हमें सरकार से कोई सहयोग मिला तो यह इच्छित होगा और मैं पूरी तरह सरकार के रुख को समझता हूं। यह एक अनियमित एक्सचेंज है और आप जानते हैं कि हम शिकार बने हैं और घोटाला हुआ है।Ó हालांकि शाह ने इस बारे में बताने से इनकार कर दिया कि वह सरकार से किस तरह की मदद चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'हम जल्द ही औपचारिक दस्तावेज तैयार करेंगे।Ó यह पूछने पर कितने समय में स्थिति ठीक हो जाएगी। इस पर शाह ने कहा, 'आपको यह बात भगवान बालाजी से पूछनी चाहिए। मैं तो केवल यही कह सकता हूं कि हम वास्तव में इस पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। हम जितने ज्यादा मजबूत होंगे उतनी जल्दी स्थितियां सुधरेंगी। सबसे पहले मैं निवेशक फरोम से मिलूंगा। (BS Hindi)

'जिग्नेश और निदेशकों की संपत्ति जब्त हो'

नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के निवेशक एक्सचेंंज के वाइस चेयरमैन जिग्नेश शाह, इसके निदेशकों, सदस्यों और अन्य ग्राहकों की व्यक्गित संपत्ति जब्त कर अपने निवेश की वसूली के लिए न्यायालय जाने की योजना बना रहे हैं। सरकार गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) को मामले की जांच सौंप सकती है और यह एजेंसी अपनी रिपोर्ट देने में 30 से 45 दिन का समय लेगी। इस संभावित देरी के चलते निवेशकों में यह कदम उठाने की धारणा प्रबल होती जा रही है। एनएसईएल में 13,000 निवेशकों का करीब 5,600 करोड़ रुपये का निवेश फंसा हुआ है। नियामकों की विभिन्न आंतरिक समितियों की रिपोर्ट आने के बावजूद निवेशकों का धैर्य जवाब दे रहा है। जांच एजेंसियों ने धोखाधड़ी की बात कही है, लेकिन एक्सचेंज के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। एनएसईए के बोर्ड में खुद शाह के अलावा शंकरलाल गुरु, जोसेफे मैसी, बीडी पवार, श्रीकांत जावलगेकर, अंजनी सिन्हा और आर देवराजन शामिल हैं। हालांकि शाह और एनएसईएल के अधिकारी यह कह रहे हैं कि जिन सदस्यों ने धन लिया था, वे चुका नहीं कर रहे हैं। लेकिन कुछ सदस्य वस्तुओं की डिलिवरी नहीं देने के लिए एक्सचेंज को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और यह कह रहे हैं कि इस पर सदस्यों का बकाया है। निवेशक याचिका में एक्सचेंज के परिचालन की जांच न्यायालय की निगरानी में करवाने की मांग कर सकते हैं। एक्सचेंज के बारे में कहा जा रहा है इसने विभिन्न कानूनों का उल्लंघन किया है। इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी रखने वाले एक बड़े निवेशक ने कहा, 'हम अगले कुछ दिनों में एक याचिका दायर करने जा रहे हैं। हमारी दो मांगें होंगी। पहला, मालिकों की संपत्तियां जब्त की जाएं और दूसरा न्यायालय की निगरानी में जांच हो। (BS Hindi)

भरपूर अनाज होने पर भी ज्यादा महंगाई रहने की समीक्षा होगी

उद्योग की खातिर - खुले बाजार में गेहूं के बिक्री भाव तय करने के लिए कमेटी गठित चिंताजनक विरोधाभास - अगस्त महीने में खाद्य मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 18.18 प्रतिशत हो गई है जबकि इस दौरान सामान्य मुद्रास्फीति 6.1 फीसदी रही। खाद्यान्न की पैदावार लगातार बढ़ रही है तथा केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का भरपूर स्टॉक उपलब्ध है, इसके बावजूद खाद्य महंगाई दर ऊंची बनी हुई है, जो चिंताजनक है। -प्रो. के. वी. थॉमस, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलात राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अगस्त में खाद्य महंगाई की दर 18 फीसदी से ज्यादा रही खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं के बिक्री भाव तय करने के लिए केंद्र सरकार ने खाद्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस ने बुधवार को यहां रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन की 73वीं सालाना बैठक में कहा कि खाद्यान्न की अधिक पैदावार और भरपूर स्टॉक के बावजूद खाद्यान्न की ऊंची महंगाई दर की सरकार समीक्षा कर रही है। अगस्त महीने में खाद्य मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 18.18 प्रतिशत हो गई है जबकि इस दौरान सामान्य मुद्रास्फीति 6.1 फीसदी रही है। खाद्यान्न की पैदावार लगातार बढ़ रही है तथा केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का भरपूर स्टॉक उपलब्ध है, इसके बावजूद खाद्य महंगाई दर ऊंची बनी हुई है, जो चिंताजनक है। सरकार इसकी समीक्षा कर रही है। थॉमस ने कहा कि खुले बाजार में गेहूं के बिक्री भाव तय करने के लिए खाद्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति कीमतों के साथ ही मात्रा, परिवहन खर्च आदि की भी समीक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं और चावल की खरीद सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आवंटन के लिए करती है। केंद्र सरकार ने रोलर फ्लोर मिलों को ओएमएसएस में बल्क कंज्यूमर के लिए 85 लाख टन गेहूं का आवंटन किया है। थॉमस ने कहा कि रोलर फ्लोर मिलर्स की मांग को मानते हुए सरकार ने ओएमएसएस के तहत अब गेहूं की बिक्री राज्यों के आधार पर करने का फैसला किया है। इसकी बिक्री 1,500 रुपये प्रति क्विंटल पर होगी। लेकिन इसके साथ लुधियाना से संबंधित राज्य की राजधानी तक का रेलवे परिवहन खर्च जोड़कर न्यूनतम बिक्री मूल्य तय किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी तक भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री पंजाब और हरियाणा से कर रही थी तथा रोलर फ्लोर मिलों के लिए निविदा भरने का न्यूनतम दाम 1,500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। इस अवसर पर खाद्य सचिव ने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता पीडीएस में खाद्यान्न आवंटन की है इसलिए रोलर फ्लोर मिलों को सरकार से आर्थिक सहायता की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। केंद्रीय पूल में 589.3 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद है, इसमें 383 लाख टन चावल और 205 लाख टन गेहूं है। पिछले साल देश में 25.53 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था। इस दौरान गेहूं का उत्पादन 924.6 लाख टन का हुआ था। (Business Bhaskar...R S Rana)

NSEL के खिलाफ कार्रवाई का खाका तैयार : चिदंबरम

नई दिल्ली : सरकार ने आज कहा कि सीबीआई, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) और वायदा बाजार आयोग (एफएमसी), भुगतान संकट में फंसे नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। सरकार के अनुसार एनएसईएल एक ऐसी संस्था है जो कि किसी के नियमन दायरे में नहीं थी और पहले दिन से इसने नियमों का उल्लंघन किया है। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, ‘मायाराम समिति की रपट में सुझाव दिया गया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), एफएमसी और एमसीए को उचित कार्रवाई करनी चाहिए। समिति ने अनियमितताएं दर्ज की हैं। विभाग इन मामलों पर विचार कर रही है। वह कारवाई करेंगे।’ आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम की अध्यक्षता वाली समिति ने जिंस बाजार एनएसईएल के कामकाज में कथित अनियमितताओं पर गौर किया है। एनएसईएल कारोबार बंद होने के बाद से 5,600 करोड़ रुपए के भुगतान संकट से जूझ रहा है। चिदंबरम ने कहा कि एनएसईएल एफएमसी के तहत पंजीकृत अथवा मान्यता प्राप्त इकाई नहीं थी लेकिन इसने कारोबार शुरू करने से पहले ही छूट हासिल कर ली थी। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि एनएसईएल ने जिस तरह से कारोबार शुरू किया उसके बारे में जितना दिखता है उससे आगे भी चीजें हैं।` चिदंबरम ने कहा कि हालांकि, एनएसईएल संकट का असर दूसरे बाजारों पर पड़ने की कोई आशंका नहीं है। फिर भी उन्होंने, पूंजी बाजार नियामक सेबी और जिंस बाजार की निगरानी संस्था एफएमसी से कहा कि इस पर निगाह रखे। उन्होंने कहा, ‘एनएसईएल उन्हीं शर्तों का उल्लंघन कर रही थी जिनके तहत वे कारोबार करने का दावा कर रहे थे।’ जिग्नेश शाह के नेतृत्व वाले फिनांशल टेक्नोलॉजीज समूह के अंग एनएसईएल ने सरकार के निर्देश पर 31 जुलाई को कारोबार बंद कर दिया था। वह निवेशकों को लगातार छठे साप्ताहिक भुगतान निपटान में असफल रहा। फिनांशल टेक्नोलॉजीज (इंडिया) लिमिटेड ने दो अन्य कारोबारी मंच - मल्टी कमाडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और एमसीएक्स स्टाक एक्सचेंज लिमिटेड - को भी प्रवर्तित किया है। यह पूछने पर कि क्या सरकार प्रवर्तकों की अन्य इकाइयों के प्रबंधन में बदलाव पर विचार कर रही है, चिदंबरम ने कहा, ‘नियामकों की रपट का इंतजार करना चाहिए। एफएमसी को अपनी रपट सौंपने दीजिए। मुझे लगता है कि एफएमसी रपट एक-दो दिन में तैयार हो जाएगी। हम पहले रपट देखेंगे।’ उन्होंने कहा कि एफएमसी की रपट मिलने पर सीबीआई और कापरेरेट मामलों का मंत्रालय इस पर विचार करेगा और फैसला करेगा कि क्या कार्रवाई होनी चाहिए। चिदंबरम ने कहा कि आयकर विभाग एनएसईएल के निवेशकों के वित्तीय ब्यौरों की जांच कर रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसमें कहीं काला धन तो शामिल नहीं था। (Z-News)

