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31 अगस्त 2013

केस्टर सीड में निवेश से कमा सकते हैं मुनाफा

आर एस राणा नई दिल्ली | Aug 31, 2013, 03:05AM IST लाभ का सौदा एनसीडीईएक्स पर अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में केस्टर सीड की कीमतों में पिछले दो दिनों में 6.8 फीसदी की गिरावट आई है उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड की दैनिक आवक भी पहले की तुलना में कम हो गई है। ऐसे में आगामी दिनों में केस्टर सीड की मौजूदा कीमतों में फिर तेजी आने की संभावना है कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक केस्टर सीड की बुवाई पिछले साल की तुलना में ज्यादा है। पारिख ने कहा कि चालू सीजन में अभी तक केस्टर सीड की बुवाई बढ़ी है लेकिन कुल बुवाई पिछले साल से कम होने की आशंका है उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड की दैनिक आवक 8,000 से 10,000 बोरियों (एक बोरी-75 किलो) की हो रही है जबकि कीमतें घटने से दैनिक आवक कम हो जाती है। इसलिए आगामी दिनों में केस्टर सीड की मौजूदा कीमतों में 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने की संभावना है रुपये के मुकाबले डॉलर में आई मजबूती से केस्टर तेल के निर्यातकों का मार्जिन बढ़ गया है जिससे निर्यात सौदों में पहले की तुलना में तेजी आई है। केस्टर सीड की नई फसल की आवक फरवरी-मार्च महीने में बनेगी। हालांकि वायदा बाजार में निवेशकों की बिकवाली से केस्टर सीड में पिछले दो दिनों में 6.8 फीसदी की गिरावट आकर अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में शुक्रवार को भाव 3,615 रुपये प्रति क्विंटल रह गए है लेकिन लंबी अवधि में केस्टर सीड की कीमतों में तेजी की संभावना है। ऐसे में निवेशक नीचे भाव में निवेश करके मुनाफा कमा सकते हैं। एनसीडीईएक्स पर अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में केस्टर सीड की कीमतों में पिछले दो दिनों में 6.8 फीसदी की गिरावट आई है। 29 अगस्त को अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में केस्टर सीड का दाम 3,882 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि शुक्रवार को भाव 3,615 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। ब्रोकिंग फर्म इंडिया बुल्स कमोडिटी लिमिटेड के असिस्टेंट वाइस प्रेसीडेंट रिसर्च (कमोडिटी) बद्दरुदीन खान ने बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर बढऩे से केस्टर तेल के निर्यातकों का मार्जिन बढ़ गया है। हालांकि वायदा बाजार में पिछले दो दिनों में केस्टर सीड की कीमतों में गिरावट आई है लेकिन हाजिर बाजार में वायदा के अनुपात में दाम कम घटे हैं। उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड की दैनिक आवक भी पहले की तुलना में कम हो गई है। ऐसे में आगामी दिनों में केस्टर सीड की मौजूदा कीमतों में फिर तेजी आने की संभावना है। एस सी केमिकल के प्रबंधक कुशल राज पारिख ने बताया कि केस्टर तेल के निर्यात सौदों में पहले की तुलना में तेजी आई है। चालू वर्ष के पहले आठ महीनों (जनवरी से अगस्त) के दौरान करीब 3.75 लाख टन केस्टर तेल का निर्यात हो चुका है जबकि सितंबर महीने में भी करीब 40,000 टन तेल का निर्यात होने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक केस्टर सीड की बुवाई पिछले साल की तुलना में ज्यादा है। पारिख ने कहा कि चालू सीजन में अभी तक जरूर केस्टर सीड की बुवाई बढ़ी है लेकिन कुल बुवाई पिछले साल से कम होने की आशंका है। जयंत एग्रो ऑर्गेनिक लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक वामन भाई ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में केस्टर तेल का भाव 1,175 से 1,200 डॉलर प्रति टन चल रहा है इन भाव में निर्यातकों को अच्छा पड़ता लग रहा है। उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड का दाम 3,600 से 3,650 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है जबकि केस्टर तेल का भाव 775 रुपये प्रति दस किलो है। उन्होंने बताया कि उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड की दैनिक आवक 8,000 से 10,000 बोरियों (एक बोरी-75 किलो) की हो रही है जबकि कीमतें घटने से दैनिक आवक कम हो जाती है। इसलिए आगामी दिनों में केस्टर सीड की मौजूदा कीमतों में 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने की संभावना है। साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार वित्त वर्ष 2012-13 में केस्टर तेल का निर्यात 4.30 लाख टन का हुआ था जबकि चालू वित्त वर्ष 2013-14 के पहले तीन महीनों (अप्रैल से जून) के दौरान 1.38 लाख टन का निर्यात हुआ है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2013-14 के पहले तीन महीनों में केस्टर तेल के निर्यात में मूल्य के हिसाब 13.98 फीसदी की गिरावट आई है। अप्रैल से जून के दौरान 1,242.93 करोड़ रुपये मूल्य का केस्टर तेल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 1,444.92 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में केस्टर सीड की बुवाई 7.37 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 7.05 लाख हैक्टेयर में हुई थी। (Business bhaskar.... ;R S Rana)

सस्ता गेहूं भी नहीं खरीद रहे हैं फ्लोर मिलर्स

आर एस राणा नई दिल्ली | Aug 28, 2013, 09:33AM IST कोताही - एफसीआई ने स्माल ट्रेडर्स के लिए 2.45 लाख टन गेहूं बेचने के लिए निविदा आमंत्रित की, इसमें से केवल 18,640 टन गेहूं की ही बिक्री हुई केंद्रीय पूल से सस्ता गेहूं लेने में भी रोलर फ्लोर मिलर्स कोताही बरत रहे हैं। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने स्माल ट्रेडर्स के लिए 2.45 लाख टन गेहूं बेचने के लिए निविदा आमंत्रित की हुई है इसमें से केवल 18,640 टन गेहूं की ही बिक्री हुई है। बल्क कंज्यूमर ने इस दौरान 20,300 टन गेहूं की ही खरीद की है। एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि दिल्ली में स्माल ट्रेडर्स के लिए गेहूं का बिक्री भाव 1,538 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि खुले बाजार में दाम 1,580-1,590 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। इसके बावजूद गेहूं का उठाव नहीं के बराबर हो रहा है। दिल्ली में 10,000 टन गेहूं बेचने के लिए निविदा मांगी गई थी लेकिन इसमें से केवल 1,098 टन गेहूं की बिक्री ही हुई। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने स्माल ट्रेडर्स को 10 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला किया था इसमें से निगम ने 2.45 लाख टन गेहूं बेचने के लिए निविदा आमंत्रित की है जिसमें से स्माल ट्रेडर्स ने केवल 18,640 टन गेहूं ही खरीदा है। अन्य राज्यों-जम्मू-कश्मीर में 4,905 टन, गोवा में 4,329 टन, तमिलनाडु में 3,057 टन, कर्नाटक में 1,833 टन, महाराष्ट्र में 1,638 टन और केरल में 1,080 टन गेहूं की ही बिक्री हुई है। खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बल्क कंज्यूमर के लिए केंद्र सरकार ने 90 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला किया था। मध्य जुलाई में एफसीआई ने इसकी बिक्री शुरू की थी लेकिन बल्क कंज्यूमर ने अभी तक केवल 20,300 टन गेहूं की ही खरीद की है। इसमें से हरियाणा से 7,750 टन और पंजाब से 12,550 टन गेहूं की बिक्री हुई है। इसका औसत बिक्री भाव 1,500.42 से 1,500.47 रुपये प्रति क्विंटल है। दिल्ली स्थित एक रोलर फ्लोर मिल के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एफसीआई से गेहूं की खरीद पर मिलर्स को करीब 50 से 60 रुपये प्रति क्विंटल (परिवहन, लोडिंग, अनलोडिंग आदि) का खर्च आ जाता है जबकि खुले बाजार से गेहूं की खरीद सस्ती पड़ रही है इसीलिए स्माल ट्रेडर्स भी गेहूं की खरीद नहीं कर रहे हैं। ओएमएसएस के तहत बल्क कंज्यूमर के लिए केंद्र सरकार ने पंजाब और हरियाणा से गेहूं की बिक्री के लिए निविदा भरने का न्यूनतम भाव 1,500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और आंध्रप्रदेश की फ्लोर मिलें पंजाब और हरियाणा से गेहूं की खरीद करती है तो उन्हें परिवहन लागत ज्यादा आ रही है इसलिए ओएमएसएस के तहत भी उठाव नहीं के बराबर हो रहा है। (Business bhaskar.....R S Rana)

वैश्विक एक्सचेंज भी जांच के घेरे में

एफटी समूह द्वारा प्रवर्तित वैश्विक एक्सचेंजों की भूमिका भी सरकारी जांच के दायरे में आ गई है। कई निवेशकों की हिस्सेदारी जहां एमसीएक्स पर थी वहीं इन्हें फाइनैंशियल टेक्नोलॉजीज (एफटी) द्वारा प्रवर्तित अंतरराष्टï्रीय एक्सचेंजों पर भी समान पोजीशन की पेशकश की गई। हालांकि ये सुविधाएं ब्रोकरों द्वारा मुहैया कराई गई थीं, इसलिए सरकार यह पता लगा रही है कि क्या एफटी समह द्वारा चलाए जाने वाले वैश्विक एक्सचेंजों में केवाईसी या अन्य प्रक्रियाओं के मामले में लापरवाही बरती गई। यदि इस तरह की गड़बड़ी पाई जाती है तो इसे फेमा और एंटी-मनी लॉंड्रिंग ऐक्ट का भी उल्लंघन समझा जाएगा। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'सरकार अब एफटीआईएल प्रवर्तित एक्सचेंजों एनएसईएल, एमसीएक्स और उसके द्वारा भारत से बाहर संचालित एक्सचेंजों में समान सौदों का पता लगा रही है।Ó एफटी समूह ने बहरीन फाइनैंशियल एक्सचेंज (बीएफएक्स), सिंगापुर मर्केंटाइल एक्सचेंज (एसएमएक्स) और दुबई गोल्ड एंड कमोडिटी एक्सचेंज (डीजीसीएक्स) शुरू किए। एफटी समूह द्वारा स्थापित किए गए ये तीनों एक्सचेंज सोने के अनुबंध की पेशकश कर रहे हैं। एफटी के प्रवक्ता ने कहा, 'इस तरह की जांच के संबंध में हमें किसी सरकारी अधिकारी/प्राधिकरण से कोई सूचना नहीं मिली है और इसलिए हम इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते।Ó इस उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि निवेशकों और कारोबारियों ने भारतीय अधिकारियों को सूचित किए बगैर वैश्विक पोजीशन ले रखी हैं और इसके अलावा अमेरिका स्थित कॉमेक्स और एलएमई पर भी उनकी पोजीशन हैं। हालांकि इन एक्सचेंजों के बारे में भारतीय अधिकारियों को जानकारी नहीं है, लेकिन वे भारतीय प्रवर्तकों द्वारा प्रवर्तित एक्सचेंजों में ऐसी पोजीशन की जांच कर रहे हैं। इस घटनाक्रम से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि आरबीआई के डिप्टी गवर्नर की अगुवाई में सरकार द्वारा गठित एक कार्यसमूह उन फर्मों में मनी लाउंडरिंग की आशंकाओं का पता लगा रहा है जिन्होंने एनएसईएल, एमसीएक्स और विदेशों में भी एफटी के स्वामित्व वाले एक्सचेंजों में कारोबार किया है। एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'ये सभी जांच घटनाक्रम 26 अगस्त को सरकार द्वारा गठित समिति और कार्य समूह के दायरे में हैं और हम इस मामले पर गहनता से विचार कर रहे हैं।Ó वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) द्वारा एनएसईएल बोर्ड को जोखिम की स्थिति में 'फिट और मजबूतÓ दर्जे के संबंध में चेतावनी दिए जाने के बाद घरेलू और वैश्विक तौर पर एक्सचेंजों की पूरी श्रृंखला सभी संबद्घ नियामकों की जांच के दायरे में है। एनएसईएल द्वारा पहले सप्ताह में भुगतान की प्रतिबद्घता में विफल रहने के बाद यह चेतावनी नियामक द्वारा पिछले सप्ताह दी गई थी। नियामक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'जब प्रवर्तक एक्सचेंज के संचालन के संदर्भ में फिट और मजबूत व्यक्ति के अपने दर्जे को खो दे तो अन्य नियामकों को भी प्रवर्तक द्वारा इस तरह की स्थिति में होने पर पुनर्विचार करना चाहिए। वैश्विक नियामकों ने भी अक्सर इस पर अमल किया।Ó इसका मतलब है कि यदि एनएसईएल प्रवर्तक एनएसईएल में अपने फिट एवं उचित दर्जे को खो देते हैं तो समान प्रवर्तकों द्वारा स्थापित कमोडिटी, स्टॉक और पावर एक्सचेंजों को भी उनके संबद्घ प्रवर्तकों द्वारा इस तरह की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। (BS Hindi)

सप्लाई कम होने की संभावना से कपास के मूल्य में भारी तेजी

आर एस राणा नई दिल्ली | Aug 30, 2013, 00:02AM IST जल्दी ही दाम 50 हजार रुपये प्रति कंैडी के पार होने के आसार मार्केट आउटलुक चालू माह के दौरान कपास के दाम 14 फीसदी से भी ज्यादा उछले अहमदाबाद मंडी में भाव 49000-49,200 रुपये प्रति कैंडी तक पहुंचे पिछले सीजन का बकाया स्टॉक काफी कम बचने का अनुमान नई फसल के रकबा में कमी और ज्यादा बारिश से फसल को क्षति उत्पादक मंडियों में स्टॉक की तंगी से कपास की कीमतों में भारी तेजी बनी हुई है। गुरुवार को अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव बढ़कर 49,000 से 49,200 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) हो गया। नई फसल की आवक मध्य अक्टूबर में बनेगी, ऐसे में जल्द ही कपास के दाम बढ़कर 50 हजार रुपये प्रति कैंडी के पार पहुंचने की संभावना है। नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि घरेलू बाजार में कपास का बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है जबकि प्रमुख उत्पादक राज्यों में कई जगह ज्यादा बारिश से फसल को नुकसान होने की आशंका है। इस समय कपास में यार्न मिलों की अच्छी मांग बनी हुई है इसलिए कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। चालू महीने में कपास की कीमतों में 14.4 फीसदी की तेजी आ चुकी है। अहमदाबाद में 2 अगस्त को शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 42,600 से 43,000 रुपये प्रति कैंडी था जबकि गुरुवार को इसका भाव बढ़कर 49,000 से 49,200 रुपये प्रति कैंडी हो गया। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस दौरान कपास की कीमतों में गिरावट आई है। 15 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास का दाम बढ़कर 91.64 सेंट प्रति पाउंड हो गया था जबकि 28 अगस्त को इसका भाव घटकर 84.01 सेंट प्रति पाउंड रह गया। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निगम के पास इस समय केवल पांच लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास का ही स्टॉक बचा हुआ है तथा निगम दैनिक आधार पर ई-नीलामी के जरिए घरेलू मिलों को कपास की बिक्री कर रही है। चालू सीजन में सीसीआई ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 23 लाख गांठ कपास की खरीद की थी। उधर नेफेड ने भी घरेलू बाजार में कपास की बिक्री शुरू कर दी है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के प्रारंभिक अनुमान के अनुसार अक्टूबर से शुरू होने वाले नए सीजन वर्ष 2013-14 में कपास का उत्पादन बढ़कर 372 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2012-13 में 355.75 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ है। उत्पादक मंडियों में अभी तक 350 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुवाई 111.34 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जो पिछले साल की समान अवधि के 111.53 लाख हैक्टेयर से थोड़ी कम है। (Business Bhaskar....R S Rana)

