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21 अगस्त 2013

एनएसईएल नहीं कर पाया पूरी पेमेंट!

जिसका डर था, वही हुआ। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) अपने निवेशकों के पहली किश्त के पैसे नहीं लौटा पाया है। एनएसईएल को 175 करोड़ रुपये का पहला भुगतान करना था। जबकि एक्सचेंज सिर्फ 92.12 करोड़ रुपये ही दे पाया है। एनएसईएल ने पे-आउट के तहत मोतीलाल ओसवाल कमोडिटी को 4.3 करोड़ रुपये चुकाए हैं। वहीं इंडिया इंफोलाइन कमोडिटी को 5.34 करोड़ रुपये और आनंद राठी कमोडिटी को 10.49 करोड़ रुपये चुकाए हैं। इसके अलावा एमएमटीसी को 3.6 करोड़ रुपये, इंडियन बुलियन एसोसिएशन को 19.16 करोड़ रुपये और जियोजित कॉमट्रेड को 5.13 करोड़ रुपये चुकाए हैं। एनएसईएल के 24 देनदारों के पास नकदी और एसेट की कमी है। एनएसईएल के देनदारों में 17 कंपनियों ने तय रकम से कम पेमेंट किया है। वहीं 9 कंपनियों ने डिफॉल्ट किया है। एनएसईएल के देनदारों में शामिल एन के प्रोटीन्स पर 970 करोड़ रुपये की देनदारी है, जबकि इस कंपनी की एसेट 564 करोड़ रुपये और मुनाफा 15 करोड़ रुपये है। ए आर के इंपोर्ट्स पर 719 करोड़ रुपये की देनदारी है, जबकि इस कंपनी की एसेट 124 करोड़ रुपये और मुनाफा 7.7 करोड़ रुपये है। वहीं लॉइल कॉन्टिनेंटल पर एनएसईएल की 335 करोड़ रुपये देनदारी है, जबकि लॉइल कॉन्टिनेंटल की एसेट 14.6 करोड़ रुपये और मुनाफा 8.7 करोड़ रुपये है। लॉइल हेल्थ फूड्स पर 289 करोड़ रुपये की देनदारी है, जबकि इस कंपनी की एसेट 71 करोड़ रुपये और मुनाफा 11 करोड़ रुपये है। मोहन इंडिया पर 575 करोड़ रुपये की देनदारी है, जबकि इस कंपनी की एसेट 17 करोड़ रुपये और मुनाफा 2,044 करोड़ रुपये है। हालांकि, कमोडिटी वायदा रेगुलेटर एफएमसी ने एनएसईएल को निर्देश दिया है कि एक्सचेंज पास जितने भी पैसे हैं वो निवेशकों में बिना किसी भेदभाव के बांटे। एफएमसी ने कहा है कि मिली कुल रकम में से आईबीएमए के सदस्यों को भी पेमेंट की जाए। आईबीएमए के वास्तविक कारोबारियों को ही पहले भुगतान किया जाए। वहीं, एफएमसी ने एनएसईएल को वैट और एक्सचेंज फंड युटिलाइजेशन का भुगतान अभी नहीं करने का निर्देश दिया गया है। पेमेंट के बाद निवेशकों का नाम और पूरा ब्यौरा एनएसईएल को अपनी वेबसाइट पर लगाना होगा। एनएसईएल को कुल 5500 करोड़ रुपये लौटाने हैं, जिसे 30 हफ्तों में चुकाने की योजना है। लेकिन, बड़ा सवाल है कि एनएसईएल में इतना बड़ा पेमेंट संकट कैसे खड़ा हो गया। एनएसईएल को सिर्फ एक दिन के कॉन्ट्रैक्ट में कारोबार की इजाजत थी। लेकिन, नियमों के अभाव में एक्सचेंज ने कुछ प्रोडक्ट्स में शॉर्ट सेलिंग की इजाजत दी थी। शॉर्ट सेलिंग एफएमसी ने आपत्ति जताते हुए एक्सचेंज को कारोबार से रोका। कारोबार पर रोक से 5500 करोड़ रुपये के सौदों के सेटलमेंट खड़ी हुई है। एफएमसी की सख्ती के बाद एक्सचेंज को अपना सेटलमेंट प्लान लाना पड़ा। निवेशकों को अब बस सरकार से ही कोई उम्मीद है। निवेशक और ब्रोकरों का कहना है कि वो एनएसईएल मामले में कानूनी रास्ता अपना सकते हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक सरकार को इस मामले को निपटाने के लिए एनएसईएल को अपने हाथ में ले लेना चाहिए। निवेशकों को एनएसईएल पर कोई भरोसा नहीं है। एनएसईएल को यह कदम 20 दिन पहले ही उठाना चाहिए था। कोर्ट जाने से पहले पे-आउट का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब कानूनी विकल्पों पर विचार जारी है। निवेशक एनएसईएल के रवैये से दुखी हैं। इन्वेस्टर ग्रीवांस फोरम के प्रेसिडेंट किरीट सोमैय्या के मुताबिक