25 सितंबर 2013

एफएमसी ने जिंस एक्सचेंजों के निवेशकों को किया आगाह

जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) चाहता है कि जिस तरह जिंस एक्सचेंजों का प्रबंधन किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में संस्थागत निवेशक सतर्क रहें। नियामक ने कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें कहा गया है कि बोर्ड के आधे निदेशक सार्वजनिक संस्थाओं के होने चाहिए। एफएमसी ने एंकर निवेशकों की बोर्ड सीटों को भी उनकी शेयरधारिता के अनुपात में सीमित कर दिया है। संस्थागत निवेशकों का एक कंपनी में निवेश (इस मामले में जिंस एक्सचेंज) की कुल निवेश बुक और एक्सचेंज की स्थापना के समय फेस वैल्यू पर किए गए निवेश की तुलना में बहुत अधिक नहीं है। उनका हिस्सेदारी कम हो जाती है, इसलिए वे इसमें कम रुचि लेते हैं। हालांकि अब नियामक ने उनसे परिचालन, निवेश, कौलेटरल मैनेजमेंट और एक्सचेंज के संचालन में सक्रिय होने को कहा है। इस बैठक में मौजूद रहे एक व्यक्ति के मुताबिक एफएमसी ने उन्हें अपने नए दिशानिर्देशों के बारे में बताया। एफएमसी ने संस्थागत निवेशकों से कहा कि अगर उनकी हिस्सेदारी इतनी नहीं है कि वे बोर्ड में सीट की मांग कर सकें तो उन्हें एकजुट होकर बोर्ड में अपना एक सामान्य प्रतिनिधि भेजना चाहिए। एफएमसी ने उन संस्थागत निवेशकों की बैठक बुलाई थी, जिनकी एक्सचेंज में एक फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी थी। बैठक बुलाने का मकसद संस्थागत निवेशकों को अपने उन दिशानिर्देशों से अवगत कराना था, जो उसने एक्सचेंजों को जारी किए हैं। दो फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी वाले बड़े निवेशकों को आज की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। जिंस एक्सचेंज में करीब 1 फीसदी हिस्सेदारी वाले छोटे निवेशक एक्सचेंज के कामकाज को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं होते। वे केवल निवेश करते हैं और फिर भूल जाते हैं। एक्सचेंज के प्रदर्शन में समग्र सुधार के लिए निवेशकों द्वारा कोई उल्लेखनीय सुझाव नहीं दिए जाते। माना जा रहा है कि हाल में नियामक ने निवेशकों से कहा था कि नई हिस्सेदारी हस्तांतरण के मामले में निजी निवेशकों को पांच फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी अधिग्रहण करने की स्वीकृति नहीं दी जाए। हालांकि इस बारे में नियामक ने औपचारिक रूप से कोई बात नहीं कही है (BS Hindi)

खाद्य सुरक्षा के लिए जीएम फसलें अपनाई जाएं : पवार

केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा कानून लागू करके आम लोगों को भोजन की सुलभता सुनिश्चित करने के लिए जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) फसलों को अपनाया जाना चाहिए। नेशनल रबी कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पवार ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने के लिए देश में अतिरिक्त खाद्यान्न की जरूरत होगी। इसके लिए कृषि क्षेत्र का तेज विकास आवश्यक है। उन्होंने जीएम फसलों के प्रति सरकार के रुख को अत्यधिक अनुदारवादी बताते हुए कहा कि हमें वैज्ञानिकों की सलाह पर जीएम फसलें अपनाने के बारे में सोचना चाहिए। जहां संभव हो, उन फसलों का फील्ड ट्रायल कराया जाना चाहिए और इसकी सफलता के बाद इनकी खेती के बारे में हिचकना नहीं चाहिए। वैज्ञानिक रिसर्च के लाभ उठाने से हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा कृषि उत्पादन हमारी वर्तमान जरूरत के लिए कमोबेश पर्याप्त हो जाता है। सूखा और बाढ़ आने के बावजूद कृषि क्षेत्र में लगातार विकास करना हमारी सबसे बड़ी चुनौती है। सरकार ने बीटी कॉटन की खेती की अनुमति दी हुई है, जबकि बीटी बैंगन पर रोक लगा दी गई। प्राइवेट कंपनियों को पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और गुजरात में कपास, मक्का और मक्का की जीएम फसलों के फील्ड ट्रायल की अनुमति दी गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तकनीकी कमेटी ने हाल में अपनी रिपोर्ट में जीएम फसलों के खुले फील्ड ट्रायल पर अनिश्चितकालीन रोक लगाने की सिफारिश की है। कमेटी ने रेगुलेटरी और सेफ्टी सिस्टम के जुड़ी दिक्कतें दूर होने तक रोक लगाए रखने की सिफारिश की है। कमेटी की सिफारिशों के बारे में पवार ने कहा कि हम कोर्ट के फैसला का इंतजार कर रहे हैं। हम कोर्ट के सामने जीएम फसलों की अहमियत बताने के लिए तथ्य रखने का प्रयास कर रहे हैं। (Business Bhaskar...R S Rana)

खरीफ में चावल के उत्पादन में कमी आने का अनुमान

रिपोर्ट - प्रथम अग्रिम अनुमान में कुल खाद्यान्न उत्पादन ज्यादा रहने की उम्मीद खरीफ अनुमान मक्का, सोयाबीन व कपास का रिकॉर्ड उत्पादन होने के आसार लेकिन अच्छे मौसम के बावजूद चावल की उपज कम रहेगी कृषि मंत्री ने अगले अनुमानों में उत्पादन बढऩे का भरोसा जताया कुल खाद्यान्न बढ़कर 12.93 करोड़ टन होने का अनुमान चावल का उत्पादन 4.4 लाख टन घटकर 923.2 लाख टन रहेगा मानसून की अच्छी बारिश के बावजूद खरीफ फसल वर्ष (2013-14) के दौरान देश में चावल का उत्पादन घटकर 923.2 लाख टन रहने का अनुमान है। हालांकि इस दौरान कुल खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल के 12.82 करोड़ टन से बढ़कर 12.93 करोड़ टन होने का अनुमान है। चालू खरीफ में मक्का, सोयाबीन और कपास की रिकॉर्ड पैदावार होने के आसार हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने मंगलवार को खरीफ फसलों के पहले अग्रिम अनुमान जारी करते हुए कहा कि चालू खरीफ में मानसूनी वर्षा अच्छी हुई है, इसलिए कुल खाद्यान्न उत्पादन बढऩे का अनुमान है। हालांकि चावल के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है लेकिन यह पहला आरंभिक अनुमान है तथा आगे इसमें सुधार होने की संभावना है। खरीफ की प्रमुख फसल चावल का उत्पादन घटकर वर्ष 2013-14 में 923.2 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले वर्ष 927.6 लाख टन का उत्पादन हुआ था। हालांकि इस दौरान खाद्यान्न का कुल उत्पादन पिछले साल के 12.82 करोड़ टन से बढ़कर 12.93 करोड़ टन होने का अनुमान है। कृषि मंत्री ने कहा कि चालू खरीफ में मक्का, सोयाबीन और कपास का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है। मोटे अनाजों की प्रमुख फसल मक्का की पैदावार 160.4 लाख टन से बढ़कर 177.8 लाख टन होने का अनुमान है। हालांकि मोटे अनाजों में बाजरा और ज्वार की पैदावार पिछले साल से कम होगी। बाजरा का उत्पादन 87.4 लाख टन से घटकर 86.6 लाख टन और ज्वार का उत्पादन 27.5 लाख टन से घटकर 25.7 लाख टन होने का अनुमान है। खरीफ दालों की कुल पैदावार में तो बढ़ोतरी का अनुमान है लेकिन अरहर और उड़द की पैदावार घटने का अनुमान है। चालू खरीफ में 60.1 लाख टन दालों की पैदावार होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ में 59.1 लाख टन की पैदावार हुई थी। दलहन में अरहर की पैदावार 30.7 लाख टन से घटकर 30.4 लाख टन और उड़द की पैदावार पिछले साल के 14.5 लाख टन से घटकर 13.3 लाख टन होने का अनुमान है। कपास की पैदावार चालू खरीफ में रिकॉर्ड 353 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 340 लाख गांठ की पैदावार हुई थी। तिलहनों की पैदावार चालू खरीफ में रिकॉर्ड 239.6 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल 208.6 लाख टन की पैदावार हुई थी। खरीफ में सोयाबीन का रिकॉर्ड उत्पादन 156.8 लाख टन होने का अनुमान है जबकि मूंगफली की पैदावार 55.7 लाख टन होने का अनुमान है। पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार गन्ने का उत्पादन पिछले साल के 3,389.63 लाख टन से बढ़कर वर्ष 2013-14 में 3,417.73 लाख टन होने का अनुमान है। जूट का उत्पादन इस दौरान पिछले साल के 112.96 लाख गांठ से घटकर 111.57 लाख गांठ (एक गांठ-180 किलो) होने का अनुमान है। (Business Bhaskar....R S Rana)