कमोडिटी फ्यूचर्स में उथल-पुथल रोकने को एफएमसी की सख्ती

कदम - सोना, चांदी व क्रूड ऑयल के वायदा अनुबंधों पर मार्जिन दोगुने से ज्यादा तुरंत असर सोने और चांदी के सभी वायदा अनुबंधों में गिरावट दर्ज क्रूड ऑयल के अनुबंधों में तीन फीसदी से भाव लुढ़के सोने का सौदा करने पर लगेगा 3.30 लाख रुपये मार्जिन सभी खरीद-फरोख्त अनुबंधों पर लगेगा 10 फीसदी मार्जिन फ्यूचर ट्रेडिंग रेगुलेटर फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) ने सोने, चांदी और क्रूड ऑयल के मूल्य में भारी उथल-पुथल पर अंकुश लगाने के लिए इसके वायदा अनुबंधों पर मार्जिन बढ़ाकर दोगुने से भी ज्यादा कर दिया है। मार्जिन की नई दर दो सितंबर से लागू होगी। इससे सोने के वायदा अनुबंधों में बिकवाली का दबाव बढऩे से दाम करीब डेढ़-दो फीसदी गिर गए। एफएमसी ने सभी एक्सचेंजों को निर्देश दिया है कि दो सितंबर से सोने, चांदी और क्रूड ऑयल के सभी अनुबंधों पर नियमित मार्जिन 4 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी लगाया गया है। इसके अलावा इन कमोडिटी के सभी अनुबंधों पर पांच फीसदी अतिरिक्त मार्जिन भी लगेगा। इससे निवेशकों को इन कमोडिटी के किसी भी अनुबंध में खरीद या बिक्री का सौदा करने से पहले 10 फीसदी मार्जिन जमा कराना होगा। एफएमसी का यह कदम वायदा कारोबार में अत्यधिक उथल-पुथल वाली कमोडिटी में स्थिरता लाने के लिए उठाया गया है। सोने व चांदी का आयात नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पहले ही कई पाबंदियां लगाई हैं। मार्जिन बढ़ाए जाने पर इंडीट्रेड डेरिवेटिव्स एंड कमोडिटीज के वाइस प्रेसीडेंट हरेश गलीपेल्ली ने कहा कि एफएमसी के एक कदम से इन कमोडिटीज में ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होगा और निवेशकों की भागीदारी भी घटेगी। अब किसी कारोबारी को सोने के एक किलो वाले एक लॉट की खरीद या बिक्री के लिए 3,30,000 रुपये मार्जिन के तौर पर जमा कराना होगा। जबकि अभी इसका मार्जिन सिर्फ 1,30,000 रुपये है। कॉमट्रेंड्स रिसर्च के डायरेक्टर ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा कि अत्यधिक उथल-पुथल होने की वजह से एफएमसी को यह कदम उठाना पड़ा। एमसीएक्स में चालू अगस्त माह के दौरान रोजाना औसतन 28.8 टन सोने का कारोबार किया गया और इसमें ज्यादातर भागीदारी सटोरियों की रही। एफएमसी द्वारा मार्जिन बढ़ाए जाने के बाद सोने, चांदी और क्रूड ऑयल के सभी अनुबंधों में गिरावट दर्ज की गई। दो सितंबर से मार्जिन बढऩे से पहले निवेशकों और कारोबारियों पर सौदे निपटाने का दबाव था। चूंकि इस समय खरीद सौदे ज्यादा थे, इस वजह से इनकी बिकवाली से गिरावट आई। एमसीएक्स में सोना सितंबर वायदा करीब डेढ़ फीसदी गिरकर 32916 रुपये प्रति दस ग्राम रह गया। इसके दूसरे अनुबंधों में भी डेढ़-दो फीसदी की गिरावट आई। क्रूड ऑयल सितंबर वायदा में तीन फीसदी से ज्यादा गिरावट के साथ भाव 7222 रुपये प्रति बैरल रह गए। चांदी सितंबर वायदा करीब ढाई फीसदी लुढ़ककर 54203 रुपये प्रति किलो रह गया। (Business bhaskar)

हाजिर, वायदा में सोने की अलग-अलग कहानी

वायदा बाजार में सोने के ऊंचे भाव देखकर अगर आप सोना बेचने जा रहे हैं तो सतर्क हो जाइये सरकार ने पिछले दिनों सोने के इंपोर्ट पर जो सख्ती बरती है उसकी वजह से इसकी मांग में काफी कमी आई है। साथ ही, हाजिर और वायदा बाजार में सोने के भाव में भारी फर्क आ गया है। सोना खरीदने वालों के लिए भले ही एमसीएक्स पर 32,995 रुपये का भाव चल रहा हो। लेकिन स्पॉट मार्केट में कहानी कुछ अलग ही है। अगर आप सोना खरीदने या बेचने लिए मार्केट में जाते हैं तो आपको हाजिर बाजार में सोने का भाव 31,000 रुपए के करीब मिलेगा, यानि एमसीएक्स और हाजिर के भाव में करीब 2,000 रुपये का फर्क है। दिलचस्प ये है कि 1 महीने पहले ये अंतर 400 रुपये का था। सोने के वायदा और हाजिर की कीमत में अचानक इतने अंतर के पीछे रुपये की गिरावट तो एक वजह है। साथ में सोने के इंपोर्ट पर सरकार की सख्ती से खरीदार गायब हो गए हैं, बाजार में 20 फीसदी खरीदार और 80 फीसदी बेचने वाले हैं यानि गोल्ड की रीसाइक्लिंग बढ़ गई है। हालांकि सोने की चमक यानि कीमतों में तेजी अब भी बरकरार है, लेकिन गहनों की चमक फीकी पड़ती जा रही है। त्यौहारी सीजन में भी गहनों की बिक्री बढने की ज्यादा उम्मीद नहीं है। फिलहाल हालात को देखते हुए ज्वेलर्स का ये मानना है कि इस साल के फेस्टिव सीजन की खरीदार में पिछले साल के मुकाबले 15-20 फीसदी की गिरावट हो सकती है। (Moneycantrol.com)

मांग कमजोर पड़ने से सोना - चांदी में गिरावट जारी

नयी दिल्ली : कमजोर वैश्विक रुख के बीच मौजूदा उच्चस्तर पर मांग कमजोर पड़ने से दिल्ली सर्राफा बाजार में आज लगातार तीसरे दिन सोने- चांदी में गिरावट दर्ज की गयी. सोने के भाव 275 रुपये की गिरावट के साथ 31425 रुपये प्रति दस ग्राम रह गये. जबकि चांदी के भाव 70 रुपये टूट कर 53930 रुपये किलो बंद हुए. बाजार सूत्रों के अनुसार कमजोर वैश्विक रुख के बीच स्टॉकिस्टों की लगातार बिकवाली और मौजूदा उच्चस्तर पर मांग कमजोर पड़ने से सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट आयी. न्यूयार्क में सोने के भाव 10- 70 डालर गिरकर 1396- 50 डालर और चांदी के भाव 1. 42 प्रतिशत की हानि के साथ 23. 53 डालर प्रति औंस बंद हुए. अमेरिकी डालर की तुलना में रुपये में सुधार और शेयर बाजार में तेजी से बाजार धारणा में सुधार हुआ. इसके अलावा सोने पर आयात शुल्क बढ़ाने और सोने पर वायदा मार्जिन बढ़ाने से सोने में उतार चढ़ाव पर लगाम लगी. घरेलू बाजार में सोना 99. 9 और 99. 5 शुद्ध के भाव 275 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 31425 और 31225 रुपये प्रति दस ग्राम बंद हुए. गिन्नी के भाव पूर्वस्तर 25300 रुपये प्रति आठ ग्राम अपरिवर्तित बंद हुए. चांदी तैयार के भाव 70 रुपये टूट कर 53930 रुपये ओर चांदी साप्ताहिक डिलीवरी के भाव 570 रुपये की गिरावट के साथ 53430 रुपये किलो बंद हुए. चांदी सिक्का के भाव पूर्वस्तर 89000 : 90000 रुपये प्रति सैंकडा पर स्थिर बने रहे. (Parbhat Khabar)

30 अगस्त 2013

सीरिया की अशांति से भारतीय जीरे की विदेश में मांग चमकी

फायदा - सीरियाई जीरे की सप्लाई बाधित होने से भारतीय निर्यातकों को फायदा ऊंझा मंडी में जीरे के खरीद सौदे 30 फीसदी तक बढ़े तेजी के आसार मंडी ऊंझा में रोजाना 14,000-15,000 बोरी के सौदे डॉलर की मजबूती से भी निर्यातकों के मार्जिन में बढ़ोतरी दोहरा फायदा मिलने से जीरे का निर्यात इन दिनों जोरों पर निर्यात ज्यादा होने पर मूल्य में तेजी आने की संभावना सीरिया में संघर्ष तेज होने के कारण वहां से विश्व बाजार में जीरे की भी सप्लाई बाधित हो गई है। इस वजह से भारतीय जीरे की निर्यात मांग बढ़ गई है। घरेलू बाजार में निर्यातकों की मांग बढऩे के कारण इसके मूल्य में तेजी आने के आसार हैं। जीरे की प्रमुख उत्पादक मंडी ऊंझा में इस समय रोजाना 14,000-15,000 बोरी (एक बोरी-55 किलो) के सौदे हो रहे हैं जो सामान्य के मुकाबले 25-30 फीसदी ज्यादा हैं। रुपये के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती से भी निर्यातकों के मार्जिन में बढ़ोतरी हुई है। इस तरह जीरे के निर्यात में दोहरा फायदा मिल रहा है। हनुमान प्रसाद पीयूस कुमार के प्रबंधक विरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि जीरे में निर्यातकों की अच्छी मांग बनी हुई है। त्यौहारी सीजन शुरू होने के कारण घरेलू मसाला निर्माताओं की मांग भी पहले की तुलना में बढऩी शुरू हो गई है। ऐसे में आगामी दिनों में घरेलू बाजार में जीरे की मौजूदा कीमतों में तेजी आने की संभावना है। उत्पादक मंडियों में एनसीडीईएक्स क्वालिटी जीरे का भाव 2,450 रुपये और निर्यात क्वालिटी के जीरे का भाव 2,690 से 2,725 रुपये प्रति 20 किलो चल रहा है। उत्पादक मंडियों में रोजाना छह से सात हजार बोरी की आवक हो रही है जबकि रोजाना सौदे 14,000-15,000 बोरियों के हो रहे हैं। जैब्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक भास्कर शाह ने बताया कि निर्यातकों की अच्छी मांग बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीरे का दाम 3.64 डॉलर प्रति किलो चल रहा है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान जीरे के निर्यात में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल से जून के दौरान 28,000 टन जीरे का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 22,396 टन जीरे का निर्यात हुआ था। एनसीडीईएक्स पर सितंबर महीने के वायदा अनुबंध में जीरे का दाम 21 अगस्त को 13,222 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि गुरुवार को इसका भाव 13,645 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला। हालांकि निवेशकों की मुनाफावसूली से शाम को भाव 13,425 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। ब्रोकिंग फर्म रेलिगेयर रिटेल रिसर्च के अनुसार रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती से जीरे के निर्यातकों का मार्जिन बढ़ गया है जबकि सीरिया में राजनीतिक हालात ठीक नहीं होने के कारण वहां से जीरे की सप्लाई प्रभावित हो रही है। इस वजह से खाड़ी देशों से भारतीय जीरे की मांग बढ़ रही है इसलिए मौजूदा कीमतों में तेजी की संभावना है। (Business Bhaskar....R S Rana)

सप्लाई कम होने की संभावना से कपास के मूल्य में भारी तेजी

आर एस राणा नई दिल्ली | Aug 30, 2013, 00:02AM IST जल्दी ही दाम 50 हजार रुपये प्रति कंैडी के पार होने के आसार मार्केट आउटलुक चालू माह के दौरान कपास के दाम 14 फीसदी से भी ज्यादा उछले अहमदाबाद मंडी में भाव 49000-49,200 रुपये प्रति कैंडी तक पहुंचे पिछले सीजन का बकाया स्टॉक काफी कम बचने का अनुमान नई फसल के रकबा में कमी और ज्यादा बारिश से फसल को क्षति उत्पादक मंडियों में स्टॉक की तंगी से कपास की कीमतों में भारी तेजी बनी हुई है। गुरुवार को अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव बढ़कर 49,000 से 49,200 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) हो गया। नई फसल की आवक मध्य अक्टूबर में बनेगी, ऐसे में जल्द ही कपास के दाम बढ़कर 50 हजार रुपये प्रति कैंडी के पार पहुंचने की संभावना है। नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि घरेलू बाजार में कपास का बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है जबकि प्रमुख उत्पादक राज्यों में कई जगह ज्यादा बारिश से फसल को नुकसान होने की आशंका है। इस समय कपास में यार्न मिलों की अच्छी मांग बनी हुई है इसलिए कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। चालू महीने में कपास की कीमतों में 14.4 फीसदी की तेजी आ चुकी है। अहमदाबाद में 2 अगस्त को शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 42,600 से 43,000 रुपये प्रति कैंडी था जबकि गुरुवार को इसका भाव बढ़कर 49,000 से 49,200 रुपये प्रति कैंडी हो गया। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस दौरान कपास की कीमतों में गिरावट आई है। 15 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास का दाम बढ़कर 91.64 सेंट प्रति पाउंड हो गया था जबकि 28 अगस्त को इसका भाव घटकर 84.01 सेंट प्रति पाउंड रह गया। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निगम के पास इस समय केवल पांच लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास का ही स्टॉक बचा हुआ है तथा निगम दैनिक आधार पर ई-नीलामी के जरिए घरेलू मिलों को कपास की बिक्री कर रही है। चालू सीजन में सीसीआई ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 23 लाख गांठ कपास की खरीद की थी। उधर नेफेड ने भी घरेलू बाजार में कपास की बिक्री शुरू कर दी है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के प्रारंभिक अनुमान के अनुसार अक्टूबर से शुरू होने वाले नए सीजन वर्ष 2013-14 में कपास का उत्पादन बढ़कर 372 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2012-13 में 355.75 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ है। उत्पादक मंडियों में अभी तक 350 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुवाई 111.34 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जो पिछले साल की समान अवधि के 111.53 लाख हैक्टेयर से थोड़ी कम है। (Business bhaskar....R S Rana)

सोने के इंपोर्ट नियमों में ढील संभवः सूत्र

सरकार जल्द ही गोल्ड इंपोर्ट के नियमों में ढील देने का ऐलान कर सकती है। सीएनबीसी आवाज़ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक सरकार इंपोर्टेड गोल्ड का एक्सपोर्ट किए बगैर दोबारा गोल्ड इंपोर्ट की छूट दे सकती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार की 22 जुलाई को आरबीआई की ओर से सोने के इंपोर्ट के नियमों जो सख्ती की गई थी, उसमें ढील देने की तैयारी है। नए नियमों के तहत इंपोर्टेड सोने को ही एक्सपोर्ट करना जरूरी नहीं होगा। साथ ही इंपोर्टेड सोने के बदले होने वाला ज्वेलरी एक्सपोर्ट पहले भी किया जाएगा। दरअसल आरबीआई के सर्कुलर के मुताबिक इंपोर्टेड सोने का 20 फीसदी हिस्सा एक्सपोर्ट करने पर ही दोबारा इंपोर्ट किया जाएगा। हालांकि सूत्रों की मानें तो गोल्ड ज्वेलरी एक्सपोर्ट करने वालों को बड़ी राहत मिलने के आसार हैं। नए प्रस्तावित नियम में 20 फीसदी एक्सपोर्ट जरूरी होगा लेकिन इसका हिसाब हर शिपमेंट के आधार पर नहीं बल्कि कुल इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के आधार पर लगाया जाएगा। 22 जुलाई से के आरबीआई के आदेश के बाद सोने का इंपोर्ट पूरी तरह से रुका हुआ है। सूत्रों का कहना है कि ज्वेलरी एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए नए नियम प्रस्तावित हैं। माना जा रहा है कि अगले 1-2 दिन में सोने के इंपोर्ट नियमों को लेकर नया आदेश आ सकता है। वहीं सरकार की भी अभी सोने की खपत रोकने के लिए कोई कदम उठाने की योजना नहीं है। फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्रेटरी अरविंद मायाराम का कहना है कि अभी तक जो कदम उठाए गए हैं उनकी समीक्षा की जा रही है। (moneycantorl.com)

सोना वायदा पर मार्जिन बढ़ाकर 5 प्रतिशत किया गया

सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बीच जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने देश में सभी एक्सचेंजों पर सोने के वायदा कारोबार पर शुरआती मार्जिन अनुबंध मूल्य के 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। मार्जिन की बढ़ी दरें 2 सितंबर से लागू होंगी। एफएमसी के निर्देश में कहा गया है कि सभी एक्सचेंजों को सोने के अनुबंधों पर अनुबंध मूल्य के 5 प्रतिशत के हिसाब से मार्जिन लगाने का निर्देश दिया जाता है। कीमतों में मौजूदा उतार-चढ़ाव के मद्देनजर आयोग ने राष्ट्रीय एक्सचेंजों पर अगले आदेश तक सोने, चांदी, ब्रेंट कच्चे तेल, कच्चे तेल तथा प्राकतिक गैस अनुबंधों पर 5 प्रतिशत का अतिरिक्त मार्जिन लगाने का फैसला किया है। वायदा बाजार में शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में सोना 0.57 प्रतिशत की गिरावट के साथ 33,438 रुपये प्रति दस ग्राम पर आ गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में शुक्रवार को दिसंबर अनुबंध का सोना 193 रुपये या 0.57 फीसदी के नुकसान से 33,438 रुपये प्रति दस ग्राम रह गया। इसमें 12 लाट के लिए कारोबार हुआ। (Live Hindustan)