एफएमसी और सरकार को इस मामले की जांच सीबीआई से करानी चाहिए। वहीं एनएसईएल इंवेस्टर फोरम के चेयरमैन शरद श्रॉफ का कहना है कि एनएसईएल के डूबने से एमसीएक्स पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा। अभी तक एमसीएक्स का कामकाज काफी अच्छा नजर आ रहा है, लेकिन आगे दिक्कतें काफी ज्यादा हैं। निवेशकों को एनएसईएल पर बिल्कुल भरोसा नहीं रह गया है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि एनएसईएल डिफॉल्ट मामले में सरकार अगले 48 घंटों में कुछ कड़े कदम उठा सकती है। खास तौर पर प्रवर्तन निदेशालय और डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यु इंटेलिजेंस से काम तेज करने को कहा गया है। कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने इस मामले पर प्रधानमंत्री को भी रिपोर्ट सौंपने वाला है। सूत्रों का कहना है कि कार्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय से इस मामले में एमसीएक्स और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज की भूमिका की जांच को कहा गया है। एनएसईएल मामले में कानून मंत्रालय से भी राय मांगी गई है। माना जा रहा है कि वित्त मंत्रालय जल्द ही कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय से पूरा मामला अपने हाथ में ले लेगा। इस मामले में वित्त मंत्रालय के अधिकारी के नेतृत्व में कमेटी जल्द बनेगी। एफएमसी को वित्त मंत्रालय के अधीन लाया जाएगा। सूत्रों की मानें तो प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से एनएसईएल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले पर जल्द कार्रवाई संभव है। प्रवर्तन निदेशालय एनएसईएल में पैसे के सोर्स (मनी ट्रेल) की जांच कर रहा है। प्रवर्तन निदेशालय के पास एनएसईएल में मनी लॉन्ड्रिंग के पुख्ता सबूत हैं। दरअसल प्रवर्तन निदेशालय एनएसईएल के निवेशकों की तरफ से मामला दर्ज करने का इंतजार कर रहा है। उधर एनएसईएल सेटलमेंट कमेटी की 26 अगस्त को बैठक होगी। बैठक में सेटलमेंट से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार होगा। एनएसईएल की कमेटी में कंपनी लॉ बोर्ड के पूर्व मेंबर शरद उपासनी, हाईकोर्ट के पूर्व जज आर जे कोचर बैठक में शामिल होंगे। एनएसईएल की कमेटी में सेबी के पूर्व चेयरमैन जी एन बाजपेई और पूर्व डीजीपी डी शिवानंदन भी शामिल होंगे। एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक का कहना है कि एनएसईएल के पहले पेमेंट पर सवाल खड़े हो गए हैं। इससे एनएसईएल की नीयत और विश्वसनीयता पर संदेह हो रहा है। एफएमसी को गोदामों में माल के बारे में जिग्नेश शाह की सफाई पर भरोसा नहीं है। गोदाम में पर्याप्त स्टॉक का नहीं होना एनएसईएल सिस्टम की नाकामी है। इसके अलावा एनएसईएल ने मनी लॉन्ड्रिंग की या नहीं इसकी भी जांच होगी। अगर एनएसईएल का बोर्ड योग्य नहीं पाया गया तो असर एमसीएक्स पर भी पड़ेगा। आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन आनंद राठी का कहना है कि एनएसईले का पेमेंट शेड्यूल काफी कमजोर था लेकिन उसके बावजूद एनएसईएल पैसा नहीं जुटा पाया जो काफी निराशाजनक है। एनएसईएल पेमेंट देना बोर्ड और प्रमोटर्स की जिम्मेदारी है। बोर्ड और प्रमोटर्स को देखना चाहिए कि पैसा आए या ना आए किसी भी तरीके से निवेशकों का पैसा लौटाया जाए। आनंद राठी के मुताबिक इस मामले में ईडी, एसएफआईओ की जांच की जरूरत है। साथ ही इस मामले के बाद एनएसईएल में जो स्टॉक बचा हुआ है उस पर नियंत्रण करने की जरूरत है। (Moneycantrol.com)

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