सोने के आयात में कड़ाई से ज्वैलरी निर्यात घटा

अगस्त माह में सोने की ज्वैलरी का निर्यात घटकर लगभग आधा रह गया। हालांकि जुलाई के मुकाबले ज्वैलरी के निर्यात में सुधार दर्ज किया गया। एक उद्योग संगठन के अनुसार इस दौरान सिर्फ 56.1 करोड़ डॉलर की ज्वैलरी का निर्यात किया गया। जुलाई में भारतीय रिजर्व बैंक ने सोने के आयात पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए थे। ज्वैलरी के निर्यात पर इसी का असर दिखाई दिया। सरकार बढ़ते करेंट एकाउंट डेफिशिट (सीएडी) पर अंकुश लगाने के लिए सोने के आयात पर नियंत्रण लगाने की कोशिश कर रही है। जबकि सोने के आयात का सीधा असर इसकी ज्वैलरी के निर्यात पर पड़ रहा है। जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के अनुसार अगस्त में 56.1 करोड़ डॉलर मूल्य की ज्वैलरी का निर्यात किया गया। जुलाई में ज्वैलरी का निर्यात 70 फीसदी घटकर 44.14 करोड़ डॉलर के स्तर पर रह गया था। क्रूड ऑयल के बाद सोने के आयात में सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च होती है। इसी वजह से सीएडी कम करने के लिए सरकार सोने के आयात पर नियंत्रण का प्रयास कर रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने निर्देश दिया था कि आयात किए गए सोने में से कम से कम 20 फीसदी सोने की ज्वैलरी निर्यात होनी चाहिए। लेकिन इस नियम को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और सोने का आयात पूरी तरह ठप पड़ गया। लेकिन बाद में उच्च स्तरीय बैठक में इस मुद्दे पर विचार करने के बाद नियम में समुचित बदलाव किया गया। इसके बाद सोने का आयात दुबारा शुरू हुआ। भारत से अप्रैल-अगस्त के बीच 2.68 अरब डॉलर मूल्य की ज्वैलरी का निर्यात किया गया। यह निर्यात पिछले साल की समान अवधि के निर्यात से करीब 59.4 फीसदी कम है। (Business Bhaskar)

ग्रांट थॉर्टन की रिपोर्ट में एनएसईएल पर नए खुलासे!

ग्रांट थॉर्टन ने एनएसईएल पर फोरेंसिक रिपोर्ट दे दी है। सूत्रों के मुताबिक पिछले 2.5 साल से निवेशकों के साथ धोखाधड़ी चल रही थी। एनएसईएल पर ग्रांट थॉर्टन की फोरेंसिक रिपोर्ट में एनएसईएल पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। एनएसईएल को एक्सचेंज में चल रही सारी गड़बड़ियों का पता था। कर्जदार पिछले 2.5 साल से डिफॉल्ट कर रहे थे और एनएसईल इसे छुपाने की कोशिश कर रहा था। इन सारी गड़बड़ी के बावजूद एनएसईएल ने अपने कारोबार को सामान्य तौर पर चलने दिया। ग्रांट थॉर्टन ने एनएसईएल के प्रोमोटरों पर काफी बड़े सवाल उठाए हैं। एनएसईएल बोर्ड ने कर्जदारों को लोन देने के लिए बैंकों को कॉर्पोरेट गारंटी दी। वहीं कारोबार बढ़ाने के लिए मार्जिन की आवश्यकता खत्म की गई। रिपोर्ट में इशारा किया गया है कि कर्जदारों की एनएसईएल के प्रमोटरों के साथ कुछ सांठगांठ हो सकती है। 31 जुलाई को एनएसईएल घोटाला उजागर होने के बाद फोरेंसिक ऑडिटर ग्रांट थॉर्टन को जांच के लिए नियुक्त किया गया था। (Momeycantorl.com)

रुपये में 32 पैसे की रिकवरी, 62.44 पर बंद

डॉलर के मुकाबले रुपये में आज मजबूती का रुझान है। दिन के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 62.33 के स्तर तक चढ़ गया था। बैंकों के डॉलर बेचने की वजह से रुपये को सपोर्ट मिला है। आज अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 32 पैसे की शानदार बढ़त के साथ 62.44 पर बंद हुआ है। अमेरिका में फेड की ओर से क्यूई3 कटौती अक्टूबर में ही शुरू होने के संकेत मिल रहे हैं जिसकी वजह से डॉलर में मजबूती बढ़ रही है। आज डॉलर के मुकाबले रुपया 62.76 के स्तर पर खुला था। वहीं मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 62.75 पर बंद हुआ था। बैंकों के डॉलर बेचने की वजह से रुपये को सपोर्ट मिला है। अमेरिका में फेड की ओर से क्यूई3 कटौती अक्टूबर में ही शुरू होने के संकेत मिल रहे हैं जिसकी वजह से डॉलर में मजबूती बढ़ रही है। एसएमसी कॉमट्रेड के रवि सिंह का कहना है कि आज यूरो में आई मजबूती से रुपये को फायदा मिला है। आने वाले 1-2 दिन में डॉलर के मुकाबले रुपया 62 तक मजबूती दिखा सकता है, लेकिन इस स्तर पर रुपये के बने रहने को लेकर आशंका है। 62 के स्तर से नीचे जाने की सूरत में ही रुपये और मजबूत हो सकता है। (Hindi.moneycantrol.com)

कमोडिटी बाजार: एग्री में आगे क्या करें

ग्वार की दिन की गिरावट में कुछ कमी आई है। कारोबार के शुरुआत में ग्वार में 4 फीसदी का निचला सर्किट लग गया था। एनसीडीईएक्स पर ग्वार गम 2.3 फीसदी की गिरावट के साथ 16,620 रुपये पर बंद हुआ है। वहीं ग्वार सीड 0.5 फीसदी की कमजोरी के साथ 5,960 रुपये पर आ गई है। वहीं चीनी में भी आज बिकवाली का दबाव बना हुआ है। एनसीडीईएक्स पर चीनी का अक्टूबर वायदा 2,900 रुपये का निचला स्तर छु चुका है। दरअसल अक्टूबर से नए चीनी सीजन की शुरुआत हो रही है और इस सीजन में करीब 2.5 करोड़ टन चीनी का उत्पादन होने क अनुमान है। इसके साथ ही 1 करोड़ टन चीनी का बकाया स्टॉक भी रहेगा। इस तरह से अगले सीजन में करीब 3.5 करोड़ टन चीन बाजार में मौजूद रह सकती है। इस बीच चने में आज तेजी आई है। एनसीडीईएक्स पर चना करीब 0.5 फीसदी की मजबूती के साथ 3,070 रुपये के करीब बंद हुआ है। सरसों और सोयाबीन में भी मजबूती दिख रही है। एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन 0.5 फीसदी से ज्यादा की उछाल के साथ 3,460 रुपये के ऊपर बंद हुआ है। सरसों 1.5 फीसदी से ज्यादा चढ़कर 3,560 रुपये के ऊपर बंद हुआ है। एमसीएक्स पर क्रूड पाम तेल 0.5 फीसदी की मजबूती के साथ 535 रुपये पर बंद हुआ है। वहीं एनसीडीईएक्स पर कपास का अप्रैल वायदा 1 फीसदी से ज्यादा की बढ़त के साथ 1,000 रुपये के ऊपर बंद हुआ है। जियोजित कॉमट्रेड की निवेश सलाह क्रूड पाम तेल एमसीएक्स (सितंबर वायदा) : खरीदें - 533.5, स्टॉपलॉस - 530 और लक्ष्य - 536.5/539 सोयाबीन एनसीडीईएक्स (अक्टूबर वायदा) : खरीदें - 3450, स्टॉपलॉस - 3405 और लक्ष्य - 3495/3500 कपास एनसीडीईएक्स (अप्रैल वायदा) : खरीदें - 1010, स्टॉपलॉस - 988 और लक्ष्य - 1032/1033 एमसीएक्स पर सारे बेस मेटल्स लाल निशान में नजर आ रहे हैं। कॉपर 0.1 फीसदी की गिरावट के साथ 459 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। एल्युमिनियम करीब 0.5 फीसदी की कमजोरी के साथ 110 रुपये के करीब आ गया है। निकेल 0.3 फीसदी टूटकर 860 रुपये के नीचे आ गया है। लेड 0.1 फीसदी गिरकर 128.5 रुपये पर आ गया है। जिंक 0.2 फीसदी लुढ़कर 116 रुपये के नीचे आ गया है। रुपये में मजबूती और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दबाव के बावजूद घरेलू बाजार में सोने में बढ़त देखी जा रही है। वहीं चांदी में बिकवाली हावी है। एमसीएक्स पर सोना 0.75 फीसदी की मजबूती के साथ 30,000 रुपये के ऊपर पहुंच गया है। हालांकि चांदी 0.2 फीसदी टूटकर 49,100 रुपये के नीचे आ गई है। एमसीएक्स पर कच्चा तेल 0.5 फीसदी की उछाल के साथ 6,530 रुपये के ऊपर कारोबार कर रहा है। लेकिन एमसीएक्स पर नैचुरल गैस 0.2 फीसदी गिरकर 226.5 रुपये पर आ गया है। एसएमसी कॉमट्रेड की निवेश सलाह चांदी एमसीएक्स (दिसंबर वायदा) : खरीदें - 48850, स्टॉपलॉस - 48500 और लक्ष्य - 49500 कच्चा तेल एमसीएक्स (अक्टूबर वायदा) : खरीदें - 6500, स्टॉपलॉस - 6450 और लक्ष्य - 6580 कॉपर एमसीएक्स (नवंबर वायदा) : बेचें - 460, स्टॉपलॉस - 464 और लक्ष्य - 454 लेड एमसीएक्स (सितंबर वायदा) : बेचें - 130, स्टॉपलॉस - 132 और लक्ष्य - 126 (Money.cantrol.com)