और 85 पैसे चढ़ा रुपया, बाजार में सुधार जारी

नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपये में आज भारी उठापटक देखने को मिली है। शुरुआती कारोबार में रुपये में करीब 1 फीसदी की कमजोरी आई थी। लेकिन दोपहर बाद के कारोबार में रुपये में सुधार देखने को मिला है। अंत में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 85 पैसे की अच्छी बढ़त के साथ 65.70 पर बंद हुआ है। आज डॉलर के मुकाबले रुपया 67 के स्तर पर खुला था। वहीं दिन के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपये ने 67.43 का निचला स्तर छुआ था। पिछले 2 दिनों के कारोबारी सत्र में रुपया 4.7 फीसदी तक मजबूत हुआ है। इंडियानिवेश कमोडिटीज के मनोज कुमार जैन का कहना है कि आने वाले कारोबारी सत्रों में रुपये में और मजबूती देखने को मिली है। डॉलर के मुकाबले रुपये में 65-64.80 तक मजबूती नजर आएगी। साथ ही सीरिया पर सैन्य कार्रवाई को लेकर छाया संकट कम होने से भी रुपये में मजबूती देखने को मिली है। मनोज कुमार जैन के मुताबिक सोमवार के कारोबारी सत्र में शुरुआती दौर के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 25-30 पैसे मजबूती दिखा सकता है। भारी उतार-चढ़ाव के बाद मजबूत रुपये की वजह से बाजार 1 फीसदी से ज्यादा चढ़े। सेंसेक्स 219 अंक चढ़कर 18620 और निफ्टी 63 अंक चढ़कर 5472 पर बंद हुए। दिग्गजों के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में निवेशकों का रुझान कम दिखा। मिडकैप शेयर 0.6 फीसदी मजबूत हुए। स्मॉलकैप शेयरों में हल्की बढ़त रही। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स शेयर 2 फीसदी उछले। हेल्थकेयर, बैंक, आईटी, एफएमसीजी, तकनीकी शेयर 1.5 फीसदी चढ़े। ऑयल एंड गैस और पीएसयू शेयर 0.6 फीसदी मजबूत हुए। मेटल शेयर 2 फीसदी लुढ़के। कैपिटल गुड्स शेयरों में भी कमजोरी आई। रियल्टी, पावर और ऑटो शेयर में सुस्ती रही। अच्छे अंतर्राष्ट्रीय संकेतों के बावजूद बाजारों ने मिली-जुली शुरुआत की। रुपये में कमजोरी लौटने से बाजारों पर दबाव दिखा। शुरुआती कारोबार में बाजार लाल निशान में फिसले। लेकिन, जल्द बाजार संभले। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक हालात पर भाषण से निराशा होने की वजह से बाजार फिसले। सेंसेक्स और निफ्टी ने बढ़त पूरी तरह से गंवा दी। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में हल्की बढ़त बाकी रही। दोपहर के बाद कमजोर यूरोपीय संकेतों की वजह से बाजार पर बिकवाली का दबाव बढ़ा। सेंसेक्स 127 अंक लुढ़का और निफ्टी 5360 तक फिसला। हालांकि, कारोबार के आखिरी घंटे में बाजार संभले। रुपये में मजबूती आने की वजह से बाजारों ने शानदार रिकवरी दिखाई। सेंसेक्स 260 अंक उछला और निफ्टी 5500 की ओर बढ़ता नजर आया। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी खरीदारी बढ़ी। (IBN Kahabar)

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Bullion: MCX October Gold futures surged sharply for the third consecutive week by making a historical high of Rs 35074/10 grams owing to sharp fall of India’s rupee. Indian rupee plunged to a fresh record low of 68.85 against the U.S. dollar in the spot market in the last week, after ‘Food Security Bill’ passed in the parliament. The food security bill entitles subsidized grain to two-thirds of the country’s 1.2 billion people, is estimated to cost about $19.5 billion in subsidies annually at a time when the country is running budget deficit. There is also a concern that nation’s current account deficit will widen as oil prices rose amid political tensions in the Middle East. India’s economy is stepping into its biggest crisis since 1991 as Non-Performing Assets (NPA) of banks are rising and inflation is accelerating while budget and current account deficits are adversely affecting the economy. Additionally, bullion in the overseas market also supported for rally as gold climbed to three month high on safe-haven appeal against the political risks emerging from Middle East tensions as Syria held accountable for using chemical weapons. U.S. pending home sales dropped the most in this year in July and mortgage applications in the country fell last week to the lowest level since February 2011. Investment demand for gold in SPDR Gold holding Trust, the biggest Exchange-Traded Product (ETP) increased to 921.03 tonnes as on August 29, 2013, up 0.82 per cent compared with 913.52 tonnes August 22, 2013. However, gold prices came under pressure in the mid of the last week on account of profit taking as India’s rupee sharply gained against the U.S. dollar, rising more than 200 basis points. The rupee rebounded from a record low 68.85 against the dollar when the Reserve Bank of India (RBI) quoted that it will supply dollars to the largest oil buyers. The RBI will provide foreign currency to state-owned Indian Oil Corporation, Bharat Petroleum Corp. and Hindustan Petroleum Corp., which the authority will repurchase after a specified period. Further, better than expected second quarter economic growth of the U.S. reinforced the case of Federal Reserve to slow stimulus measures. The U.S. Gross Domestic Product (GDP) rose 2.5 percent annualized rate, up from an initial estimate of 1.7 percent. Americans filing for first time jobless claims also dropped higher than initially estimated. The number of Americans filing applications for unemployment benefits fell more than forecast last week, a sign that the U.S. labor market continues to make progress. Jobless claims in the week ended Aug. 24 dropped 6,000 to 331,000 from a revised 337,000 the week before that was higher than initially reported, said the Labor Department ¬¬¬¬¬Price Movement in the Last week: MCX October gold prices opened the week at Rs 31,806/10 grams, initially surged sharply and found strong resistance at Rs 35,074/10 grams. Later prices slipped to Rs.32555/10 grams and are currently trading around Rs 32,705/10 grams (August 30, Friday at 5.20 PM) with a gain of Rs 949/10 grams. Outlook for this week: MCX October gold prices are expected to trade lower on a speculation that the Federal Reserve would scale back monetary stimulus on the back of better than expected second quarter economic growth report of the U.S. and due to a fall in U.S. jobless claims. Additionally, appreciating rupee is also negative factor for prices in domestic bourses. MCX October gold shall find supports at 31,800/31,500 levels and resistances at 33,930/35,074 levels. International Spot gold has supports at 1370/1350 and resistances at 1425/1445 levels. Copper: MCX August Copper futures surged sharply for the fifth consecutive week and made a historical high of Rs 512.65/kg on the back of sharp fall in Indian rupee. Global fundamentals also supported for uptrend in base metals as U.S. regional manufacturing and U.S. home prices raised while Chinese industrial profits also increased and German business confidence rose to the highest level in 16 months in August as per last week’s reports. However, copper prices slipped on Thursday last week as rupee appreciated against the U.S. dollar after the India’s central bank intervention in currency markets. Copper in the international came down in anticipation of the Federal Reserve would likely to scale back monetary stimulus after the U.S. second quarter GDP data outperformed the median estimation. The euro-area confidence among consumer, economic, industry and services are improved while German retail sales rose on the yearly basis but fell in the previous month, leaving a mixed view. Price movement in the last week: MCX August copper prices opened the week at Rs 476.45/kg, initially traded higher, but found strong resistance at Rs 512.65/kg. Later, prices fell sharply from higher levels and currently trading at Rs 474.30/kg (August 30, Friday at 5.30 PM) with a nominal loss of Rs 0.60/kg. Outlook for this week: MCX November copper is expected to trade slightly lower as U.S. ISM manufacturing PMI is expected to show pace of expansion is slowing but manufacturing PMIs of China, the U.K. and euro-zone are likely to report positive for base metals. Announcement of the Bank of Japan’s monetary policy on Sep. 5 is an important event for global markets. Additionally, appreciating rupee against the dollar is also negative for prices at domestic bourses. MCX November copper shall find a supports at 468/455 levels and resistances at 500/524 levels. Crude: MCX September crude oil futures surged and hit an all time high of Rs 7784/barrel on expectation of supply disruptions from the Middle East. Crude oil prices in NYMEX rose to a two-year high as the U.S. and its allies are on the threshold of launching a military strike against Syria as alleged use of chemical weapons against its people. However, oil prices retreated when the U.K. and France confirmed they favor waiting for the UN’s investigation in this matter before supporting for military strike. The Energy Information Administration showed a higher than estimated oil inventory build, which was also a factor for oil prices to take down. The U.S. crude stockpiles increased 2.99 million barrels to 362 million against a median estimate of 750,000-barrel gain. Price movement in the last week: MCX September crude oil prices opened the week at Rs 6860/bbl, initially traded higher, but found strong resistance of Rs 7784/bbl. Later, prices fell sharply from high and currently trading at Rs 7217/bbl (August 30, Friday at 5.40 PM) with a gain of Rs 380/bbl. Outlook for this week: Crude oil is expected to trade under negative tone as the prospect of immanent military strikes on Syria receded after the U.K. and France decision to wait for UN’s investigation report. There are also concerns of economic stimulus easing in the world’s largest oil consuming country, U.S. which also capped oil prices this week. MCX September crude oil shall find a support at 6830/6650 levels and resistance 7784/8000 levels. Soybean: NCDEX October soybean futures surged sharply in the beginning of the last week on account of sharp fall in Indian rupee against the U.S. dollar as exporters of soy meal would get more returns on meal exports. Further, strong gains in overseas market on speculation that lower yield due to dry weather in U.S also provided support to the prices. However, prices came under pressure in the later part of the week on account of profit taking after sharp rise from the last few trading sessions. Slight gains in Indian rupee against the U.S. dollar after RBI’s intervention are also added bearish market sentiments as soy meal exports would be less attractive. Progress of Sowing Acreage of kharif Oilseeds: As per Ministry of Agriculture (GOI), Kharif oilseeds sowing area covered to 188.16 lakh hectares (lh) till August 29, 2013, up 12.50% against 167.13 lakh ha last year during the same period. Kharif oilseeds includes soybean (121.72 lh), groundnut (41.71 lh), Sesamum (13.88 lh), Sunflower (2.23 lh), Niger Seed (1.23 lh) and Castor Seed (7.38 lh). Area covered under soybean throughout India was 121.72 lakh ha, up 14% compared to 106.83 lakh ha recorded during corresponding period of last year. Area covered under soybean in Madhya Pradesh was 63.66 lakh ha till August 29, 2013 compared to 58.12 lakh ha recorded during corresponding period of last year. Area covered under soybean in Maharashtra was 38.99 lakh ha compared to 32.13 lakh ha recorded during corresponding period of last year. Area covered under soybean in Rajasthan was 10.59 lakh ha compared to 9.87 lakh ha recorded during corresponding period of last year. As per USDA’s weekly export sales report, net weekly export sales for soybeans showed a cancelation of 3,200 tonnes for the current marketing year, 868,700 tonnes of 2013/14 and as of August 22nd, cumulative sales stand at 52% of the USDA forecast for 2013/2014 vs. the 5 year average of 33%. Sales of 336,000 tonnes are needed each week to reach the USDA forecast. Net meal sales came in 162,100 for the new crop year and cumulative sales for the old crop year continue to be over 100% of the current USDA forecast. Net soybean oil sales came in at 6,700 tonnes for the current marketing year and 17,900 for the next marketing year for a total of 24,600. Cumulative sales stand at 93% of the USDA forecast for 2012/2013 versus a 5 year average of 92%. Sales of 12,000 tonnes are needed each week to reach the USDA forecast. Outlook for this week: Soybean is expected trade slightly lower on the back of lower demand at prevailing prices. Further, higher sowing acreage this year as compared to last year is also negative for prices. Additionally, appreciation in Indian rupee against the U.S. dollar after RBI’s intervention is also negative for prices as exports would be less attractive. NCDEX October Soybean shall find a support at 3400/3310 levels and resistance 3700/3820 levels.

29 अगस्त 2013

नकद सौदों और केवाईसी के उल्लंघन की जांच

नैशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) मामले की जांच कर रही उच्च स्तरीय समिति यह देखेगी कि ब्रोकरों के साथ किस तरह नकद लेनदेन हुआ और नो योर कस्टमर (केवाईसी) मानकों का सख्ती से पालन किया गया या नहीं। मामले की जांच से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक समिति इस पर भी गौर कर रही है कि एनएसईएल का परिचालन ग्राहक कोड और पैन के मिलान, संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्टों के बावजूद आयकर विभाग की नजर में आने से कैसे बचा रहा। संदिग्ध लेनदेन की रिपोट से केंद्रीय एजेंसियां सचेत हो जाती हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'प्रवर्तन निदेशक की अगुआई वाला कार्य दल जांच करेगा कि एनएसईएल और उससे संबंधित पक्षों ने किसी कानून और नियम का उल्लंघन तो नहीं किया?Ó इस समूह में राजस्व खुफिया निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड (सेबी) और वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) आदि के प्रतिनिधि शामिल हैं। एनएसईएल द्वारा संचालित हाजिर बाजार राज्य सरकार के विभागों और कृषि उत्पादन विपणन समितियों (एपीएमसी) के कार्यक्षेत्र में आता है। इन विभागों का ध्यान केवाईसी पर अमल करने, पैन के मिलान आदि पर नहीं होता है। बाजार से जुड़े एक सूत्र ने कहा, 'कोई भी इसे (नकदी सौदा) स्वीकार नहीं करेगा। लेकिन जहां तक चेक से भुगतान की बात है तो सेबी और एफएमसी से नियंत्रित बाजारों में इसके लिए स्पष्ट नियम हैं। यह नियामक एक्सचेंजों और उनके सदस्यों (ब्रोकरों) के लिए स्पष्ट निर्देश जारी करता रहता है। इसके अलावा उपलब्ध स्थायी खाता संख्या (पैन) और ग्राहक कोड के बीच मिलान करना व जांच करने की सेबी की अपनी अलग व्यवस्था है। लेकिन एनएसईएल पर इसमें से कोई भी व्यवस्था लागू नहीं हुई।Ó अगस्त 2011 को जारी सेबी के दिशा-निर्देश के मुताबिक, 'प्रवर्तक/साझेदारों/कर्ता/ट्रस्टियों और पूर्णकालिक निदेशकों व कंपनी/अन्य की तरफ से सौदे में शामिल अधिकृत लोगों सहित सभी ग्राहकों के लिए पैन कार्ड की स्वप्रमाणित प्रति अनिवार्य है।Ó आयकर विभाग खुद भी ग्राहकों द्वारा दिए गए प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) के माध्यम से शेयर बाजार में हुए सौदों पर सीधे नजर रखता है। इस साल से जिंस वायदा बाजार भी इस तरह के कर सीटीटी के दायरे में आ गए हैं। बाजार से जुुड़े एक सूूत्र ने कहा, 'एनएसईएल का दावा है कि उसके ग्राहकों में कई किसान थे। यह कहना इसलिए भी आसान था, क्योंकि कृषि आय को कर से छूट है। इसलिए उनके पास पैन नहीं था।Ó विनियमित एक्सचेंजों में से एक के एक अधिकारी ने कहा कि एक्सचेंजों को अनिवार्य रूप से सदस्यों के परिसरों का निरीक्षण करने के लिए कहा गया है और इन निरीक्षणों में सबसे पहले केवाईसी रिकॉर्ड की जांच की जाती है। सेबी जैसी एजेंसियों ने मध्यवर्ती संस्थाओं से नकदी लेनदेन की रिपोर्ट देने और संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट वित्तीय खुफिया इकाई को देने का आदेश दिया है। सेबी के एक पूर्व अधिकारी ने कहा, 'केवाईसी नियम इसलिए लागू किया गया था, ताकि सौदा कर रहे शख्स की प्रमाणिकता सुनिश्चित की जा सके। यह तभी कारगर होगा जब जानकारियां जुटाने वाली एजेंसी नियामक के नियंत्रण के दायरे में आती हो।Ó एनएसईएल इन्वेस्टर्स फोरम के संयोजक शरद कुमार सर्राफ ने कहा, 'हम कई साल से अपने ब्रोकरों के साथ खाता चला रहे हैं। केवाईसी का सवाल ही नहीं उठता।Ó सर्राफ ने कहा कि उन्हें जांच के बारे में कुछ भी नहीं मालूम है। कुछ ब्रोकरों का कहना है कि वे इक्विटी और जिंस कारोबार के लिए समान केवाईसी प्रक्रिया का पालन करते हैं। असित सी मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स की प्रबंध निदेशक दीना मेहता ने कहा, 'हमारे सभी ग्राहकों का केवाईसी है। हम चेक की व्यवस्था लागू कर सकते हैं। हम सेबी के केवाईसी मानकों को अन्य खंडों पर भी लागू करते हैं। हमें अपने ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड सौंपने में ज्यादा खुशी महसूस होगी। (BS Hindi)

बंपर पैदावार से बासमती का निर्यात चमकने के आसार

आर एस राणा नई दिल्ली | Aug 29, 2013, 08:46AM IST रुझान - अच्छे भाव मिलने से बासमती की बुवाई में किसानों की दिलचस्पी डॉलर इफैक्ट डॉलर की मजबूती से निर्यातकों के मार्जिन में बढ़ोतरी ज्यादा से ज्यादा निर्यात सौदे करने में जुटे हैं निर्यातक अप्रैल-जून में निर्यात 67.70 फीसदी बढ़कर 7,756.95 करोड़ रुपये मात्रा के लिहाज से अप्रैल-जुलाई में बासमती निर्यात 16 लाख टन मंडियो में बासमती चावल 8,000-8,500 रुपये प्रति क्विंटल चालू वित्त वर्ष में निर्यात 15 फीसदी बढ़कर 40 लाख टन होने का अनुमान चालू वित्त वर्ष में बासमती चावल का निर्यात 15.7 फीसदी बढ़कर 40 लाख टन होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2012-13 में 34.56 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था। चालू खरीफ सीजन में बासमती धान के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है इसलिए बासमती चावल की पैदावार भी पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है। ऐसे में निर्यात के लिए देश में बासमती चावल की सुलभता बेहतर होगी। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2013-14 में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 40 लाख टन होने का अनुमान है। अप्रैल से जुलाई के दौरान करीब 16 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हो चुका है। एपीडा के अनुसार वित्त वर्ष 2012-13 में 34.56 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था। उन्होंने बताया कि बासमती चावल के निर्यात का पीक सीजन अक्टूबर से मार्च तक होता है। इस साल पैदावार भी बढऩे का अनुमान है। ऐसे में अक्टूबर से निर्यात में बढ़ोतरी होगी। चालू खरीफ में धान के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है इसलिए बासमती चावल की पैदावार भी पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है। केआरबीएल लिमिटेड के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार मित्तल ने बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती से निर्यातकों के मार्जिन में बढ़ोतरी तो हुई है लेकिन इसका सबसे ज्यादा फायदा उन कंपनियों को मिला है, जिनके पास बकाया स्टॉक ज्यादा है। चालू सीजन में बासमती चावल का भाव ऊंचा रहा था, जिसकी वजह से गैर-बासमती के मुकाबले किसानों ने बासमती धान की रोपाई ज्यादा की है। उत्पादक मंडियो में बासमती चावल का भाव 8,000 से 8,500 रुपये और शरबती चावल का भाव 4,200 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2013-14 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से 67.70 फीसदी बढ़कर 7,756.95 करोड़ रुपये का हो गया जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 4,625.48 करोड़ रुपये मूल्य का हुआ था। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में धान की रोपाई बढ़कर 324.73 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल की समान अवधि के 315.43 लाख हैक्टेयर से ज्यादा है। हरियाणा में चालू खरीफ में धान की रोपाई ज्यादा हुई जबकि पंजाब में क्षेत्रफल पिछले साल से घटा है। (Business Bhaskar...R S rana)