जिग्नेश शाह ने दी एनएसईएल मामले पर सफाई

आज चेन्नई में हुई फाइनेंशियल टेक की एजीएम में एनएसईएल मामला छाया रहा। फाइनेंशियल टेक के प्रोमोटर जिग्नेश शाह शेयधारकों को सफाई देते हुए नजर आए। वहीं एजीएम वेन्यु के बाहर निवेशकों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि जिग्नेश शाह का कहना है कि एनएसईएल घोटाले में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज की कोई भूमिका नहीं है, और मौजूदा स्थिती से निपटने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जिग्नेश शाह ने बताया कि एनएसईएल इंवेस्टर फोरम के साथ लगातार चर्चाओं का दौर जारी है, और इस मामले को 6 महीने के अंदर सुलझाने की कोशिश की जाएगी। जिग्नेश शाह ने कहा कि फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज ने एफसीसीबी और ईसीबी के सभी कर्जों का भुगतान कर दिया है। और कंपनी छोटे निवेशकों को हर मदद देने के लिए तैयार है। साथ ही 23 कर्जदरों से पैसों की वसूली की पूरी कोशिश जारी है। लेकिन जिग्नेश शाह ने ऑडिटर्स के मसले पर कोई टिप्पणी नहीं की। (Hindi>Moneycantrol.com)

ग्वार के सट्टेबाजों पर एफएमसी की सख्ती

पिछले साल मिलीभगत से ग्वार वायदा में भारी सट्टेबाजी करने वालों को एफएमसी नहीं बख्शेगा। वायदा बाजार आयोग एफएमसी इन सटोरियों पर भारी जुर्माना लगाने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक पिछले साल सांठगांठ कर ग्वार वायदा की कीमतें बढ़ाने वालों पर करीब 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लग सकता है। आपको बता दें कि इसी हफ्ते सीएनबीसी आवाज़ से हुई खास बातचीत में एफएमसी चेयरमैन रमेश अभिषेक ने इस बात का संकेत दिया था। इस बीच ग्वार वायदा में लगातार गिरावट जारी है। इस हफ्ते लगातार तीसरे दिन ग्वार में 4 फीसदी का निचला सर्किट लगा है। एनसीडीईएक्स पर ग्वार गम और ग्वार सीड में 4 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले 10 दिनों के कारोबार में ग्वार का भाव करीब 25 फीसदी गिर चुका है। एफएमसी की जांच और राजस्थान के कई इलाकों में बारिश से ग्वार की कीमतों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। (Hindi.moneycantorl.com)

बंदरगाहों पर रुकी प्याज के आने का रास्ता साफ

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। महंगे प्याज की चौतरफा मार झेल रही सरकार ने इसे सस्ता करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। उत्पादक मंडियों से प्याज को उपभोक्ता मंडियों तक पहुंचाने के प्रबंध कर लिए गए हैं। इसके अलावा आयातित प्याज को जल्द से जल्द उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का फैसला सोमवार को लिया गया। बैठक के दौरान आयातित प्याज के बाजार तक पहुंचने में आने वाली मुश्किलों पर चर्चा हुई। प्याज आयातकों के साथ बैठक में नैफेड के प्रबंध निदेशक संजीव चोपड़ा ने आयातित प्याज को देश की विभिन्न मंडियों तक पहुंचाने के बंदोबस्त का जायजा लिया। उन्होंने अपील की कि आयातित प्याज का परीक्षण बंदरगाह पर ही करा लिया जाए। इससे मंडियों तक प्याज को पहुंचाने में देरी नहीं होगी। बैठक में प्याज आयातकों के साथ निर्यातकों ने भी हिस्सा लिया। बैठक में ज्यादातर समस्याओं का समाधान ढूंढ लेने का दावा किया गया है। अगले हफ्ते तक बंदरगाहों पर 600 टन अतिरिक्त प्याज की खेप पहुंच जाएगी। वहीं, खरीफ सीजन की प्याज के उत्पादन में होने वाली वृद्धि से कीमतों में गिरावट के आसार बनने लगे हैं। दिल्ली के थोक बाजार में प्याज की कीमत में सोमवार को 10 रुपये की कमी दर्ज की गई है। यह अब यहां 45-50 रुपये प्रति किलो मिल रहा है। वहीं, खुदरा बाजारों में इसका भाव 60-70 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है। सोमवार को करीब 12 हजार क्विंटल प्याज आजादपुर मंडी पहुंचा। कर्नाटक का प्याज भी जल्द बाजार में पहुंचने वाला है। इससे कीमतों में जल्द ही और नरमी की उम्मीद जगी है। (Dainik Jagran)

गन्ने मूल्य में मामूली वृद्धि की सिफारिशc

नई दिल्ली। चुनावी साल होने के बावजूद गन्ना किसानों को केंद्र सरकार की ओर से तोहफा मिलने की उम्मीद कम ही है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग [सीएसीपी] ने अगले चीनी वर्ष 2014-15 [अक्टूबर-सितंबर] के लिए गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य [एफआरपी] में दस रुपये की मामूली बढ़ोतरी की सिफारिश की है। सीएसीपी ने अगले सीजन के लिए इसका मूल्य बढ़ाकर 220 रुपये प्रति क्विंटल करने का सुझाव दिया है। पढ़ें : गन्ना मूल्य भुगतान पर सरकार से जवाब तलब कृषि मंत्रालय के तहत आने वाला सीएसीपी ही कृषि उत्पादों की कीमत की सिफारिश करता है। आमतौर पर मंत्रालय इसकी सिफारिशों को मान लेता है। मगर उसकी यह सिफारिश कृषि मंत्री शरद पावर मानेंगे इस पर संदेह है क्योंकि उनका गृह राज्य महाराष्ट्र प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य है। खासकर पवार की पार्टी एनसीपी के दबदबे वाला राज्य का ज्यादातर हिस्सा गन्ना किसानों का है। सीएसीपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने लागत, उपलब्धता और अंतरराष्ट्रीय कीमतों समेत विभिन्न कारणों को ध्यान में रखते हुए गन्ना किसानों को यह मूल्य देने की सिफारिश की है। अगले महीने से शुरू हो रहे चीनी वर्ष 2013-14 के लिए गन्ने का एफआरपी 210 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। एफआरपी गन्ना किसानों को मिलने वाला न्यूनतम कानूनी मूल्य है। राज्य सरकारें चाहें तो वे भी अपनी तरफ से राज्य समर्थित मूल्य [एसएपी] तय कर सकती हैं। चीनी मिलें भी एफआरपी से ज्यादा कीमत किसानों को ऑफर कर सकती हैं। एफआरपी बढ़ाने की सिफारिश के साथ ही सीएसीपी ने राज्य सरकारों को चेतावनी दी है कि यदि एसएपी बढ़ाया गया तो उत्पादन लागत में इजाफा होगा। उन्होंने राज्य सरकारों को सलाह दी है कि उन्हें चीनी की कीमत तय करने के लिए राजस्व भागीदारी फॉर्मूले पर काम करना चाहिए। (Dainik Jagran)

24 सितंबर 2013

शाम के कारोबार के लिए हो रहे तैयार

कृषि जिंसों में शाम के सत्र में कारोबार शुरू होने की उम्मीद में जिंस एक्सचेंजों ने भी तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए वे अपने कारोबार की रूपरेखा बना रहे हैं। उनका मानना है कि जल्द ही वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) कृषि जिंसों में शाम के कारोबार की अनुमति दे देगा। हाल के समय में जिंस एक्सचेंजों में कारोबार की मात्रा में कमी आई है। एक्सचेंज इस कमी को दूर करने के लिए पूरी जद्दोजहद कर रहे हैं। फिलहाल घरेलू कृषि एक्सचेंजों में धातुओं और ऊर्जा उत्पादों में ही देर शाम तक कारोबार की इजाजत है। इनसे घरेलू कारोबारी भी वैश्विक बाजारों की कीमतों का अनुसरण करते हैं। जिंस एक्सचेंज और जिंस मामलों के जानकार अरसे से मांग कर रहे हैं कि धातुओं की तरह उन कृषि जिंसों में देर शाम तक कारोबार की इजाजत दी जाए, जिनका कारोबार वैश्विक बाजारों में हो रहा है। एक्सचेंजों की मांग पर गौर करते हुए एफएमसी जल्द ही चीनी, खाद्य तेल, सोयाबीन और मक्के जैसी कृषि जिंसों के कारोबार की समय सीमा बढ़ा सकता है। एफएमसी सूत्रों का दावा है कि कृषि जिंसों में देर शाम तक कारोबार की रणनीति बन चुकी है। इसके लिए जिंस एक्सचेंजों से बात की जा रही है। फिलहाल आयोग इन जिसों में कारोबार की समय सीमा शाम 8 बजे तक करना चाह रहा है जबकि एक्सचेंजों चाहते हैं कि शाम के सत्र में कृषि जिंसों का कारोबार भी धातुओं की तरह रात 11 बजे तक करने दिया जाए। अभी घरेलू जिंस एक्सचेंजों में कृषि जिसों का वायदा सुबह 10 से शाम पांच बजे तक होता है। एनसीडीईएक्स पहले ही एफएमसी से कृषि जिंसों में देर शाम तक कारोबार की इजाजत मांग चुका है। एनसीडीईएक्स के अधिकारियों के मुताबिक देर शाम के कारोबार से घरेलू निवेशकों को फायदा होगा। उनके अनुसार एफएमसी अगर अनुमति देता है तो एक्सचेंज देर शाम तक कारोबार करने के लिए तैयार है और उसने इसकी पूरी तैयारी कर रखी है। इंडिया इन्फोलाइन की जिंस विशेषज्ञ नलिनी राव कहती हैं कि इसका सीधा फायदा घरेलू बाजार और निवेशकों को होगा। कारण कि जिन जिंसों का कारोबार विदेशी एक्सचेंजों में होता है, उनकी कीमत विदेशी बाजार से प्रभावित होती है। इस कारण शाम को बंद भाव और सुबह खुलने वाले भाव में भारी अंतर रहता है, लेकिन देश में भी देर तक कारोबार होगा तो कीमतों में उतार-चढ़ाव समझने में आसानी होगी। वायदा बाजार में कृषि जिंसों का कारोबार करने वाले जिंस जानकारों का कहना है कि इसका पूरा फायदा तो निवेशकों को नहीं मिलेगा, क्योंकि विदेशी बाजारों में भारतीय समय के अनुसार रात के 12 बजे तक कारोबार होता है। लेकिन यहां शाम आठ बजे तक कारोबार की इजाजत देने की बात चल रही है। हालांकि यह कहा जा सकता है कि इस कदम से घरेलू बाजार में कारोबार करने वालों को विदेशी बाजार का करीब 60 फीसदी रुख भांपने में आसानी होगी। गौरतलब है कि विदेशी और घरेलू जिंस एक्सचेंजों की कीमतों में भारी घट-बढ़ की वजह से विदेशी निवेशकों के साथ घरेलू निवेशक भी विदेशी एक्सचेंजो में कारोबार को प्राथमिकता देते हैं। देर शाम तक कारोबार की इजाजत से घरेलू एक्सचेंजों का कारोबार बढ़ेगा। घरेलू जिंस एक्सचेंजों में कृषि जिंसों के कारोबार में लगातार गिरावट आ रही है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त तक कृषि जिंसों के कारोबार में करीब 35 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इस साल अप्रैल से अगस्त तक देश के प्रमुख जिंस एक्सचेंजों में 6,43,352 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। इसमें रिफांइड सोया तेल का 1,38,846 करोड़ रुपये, सोयाबीन का 62,344 करोड़, चीनी का 6,147 करोड़ रुपये का कारोबार शामिल है। (BS Hindi)

अनाज उत्पादन में हो सकती है वृद्धि : पवार

इस बार देश में मॉनसून की अच्छी बारिश के चलते खरीफ फसलों का उत्पादन 12 करोड़ 93.2 लाख टन हो जाने का अनुमान है। यह पिछले साल से थोड़ा ज्यादा है। देश के आधे से भी अधिक भाग में मॉनसून सामान्य रहा है। कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा, 'वर्ष 2013-14 में खरीफ में कुल खाद्यान्न उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले निश्चित तौर पर अधिक होगा। इस बार करीब 12 करोड़ 93.2 लाख टन खरीफ उत्पादन की उम्मीद है।Ó पिछले साल खरीफ उत्पादन करीब 12.82 करोड़ टन था। खरीफ सत्र की बुआई जून में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के साथ शुरू होती है और कटाई अक्टूबर से शुरू होती है। खरीफ उत्पादन के बारे में लक्ष्य 13.05 करोड़ टन है। इस तरह कृषि मंत्री का आज का प्रारंभिक अनुमान लक्ष्य से कम है। प्रमुख खरीफ फसलों में चावल, दलहन, कपास, मक्का और सोयाबीन आते हैं। पवार ने कहा कि धान का उत्पादन पिछले साल के नौ करोड़ 27.6 लाख टन से ऊपर रहने की उम्मीद है क्योंकि मॉनसून की बेहतर बारिश से रकबे और उपज में बढ़ोतरी की संभावना बढ़ी है। धान खरीफ की मुख्य फसल है। कृषि मंत्री ने इसके उत्पादन के बारे में अलग से कोई प्रारंभिक अनुमान जारी नहीं किया। उन्होंने कहा कि गन्ने को छोड़कर, बाकी खरीफ फसलों के उत्पादन की स्थिति बेहतर लग रही है। गन्ने की बुआई कम हुई है। उन्होंने कहा कि फसलवार उत्पादन की भविष्यवाणी कल की जाएगी। वर्ष 2013-14 के लिए खरीफ उत्पादन का पहला अग्रिम अनुमान कल जारी किया जाएगा। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जून से सितंबर तक के मॉनसून सत्र के दौरान देश के 53 फीसदी हिस्सों में सामान्य बारिश हुई, जबकि देश के एक तिहाई भाग में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। कृषि मंत्रालय ने रबी (जाड़े) के मौसम में 12.85 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान लगाया है। (BS Hindi)

ओएमएसएस में हर राज्य को दो लाख टन गेहूं

हर महीने दो बार गेहूं की नीलामी के लिए निविदा जारी करेगा एफसीआई खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत हर राज्य को दो लाख टन गेहूं का आवंटन किया गया है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) हर महीने की पहली और 15 तारीख को गेहूं बेचने के लिए निविदा जारी करेगी। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री अब राज्यवार की जायेगी तथा हर राज्य को दो लाख टन गेहूं का आवंटन किया गया है। एफसीआई द्वारा गेहूं बेचने के लिए हर महीने दो बार पहली और 15 तारीख को निविदा जारी की जायेगी। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की रोलर फ्लोर मिलों को गेहूं खरीदने के लिए न्यूनतम भाव 1,500 रुपये प्रति क्विंटल होगा जबकि अन्य राज्यों में 1,500 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य के साथ लुधियाना से संबंधित राज्य की राजधानी तक का रेलवे परिवहन खर्च जोड़कर तय मूल्य पर गेहूं की बिक्री होगी। एफसीआई द्वारा निर्धारित मूल्य न्यूनतम मूल्य होगा। खरीदार इससे ऊपर मूल्य पर बिड भर सकेंगे। उन्होंने बताया कि दिल्ली की फ्लोर मिलों के लिए निविदा भरने का न्यूनतम दाम 1,538 रुपये प्रति क्विंटल है। मध्य प्रदेश की फ्लोर मिलों के लिए निविदा भरने का भाव 1,617 रुपये, राजस्थान की फ्लोर मिलों के लिए 1,566 रुपये प्रति क्विंटल होगा। उत्तर प्रदेश की फ्लोर फ्लोर मिलों के लिए गेहूं की खरीद हेतु निविदा भरने का न्यूनतम दाम 1,582 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। अन्य राज्यों में महाराष्ट्र की रोलर फ्लोर मिलों के लिए निविदा भरने का न्यूनतम दाम 1,681 रुपये, तमिलनाडु की मिलों के लिए 1,725 रुपये, कर्नाटक की मिलों के लिए 1,753 रुपये, केरल की मिलों के लिए 1,780 रुपये, बिहार की मिलों के लिए 1,638 रुपये, उत्तराखंड की मिलों के लिए 1,548 रुपये, झारखंड की मिलों के लिए 1,681 रुपये और उड़ीसा की मिलों के लिए 1,698 रुपये तय किया गया है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की 21 जून को ओएमएसएस के तहत 95 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला किया था। इसके तहत 85 लाख टन गेहूं की बिक्री बल्क कंज्यूमर को और 10 लाख टन की बिक्री स्मॉल ट्रेडर्स को करनी है। केंद्रीय पूल में पहली सितंबर को 589.33 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद है, इसमें 383.60 लाख टन गेहूं और 205.73 लाख टन चावल का स्टॉक जमा है। (Business Bhaskar...R S Rana)

कृषि मंत्रालय की सिफारिशें मानी गईं तो ज्यादा एमएसपी

आर एस राणा नई दिल्ली | Sep 24, 2013, 10:32AM IST रुख में अंतर - सीएसीपी के मुकाबले मंत्रालय एमएसपी के लिए ज्यादा उदार सिफारिशें अलग-अलग सीएसीपी ने 50-120 रुपये एमएसपी बढ़ाने की सिफारिश की कृषि मंत्रालय एमएसपी 100-200 रुपये बढ़ाने के पक्ष में सीएसीपी की सिफारिशों को आमतौर पर मिलती है अहमियत मंत्रालय ने किसानों को वाजिब मूल्य देने का तर्क रखा आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी एमएसपी पर करेगी फैसला कृषि मंत्रालय की सिफारिशें मानी गईं तो रबी विपणन सीजन 2014-15 के लिए किसानों को गेहूं, चना, सरसों और मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ज्यादा मिलेगा। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने रबी फसलों के एमएसपी में 50 से 120 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की सिफारिश की है। इसके उलट कृषि मंत्रालय ने एमएसपी 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाने की सिफारिश की है। एमएसपी पर अंतिम फैसला आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी को करना है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दलहन और तिलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को उनकी फसलों के वाजिब दिए जाने की आवश्यकता है। इसीलिए कृषि मंत्रालय ने सीएसीपी की सिफारिशों के उलट रबी फसलों के एमएसपी में ज्यादा बढ़ोतरी करने की सिफारिश की है। इस पर अंतिम फैसला कैबिनेट कमेटी की बैठक में होगा। हालांकि आमतौर पर एमएसपी में बढ़ोतरी के लिए सीएसीपी की सिफारिशों पर ही अंतिम मोहर लगती है। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना के एमएसपी में सीएसीपी ने मात्र 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की सिफारिश की है जबकि कृषि मंत्रालय ने 200 रुपये की बढ़ोतरी कर दाम 3,200 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की है। इसी तरह से मसूर के एमएसपी में सीएसीपी की सिफारिश केवल 50 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाने की है जबकि मंत्रालय ने 200 रुपये बढ़ाकर भाव 3,100 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की है। उन्होंने बताया कि रबी तिलहनों की प्रमुख फसल सरसों के एमएसपी में सीएसीपी ने मात्र 50 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 3,050 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की है जबकि कृषि मंत्रालय ने 150 रुपये बढ़ाकर भाव 3,150 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की है। इसी तरह से रबी की प्रमुख फसल गेहूं के एमएसपी में सीएसीपी ने केवल 50 रुपये की बढ़ोतरी सिफारिश की है जबकि मंत्रालय ने 100 रुपये बढ़ाकर भाव 1,450 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की मांग की है। सीएसीपी ने गेहूं का भंडार ज्यादा होने का हवाला देकर रबी विपणन सीजन 2013-14 के लिए गेहूं का एमएसपी नहीं बढ़ाने की सिफारिश की थी लेकिन कृषि मंत्रालय की सिफारिशों से एमएसपी में 65 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई थी। रबी सीजन में मोटे अनाजों की प्रमुख फसल जौ और तिलहन की फसल सनफ्लावर के एमएसपी में बढ़ोतरी की सिफारिशों पर सीएसीपी और कृषि मंत्रालय की राय समान है। जौ के एमएसपी में दोनों ने 120 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,100 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की गई है। सनफ्लॉवर के एमएसपी को 200 रुपये बढ़ाकर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की है। (Business Bhaskar....R S Rana)

Gold falls as investors weigh Fed, physical demand

London, Sept 24. Gold today fell as investors weighed the outlook for slower US stimulus against speculation physical demand may strengthen before a Chinese holiday. Gold fell by 0.6 per cent to USD 1,315.08 an ounce and silver by 0.8 per cent to USD 21.47 an ounce. Bullion fell for a fourth week last week even after the US Federal Reserve unexpectedly refrained from slowing its USD 85 billion a month of bond buying. Economists said the Fed will take the first step in slowing its bond buying in December. Fed Bank of St Louis President James Bullard said tapering may start in October. Gold fell 21 per cent this year as some investors lost faith in the metal as a store of value on optimism economies are strengthening. Markets in China, last year's second-biggest gold consumer after India, will be shut for one-week on October 1 for the National Day holiday, also known as Golden Week. Holdings in gold-backed exchange-traded products fell 0.7 tonne yesterday to 1,932.4 tonnes, the lowest since May 2010.