कृषि-भूमि का किसानों की मंजूरी के बिना अधिग्रहण नहीं: भाजपा

भूमि अधिग्रहण के लिए लोकसभा में लाए गए विधेयक को गुरुवार को आधा-अधूरा करार देते हुए भाजपा ने मांग की कि किसी भी सूरत में कृषि योग्य भूमि का अधिग्रहण किसानों की मंजूरी के बिना नहीं किया जाना चाहिए ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश द्वारा पेश किए गए भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन विधेयक 2011 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार जल्दबाजी में एक ऐसा विधेयक लेकर आयी है जो कई मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से भू स्वामियों की समस्याएं कम होने के बजाय बढ़ेंगी। राजनाथ सिंह ने कहा कि हिंदुस्तान में भू स्वामियों के लिए भूमि, जमीन का एक टुकड़ा भर नहीं होती, बल्कि इस जमीन से उनका भावनात्मक और सांस्कृतिक लगाव भी होता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट कहती है कि हिंदुस्तान में साढ़े छह करोड़ किसान विस्थापित हुए हैं और इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मुद्दा कितना महत्वपूर्ण है। 1894 के बाद से इस विधेयक में 1962, 1967 और 1984 में किए गए संशोधनों का जिक्र करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि संप्रग सरकार के साढ़े नौ साल का कार्यकाल गुजर चुका है और सरकार इतनी देरी करके लायी भी तो एक आधा अधूरा विधेयक। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में विवाद का विषय रहा है, लेकिन सरकार ने इस विधेयक में भी लोक हित की आड़ में इस क्षेत्र के लिए रास्ता निकाल लिया है (Hindustan.live)

नहीं बिक रहा सोना, छोटे निवेशक परेशान

सोने की कीमतें अब भी ये 33000 रुपये के ऊपर बनी हुई हैं। लेकिन, छोटे निवेशकों को सोने की ऊंची कीमतों का सही फायदा नहीं मिल पा रहा है। ज्वेलर्स ग्राहकों से सोना खरीदने से कतरा रहे हैं। यही नहीं एमसीएक्स और ज्वेलरी शोरूम के दाम में 1300-1400 रुपये प्रति 10 ग्राम का अंतर भी है। अहमदाबाद के किशन गोहिल ने 3 महीने पहले 26500 रुपये पर करीब 50 ग्राम सोना खरीदा था। अब जब उन्होंने सोने की कीमत 33000 रुपये के पार देखी, तो वो अपना सोना बेचने के लिए मार्केट में निकले। लेकिन, हैरानी की बात ये है कि ज्यादातर ज्वेलर्स ने सोना खरीदने से इनकार कर दिया। ज्वेलर्स का कहना है कि सोना उनके शोरूम सें नहीं खरीदा गया है। आखिरकार जिस ज्वेलर से उन्होंने सोना खरीदा था, उसे ही उन्होंने इसे बेचा, लेकिन एमसीएक्स पर चल रहे भाव से करीब 1300 रुपये कम भाव पर। दरअसल पिछले 1.5 महीने से सोने का इंपोर्ट बिलकुल ना के बराबर हो रहा है। साथ ही सोने का कारोबार भी लगातार गिर रहा है। अब अचानक सोने की कीमतों में आई तेजी से ज्वेलर्स कुछ सहमे हुए हैं। उन्हें डर है कि अगर सोने की कीमतें अचानक गिर गईं, तो उनका क्या होगा। साथ ही ग्राहकों से खरीदा हुआ सोना वो किसे बेचे, क्योंकि रिटेल में ग्राहक नहीं हैं और एमसीएक्स से ज्वेलर्स का भरोसा उठ गया है। (Moneycantorl.com)

एनसीडीईएक्स के स्पॉट एक्सचेंज पर शिकंजा!

नेशनल स्पॉट एक्सचेंज में गडबड़ी के बाद अब सरकार काफी सतर्क हो गई है। सीएनबीसी आवाज़ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने एनसीडीईएक्स के स्पॉट एक्सचेंज में हो रहे कारोबार पर एफएमसी से रिपोर्ट मांगी है। कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने एफएमसी से एनसीडीईएक्स के स्पॉट एक्सचेंज पर हो रहे सौदे का ब्यौरा मांगा है। कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने एफएमसी से एनसीडीईएक्स के स्पॉट एक्सचेंज पर 11 दिनों से ज्यादा के सौदे की जानकारी देने को कहा है। साथ ही एफएमसी से पूछा गया है कि ऐसे सौदों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने एफएमसी से सवाल करते हुए पूछा है कि एनसीडीईएक्स कहीं एफसीआरए एक्ट के सेक्शन 27 के तहत मिली छूट का गलत फायदा तो नहीं उठा रहा है। दरअसल केरल के वेयरहाउस में एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज के माल में गड़बड़ी से कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय फिक्रमंद है। हालांकि, इस बारे में एनसीडीईएक्स ने साफ किया है कि एक्सचेंज को लेकर किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। एक्सचेंज के पास एनएसईएल जैसे कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं है। इस बारे में एफएमसी को भी जानकारी दी गई है। (Moneycantrol.com)

रुपये को मिला 15 साल का सबसे बड़ा उछाल

मुंबई। आज रुपये ने जनवरी 1998 के बाद एक दिन की सबसे ज्यादा उछाल दर्ज की है। रिजर्व बैंक रुपये को संभालने की भरसक कोशिश कर रहा है और वो आज इसमें काफी हद तक कामयाब भी होता दिखा। बुधवार को 18 साल के निचले स्तर तक टूटने के बाद रुपये में आज शानदार रिकवरी देखने को मिली है। आज अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 2.25 रुपये की जोरदार उछाल के साथ 66.55 पर बंद हुआ है। माना जा रहा है कि आरबीआई ने पीएसयू बैंकों के जरिए डॉलर में 67 के स्तर के आसपास बिकवाली की है। आज दिन के कारोबार में 1 डॉलर का भाव 66.51 रुपये तक पहुंच गया था। साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपया 67.20 के स्तर पर खुला था। वहीं दिन के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपये ने 67.87 के स्तर से रिकवरी दिखाई। बुधवार को रुपया 68.80 रुपये पर बंद हुआ था। कोटक कमोडिटी के धर्मेश भाटिया का कहना है कि रुपये में आई मजबूती अस्थायी है। आने वाले दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपया 65 के स्तर से फिर कमजोरी दिखा सकता है। शुक्रवार के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 15-20 पैसे की बढ़त के साथ खुलने के आसार हैं, लेकिन फिर रुपये में कमजोरी दिख सकती है। दरअसल, आरबीआई ने ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के लिए डॉलर विंडो खोली है जिसके तहत वो कंपनियों को सीधे डॉलर बेचेगा। ऑयल इंपोर्टर्स की तरफ से रोजाना 40-50 करोड़ डॉलर की मांग आती है जिसकी वजह से रुपये को स्थिर करना मुश्किल हो रहा है। रिजर्व बैंक इस कदम के जरिए डॉलर की मांग के असर से रुपये को बचाने की कोशिश कर रहा है। इसके अलावा दूसरे इमर्जिंग देशों की करेंसी में आए सुधार से भी रुपये को सहारा मिला है। रुपये में रिकॉर्ड निचले स्तरों से रिकवरी और शॉर्टकवरिंग के दम पर बाजार 2 फीसदी से ज्यादा चढ़े। सेंसेक्स 405 अंक चढ़कर 18401 और निफ्टी 124 अंक चढ़कर 5409 पर बंद हुए। अच्छे अंतर्राष्ट्रीय संकेत और रुपये में मजबूती लौटने की वजह से बाजारों ने तेजी के साथ शुरुआत की। सेंसेक्स 18000 और निफ्टी 5300 के ऊपर खुले। खुलते ही सेंसेक्स करीब 190 अंक और निफ्टी करीब 50 अंक चढ़े। हालांकि, शुरुआती कारोबार में बाजार पर दबाव नजर आया। लेकिन, जल्द ही बाजार में जोश लौटा और सेंसेक्स-निफ्टी 1 फीसदी चढ़ गए। इसके बाद बाजार लगातार ऊपर की ओर बढ़ते नजर आए। रुपये की बढ़त कम होने के बावजूद बाजार का मूड नहीं बिगड़ा। दोपहर के कारोबार में बाजार ने रफ्तार पकड़ी। कारोबार के आखिरी घंटे में बाजार में जबर्दस्त तेजी दिखाई दी। सेंसेक्स 460 अंक उछला। निफ्टी 5425 के ऊपर पहुंचा। (Moneycantorl.com)

27 अगस्त 2013

NSEL घटनाक्रम पर सरकार की नजर: चिदंबरम

सरकार ने आज कहा कि वह संकटग्रस्त एनएसईएल के घटनाक्रमों पर नजर रखे हुए है और एक्सचेंज की समस्याओं की जांच कर रही दो समितियों की रपट मिलने के बाद कार्रवाई करेगी। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं से कहा हमने दो समितियों का गठन किया है। जैसे ही दोनों रपट मिलेंगी, सरकार कार्रवाई करेगी। हम इस पर नजर रखे हुए हैं, हम सेबी और एफएमसी के साथ लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि समितियां सात सितंबर को अपनी रपट सौंपेंगी। जिग्नेश शाह के नेतृत्व वाली एफटीएल द्वारा प्रवर्तित नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) ने सरकार के निर्देश पर 31 जुलाई को अपना कारोबार रोक दिया। उसके बाद उसे अपने 148 सदस्यों, ब्रॉकरों की कुल 5,600 करोड़ रुपये की बकाया राशि का पिटान करने में मुश्किल आ रही है। एक्सचेंज के ये सदस्य 13,000 निवेशकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। चिदंबरम ने कहा एनएसईएल, एफएमसी (वायदा बाजार आयोग) के तहत आता है और उसका संबद्ध मंत्रालय उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय है लेकिन इसका व्यापक असर होगा। हमने दो समितियों का गठन किया है। उनसे कहा गया है कि 15 दिन में छह या सात सितंबर तक अपनी रपट सौंपें। (hindustan live)

एनएसईएल मामले पर सरकार सख्त, कमिटी बनाई

वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि एनएसईएल मामले पर सरकार जल्द ही कार्रवाई करेगी। इस बात की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने इस मामले की पड़ताल के लिए 2 कमिटी का गठन किया है। 15 दिनों में यानि 7 सितंबर तक इनकी रिपोर्ट आ जाएगी। इसके बाद सरकार इस मामले पर कार्रवाई कर सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि एफएमसी को वित्त मंत्रालय के तहत लाने पर भी विचार चल रहा है। एनएसईएल मामले में नियम और कानून उल्लंघन की जांच के लिए स्पेशल टीम और 2 वर्किंग ग्रुप बनाए गए हैं जिन्हें 7 सितंबर तक रिपोर्ट वित मंत्रालय को सौंप देनी है। स्पेशल टीम और वर्किंग ग्रुप का काम ये देखना होगा कि पूरे मामले में एनएसईएल ने नियमों और कानूनों की किस तरह अनदेखी की है। ये वर्किंग ग्रुप ऐसे उपाय भी सुझाएगा कि कौन से कदम उठाए जाएं कि जिससे एनएसईएल मामले का असर पूरे सिस्टम पर ना पडे़। स्पेशल टीम के चेयरमैन आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम होंगे। इस टीम में कॉर्पोरेट अफेयर्स, कंज्यूमर अफेयर्स और राजस्व विभाग के सचिव सदस्य होंगे। स्पेशल टीम को मदद देने के लिए 2 वर्किंग ग्रुप बनाए गए हैं। पहले वर्किंग ग्रुप में चेयरमैन समेत 7 लोग शामिल होंगे। पहले ग्रुप के चेयरमैन डायरेक्टर ईडी होंगे। पहले ग्रुप में डीआरआई, सेबी, आरबीआई, कंज्यूमर अफेयर्स विभाग, एफएमसी, एसएफआईओ, सीबीडीटी (इन्वेस्टीगेशन) होंगे। दूसरे ग्रुप में चेयरमैन समेत 4 लोग होंगे। दूसरे ग्रुप के चेयरमैन आरबीआई के डिप्टी गवर्नर होंगे। साथ ही एफएमसी चेयरमैन, सेबी अधिकारी और एफएसडीसी के एडवाइजर इसके सदस्य होंगे। दोनों वर्किंग ग्रुप 2 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट स्पेशल टीम को देंगे। इस बीच एनएसईएल संकट को देखते हुए सेबी ने सेटलमेंट गारंटी फंड पर सभी एक्सचेंज से जानकारी मांगी है। सेबी ने बीएसई, एनएसई, एमसीएक्स-एसएक्स से सेटलमेंट गारंटी फंड का पूरा ब्यौरा देने को कहा है। मार्केट रेगुलेटर ने ये भी पूछा है कि एक्सचेंज बताएं कि वो सेटलमेंट गारंटी फंड कैसे तय करते हैं। (Moneycantorl.com)

सेंसेक्स 625 अंक गिरा, निफ्टी में 200 अंकों की गिरावट

कारोबार के आखिरी घंटे में बाजार में गिरावट और बढ़ गई है। बैंक, कैपिटल गुड्स, पावर, पीएसयू, रियल्टी, एफएमसीजी और मेटल शेयरों की पिटाई से बाजार में गिरावट हावी हो रही है। दिग्गज शेयरों के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी गिरावट का दौर है, लेकिन मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में दिग्गजों की तरह कमजोरी नहीं है। फिलहाल बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 625 अंक यानि 3.4 फीसदी की गिरावट के साथ 17,933 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 198 अंक यानि 3.6 फीसदी की कमजोरी के साथ 5,278 के स्तर पर आ गया है। बाजार में कारोबार के इस दौरान दिग्गज शेयरों में आईडीएफसी 15.8 फीसदी, बीएचईएल, जयप्रकाश एसोसिएट्स 9.1 फीसदी, एचडीएफसी बैंक 8.8 फीसदी, एचडीएफसी 8.6 फीसदी, एनटीपीसी 5.9 फीसदी और एलएंडटी 5.8 फीसदी तक टूट गए हैं। हालांकि सेसा गोवा, इंफोसिस, डॉ रेड्डीज, टीसीएस और एचसीएल टेक जैसे दिग्गज शेयरों में 1-0.3 फीसदी तक की बढ़त देखने को मिल रही है। मिडकैप शेयरों में आईआरबी इंफ्रा, फ्यूचर रिटेल, सिंटेक्स इंडस्ट्रीज, स्पाइसजेट और सनोफी इंडिया सबसे ज्यादा 8.2-6.3 फीसदी तक गिर गए हैं। स्मॉलकैप शेयरों में डायनामिक टेक, जोडियाक क्लोदिंग, पटेल इंजीनियरिंग, वेलस्पन इंडिया और कैपिटल फर्स्ट सबसे ज्यादा 15.5-7.4 फीसदी तक लुढ़क गए हैं। (Moneycantorl.com)