Gold, silver fall further on sluggish demand, global cues

New Delhi, Sep 24. Gold, silver prices extended losses for the fourth-straight session here today on slackened demand amid a weak global trend. While gold fell further by Rs 25 to Rs 30,225 per ten gram, silver lost Rs 85 to Rs 48,940 per kg on lack of buying support from jewellers and industrial units. Traders said sluggish demand due to ongoing "Sharads", an inauspicious fortnight in Hindu mythology to make fresh purchases, mainly kept the precious metals lower. They said sentiment remained bearish after gold in overseas markets fell as stronger dollar reduced demand for the precious metals as an alternate investment. Gold in London, which normally set price trend on the domestic front, fell by 0.6 per cent to USD 1,315.08 an ounce and silver by 0.8 per cent to USD 21.47 an ounce. On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity fell by Rs 25 each to Rs 30,225 and Rs 30,025 per ten gram, respectively. It had lost Rs 560 in last three sessions. Sovereign held steady at Rs 25,000 per piece of eight gram. In line with a general weak trend, silver ready declined by Rs 85 to Rs 48,940 per kg and weekly-based delivery by Rs 135 to Rs 48,790 per kg. The white metal had lost Rs 2,175 in the previous three trading sessions. Meanwhile, silver coins continued to be asked at previous levels of Rs 85,000 for buying and Rs 86,000 for selling of 100 pieces.

23 सितंबर 2013

महाराष्ट्र ने घुड़का.. प्याज लुढ़का

महंगाई के आंकड़े को 6 महीने के उच्चतम स्तर तक पहुंचाने वाला प्याज महाराष्टï्र सरकार के तीखे तेवर देखकर आज खामोश पड़ गया। प्याज के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्टï्र की प्रमुख मंडियों में प्याज के दाम 20 फीसदी तक घट गए। राज्य सरकार ने आज चेताया कि वह प्याज की जमाखोरी बंद करने के लिए जल्द ही 'छापेÓ मारना शुरू करेगी। इस धमकी का अच्छा असर हुआ। प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्ल्य 650 डॉलर से बढ़ाकर 900 डॉलर प्रति टन करने के केंद्र के फैसले और नई फसल के आवक से भी प्याज के भाव उतरे। इसका असर खुदरा बाजार में भी जल्द दिख सकता है। कांग्रेस की अगुआई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को अगले साल होने वाले आम चुनावों का भान है और वह जानती है कि सियासी मोर्चे पर प्याज से टकराना आसान नहीं। करीब डेढ़ दशक पहले प्याज के दाम अचानक बढऩे से ही दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार गिर गई है। इसीलिए केंद्र सरकार इस बार सख्ती बरत रही है। इस बीच महाराष्टï्र सरकार ने नासिक में कृषि उत्पाद विपणन समिति के सचिवों के साथ बैठक की और चेताया कि राज्य सरकार प्याज की जमाखोरी करने वालों पर जल्द 'छापेÓ मारेगी। इस धमकी का असर दिखा और लासलगांव मंडी में प्याज के भाव 17.31 फीसदी गिर गए। इसके बाद अन्य मंडियों में भी प्याज नरम पड़ा और आज पिंपलगांव में प्याज का भाव 22.73 फीसदी टूटा। नासिक के एक प्याज निर्यातक ने बताया, 'सरकारी धमकी के बाद प्याज के दाम घटने का मतलब है कि कारोबारी जमाखोरी कर भाव बढ़ा रहे थे।Ó प्याज को जरूरी सामग्री घोषित करने से इनकार करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि हफ्ते भर में कीमतें कम होंगी। (BS Hindi)

स्टॉक के लिए सरकार खरीदे चीनी'

चीनी उद्योग की मदद के लिए 20 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने में सरकार ने कम रुचि दिखाई है। लेकिन उद्योग का मानना है कि मिलों के पास नकदी की समस्या दूर करने के लिए ऐसा कदम उठाए जाने की जरूरत है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कम कीमतों की वजह से मिलों को नकदी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। इससे किसानों को गन्ने का बकाया भुगतान अब तक के सर्वोच्च स्तर 12,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। उद्योग ने सरकार के सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये चीनी बिक्री के लिए बफर स्टॉक करने के अलावा चीनी पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी और 2 साल के लिए आयात पर रोक लगाने की मांग की है। इस महीने के अंत में समाप्त होने वाले चीनी सत्र 2012-13 में बचा हुआ स्टॉक 86 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर होगा, जबकि आमतौर पर करीब 40 लाख टन स्टॉक की जरूरत होती है। यह सीजन के अंत तक 1 करोड़ टन के पार भी निकल सकता है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) और नैशनल फेडरेशन ऑफ कॉपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) दोनों ने चीनी पर आयात शुल्क को वर्तमान 15 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी करने और निर्यात पर सब्सिडी देने की मांग की है। अधिकारियों ने कहा कि निर्यात को प्रत्यक्ष प्रोत्साहन के अलावा चीनी उद्योग चाहता है कि सरकार को कुछ अप्रत्यक्ष प्रोत्साहनों के बारे में भी विचार करना चाहिए। इसमें डीईपीबी रेट में बढ़ोतरी और देश के भीतर परिवहन शुल्क पर रिइंबर्समेंट दिया जाए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'चीनी उद्योग को घाटा होता रहेगा और यह अगले चीनी सीजन (2013-14) में भी किसानों को तब तक भुगतान नहीं कर पाएगा, जब तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में 20 से 30 लाख टन चीनी बेचने का कोई रास्ता नहीं ढूंढ लिया जाता।Ó उन्होंने कहा कि कम अंतरराष्ट्रीय कीमतों के कारण निर्यात अलाभकारी हो गया है। उद्योग ने सरकार से पीडीएस जरूरतों के लिए कम से कम 20 लाख टन चीनी खरीदने का आग्रह किया है। उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इससे न केवल सरकार को पीडीएस के लिए कम कीमत पर चीनी मिलेगी बल्कि चीनी उद्योग को भी अपना स्टॉक कम करने और किसानों को भुगतान के लिए नकदी मिलेगी।Ó कुछ महीने पहले विनियंत्रण योजना के तहत सरकार ने मिलों से आवश्यक वार्षिक खरीद बंद कर दी थी। अब राज्य खुले बाजार से खुली निविदा के जरिये चीनी खरीदते हैं और इसे 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम की निर्धारित दर पर बेचते हैं। चीनी की खरीद कीमत और पीडीएस के जरिये बिक्री की कीमत के बीच अंतर की भरपाई केंद्र करता है। अधिकारियों ने कहा कि उद्योग के प्रतिनिधियों ने आयात पर कम से कम दो साल के लिए पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है। उन्होंने एक योजना के लिए भी कहा है, जिसमें चीनी कंपनियों को नकदी बढ़ाने के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिया जाए। (BS Hindi)

नई फसल आने से प्याज की कीमत में नरमी

थोक बाजार में नए प्याज की खेप पहुंचने से दिल्ली में खुदरा बाजारों में आज प्याज की कीमत 10 रुपये घटकर 60-70 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास आ गई। कर्नाटक से नए फसल की आवक बढऩे से आने वाले दिनों में दाम और घटने की संभावना है। राष्ट्रीय वानकी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के आंकड़ों के अनुसार बेंगलूर के थोक बाजार में पिछले सप्ताह के मुकाबले प्याज की आवक 50 फीसदी बढ़कर 76,266 क्विंटल हो गई थी। व्यापारियों ने कहा कि अफगानिस्तान से वाघा सीमा के जरिए बाजार में प्याज की आवक बढऩे से भी प्याज की कीमतों में गिरावट आनी शुरू हुई है। प्याज मर्चेन्ट व्यापारी संघ के अध्यक्ष सुरेन्द्र बुद्धिराज ने कहा, 'बेंगलूर की मंडी से आजादपुर की मंडी में प्याज की नई फसल की आपूर्ति सुधरने के कारण कीमतें 10 रुपये प्रति किग्रा घटकर 45-50 रुपये प्रति किग्रा तक आ गई हैं।' उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह के मुकाबले आपूर्ति में करीब 30 फीसदी का सुधार हुआ है जहां पिछले सप्ताह के 9,000 क्विंटल की औसत आवक के मुकाबले आज बाजार में करीब 12,000 क्विंटल प्याज पहुंचा। (BS Hindi)

नई स्कीम फेल तो गेहूं बिक्री पुरानी पद्धति से

आर एस राणा नई दिल्ली | Sep 23, 2013, 09:20AM IST रिस्पांस- कई राज्यों की मिलें खरीद के लिए आगे नहीं आईं स्कीमों का फेर नई स्कीम में सभी मिलों को पंजाब-हरियाणा से उठाना था गेहूं परिवहन खर्च के चलते दूसरे राज्यों की मिलों के लिए बिड भरना कठिन पुरानी पद्धति के तहत राज्यवार मूल्य तय करके नीलामी की जाएगी इसमें संबंधित राज्य की मिलें गेहूं खरीद करने के लिए बिड भरेंगी राज्यवार निविदा में गेहूं की परिवहन लागत भी कीमत में जुड़ेगी राज्यवार गेहूं की नीलामी के लिए एफसीआई का टेंडर अगले हफ्ते खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं बेचने की नई स्कीम सिरे नहीं चढ़ पाई इसलिए सरकार फिर से पुराने तरीके पर आ गई है। रोलर फ्लोर मिलों को ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री फिर से राज्यों के आधार पर की जायेगी। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) आगामी सप्ताह में गेहूं की बिक्री के लिए राज्यवार निविदा आमंत्रित करेगी। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री एक बार फिर से राज्य के आधार पर की जायेगी। इसके लिए आदेश जारी किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि गेहूं की बिक्री के लिए राज्यों के आधार पर तो निविदा जारी की ही जायेगी, साथ ही अगर किसी राज्य की फ्लोर मिल चाहे तो पंजाब और हरियाणा से भी गेहूं खरीदने के लिए निविदा भर सकती है। उन्होंने बताया कि निविदा भरने के लिए न्यूनतम भाव 1,500 रुपये प्रति क्विंटल में परिवहन लागत (रेलवे) जोड़कर होगी। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की 21 जून को हुई बैठक में ओएमएसएस के तहत 95 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला किया था। इसके तहत 85 लाख टन गेहूं की बिक्री बल्क कंज्यूमर को और 10 लाख टन की बिक्री स्मॉल ट्रेडर्स को करनी है। ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री बल्क कंज्यूमर को पंजाब और हरियाणा से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की जा रही थी। लेकिन नई स्कीम के तहत पंजाब और हरियाणा को छोड़ अन्य राज्यों की मिलें गेहूं नहीं खरीद कर पा रही थी। इसीलिए बिक्री फिर से राज्यवार करने का फैसला किया है। स्मॉल ट्रेडर्स को 3 से 9 टन गेहूं की बिक्री 1,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से राज्यों के आधार पर पहले से ही की जा रही है। केंद्रीय पूल में पहली सितंबर को 589.33 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद है। इसमें 383.60 लाख टन गेहूं और 205.73 लाख टन चावल का स्टॉक जमा है। चालू रबी विपणन सीजन 2013-14 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर केवल 250.85 लाख टन गेहूं की खरीद ही हो पाई है जो पिछले साल की समान अवधि के 378.30 लाख टन से 127.46 लाख टन कम है। चालू रबी विपणन सीजन में खाद्य मंत्रालय ने 440 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य किया था। रबी विपणन सीजन 2012-13 में एफसीआई ने 381.48 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद की थी। कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का उत्पादन 936.2 लाख टन होने का अनुमान है जो वर्ष 2011-12 के रिकॉर्ड उत्पादन 948.8 लाख टन से कम है। (Business Bhaskar.....R S Rana)

प्याज की महंगाई का मामला सीसीआई के रडार पर

कारोबार के बारे में राज्यों से जानकारी मांगी कंपटीशन कमीशन ने कई महीनों से प्याज के दाम काफी ऊंचे बने रहने की वजह से कम्पटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने कार्टेलाइजेशन की जांच शुरू कर दी है। सीसीआई ने राज्यों से जानकारी मांगी है कि कहीं व्यापारी प्याज के दाम बढ़ाने के लिए कार्टेल तो नहीं बना रहे हैं। प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए निगरानी करने वाले सीसीआई ने पिछले कई माह से प्याज के ऊंचे मूल्य देखकर कार्रवाई शुरू की है। सूत्रों ने बताया कि आयोग ने राज्यों से प्याज के कारोबार के बारे में जानकारी मांगना शुरू कर दिया है। प्याज का उत्पादन मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश में होता है। इस बात की आशंकाएं व्यक्त की गई हैं कि कारोबारियों और दूसरे संगठनों द्वारा कार्टेलाइजेशन और जमाखोरी करके प्याज के दाम जानबूझकर उच्च स्तर पर बनाए रखे जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सीसीआई अगर इस मामले की जांच शुरू करता है तो उसे प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों के ठोस सबूतों की जरूरत होगी। आयोग प्याज के कारोबार से जुड़े ट्रेंड और तरीकों के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहा है। प्याज के ऊंचे दाम और अनैतिक कारोबारी गतिविधियों का शक होने पर सीसीआई के प्रमुख अशोक चावला ने कहा है कि आयोग इस मामले की जांच शुरू करने के बावत विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि पूरा मामला क्या निकलता है। अगर जरूरत हुई तो इसकी जांच की जाएगी। देश में प्याज की कीमत राजनीतिक रूप से संवेदनशील रही है। अगले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं। ऐसे समय में प्याज के दाम उपभोक्ताओं को परेशान कर रहे हैं। चावल ने कहा कि हम दुबारा इस मामले की जांच करने के बारे में सोच रहे हैं। इससे पहले प्याज के मूल्य में तेजी के बारे में जांच करने पर हमारा निष्कर्ष था कि बाजार में कारोबार सही तरीके से नहीं हो रहा है। लेकिन हमें कार्टेलाइजेशन के कोई सबूत नहीं मिले। उन्होंने कहा कि अगर प्याज की जमाखोरी होती है तो यह मामला आयोग के दायरे में नहीं आएगा। खबरों से पता चलता है कि प्याज की तेजी के पीछे कुछ कारण हैं। इसमें जमाखोरी की बात हो रही है। अगर जमाखोरी की बात सही है तो यह मामला हमारे दायरे के बाहर होगा। इस मामले में राज्यों को कार्रवाई करनी चाहिए। इस समय हम इससे ज्यादा कुछ भी नहीं कह सकते हैं। जानकारी मिलने के बाद तय किया जाएगा कि मामले की जांच की जाए या नहीं। थोक बाजार में प्याज सस्ती, फुटकर में स्थिर नई दिल्ली - पिछले शनिवार को दिल्ली के थोक बाजार में प्याज के दाम करीब पांच रुपये प्रति किलो घट गए। कर्नाटक से सप्लाई आने की वजह से मूल्य में कुछ कमी आई। लेकिन फुटकर भाव अभी भी 70 रुपये प्रति किलो के आसपास बने हुए हैं। नेशनल हॉर्टीकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन के आंकड़ों के मुताबिक प्याज के औसत दाम 53.39 रुपये से घटकर 48.77 रुपये प्रति किलो रह गए। मंडी में प्याज की सप्लाई 8000 क्विंटल से बढ़कर 9700 क्विंटल हो गई। कारोबारियों के अनुसार कर्नाटक से प्याज की सप्लाई शुरू हो गई है और अफगानिस्तान से आयातित प्याज की मंडी में पहुंच गई है। (Business Bhaskar)

Kharif foodgrain output may surpass last year's level: Pawar

New Delhi, Sept 23. India's foodgrain production is projected to increase marginally in the kharif (summer) season this year to 129.32 million tonnes after more than half the country received normal monsoon rains. "Total foodgrain production in the kharif season of the 2013-14 crop year is definitely expected to be higher than last year's level at 129.32 million tonnes," Agriculture Minister Sharad Pawar told PTI. Foodgrain output stood at 128.2 million tonnes in last year's kharif season. Sowing in the kharif season starts with the southwest monsoon in June and harvesting from October. The initial estimate falls short of the target of 130.5 million tonnes of foodgrain production set for the kharif season this year. Rice, pulses, cotton, maize and soyabean are the major kharif crops. Pawar said production of paddy, the main kharif crop, is projected to exceed last year's level of 92.76 million tonnes as good monsoon rainfall has boosted the acreage and crop prospects. He didn't give an output estimate for paddy. Except for sugarcane, which was sown in a smaller area, production of other kharif crops looks bright, he said. Crop-wise production forecast would be provided tomorrow when the first advance estimates of the kharif season for the 2013-14 crop year (July-June) are released, he added. According to the Indian Meteorological Department, 53 per cent of the country received normal rains during the June to September monsoon season, while one-third of the country got excess rains. The monsoon has withdrawn from the northern and western parts. A good monsoon is needed for India's economic growth as more than 60 per cent of the population depends on agriculture and allied activities. The Agriculture Ministry has set a target of 128.5 million tonnes of foodgrain production during the rabi (winter) season, which will start from next month through February 2014.