खाद्य सुरक्षा विधेयक को मिली लोकसभा की मंजूरी

देश की दो तिहाई आबादी को दो वक्त की रोटी का कानूनी हक देने वाले ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक को आखिरकार लोकसभा से मंजूरी मिल गई है। पक्ष व विपक्ष के जबरदस्त तर्क-वितर्क के बीच सोमवार देर रात लोकसभा ने बिल को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। हालांकि विपक्ष और सरकार के सहयोगी दलों ने विधेयक में करीब दो सौ से ज्यादा संशोधन पेश किए थे। मगर सरकार के संशोधनों के अलावा विपक्ष के किसी संशोधन को सदन की मंजूरी नहीं मिली और खाद्य सुरक्षा विधेयक बहुमत के साथ लोकसभा में पारित हो गया। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने भी इस बिल के समर्थन में मतदान किया। इसके पूर्व सरकार ने पिछले महीने अध्यादेश के जरिए लागू किए गए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को वापस ले लिया। हालांकि बिल पारित करने से पहले इस पर बहस के दौरान भाजपा ही नहीं बल्कि सरकार के कई सहयोगी दलों ने भी चुनाव के ऐन पहले खाद्य सुरक्षा कानून लाने के सरकार के इरादों पर सवाल उठाते हुए इसे चुनावी स्टंट करार दिया। वहीं इस बिल की सूत्रधार मानीं जाने वाली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बहस में हिस्सा लेते हुए इसे देश के इतिहास में एक नया आयाम बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लोकसभा में खाद्य सुरक्षा विधेयक पर चर्चा शुरू करते हुए सरकार ने कहा कि देश में भूख से सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक अहम पहल है और सभी दलों को इसे सर्वसम्मति से पारित कराना चाहिए। खाद्य मामलों के मंत्री प्रो केवी थॉमस ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विधेयक है, जिसमें 35 किलोग्राम अनाज प्रति परिवार प्रति माह देने के साथ ही छह महीने से लेकर 14 वर्ष के बच्चों को पोषक आहार देने का प्रावधान है। गरीब परिवारों की पहचान करने के कार्य में राज्य सरकारों को शामिल किया जाएगा। इस तरह से राज्यों की सहभागिता बढ़ाई जाएगी। बिल पर तमिलनाडु समेत कुछ राज्यों की आपत्तियों को दूर करने का प्रयास करते हुए थॉमस ने कहा कि सरकार ने यह निर्णय किया है कि इन राज्यों को पिछले तीन वर्षों के दौरान जो अनाज प्राप्त हो रहा है, उसे पूरी तरह से बनाए रखा जाएगा। हालांकि इससे केंद्र पर कुछ वित्तीय बोझ पड़ेगा लेकिन सरकार इसे वहन करेगी। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून को अमल में लाने के लिए सालाना लगभग 6.20 करोड़ टन अनाज की जरूरत होगी। यह 2011 की जनगणना के आधार पर लागू होगा। इस विधेयक में वृहद जवाबदेही और पारदर्शिता को प्रोत्साहित किया गया है और पीडीएस के सामाजिक आडिट की बात कही गई है। थॉमस के मुताबिक तीन वर्ष के लिए प्रति व्यक्तिको हर महीने पांच किलोग्राम अनाज दिया जाएगा। जिसमें तीन रुपये की दर से चावल, दो रुपये की दर से गेहूं और एक रुपये की दर से मोटा अनाज दिया जाएगा। यह दरें तीन वर्ष के लिए होंगी और बाद में इनकी समीक्षा की जाएगी। इस कानून से केंद्र सरकार पर प्रति वर्ष 1,24,827 करोड़ रुपये सब्सिडी का बोझ पड़ेगा। मौजूदा समय सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकार हर साल लगभग 82000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है। खास बात यह है कि इस कानून में गर्भवती महिलाओं को पहले 1000 रुपये प्रति माह देने की बात कही गई थी, जबकि अब एक मुश्त 6000 रुपये दिए जाने का प्रावधान किया गया है। खाद्य सुरक्षा विधेयक के प्रावधानः- देश की दो-तिहाई आबादी को मिलेगा सस्ता अनाज। ग्रामीण इलाके में 75 प्रतिशत और शहरी इलाके में 50 फीसदी लोगों को हर महीने पांच किलो अनाज। तीन रुपये प्रति किलो चावल, दो रुपये किलो गेहूं और एक रुपये किलो की दर से मिलेगा ज्वार। ये कीमतें 3 साल बाद बदली जाएंगी। अंत्योदय कार्ड वाले परिवारों को 35 किलो अनाज अंत्योदय कार्ड वाले गरीब परिवार को महीने में 35 किलो अनाज। तीन रुपये किलो चावल, दो रुपये किलो गेहूं और एक रुपये किलो की दर से ज्वार मिलेगा। अनाज नहीं मिला तो मिलेगा मुआवजा राज्य सरकार अगर अनाज मुहैया नहीं करा पाई तो उसे खाद्य सुरक्षा भत्ता गरीबों को देना होगा। यह भत्ता कितना होगा, यह तय करने की जिम्मेदारी केंद्र की होगी। गरीबों की पहचान करेंगे राज्य राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर गरीबों की संख्या योजना आयोग तय करेगा जबकि गरीब की पहचान राज्य करेंगे। गर्भवती महिलाओं को मदद प्रत्येक गर्भवती महिला को छह हजार रुपये मिलेंगे। छह महीने से 14 साल तक के बच्चों को राशन या खाना मुहैया कराया जाएगा। -परिवार की वरिष्ठतम महिला सदस्य को मुखिया माना जाएगा। राशन कार्ड उसी के नाम पर बनेगा। -1,24,724 करोड़ रुपये का खर्च आएगा खाद्य सुरक्षा योजना के लागू होने पर 2013-14 में 612.3 लाख टन अनाज की जरूरत पडे़गी यह बिल यूपीए सरकार का चुनावी हथकंडा है। इससे गरीबों का कोई भला नहीं होगा बल्कि राज्यों की माली हालात और खराब हो जाएगी। ऐसा पहली बार हो रहा है कि केंद्र सरकार अपने हित के लिए कोई कानून बनाकर सभी पर थोपने की तैयारी कर रही है। अगर सरकार को इस बिल को पास कराना है तो पहले वह मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाकर चर्चा करे।--मुलायम सिंह यादव, सपा प्रमुख खाद्य सुरक्षा विधेयक ऐतिहासिक है। इससे दुनिया को एक बड़ा संदेश जाएगा कि भारत अपने सभी देशवासियों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उठा सकता है। हमें मतभेद भुलाकर इस बिल का पास कराना चाहिए। --सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष जदयू ने इस विधेयक पर महत्वपूर्ण संशोधन के सुझाव दिए हैं। यदि सरकार उन पर अमल करती है तो निश्चित तौर पर इस बिल का समर्थन किया जाएगा।--शरद यादव, जदयू अध्यक्ष (Amaj Ujala)

लोकसभा में खाद्य सुरक्षा बिल पारित

दिन भर चली लंबी बहस और अनिश्चितता के बाद आखिरकार यूपीए सरकार का ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक सोमवार रात लोकसभा में पारित हो गया. सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में 82 करोड़ लोगों को सस्ता अनाज उपलब्ध कराने का प्रावधान है. लोकसभा में विपक्ष के 300 से ज़्यादा संशोधनों को खारिज कर दिया गया. जब लोकसभा में ये विधेयक पारित हुआ तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी सदन में मौजूद नहीं थी. सोनिया की तबियत खराब विधेयक में जब संशोधनों पर बहस हो रही थी तब तबीयत ख़राब होने के चलते करीब रात 8.15 बजे उन्हें सदन से जाना पड़ा. उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में भर्ती कराया गया. सोनिया के साथ उनके बेटे और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मतदान में हिस्सा नहीं ले सके. इससे पहले, लोकसभा में विधेयक पर विपक्ष की चिंताओं को दूर करने की मांग पर सोनिया गांधी ने कहा, "यह कानून महज़ एक शुरुआत है कि हमें आगे बढ़ना है, रचनात्मक सुझाव का स्वागत है, हमें अनुभव से सीखना होगा." विधेयक पर मतदान से पहले विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, "अपरिपक्व और कमज़ोर 'होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी इसका समर्थन करती है. सुषमा ने आगे कहा, "हम उस दिन के इंतजार में हैं, जब हम सत्ता में आएंगे तो हम इस कानून में सुधार करने में सक्षम होंगे." अन्नाद्रमुक बिल का विरोध करने वाली एकमात्र पार्टी थी. दिन भर चली बहस का जवाब देते हुए खाद्य राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ) केवी थॉमस ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि विधेयक का मसौदा तैयार करते समय राज्यों से परामर्श नहीं किया गया. थॉमस ने ज़ोर देकर कहा कि राज्यों से चार बार परामर्श किया गया है. संसद में खाद्य सुरक्षा विधेयक के पारित होने के बाद एक से तीन रुपए प्रतिकिलो की रियायती दर पर देश की दो तिहाई आबादी को हर महीने 5 किलो तक अनाज मिल सकेगा. वोट सुरक्षा बिल’ लेकिन भाजपा ने इस बिल को सिर्फ चुनावी कदम करार दिया है. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा, “ये खाद्य सुरक्षा बिल नहीं है, ये वोट सुरक्षा बिल है.” उन्होंने कहा, “सरकार को इस बिल का खाका तैयार करने में चार साल लग गए. 2009 में जब यूपीए-2 सत्ता में आया तो खाद्य सुरक्षा विधेयक का वादा किया गया था. अब साढ़े चार साल बाद, अब जब वो जाने वाले हैं तो बिल लेकर आए हैं. हम पूछना चाहते हैं कि वो साढ़े चार साल क्या करते रहे.” उन्होंने यूपीए सरकार पर इस बिल के ज़रिए लोगों को मूर्ख बनाने का आरोप लगाया. ‘कौन देगा गारंटी’ इससे पहले बहस में हिस्सा लेते हुए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने बिल पर कई सवाल उठाए. मुलायम ने कहा, "ये विधेयक स्पष्ट रूप से चुनाव के लिए लाया जा रहा है...आप पहले इस बिल को क्यों नहीं लाए, जब ग़रीब भूख की वजह से मर रहे थे?" मुलायम सिंह यादव ने कहा कि जिन राज्य सरकारों को ये कानून लागू करना है, उन्हीं से इस बारे में कोई राय नहीं ली गई. उन्होंने मौजूदा बिल को किसान विरोधी बताते हुए कहा, “किसानों की उपज की खरीद की पक्की गांरटी बिल में कहीं नहीं की गई है. इससे किसान बर्बाद हो जाएंगे.” समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि बिल में संशोधन की ज़रूरत है और सभी मुख्यमंत्रियों से राय मशविरा करने के बाद ही इसे लागू किया जाना चाहिए. लेकिन जब बिल पर मतदान की बारी आई तो समाजवादी पार्टी ने बिल के पक्ष में मतदान किया. (BBC Hindi)

32526 रुपए की रिकॉर्ड कीमत पर पहुंचा सोना, रुपए-सेंसेक्स की टूटी कमर

मुंबई। देश के शेयर बाजारों में आज अत्यधिक गिरावट का दौर देखा जा रहा है। सेंसेक्स में 500 अंक की गिरावट देखी गई, वहीं निफ्टी 200 अंक तक नीचे आ गया। वहीं, सोना अपने रिकॉर्ड उछाल पर है। सोने की कीमत में रिकॉर्ड उछाल आया और 10 ग्राम सोने की कीमत 32,526 रुपये पहुंच गई। इन सबके बीच रुपया भी अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। डॉलर के मुकाबले रुपया आज 65.71 पर पहुंच गया। पहले सेंसेक्स में 11.30 बजे तक करीब 475 अंकों की गिरावट देखी गई थी, वहीं निफ्टी में करीब 150 अंकों की गिरावट देखी गई। फिलहाल करीब 12 बजे शेयर बाजार में कुछ सुधार के संकेत हैं। सेंसेक्स में 464 और निफ्टी में 145 अंक की गिरावट देखी जा रही है। इससे पहले प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह लगभग 9.26 बजे 213.88 अंकों की गिरावट के साथ 18,344.25 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 81.60 अंकों की गिरावट के साथ 5,394.90 पर कारोबार करते देखे गए। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 97.41 अंकों की गिरावट के साथ 18,460.72 पर जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 50.00 अंकों की गिरावट के साथ 5,426.50 पर खुला। बाजार में कारोबार के इस दौरान एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोल इंडिया, महिंद्रा एंड महिंद्रा, आईडीएफसी, इंडसइंड बैंक और एक्सिस बैंक जैसे दिग्गज शेयरों में 6.5-1.6 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि टाटा पावर, बीएचईएल, विप्रो, इंफोसिस, टीसीएस, रैनबैक्सी, पावर ग्रिड और एचसीएल टेक जैसे दिग्गज शेयरों में 2.3-0.6 फीसदी तक की मजबूती आई है। मिडकैप शेयरों में सिंडिकेट बैंक, चोलामंडलम, रेमंड, एचडीआईएल और जिंदल सॉ सबसे ज्यादा 3.5-3 फीसदी तक गिर गए हैं। वहीं स्मॉलकैप शेयरों में जिनिसिस इंटरनेशनल, पैनिसिया बायोटेक, एस्ट्रल पॉलि, प्लेथिको फार्मा और इनोवेटिव इंडस्ट्रीज सबसे ज्यादा 7.9-4.9 फीसदी तक टूट गए हैं। (business bhaskar)

26 अगस्त 2013

जीएम फसलों पर रिपोर्ट पर सुनवाई टली

आनुवांशिक रूप से संशोधित फसलों पर विशेषज्ञ समिति की बहु-प्रतीक्षित रिपोर्ट पर आज सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विचार नहीं किया जा सका, क्योंकि इसकी प्रति सरकारी वकील और कुछ अन्य पक्षों के लिए उपलब्ध नहीं कराई गई थी। इसके अलावा डॉ. आर एस परोडा की अलग रिपोर्ट भी कार्यवाही से पहले उन्हें नहीं सौंपी गई जिसमें कहा गया था कि पैनल के अन्य पांच सदस्यों की राय से उन्हें अवगत नहीं कराया गया। न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाले खंडपीठ ने यह रिपोर्ट सभी पक्षों को उपलब्ध कराए जाने का निर्देश दिया था। इस रिपोर्ट में नियामक व्यवस्था में मतभेद दूर किए जाने तक जीएम फसलों के स्वतंत्र तौर पर फील्ड ट्रायल को रोके जाने की सिफारिश की गई है। एसोसिएशन ऑफ बायोटेक लेड एंटरप्राइजेज द्वारा इसका विरोध किया गया और इसने इसे प्रतिगामी करार दिया। कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठï वकील केके वेणुगोपाल ने कहा है कि एक बायोटेक नियामक बनाए जाने के लिए व्यापक विधेयक शीत सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। इस विधेयक में प्रत्येक समस्या पर विस्तार से विचार किया गया है। जीएम फूड का विरोध करने वाले वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि यह बिल महज एक ध्यान हटाने की योजना है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. परोडा इस मुद्दे पर हितों के टकराव का शिकार हुए हैं। जीएम फूड के खतरों को लेकर दो याचिकाएं वर्ष 2004 से ही अदालत में लंबित हैं और इस मुद्दे को कई समितियों ने उठाया है। 6 सदस्यीय समिति नई है और इसकी रिपोर्ट हाल में बहस का मुद्दा रही है। इस मुद्दे को लेकर राजधानी में विरोध प्रदर्शन भी हो चुके हैं। (BS Hindi)

ज्वैलरी निर्यात में आई गिरावट, सोने का आयात हुआ महंगा

रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती से सोने का आयात तो महंगा हो गया है। साथ ही, ज्वैलरी निर्यात में भी गिरावट आई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले घरेलू बाजार में सोने की कीमतें ऊंची बनी हुई है। केंद्र सरकार द्वारा 22 जुलाई को सोने के आयात को 80-20 फीसदी कर देने के बाद से सोने का आयात लगभग बंद सा हो गया है। साथ ही, ज्वैलरी निर्यात में भी भारी गिरावट आई है। पहली जु़लाई से 22 जुलाई तक देश में सोने का आयात 47 टन का हुआ था जबकि उसके बाद से आयात हुआ ही नहीं है। जून महीने में देश से 55.68 करोड़ डॉलर मूल्य की ज्वैलरी का निर्यात हुआ था जबकि जुलाई महीने में 44.14 करोड़ डॉलर की ज्वैलरी का निर्यात ही हुआ है। ऑल इंडिया जैम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फैडरेशन (जीजेएफ) के पूर्व अध्यक्ष बछराज बामलवा ने बताया कि डॉलर की मजबूती से सोने का आयात प्रभावित हुआ है। 22 जुलाई के बाद से सोने का आयात हुआ ही नहीं है उल्टा जुलाई में सरकार द्वारा सोने के आयात को 80-20 फीसदी कर देने के बाद से जुलाई के अंतिम दिनों में ज्वैलरी का निर्यात करीब 20 फीसदी घट गया था। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव शनिवार को 1,397 डॉलर प्रति औंस रहा इस आधार पर घरेलू बाजार में सोने का भाव 27,000 रुपये प्रति दस ग्राम होना चाहिए जबकि शनिवार को यहां सोने का दाम 31,500 रुपये प्रति दस ग्राम रहा। रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती का सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। जैम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के उपाध्यक्ष पंकज पारिख ने बताया कि ज्वैलरी का निर्यात अप्रैल से जुलाई के दौरान करीब 65 फीसदी घटा है। अप्रैल महीने में देश से ज्वैलरी का निर्यात 56.07 करोड़ डॉलर मूल्य का हुआ था जबकि जुलाई में घटकर 44.14 करोड़ डॉलर का रह गया। उन्होंने बताया कि सोने के आयात पर 10 फीसदी शुल्क और 80-20 फीसदी की पाबंदी लगा देने से जुलाई के अंतिम दिनों में ज्वैलरी निर्यात करीब 20 फीसदी घटा है। दिल्ली बुलियन एंड ज्वैलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष वी के गोयल ने बताया कि 6 फरवरी को रुपये के मुकाबले डॉलर 48.68 के स्तर पर था जबकि 23 अगस्त को 63.70 के स्तर पर बंद हुआ है। आगामी दिनों में रुपये के मुकाबले डॉलर में मजबूती अभी कायम रहने की संभावना है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने 22 जुलाई को सोने के आयात को 80-20 फीसदी की दर से कर देने के बाद आयात नहीं हो रहा है। अप्रैल महीने में देश में 142 टन सोने का आयात हुआ था जबकि मई महीने में आयात 162 टन का हुआ था। उसके बाद से जून महीने में आयात घटकर 31 टन का रहा जबकि पहली जुलाई से 22 जुलाई तक आयात 47 टन का हुआ है। (Business Bhaskar.....R S Rana)

LIVE: लालू ने किया फूड बिल का समर्थन

नई दिल्ली।। यूपीए सरकार का 'ट्रंप कार्ड' बताए जा रहे फूड सिक्यूरिटी बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया है और इस पर चर्चा चल रही है। राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बिल का समर्थन किया है। लालू ने बिल को दूरगामी असर वाला बताते हुए कहा कि जिसके अनाज खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं, उनको इससे काफी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि बिहार से बड़ी तादाद में गरीब लोग दूसरे प्रदेशों में जाते हैं, इससे उनको लाभ होगा। लालू ने कहा कि केंद्र को राज्य राज्य सरकार के साथ मिलकर गरीबों की सूची में सुधार करना चाहिए। बिल पर चर्चा के बाद आज वोटिंग होगी। उधर, 30 अगस्त को खत्म हो रहे संसद के मॉनसून सत्र को 6 सितंबर तक बढ़ा दिया गया है। इससे पहले यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि फूड सिक्यूरिटी बिल से यूपीए सरकार खाद्य सुरक्षा का अपना वादा निभा रही है। उन्होंने कहा कि लोगों को भोजन का अधिकार देना ही होगा। साधन हों या नहीं, यह करना ही होगा। उन्होंने विपक्षी दलों से बिल पर साथ देकर इस ऐतिहासिक फैसले में भागीदार बनने की अपील की। बीजेपी ने बिल पर ऐतराज जताते हुए कहा कि यह फूड नहीं 'वोट' सिक्यूरिटी बिल है। सोनिया ने दिए सवालों के जवाबः सोनिया ने अपने संबोधन में फूड सिक्यूरिटी बिल पर विरोधी दलों के सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने कहा, 'कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या हमारे पास इसके लिए साधन हैं? मैं उनसे कहना चाहती हूं कि सवाल साधनों का नहीं है। हमें इसके लिए साधन जुटाने ही होंगे। कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या यह किया जा सकता है? मैं उनसे कहना चाहती हूं कि सवाल यह नहीं है कि हम क्या कर सकते हैं या नहीं, हमें यह करना ही है। कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या यह बिल किसानों के हित में है? मैं कहना चाहती हूं कि कृषि और किसान हमारी नीतियों के प्रमुख अंग हैं। हमने उनकी जरूरतों को हमेशा सबसे ऊपर रखा है। और आगे भी रखेंगे। LIVE: लालू ने किया फूड बिल का समर्थन Email this article Print this article Save this article My Saved articles Login Register@indiatimes Reduce font size Increase font size Share on Reditt Hotklix this Google Bookmarks Facebook Yahoo MyWeb Apna Circle Reddit और >> 155 Lok-Sabha लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार नवभारतटाइम्स.कॉम | Aug 26, 2013, 07.10PM IST नई दिल्ली।। यूपीए सरकार का 'ट्रंप कार्ड' बताए जा रहे फूड सिक्यूरिटी बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया है और इस पर चर्चा चल रही है। राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बिल का समर्थन किया है। लालू ने बिल को दूरगामी असर वाला बताते हुए कहा कि जिसके अनाज खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं, उनको इससे काफी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि बिहार से बड़ी तादाद में गरीब लोग दूसरे प्रदेशों में जाते हैं, इससे उनको लाभ होगा। लालू ने कहा कि केंद्र को राज्य राज्य सरकार के साथ मिलकर गरीबों की सूची में सुधार करना चाहिए। बिल पर चर्चा के बाद आज वोटिंग होगी। उधर, 30 अगस्त को खत्म हो रहे संसद के मॉनसून सत्र को 6 सितंबर तक बढ़ा दिया गया है। इससे पहले यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि फूड सिक्यूरिटी बिल से यूपीए सरकार खाद्य सुरक्षा का अपना वादा निभा रही है। उन्होंने कहा कि लोगों को भोजन का अधिकार देना ही होगा। साधन हों या नहीं, यह करना ही होगा। उन्होंने विपक्षी दलों से बिल पर साथ देकर इस ऐतिहासिक फैसले में भागीदार बनने की अपील की। बीजेपी ने बिल पर ऐतराज जताते हुए कहा कि यह फूड नहीं 'वोट' सिक्यूरिटी बिल है। सोनिया ने दिए सवालों के जवाबः सोनिया ने अपने संबोधन में फूड सिक्यूरिटी बिल पर विरोधी दलों के सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने कहा, 'कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या हमारे पास इसके लिए साधन हैं? मैं उनसे कहना चाहती हूं कि सवाल साधनों का नहीं है। हमें इसके लिए साधन जुटाने ही होंगे। कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या यह किया जा सकता है? मैं उनसे कहना चाहती हूं कि सवाल यह नहीं है कि हम क्या कर सकते हैं या नहीं, हमें यह करना ही है। कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या यह बिल किसानों के हित में है? मैं कहना चाहती हूं कि कृषि और किसान हमारी नीतियों के प्रमुख अंग हैं। हमने उनकी जरूरतों को हमेशा सबसे ऊपर रखा है। और आगे भी रखेंगे। [ जारी है ] मुलायम ने बताया चुनावी बिलः सोनिया के बाद बोलने उठे समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने बिल को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, 'खाद्य सुरक्षा बिल लाने से पहले मुख्यमंत्रियों को बुलाकर उनकी राय लेनी चाहिए थी।' उन्होंने यूपीए की भोजन गारंटी स्कीम को 'चुनावी' स्कीम करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार के पर आंकड़े हैं नहीं और मुफ्त भोजन देने की स्कीम शुरू कर दी गई है। मुलायम ने कहा कि इस स्कीम से राज्यों पर कितना बोझ पड़ेगा और वह इसकी भरपाई कैसे करेंगे, इसका कोई जिक्र नहीं है। इससे पहले सोमवार दोपहर 2 जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई खाद्य मंत्री के.वी. थॉमस ने लोकसभा में फूड सिक्यूरिटी बिल पर बहस की शुरुआत की। थॉमस ने इस बिल के फायदों के बारे में सदन को जानकारी दी। गौरतलब है कि कांग्रेस ने मौजूदा सेशन में इस बिल को पास करवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। हालांकि, लगातार हंगामे की वजह से अब तक फूड सिक्यूरिटी बिल पर लोकसभा में बहस नहीं हो पा रही थी। माना जा रहा है कि यूपीए सरकार ने इस बिल के समर्थन में जेडीयू, एसपी और बीएसपी का समर्थन हासिल कर लिया है। वहीं, जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके ने साफ कर दिया है कि मौजूद प्रारूप में वह इस बिल के विरोध में वोटिंग करेगी। जयललिता ने केंद्र सरकार पर बिल में खुद के सुझाए संशोधनों को शामिल नहीं करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों को विप जारी कर सदन में मौजूद रहने को कहा है ताकि बिल को पास करवाने में कोई दिक्कत ना आए। (Navbharat Times)

एनएसईएल के पे-आउट डिफॉल्ट की आशंका!

मंगलवार को नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) बार फिर पे-आउट डिफॉल्ट कर सकता है। एनएसईएल इंवेस्टर फोरम की एफएमसी के साथ बैठक हुई, जिसके बाद से उन्हें पैसे मिलने की उम्मीद ना के बराबर लग रही है। एनएसईएल को 175 करोड़ रुपये का पेमेंट करना है, लेकिन एक्सचेंज के एस्क्रो अकाउंट में सिर्फ 8.5 करोड़ रुपये मौजूद हैं। एनएसईएल इंवेस्टर फोरम के मुताबिक उन्हें पैसे मिलने की उम्मीद नहीं है। एफएमसी ने कहा है कि वो मामले पर सिर्फ नजर रख सकता है। एफएमसी 2-3 दिन में जांच रिपोर्ट पेश कर देगा। एनएसईएल निवेशकों की ब्रोकरों के साथ बैठक चल रही है। बैठक में पे-आउट में डिफॉल्ट की आशंका और आगे की रणनीति पर चर्चा हो रही है। बुधवार को एनएसईएल इन्वेस्टर फोरम विरोध प्रदर्शन करेंगे। इन्वेस्टर फोरम एनएसईएल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।

कमोडिटी बाजारः सोने-चांदी में जोरदार तेजी

सोने और चांदी में जोरदार तेजी आई है। एमसीएक्स पर चांदी 1 फीसदी की मजबूती के साथ 54,000 रुपये पर पहुंच गई है। वहीं सोना 0.5 फीसदी की बढ़त के साथ 31,900 रुपये पर पहुंच गया है। कॉमैक्स पर सोना 0.1 फीसदी तक टूटा है, जबकि चांदी में 1 फीसदी की तेजी आई है। कमजोर रुपये से घरेलू बाजार में सोने और चांदी की कीमतों को सपोर्ट मिला है। हालांकि गौर करने वाली बात ये है कि सोने के वॉल्यूम में भारी गिरावट दर्ज हुई है। अबतक 10,000 लॉट से भी कम में कारोबार हुआ है। एमसीएक्स पर कच्चा तेल 0.5 फीसदी से ज्यादा की तेजी के साथ 6,880 रुपये पर कारोबार कर रहा है। नैचुरल गैस करीब 2 फीसदी की उछाल के साथ 228 रुपये के ऊपर निकल गया है। एमसीएक्स पर बेस मेटल्स में 0.5-0.8 फीसदी की तेजी आई है। कॉपर 0.7 फीसदी चढ़कर 478 रुपये के ऊपर कारोबार कर रहा है। एल्युमिनियम में 0.5 फीसदी, निकेल में 0.6 फीसदी, लेड में 0.5 फीसदी और जिंक में 0.8 फीसदी की तेजी आई है। एनसीडीईएक्स पर ग्वार सीड 4 फीसदी से ज्यादा की बढ़त के साथ 4,800 रुपये पर पहुंच गया है। वहीं ग्वार गम 4 फीसदी की उछाल के साथ 13,250 रुपये पर पहुंच गया है। हालांकि एनसीडीईएक्स पर गुड करीब 2 फीसदी की गिरावट के साथ 1,200 रुपये के नीचे आ गया है। मक्के के सितंबर वायदा में 1.7 फीसदी, जबकि अक्टूबर वायदा में 1.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। एनसीडीईएक्स पर चने का अक्टूबर वायदा करीब 1 फीसदी की मजबूती के साथ 3,235 रुपये पर कारोबार कर रहा है। सोयातेल का अक्टूबर वायदा करीब 3 फीसदी की तेजी के साथ 680 रुपये के करीब पहुंच गया है।a (Moneycantrol.com)

एफएमसी: एनएसईएल के डिफॉल्टरों पर सख्ती

नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) मामले का दायरा बढ़ता जा रहा है। कमोडिटी ही नहीं अब इक्विटी मार्केट तक इसका असर दिखने लगा है। बीएसई ने 9 डिफॉल्टरों को एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करने से रोक लगा दी है। हालांकि, कम अधिकारों के बावजूद इस मामले पर सबसे ज्यादा काम करने वाला एफएमसी लगातार प्रोमोटरों पर निवेशकों का पैसा लौटाने का दबाव बढ़ाता जा रहा है। इसीलिए एफएमसी की ओर से होने वाली सारी गतिविधियों पर पूरे बाजार की नजर है। एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा है कि अगर 27 अगस्त को एनएसईएल पेमेंट नहीं करता है तो एक्शन लिया जा सकता है। डिफॉल्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मंगलवार को एनएसईएल को 178 करोड़ रुपये लौटाने हैं, जबकि एस्क्रो अकाउंट में सिर्फ 8 करोड़ रुपये हैं। रमेश अभिषेक का कहना है कि डिफॉल्ट से एमसीएक्स के प्रमोटरों और डायरेक्टरों की छवि बिगड़ेगी। एमसीएक्स के प्रमोटरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है। रमेश अभिषेक के मुताबिक एफएमसी ने पास सेटलमेंट कराने का ही अधिकार है। एनएसईएल का सेटलमेंट प्लान लंबा है। एनएसईएल पर बाकी आरोपों की जांच दूसरी एजेंसियां करेंगी। (Moneycantrol.com)

23 अगस्त 2013

एनएसईएल निवेशकों की सरकार से गुजारिश

एनएसईएल के निवेशकों ने आज दिल्ली में एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट और वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव से मुलाकात की। एनएसईएल के निवेशकों ने सरकार से एनएसईएल के प्रोमोटरों की सारी संपत्ति जब्त करने की मांग की है। एनएसईएल के निवेशकों ने सरकार से जल्द से जल्द इस मामले में हस्तक्षेप कर उनका पैसा लौटाने की मांग की है। साथ ही एनएसईएल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की भी मांग की है। एनएसईएल मामले में फंसे निवेशकों ने साफ कर दिया है कि वे किसी भी कीमत पर अपना पैसा वापस लिए बिना चैन से नहीं बैठेंगे। गुरुवार को एक्सचेंज और एनएसईएल इन्वेस्टर फोरम की बैठक थी। इस बैठक में निवेशकों को एक्सचेंज के दावों पर भरोसा नहीं हो सका। एनएसईएल के निवेशकों ने अगले हफ्ते सोमवार को मुंबई हाईकोर्ट में एनएसईएल के खिलाफ मुकदमा दायर करने का भी फैसला किया है। निवेशकों ने कहा है कि एक्सचेंज के नए सीईओ पी आर रमेश के पास पूरी जानकारी ही नहीं है। ऐसे में एक्सचेंज से उन्हें अब कोई मदद मिलने की उम्मीद नहीं है। इस बीच एफएमसी ने एनएसईएल को उन 9 कंपनियों को डिफॉल्टर करार देने का आदेश दिया है, जिन्होंने सेटलमेंट के लिए एक रुपया भी नहीं दिया है। इन डिफॉल्टर्स में एनके प्रोटिन, एआरके इंपोर्टर्स, यथुरी एसोसिएट्स, तविशी एंटरप्राइजेज, लोटस रिफाइनरीज, लॉइल ओवरसीज, एनसीएस शुगर, स्पिन कॉट टेक्सटाइल और विमलादेवी एग्रोटेक के नाम शामिल हैं। आपको बता दें गुरुवार को एन के प्रोटीन्स के दफ्तारों पर आयकर विभाग के छापे पड़े थे। एनएसईएल के चेयरमैन शंकरलाल गुरु के रिश्तेदार की ये कंपनी है। इसके अलावा एक्सचेंज ने कुल 9 कंपनियों का नाम जारी किया है, जिन्हें अबतक डिफॉल्टर घोषित किया जा चुका है। (Moneycantrol.com

22 अगस्त 2013

डॉलर के मुकाबले रुपए का टूटना जारी, लाइफ टाइम रेकॉर्ड 65 पार पहुंचा

मुंबई।। डॉलर की मार से इंडियन करंसी रुपए की सेहत हर दिन बुरी तरह से पिट रही है। गुरुवार को तो रुपए के गिरने की सारी हदें टूट गईं। रुपया 64.90 पर खुला लेकिन कुछ पल में ही 65.03 तक चला गया। बुधवार को रुपया 64.11 पर बंद हुआ था। कल के मुकाबले रुपया करीब 2 पर्सेंट गिरा है। इस साल 1 जनवरी लेकर अब तक रुपए में 15.5 पर्सेंट की गिरावट आई है। मध्य जुलाई से 22 अगस्त के बीच रुपए में 8% की गिरावट आई है। फिलहाल रुपया 65.41 के लेवल पर है। इस गिरावट के साथ ही रुपया दुनिया की तीसरी सबसे खराब करंसी बन गया। एशिया में सबसे खराब करंसी के मामले में रुपया दूसरे नंबर पर आ गया है। लगातार छठे दिन रुपए में यह सबसे बड़ी गिरावट है। अब तक के इतिहास में रुपया इससे ज्यादा कभी नहीं गिरा था। बुधवार को ही डॉयचे बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि रुपया एक से दो महीने में 70 के लेवल तक जा सकता है। इसी से पता चलता है कि इंडियन इकॉनमी संकट के किस दौर से गुजर रही है। विदेशी इन्वेस्टर्स में भारत से अपनी पूंजी निकालने की होड़ लगी है। मुख्य तौर पर विदेशी इन्वेस्टर्स द्वारा लगातार पूंजी निकासी से बाजार की हालत पस्त है। शेयर बाजार के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक उन्होंने बुधवार को 792.11 करोड़ रपए के शेयर बेचे। इंडियन करंसी रुपए की गिरती कीमत के बीच बीजेपी के सीनियर नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने मनमोहन सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि इस सरकार की साख खत्म हो गई है। देश की इकॉनमी सरकार के कंट्रोल से बाहर जा रही है लेकिन कोई उपाय करने में खुद को असमर्थ पा रही है। सिन्हा ने कहा कि रुपया का डॉलर के मुकाबले 65 से पार होना बेहद गंभीर समस्या है। भारतीय शेयर बाजार से भी फिलहाल संकट के बादल छंटते नहीं दिख रहे हैं। गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 9.07 अकों की गिरावट के साथ 17896.84 पर खुला। बुधवार को सेंसेक्स 340.13 अंक गिरकर 17905.91 पर बंद हुआ था। निफ्टी भी 19.75 अंकों की गिरावट के साथ 5,282.80 पर खुला। निफ्टी फिलहाल हरे निशान पर है। अमेरिकी मार्केट्स में भारी गिरावट के बाद आशंका है इंडियन स्टॉक मार्केट की हालत भी आज पतली रहेगी। फेडरल रिजर्व के मिनट्स के बाद अमेरिकी मार्केट्स में भारी बिकवाली रही। डाओ जोंस लगातार छठे दिन फिसलकर 15,000 के नीचे आ गया। राजनीतिक प्रेशर के चलते क्यूई3 में कमी की शुरुआत पर अनिश्चितता कायम है। अमेरिकी बाजारों में डाओ जोंस 0.70 पर्सेंट की गिरावट के बाद 14,897.55 पर बंद हुआ। नैस्डेक 0.38 पर्सेंट की गिरावट के साथ 3,599.79 पर बंद हुआ। एसऐंडपी 500 इंडेक्स 0.58 फीसदी की तेज गिरावट के बाद 1,642.80 पर बंद हुआ। अमेरिकी बाजारों से मिले खराब संकेतों के चलते एशियाई बाजारों में भी बिकवाली का प्रेशर है। एशियाई बाजारों में भी गिरावट जारी है। निक्केई 44.05 अंक यानी 0.33 पर्सेंट गिरकर 13,380.28 पर आ गया है। हैंग सेंग 112 पॉइंट्स यानी 0.52 पर्सेंट की कमजोरी के साथ 21,704.80 पर है। (Navbharat Times)