Precious metals fall for third day on global cues, low demand

New Delhi, Sep 23. Both gold and silver fell for the third straight session in the national capital today on lower demand against sustained selling in line with a weak global trend. While gold fell by Rs 250 to Rs 30,250 per ten grams, silver lost Rs 475 to Rs 49,025 per kg on reduced offtake by jewellers and industrial units. Traders said sentiment remained bearish on fall in demand following ongoing "Sharads", an inauspicious fortnight in Hindu mythology for making any fresh purchases. They said a weakening global trend where gold extended the biggest drop in more than a week as investors weighed the outlook for stimulus, further influenced the trend. Gold in Singapore, which normally sets price trend at the domestic front, dropped 0.9 per cent to USD 1,313.69 an ounce and silver by 1.4 per cent to USD 21.48 an ounce. At the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity fell further by Rs 250 each to Rs 30,250 and Rs 30,050 per ten grams, respectively. The yellow metal had lost Rs 310 in the previous two sessions. Sovereign shed Rs 100 to Rs 25,000 per piece of eight gram. Silver ready dropped by Rs 475 to Rs 49,025 per kg and weekly-based delivery by Rs 575 to Rs 48,925 per kg. The white metal had lost Rs 1,700 in last two sessions. Silver coins, however, held steady at Rs 85,000 for buying and Rs 86,000 for selling of 100 pieces in limited deals

21 सितंबर 2013

दलहन व तिलहन पर स्टॉक लिमिट बढ़ाने की तैयारी

सिफारिश - स्टॉक लिमिट बढ़ाने की अनुशंसा चार राज्यों ने की आसार - चालू खरीफ में अनुकूल मौसम से दलहन के साथ ही तिलहनों की बुवाई क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी से उत्पादन बढऩे की उम्मीद दबाव - देश में खाद्य तेलों की सालाना खपत का करीब 50 फीसदी आयात करना पड़ता है। दालों का भी करीब 30 से 35 लाख टन आयात करना होता है। खरीफ में दलहन के साथ ही तिलहन का उत्पादन भले ही बढऩे की अनुमान हो, लेकिन केंद्र सरकार ने दलहन, खाद्य तेल और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट की अवधि को एक साल बढ़ाने की तैयारी कर ली है। दलहन, खाद्य तेल और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट की अवधि 30 सितंबर 2013 को समाप्त हो रही है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने स्टॉक लिमिट की अवधि को बढ़ाकर 30 सितंबर 2014 तक करने की सिफारिश की है। इस पर फैसला 20 सितंबर को होने वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में होने की संभावना है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि दलहन, खाद्य तेल और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट की अवधि को बढ़ाने की सिफारिश चार राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और आंध्रप्रदेश ने की है। स्टॉक लिमिट की अवधि को बढ़ाने का मकसद घरेलू बाजार में दलहन और खाद्य तेलों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। इसीलिए मंत्रालय ने दलहन, खाद्य तेल और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट की अवधि को 30 सितंबर 2913 से बढ़ाकर 30 सितंबर 2014 तक करने की सिफारिश की है। हालांकि उन्होंने माना कि चालू खरीफ में अनुकूल मौसम से दलहन के साथ ही तिलहनों के बुवाई क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी से इनका उत्पादन बढऩे का अनुमान है। देश में खाद्य तेलों की सालाना खपत के करीब 50 फीसदी का हमें आयात करना पड़ता है। इसके साथ ही दालों का भी सालाना करीब 30 से 35 लाख टन आयात करना होता है। चालू खरीफ में अनुकूल मौसम से दलहन और तिलहनों के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है जिससे इनका उत्पादन बढऩे का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दलहन की बुवाई बढ़कर 98.25 लाख टन से बढ़कर 103.76 लाख हैक्टेयर में और तिलहन की बुवाई 170.97 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 192.51 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार दिल्ली फुटकर बाजार में चना दाल 54 रुपये, अरहर दाल 70 रुपये, उड़द दाल 66 रुपये, मूंग दाल 79 रुपये, मसूर दाल 64 रुपये, मूंगफली तेल 167 रुपये, सरसों तेल 100 रुपये, सोया रिफाइंड तेल 95 रुपये और सनफ्लावर तेल 106 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। (Business Bhaskar....R S Rana)

कम बारिश का असर रबी की बुवाई पर पडऩे की आशंका

आर एस राणा नई दिल्ली | Sep 20, 2013, 09:39AM IST सूरते हाल - राज्यों में पिछले एक महीने में मानसूनी बारिश काफी कम फिक्र चालू रबी में प्रमाणित बीजों के साथ ही खाद की मात्रा लगभग सभी राज्यों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है लेकिन बारिश कम होना चिंताजनक मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और हरियाणा में ज्यादा बारिश नहीं हुई है इसलिए चना और तिलहनी फसल सरसों के साथ ही जौ की बुवाई पर असर पड़ सकता है मध्य अगस्त के बाद मानसूनी वर्षा कम होने से रबी की प्रमुख फसलों गेहूं, चना, सरसों और जौ की बुवाई पर आंशिक असर पडऩे की आशंका है। मध्य महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में पिछले एक महीने में मानसूनी बारिश काफी कम हुई है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मानसून की विदाई शुरू हो गई है तथा पिछले एक महीने से मानसूनी बारिश सीमित मात्रा में ही हुई है जिसका असर रबी की प्रमुख फसलों गेहूं, चना, सरसों और जौ की बुवाई पर पडऩे की आशंका है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर अगस्त और सितंबर महीने में अच्छी बारिश होती थी, जिसकी वजह से किसान खेतों में नमी दबा कर रख लेते थे। लेकिन इस बार अगस्त के मध्य से खासकर मध्य महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में बारिश काफी कम हुई है जिसकी वजह से खेतों में नमी की मात्रा नहीं है। उन्होंने बताया कि चालू रबी में प्रमाणित बीजों के साथ ही खाद की मात्रा लगभग सभी राज्यों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है लेकिन बारिश कम होना चिंताजनक है। गेहूं अनुसंधान निदेशालय (डीडब्ल्यूआर) की प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. इंदु शर्मा ने बताया कि सितंबर महीने में होने वाली बारिश से किसान खेतों में नमी को दबा कर रख लेते थे जिससे रबी फसलों की बुवाई के लिए खेतों की सिंचाई नहीं करनी पड़ती थी। लेकिन मानसूनी सीजन सीजन में जून-जुलाई में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई लेकिन अगस्त-सितंबर महीनों में बारिश सामान्य से कम हुई है जिसकी वजह से जहां सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है वहां रबी फसलों की बुवाई पर आंशिक असर पड़ सकता है। जैसे मध्य प्रदेश और राजस्थान में चना और सरसों की बुवाई प्रभावित हो सकती है। एग्रोनॉमी के कृषि वैज्ञानिक शिवधर मिश्रा ने बताया कि चना, सरसों और जौ की बुवाई अक्टूबर में शुरू हो जाती है तथा किसान सितंबर महीने में हुई बारिश की नमी से ही इनकी बुवाई करते हैं। चालू सीजन में अगस्त के अंतिम पखवाड़े के बाद से मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और हरियाणा में ज्यादा बारिश नहीं हुई है इसलिए खरीफ दलहन की प्रमुख फसल चना और तिलहनी फसल सरसों के साथ ही जौ की बुवाई पर असर पड़ सकता है। हालांकि अभी भी समय बचा हुआ है तथा चालू महीने के आखिर तक बारिश हो जाती है तो रबी फसलों बुवाई के लिए वरदान साबित होगी। (Business Bhaskar....R S Rana)

19 सितंबर 2013

जिग्नेश शाह की बढ़ी मुश्किल

नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) का मामला फिलहाल सुलझता दिखाई नहीं दे रहा है। लगातार पांच बार निवेशकों और ब्रोकरों का पैसा वापस करने में एक्सचेंज के विफल रहने के बाद नाराज निवेशकों ने अब कानून का दरवाजा खटखटा है। निवेशकों ने एनएसईएल और जिग्नेश शाह के खिलाफ मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में शिकायत दर्ज कराई है। ईओडब्ल्यू बड़े पैमाने में धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और गलत विनियोजन अपराध के खिलाफ मामला दर्ज किया है। एनएसईएल द्वारा भुगतान में चूक से परेशान एनएसईएल इन्वेस्टर फोरम की ओर से 58 निवेशकों ने ईओडब्ल्यू में एक्सचेंज, उसके प्रवर्तकों, बोर्ड के निदेशक जिग्नेश शाह, अमित मुखर्जी और जय बहुखंडी, ऑडिटर मुकेश शाह और 24 अन्य डिफॉल्टर सदस्यों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है। इन्वेस्टर फोरम के वकील अमित देसाई इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि यह मामला जितना दिखाई दे रहा है, उससे कहीं बड़ा है। इसके तहत बड़े पैमाने पर योजनाबद्घ तारीक से निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की गई है और पूरे घोटाले का कर्ताधर्ता जिग्नेश शाह है। शिकायत में कहा गया हैकि 99 फीसदी सौदों की आपूर्ति फर्जी थी और गोदामों में रखे गए माल की रसीद भी फर्जी है, जिससे यह मामला और गंभीर हो जाता है। शिकायत में कहा गया है कि एनएसईएल ने बिना पर्याप्त स्टॉक के निवेशकों से सौदे किए, जो धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। इन्वेस्टर फोरम के अध्यक्ष शरद कुमार श्रॉफ के मुताबिक कोई भी निवेशक या कारोबारी विवाद नहीं चाहता है और यही सोचकर एनएसईएल और उसके प्रवर्तकों को निवेशकों का पैसा वापस करने के लिए लंबा समय दिया गया है लेकिन एनएसईएल के प्रवर्तक उम्मीद पर खरे नहीं उतर रहे हैं और वह मामले को केवल आगे खींच रहे हैं, जो उनकी नीयत पर सवाल खड़ा कर रहा है। श्रॉफ ने बताया कि इस घोटाले को योजनाबद्घ तारीके से अंजाम दिया गया और इसमें हजारों निवेशकों और ब्रोकरों के 5500 करोड़ रुपये से ज्यादा फंसे हुए हैं। एनएसईएल और जिग्नेश शाह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 407, 409, 417, 420, 424, 465, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। निवेशक फोरम के सदस्यों का कहना है कि बड़े पैमाने पर हुए धोखाधड़ी और दूसरे संस्थानों के जरिये धोखाधड़ी के किए जा रहे प्रयासों के खिलाफ निवेशकों को जागरूक किया जाएगा। अभी 58 निवेशकों ने मामला दर्ज कराया है आगे चलकर इनकी संख्या और बढ़ सकती है। फोरम के वकीलों की मानी जाए तो इस मामले में जिग्नेश शाह की गिरफ्तारी भी हो सकती है। दूसरी तरफ एनएसईएल के अधिकारियों का कहना है कि वह पूरे मामले को सुलझाने की कोशिश में लगे हैं और निवेशकों का पूरा पैसा वापस किया जाएगा। (BS Hindi)