एफएमसी ने एनएसईएल से डिफाल्टरों की परिसंपत्ति 'बेचने' को कहा

जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) नैशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) को निर्देेश दिया है कि वह अपने भुगतान में चूक करने वाले सदस्यों को डिफॉल्टर घोषित करे और उनकी सभी बेची जाने योग्य परिसंपत्ति को बेचकर वसूली करे। इसके साथ ही नियामक ने एनएसईएल से मान्य भंडारगृहों में जमानत के तौर पर रखी डिफॉल्टरों के जिंसों की नीलामी करने का भी निर्देश दिया है। एफएमसी का यह निर्देश कल एनएसईएल द्वारा निवेशकों को पहली किस्त का भुगतान करने में विफल रहने के बाद आया है। एनएसईएल को पहली किस्त के रूप में 174.72 करोड़ रुपये का भुगतान करना था, लेकिन वह सिर्फ 92 करोड़ रुपये की राशि का ही भुगतान कर पाया। एक्सचेंज ने सूचित किया है कि 9 सदस्यों ने अपने बकाया का भुगतान नहीं किया है। (BS Hindi)

सहारा-एनएसईएल संबंधों से चिंतित नियामक

सहारा इंडिया परिवार के मामलों की जांच कर रहा वित्त मंत्रालय और इसके तहत आने वाली विभिन्न एजेंसियां मसलन भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), प्रवर्तन निदेशालय नैशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) के उत्पादों में इसके निवेश को लेकर चिंतित हैं। गंभीर नियामकीय आरोपों का सामना कर रहे इन दोनों समूहों के इस संबंध ने अधिकारियों की घबराहट बढ़ा दी है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, 'इस मामले में सहारा का शामिल होना ही वजह है कि वायदा बाजार आयोग को वित्त मंत्रालय के तहत लाने का प्रस्ताव दिया गया है।Ó एनएसईएल की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार इंडियन मार्केट्स बुलियन एसोसिएशन (आईबीएमए) ने जिन 108 बड़े निवेशकों की सूची जारी की है उसमें सहारा क्यू शॉप यूनिक प्रोडक्ट्स सबसे बड़ी निवेशक है। एनएसईएल के मालिकाना हक वाली आईबीएमए के प्रमुख भी एनएसईएल के पूर्व प्रमुख अंजनी सिन्हा हैं और यह भी नियामकीय जांच के घेरे में है। वायदा बाजार आयोग ने एनएसईएल को ताकीद की है कि वह आईबीएमए को फिलहाल भुगतान नहीं करे क्योंकि यह एक्सचेंज से जुड़ी कंपनी है। एनएसईएल से भुगतान का दावा कर रहे आईबीएमए के ग्राहकों का एक्सचेंज पर 1,170 करोड़ रुपये बकाया है। इस बारे में भेजे गए ईमेल का जवाब देते हुए सहारा समूह के प्रवक्ता ने कहा, 'सहारा क्यू एक ब्रांड है, जिसके पोर्टफोलियो में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, पर्सनल केयर, होम केयर और उपभोक्ता टिकाऊ के 700 से भी ज्यादा उत्पाद मौजूद हैं।Ó एनएसईएल में निवेश के बारे में प्रवक्ता ने बताया, 'लंबी अवधि के लिए कृषि जिंस कारोबार में निवेश करना हमारे इस कारोबार की रणनीति के लिए बेहद अहम था। इसके जरिये हम सीधे उत्पादकों या मिलों से मनचाही गुणवत्ता और किफायती दाम पर उत्पाद खरीद सकते थे, जिससे हमारे ग्राहकों को भी फायदा होता। इसके अलावा हमने अपना प्रतिफल बढ़ाने के लिए इसे छोटी अवधि के निवेश के तौर पर भी देखा।Ó सहारा ने यह भी कहा कि इसमें निवेश की गई रकम निवेशकों से नहीं जुटाई गई है। प्रवक्ता ने कहा, 'सहारा क्यू शॉप ने अपनी शुरुआती पूंजी और कार्यशील पूंजी में से 226 करोड़ रुपये का निवेश एनएसईएल के कृषि- जिंस कारोबार में किया था और हमारा ब्रोकर था आईबीएमए। इसके तहत बहुलांश निवेश धान और चीनी में किया गया था क्योंकि इन्हीं जिंसों की बिक्री भी सबसे ज्यादा होती है।Ó सहारा समूह की दो रियल एस्टेट कंपनियों से मिली रकम निवेश करने के कारण सहारा क्यू शॉप नियामक की जांच के दायरे में है। दरअसल नियामक ने इन दोनों कंपनियों को जनता से रकम जुटाने पर पाबंदी लगाई थी लेकिन कंपनियों ने इसका उल्लंघन किया। पिछले साल अगस्त ने समूह को आदेश दिया था कि वह करीब 3 करोड़ निवेशकों का 24,029 करोड़ रुपये लौटाए। इस मामले में इस 26 अगस्त को सुनवाई होनी है। (BS Hindi)

प्याज कीमतों में फिर आई तेजी

एक सप्ताह की लगातार गिरावट के बाद महाराष्टï्र की प्रमुख मंडियों में बुधवार को प्याज की कीमतें एक बार फिर से ऊपर आ गईं। व्यापारियों ने अधिक फायदा उठाने के लिए कीमतें ऊंची बनाए रखने के लिए आपूर्ति में कमी कर दी है। जिंस के लिए एशिया की सबसे बड़ी मंडी लासलगांव में प्याज की कीमतों में पिछले दो दिनों में 27 फीसदी की तेजी आई है। प्याज का भाव 14 अगस्त को लासलगांव बाजार में 4700 रुपये प्रति क्विंटल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर था। 19 और 21 अगस्त के बीच प्याज के भाव लासलगांव की मंडी में 3250 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ कर 4125 रुपये पर पहुंच गए। इसी तरह मुंबई में प्याज के भाव 150 रुपये तक बढ़ कर 3850 रुपये पर प्रति क्विंटल पर रहे और महाराष्टï्र के पिंपलगांव बाजार में यह भाव 900 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 4100 रुपये पर था। नैशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के निदेशक आर पी गुप्ता ने कहा, 'कीमत वृद्घि की प्रमुख वजह आपूर्ति में कमी आना है। व्यापारी हाजिर बाजार में कम मात्रा में प्याज निकाल रहे हैं।Ó इस वजह से मंडियों में प्याज की आवक काफी घट गई है। लासलगांव मंडी में बुधवार की सुबह कुल आवक 4,000 क्विंटल दर्ज की गई जबकि दो दिन पहले यह आंकड़ा 9000 क्विंटल पर और 16 अगस्त को 11,445 क्विंटल पर था। मुंबई और पिंपलगांव बाजारों में प्याज की आवक बुधवार को 3300 क्विंटल और 5000 क्विंटल पर रही जबकि 19 अगस्त को यह 6700 क्विंटल थी। बाजार रक्षा बंधन की वजह से मंगलवार को बंद रहा। एक प्रमुख कारोबारी और निर्यातक ने बताया कि हैदराबाद, बेंगलूर और ओडिशा की कुछ मंडियों के लिए नए सत्र की फसल की आवक आंध्र प्रदेश से शुरू हो गई है। हालांकि कीमतों को प्रभावित किए जाने के लिहाज से इसकी मात्रा काफी कम है। ये हाजिर बाजार पांच दिन की त्योहारी छुट्टिïयों के बाद खुले हैं। इस अवधि के दौरान हालांकि प्याज कीमतें उन खबरों की वजह से नरम पड़ी थीं कि मुंबई के स्थानीय बंदरगाहों और दक्षिण में 25 रुपये प्रति किलोग्राम की औसतन कीमत पर आयात खेप शुरू की गई है। साथ ही सरकार ने निर्यात को घटाए जाने के प्रयास के तहत प्याज की खेप के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) निर्धारित किया है। सरकार ने एमईपी 650 डॉलर प्रति टन तय किया है। नेफेड ने प्याज आयात के लिए निविदा जारी की सहकारी संस्थान नेफेड ने घरेलू आपूर्ति बढ़ाने तथा कीमत पर अंकुश लगाने के लिए पाकिस्तान, ईरान, चीन तथा मिस्र से आयात के लिए वैश्विक निविदा जारी की है। इस बीच, एक बार फिर प्याज का मूल्य देश के अधिकतर खुदरा बाजारों में 70 से 80 रुपये किलो पर पहुंच गया है। प्याज के आयात में अनुभव रखने वाले पक्ष मात्रा एवं मूल्य प्रति टन के साथ आयात की पेशकश कर सकते हैं। पेशकश करने की अंतिम तारीख 27 अगस्त है। वैश्विक व्यापारियों को नेफेड की तरफ से 2013 में उत्पादित प्याज का आयात करना पड़ेगा। इसकी आपूर्ति दिल्ली में करनी होगी। पिछले करीब एक पखवाड़े से प्याज की कीमत उूंची बनी हुई है। इसका कारण देश के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में सूखे के कारण प्याज का उत्पादन कुछ कम रहने की आशंका है। इसके अलावा बारिश के कारण यातायात प्रभावित होने से राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु से भी आवक प्रभावित हुई है। (BS Hindi)

कसेगा एनएसईएल के ऑडिटरों पर फंदा

मोतीलाल ओसवाल और आनंद राठी की अगुआई में ब्रोकरों का संगठन नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के ऑडिटरों को अदालत ले जाने की योजना बना रहा है। ब्रोकरों का कहना है कि ऑडिटरों ने एक्सचेंज के गोदामों में मौजूद भंडार की सही जानकारी नहीं दी है। संगठन ऑडिट करने वाली कंपनियों के नियामक भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के समक्ष भी इन कंपनियों के खिलाफ शिकायत करेगा। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के चेयरमैन मोतीलाल ओसवाल ने बताया, 'हम ऑडिटरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे क्योंकि उन्होंने 12 जुलाई के बाद भी हमें एक्सचेंज के गोदामों में पर्याप्त माल मौजूद होने का प्रमाण पत्र दिया था।Ó मुंबई के मुकेश पी शाह ने एनएसईएल का ऑडिट किया था और प्रमाणपत्र दिया था कि कंपनी के गोदामों में कारोबार के लिए पर्याप्त भंडार है। जब इस बारे में शाह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रमाण पत्र 31 मार्च तक जमा भंडार के बारे में थे और उसके बाद उन्होंने कोई भी प्रमाणपत्र जारी नहीं किया है। शाह ने कहा, '31 मार्च को भी एक्सचेंज के पास बहुत ज्यादा भंडार नहीं था। एनएसईएल ने इस साल मार्च के बाद माल बेचकर रकम जुटाई है। ऐसे में हम पर आरोप लगाने की क्या तुक है?Ó इस पूरे भुगतान संकट में ऑडिटर की भूमिका काफी अहम है क्योंकि ऑडिटर के प्रमाण पत्र के आधार पर ही निवेशकों से कहा गया था कि गोदामों में अच्छी खासी मात्रा में माल मौजूद है। 31 जुलाई को सभी सौदे पूरे होने के बाद भी एनएसईएल ने यही भरोसा दिलाया था। ब्रोकरों ने बताया कि उन्हें गलत जानकारी दी गई थी। उनसे कहा गया था कि कारोबार चलाने के लिए पर्याप्त भंडार है और अगर डिफॉल्टरों ने भुगतान नहीं किया तब भंडार की नीलामी की जाएगी। ओसवाल ने बताया, 'लेकिन अभी तक न गोदामों पर ताला लगाया गया है और न ही परिसर को सुरक्षित किया गया है।Ó ब्रोकरों का कहना है कि डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों के पास मौजूद भंडार की बिकवाली करना अब एक्सचेंज के लिए मुमकिन नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के राष्टï्रीय सचिव और इन्वेस्टर्स ग्रीवांसेज फोरम के अध्यक्ष किरीट सौमेया ने कहा कि गायब हुए भंडार की जिम्मेदारी ऑडिटर को लेनी होगी। सौमेया ने बताया, 'दिल्ली में गोदामों के दौरे में मैंने पाया कि वे खाली हैं और वहां चीनी का भंडार नहीं है। वे गोदाम महज 20,000 वर्ग फुट में बने हैं यानी वहां ज्यादा से ज्यादा 50,000 बोरियां ही रखी जा सकती हैं। मुझे हैरानी है कि किस आधार पर ऑडिटर ने इन्हें प्रमाण पत्र दिया।Ó कंपनी मामलों का मंत्रालय करेगा जांच कंपनी मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि उसने कंपनी कानून के किसी संभावित उल्लंघन के मामले की जांच शुरू कर दी है। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, 'उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एनएसईएल मुद्दे पर हमें कुछ जानकारी भेजी है। हम उसकी जांच कर रहे हैं। (BS Hindi)

दाल व खाद्य तेलों का आयात और महंगा

पिछले दस दिनों में दालें 300-600 जबकि खाद्य तेल 200-300 प्रति क्विंटल बढ़े अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में आई भारी गिरावट से दलहन और खाद्य तेलों का आयात महंगा हो गया है। दालों की थोक कीमतों में पिछले दस दिनों में जहां 300 से 600 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है, वहीं आयातित खाद्य तेलों के दाम सप्ताहभर में ही 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़े गए हैं। ग्लोबल दाल इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर चंद्रशेखर एस. नादर ने बताया कि डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट बनी हुई है। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 65.54 के स्तर तक पहुंच गया था, हालांकि दिन के निचले स्तर से शाम को थोड़ी रिकवरी जरूर हुई और रुपया 64.11 के स्तर पर बंद हुआ। पिछले तीन महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 15 फीसदी तक कमजोर हो चुका है। इसका असर घरेलू बाजार में दलहन की कीमतों पर पड़ रहा है। दलहन के थोक कारोबारी निशांत मित्तल ने बताया कि आयात महंगा होने से घरेलू बाजार में दालों की कीमतें बढ़ रही हैं। थोक बाजार में उड़द दाल का दाम बढ़कर 5,000 से 5,600 रुपये, मूंग दाल का 6,600 रुपये, अरहर दाल का 6,400 रुपये और मसूर दाल का 5,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। चना दाल की कीमतों में 300 रुपये की तेजी आकर शनिवार को भाव 3,500-3,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि डॉलर की मजबूती से आयातित खाद्य तेलों के दाम सप्ताहभर में ही 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ चुके हैं। उन्होंने बताया कि इसका घरेलू खाद्य तेलों की कीमतों पर भी पडऩा शुरू हो गया है। आरबीडी पाम तेल का भाव बढ़कर बंदरगाह पर 530-540 रुपये और क्रूड पाम तेल का भाव 500-510 रुपये प्रति दस किलो हो गया।a (Business Bhaskar....R S Rana)

सख्त नियमों से मूंगफली दाने के निर्यात में भारी गिरावट

अनुमान - अक्टूबर में नई फसल आने पर मूल्य में हो सकती है कमी नई फसल चालू खरीफ में मूंगफली का रकबा बढ़कर 39.96 लाख हैक्टेयर पिछले साल 34.35 लाख हैक्टेयर में हुई भी मूंगफली की बुवाई पिछले खरीफ सीजन में 31 लाख टन मूंगफली का उत्पादन रहा नए सीजन में मूंगफली का उत्पादन व सप्लाई बढऩे का अनुमान अप्रैल-जून के दौरान निर्यात 60 फीसदी घटकर 673 करोड़ रुपये चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के दौरान मूंगफली दाने के निर्यात में 59.99 फीसदी की गिरावट आकर कुल 673.86 करोड़ रुपये का ही हुआ है। चालू खरीफ सीजन में मूंगफली के बुवाई क्षेत्रफल में 16.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में अक्टूबर महीने में नई फसल की आवक का दबाव बनने के बाद मूंगफली दाने और तेल की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान मूंगफली दाने का निर्यात घटकर मूल्य के हिसाब से 673.86 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 1,684.13 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था। श्रीराज मोती इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर समीर भाई साह ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा मूंगफली दाने के निर्यात नियमों में सख्ती कर देने से इसके निर्यात में भारी कमी आई है। इसका घरेलू बाजार में मूंगफली दाने और तेल की कीमतों पर भी पड़ा है। उत्पादक मंडियों में मूंगफली सीड की कीमतें घटकर 3,000 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गई जबकि मार्च-अप्रैल में इसके दाम 5,500 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल थे। इस दौरान मूंगफली तेल के दाम 1,250-1,300 रुपये से घटकर 950-975 रुपये प्रति दस किलो रह गए हैं। राजकोट के मूंगफली कारोबारी दयालाल ने बताया कि पिछले साल गुजरात में सूखे के कारण मूंगफली के बुवाई क्षेत्रफल में कमी आई थी लेकिन चालू खरीफ में मानसूनी वर्षा अच्छी हुई है जिससे मूंगफली के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। मूंगफली दाने के निर्यात में कमी आने से घेरलू बाजार में दाम काफी घट चुके हैं। वैसे भी उत्पादक मंडियों में मूंगफली की आवक काफी कम है। चालू खरीफ में मूंगफली की पैदावार में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। ऐसे में अक्टूबर महीने में मूंगफली दाने के साथ ही तेल की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में मूंगफली की बुवाई बढ़कर 39.96 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 34.35 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2012-13 खरीफ सीजन में मूंगफली की पैदावार 31 लाख टन की ही हुई थी। (Business Bahskar....R S Rana)

एफएमसी का एनएसईएल को नोटिस

एनएसईएल की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। मंगलवार को डिफॉल्ट होने के बाद एफएमसी ने एनएसईएल को नोटिस जारी कर के कहा है कि निवेशकों के पैसे लौटाने के लिए गोदामों में पड़ी कमोडिटी को नीलाम कर दिया जाए। वहीं कमोडिटी की क्वॉलिटी में गड़बड़ी होने पर एफएमसी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। एफएमसी ने एनएसईएल को डिफॉल्टर से कागजात, एसेट और चेकबुक लेने का निर्देश दिया है। एफएमसी ने कहा है कि डिफॉल्टर के एसेट बेचकर एनएसईएल निवेशकों का सेटलमेंट कराए। एफएमसी ने कमोडिटी की नीलामी से मिला पैसा एस्क्रो अकाउंट में डालने के लिए कहा है कि साथ ही नीलामी से मिला पैसा एफएमसी की मंजूरी के बाद निवेशकों को देने का निर्देश है। इस बीच सूत्रों से एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि एनएसईएल डिफॉल्ट मामले में प्रवर्तन निदेशालय और डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यु इंटेलिजेंस से काम तेज करने को कहा गया है। कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने इस मामले पर प्रधानमंत्री को भी रिपोर्ट सौंपने वाला है। सूत्रों का कहना है कि कार्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय से इस मामले में एमसीएक्स और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज की भूमिका की जांच को कहा गया है। एनएसईएल मामले में कानून मंत्रालय से भी राय मांगी गई है। माना जा रहा है कि वित्त मंत्रालय जल्द ही कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय से पूरा मामला अपने हाथ में ले लेगा। इस मामले में वित्त मंत्रालय के अधिकारी के नेतृत्व में कमेटी जल्द बनेगी। एफएमसी को वित्त मंत्रालय के अधीन लाया जाएगा। सूत्रों की मानें तो प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से एनएसईएल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले पर जल्द कार्रवाई संभव है। प्रवर्तन निदेशालय एनएसईएल में पैसे के सोर्स (मनी ट्रेल) की जांच कर रहा है। प्रवर्तन निदेशालय के पास एनएसईएल में मनी लॉन्ड्रिंग के पुख्ता सबूत हैं। दरअसल प्रवर्तन निदेशालय एनएसईएल के निवेशकों की तरफ से मामला दर्ज करने का इंतजार कर रहा है। उधर एनएसईएल सेटलमेंट कमेटी की 26 अगस्त को बैठक होगी। बैठक में सेटलमेंट से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार होगा। एनएसईएल की कमेटी में कंपनी लॉ बोर्ड के पूर्व मेंबर शरद उपासनी, हाईकोर्ट के पूर्व जज आर जे कोचर बैठक में शामिल होंगे। एनएसईएल की कमेटी में सेबी के पूर्व चेयरमैन जी एन बाजपेई और पूर्व डीजीपी डी शिवानंदन भी शामिल होंगे। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) अपने निवेशकों के पहली किश्त के पैसे नहीं लौटा पाया है। एनएसईएल को 175 करोड़ रुपये का पहला भुगतान करना था। जबकि एक्सचेंज सिर्फ 92.12 करोड़ रुपये ही दे पाया है। एनएसईएल ने पे-आउट के तहत मोतीलाल ओसवाल कमोडिटी को 4.3 करोड़ रुपये चुकाए हैं। वहीं इंडिया इंफोलाइन कमोडिटी को 5.34 करोड़ रुपये और आनंद राठी कमोडिटी को 10.49 करोड़ रुपये चुकाए हैं। इसके अलावा एमएमटीसी को 3.6 करोड़ रुपये, इंडियन बुलियन एसोसिएशन को 19.16 करोड़ रुपये और जियोजित कॉमट्रेड को 5.13 करोड़ रुपये चुकाए हैं। एनएसईएल के 24 देनदारों के पास नकदी और एसेट की कमी है। एनएसईएल के देनदारों में 17 कंपनियों ने तय रकम से कम पेमेंट किया है। वहीं 9 कंपनियों ने डिफॉल्ट किया है। एनएसईएल के देनदारों में शामिल एन के प्रोटीन्स पर 970 करोड़ रुपये की देनदारी है, जबकि इस कंपनी की एसेट 564 करोड़ रुपये और मुनाफा 15 करोड़ रुपये है। ए आर के इंपोर्ट्स पर 719 करोड़ रुपये की देनदारी है, जबकि इस कंपनी की एसेट 124 करोड़ रुपये और मुनाफा 7.7 करोड़ रुपये है। वहीं लॉइल कॉन्टिनेंटल पर एनएसईएल की 335 करोड़ रुपये देनदारी है, जबकि लॉइल कॉन्टिनेंटल की एसेट 14.6 करोड़ रुपये और मुनाफा 8.7 करोड़ रुपये है। लॉइल हेल्थ फूड्स पर 289 करोड़ रुपये की देनदारी है, जबकि इस कंपनी की एसेट 71 करोड़ रुपये और मुनाफा 11 करोड़ रुपये है। मोहन इंडिया पर 575 करोड़ रुपये की देनदारी है, जबकि इस कंपनी की एसेट 17 करोड़ रुपये और मुनाफा 2,044 करोड़ रुपये है। (Moneycantrol.com)

एनएसईएल पेमेंट मामला जल्द सुलझेगाः जिग्नेश शाह

मंगलवार को हुए एनएसईएल डिफॉल्ट के बाद पहली बार एनएसईएल के वाइस चेयरमैन जिग्नेश शाह एफएमसी के सामने पेश हुए। इस पेशी से पहले उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द से जल्द इस मामले को सुलझा लिया जाएगा। वहीं बैठक के बाद उन्होंने कहा कि सही समय पर पेमेंट करने की कोशिश जारी है। जिग्नेश शाह ने बताया कि उन्होंने एफएमसी को मौजूदा स्थिति के बारे में पूरी जानकारी दी है। एफएमसी के उठाए गए सवालों पर जानकारी देते हुए सही समय पर पेमेंट करने की कोशिश जारी रखने की जानकारी दी है। हालांकि एफएमसी ने एनएसईएल को गोदामों में पड़ी कमोडिटी की जल्द से जल्द नीलामी करने को कहा है। इसके अलावा डिफॉल्टरों की संपत्ति बेचने का भी निर्देश दे दिया है। उधर एनएसईएल में पेमेंट का डिफाल्ट करने वाले एन के प्रोटीन्स के अहमदाबाद दफ्तरों पर आयकर विभाग ने छापे डाले हैं। एन के प्रोटीन्स के कड़ी, थौल और अहमदाबाद दफ्तरों पर ईडी ने छापे डाले हैं। इसके अलावा एन के प्रोटीन्स के प्रोमोटरों के कड़ी, अहमदाबाद के घर पर भी ईडी के छापे पड़े हैं। (Moneycantrol.com)

21 अगस्त 2013

रुपये में रिकॉर्ड कमजोरी, सोने-चांदी में क्या करें

एग्री कमोडिटीज में आज का कारोबार बंद हो गया है। रुपये में कमजोरी के वजह से खाने के तेलों में तेजी आई। एमसीएक्स पर सीपीओ 2 फीसदी चढ़ा। एनसीडीईएक्स पर सोया तेल 1.5 फीसदी मजबूत हुआ। सोयाबीन करीब 2.5 फीसदी चढ़ा। सरसों में 1.5 फीसदी की तेजी आई। त्यौहारों में मांग बढ़ने के अनुमान से एनसीडीईएक्स पर चना 3 फीसदी उछला। जौ 1.5 फीसदी मजबूत हुआ। कैस्टर सीड में 0.5 फीसदी से ज्यादा की बढ़त दिखी। हालांकि, गेहूं और चीनी में सुस्ती नजर आई। एमसीएक्स पर आलू 0.25 फीसदी मजबूत हुआ। इलायची के अलावा बाकी मसालों में खरीदारी का रुझान रहा। एनसीडीईएक्स पर धनिया 2 फीसदी चढ़ा। जीरे और लाल मिर्च में 1.5 फीसदी की तेजी आई। हल्दी भी 1 फीसदी से ज्यादा मजबूत हुई। वहीं, एमसीएक्स पर इलायची 0.5 फीसदी कमजोर हुई। रुपये में रिकॉर्ड कमजोरी से सोने और चांदी में जोरदार तेजी आई है। एमसीएक्स पर सोना 1.5 फीसदी और चांदी 2 फीसदी मजबूत हुए हैं। गौर करने वाली बात ये है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपना पिछली बैठक का ब्यौरा भी जारी करने वाला है। क्यूई3 में कटौती की आशंका से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोना-चांदी पर दबाव है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गिरावट के बावजूद घरेलू बाजार में कच्चे तेल में तेजी आई है। कमजोर रुपये की वजह से एमसीएक्स पर कच्चा तेल करीब 1 फीसदी चढ़कर 6750 रुपये के ऊपर पहुंच गया है। वहीं, नायमैक्स पर कच्चा तेल 105 डॉलर के नीचे कारोबार कर रहा है। कच्चे तेल के साथ नैचुरल गैस भी घरेलू बाजार में जोरदार तेजी दिखा रही है। एमसीएक्स पर नैचुरल गैस 2.5 फीसदी चढ़कर 224 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी नैचुरल गैस में करीब 1 फीसदी की तेजी नजर आ रही है। रुपये में कमजोरी आने की वजह से घरेलू बाजार में बेस मेटल्स में मजबूती आई है। वहीं, शुरुआती कारोबार में बेस मेटल्स पर दबाव दिखा था। एमसीएक्स पर कॉपर 1 फीसदी चढ़कर 470 रुपये पर पहुंच गया है। एल्यूमिनियम, जिंक, लेड, निकेल में 1.7-1 फीसदी की तेजी है। (Money cantrol.com)

एनएसईएल नहीं कर पाया पूरी पेमेंट!

जिसका डर था, वही हुआ। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) अपने निवेशकों के पहली किश्त के पैसे नहीं लौटा पाया है। एनएसईएल को 175 करोड़ रुपये का पहला भुगतान करना था। जबकि एक्सचेंज सिर्फ 92.12 करोड़ रुपये ही दे पाया है। एनएसईएल ने पे-आउट के तहत मोतीलाल ओसवाल कमोडिटी को 4.3 करोड़ रुपये चुकाए हैं। वहीं इंडिया इंफोलाइन कमोडिटी को 5.34 करोड़ रुपये और आनंद राठी कमोडिटी को 10.49 करोड़ रुपये चुकाए हैं। इसके अलावा एमएमटीसी को 3.6 करोड़ रुपये, इंडियन बुलियन एसोसिएशन को 19.16 करोड़ रुपये और जियोजित कॉमट्रेड को 5.13 करोड़ रुपये चुकाए हैं। एनएसईएल के 24 देनदारों के पास नकदी और एसेट की कमी है। एनएसईएल के देनदारों में 17 कंपनियों ने तय रकम से कम पेमेंट किया है। वहीं 9 कंपनियों ने डिफॉल्ट किया है। एनएसईएल के देनदारों में शामिल एन के प्रोटीन्स पर 970 करोड़ रुपये की देनदारी है, जबकि इस कंपनी की एसेट 564 करोड़ रुपये और मुनाफा 15 करोड़ रुपये है। ए आर के इंपोर्ट्स पर 719 करोड़ रुपये की देनदारी है, जबकि इस कंपनी की एसेट 124 करोड़ रुपये और मुनाफा 7.7 करोड़ रुपये है। वहीं लॉइल कॉन्टिनेंटल पर एनएसईएल की 335 करोड़ रुपये देनदारी है, जबकि लॉइल कॉन्टिनेंटल की एसेट 14.6 करोड़ रुपये और मुनाफा 8.7 करोड़ रुपये है। लॉइल हेल्थ फूड्स पर 289 करोड़ रुपये की देनदारी है, जबकि इस कंपनी की एसेट 71 करोड़ रुपये और मुनाफा 11 करोड़ रुपये है। मोहन इंडिया पर 575 करोड़ रुपये की देनदारी है, जबकि इस कंपनी की एसेट 17 करोड़ रुपये और मुनाफा 2,044 करोड़ रुपये है। हालांकि, कमोडिटी वायदा रेगुलेटर एफएमसी ने एनएसईएल को निर्देश दिया है कि एक्सचेंज पास जितने भी पैसे हैं वो निवेशकों में बिना किसी भेदभाव के बांटे। एफएमसी ने कहा है कि मिली कुल रकम में से आईबीएमए के सदस्यों को भी पेमेंट की जाए। आईबीएमए के वास्तविक कारोबारियों को ही पहले भुगतान किया जाए। वहीं, एफएमसी ने एनएसईएल को वैट और एक्सचेंज फंड युटिलाइजेशन का भुगतान अभी नहीं करने का निर्देश दिया गया है। पेमेंट के बाद निवेशकों का नाम और पूरा ब्यौरा एनएसईएल को अपनी वेबसाइट पर लगाना होगा। एनएसईएल को कुल 5500 करोड़ रुपये लौटाने हैं, जिसे 30 हफ्तों में चुकाने की योजना है। लेकिन, बड़ा सवाल है कि एनएसईएल में इतना बड़ा पेमेंट संकट कैसे खड़ा हो गया। एनएसईएल को सिर्फ एक दिन के कॉन्ट्रैक्ट में कारोबार की इजाजत थी। लेकिन, नियमों के अभाव में एक्सचेंज ने कुछ प्रोडक्ट्स में शॉर्ट सेलिंग की इजाजत दी थी। शॉर्ट सेलिंग एफएमसी ने आपत्ति जताते हुए एक्सचेंज को कारोबार से रोका। कारोबार पर रोक से 5500 करोड़ रुपये के सौदों के सेटलमेंट खड़ी हुई है। एफएमसी की सख्ती के बाद एक्सचेंज को अपना सेटलमेंट प्लान लाना पड़ा। निवेशकों को अब बस सरकार से ही कोई उम्मीद है। निवेशक और ब्रोकरों का कहना है कि वो एनएसईएल मामले में कानूनी रास्ता अपना सकते हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक सरकार को इस मामले को निपटाने के लिए एनएसईएल को अपने हाथ में ले लेना चाहिए। निवेशकों को एनएसईएल पर कोई भरोसा नहीं है। एनएसईएल को यह कदम 20 दिन पहले ही उठाना चाहिए था। कोर्ट जाने से पहले पे-आउट का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब कानूनी विकल्पों पर विचार जारी है। निवेशक एनएसईएल के रवैये से दुखी हैं। इन्वेस्टर ग्रीवांस फोरम के प्रेसिडेंट किरीट सोमैय्या के मुताबिक एफएमसी और सरकार को इस मामले की जांच सीबीआई से करानी चाहिए। वहीं एनएसईएल इंवेस्टर फोरम के चेयरमैन शरद श्रॉफ का कहना है कि एनएसईएल के डूबने से एमसीएक्स पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा। अभी तक एमसीएक्स का कामकाज काफी अच्छा नजर आ रहा है, लेकिन आगे दिक्कतें काफी ज्यादा हैं। निवेशकों को एनएसईएल पर बिल्कुल भरोसा नहीं रह गया है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि एनएसईएल डिफॉल्ट मामले में सरकार अगले 48 घंटों में कुछ कड़े कदम उठा सकती है। खास तौर पर प्रवर्तन निदेशालय और डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यु इंटेलिजेंस से काम तेज करने को कहा गया है। कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने इस मामले पर प्रधानमंत्री को भी रिपोर्ट सौंपने वाला है। सूत्रों का कहना है कि कार्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय से इस मामले में एमसीएक्स और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज की भूमिका की जांच को कहा गया है। एनएसईएल मामले में कानून मंत्रालय से भी राय मांगी गई है। माना जा रहा है कि वित्त मंत्रालय जल्द ही कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय से पूरा मामला अपने हाथ में ले लेगा। इस मामले में वित्त मंत्रालय के अधिकारी के नेतृत्व में कमेटी जल्द बनेगी। एफएमसी को वित्त मंत्रालय के अधीन लाया जाएगा। सूत्रों की मानें तो प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से एनएसईएल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले पर जल्द कार्रवाई संभव है। प्रवर्तन निदेशालय एनएसईएल में पैसे के सोर्स (मनी ट्रेल) की जांच कर रहा है। प्रवर्तन निदेशालय के पास एनएसईएल में मनी लॉन्ड्रिंग के पुख्ता सबूत हैं। दरअसल प्रवर्तन निदेशालय एनएसईएल के निवेशकों की तरफ से मामला दर्ज करने का इंतजार कर रहा है। उधर एनएसईएल सेटलमेंट कमेटी की 26 अगस्त को बैठक होगी। बैठक में सेटलमेंट से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार होगा। एनएसईएल की कमेटी में कंपनी लॉ बोर्ड के पूर्व मेंबर शरद उपासनी, हाईकोर्ट के पूर्व जज आर जे कोचर बैठक में शामिल होंगे। एनएसईएल की कमेटी में सेबी के पूर्व चेयरमैन जी एन बाजपेई और पूर्व डीजीपी डी शिवानंदन भी शामिल होंगे। एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक का कहना है कि एनएसईएल के पहले पेमेंट पर सवाल खड़े हो गए हैं। इससे एनएसईएल की नीयत और विश्वसनीयता पर संदेह हो रहा है। एफएमसी को गोदामों में माल के बारे में जिग्नेश शाह की सफाई पर भरोसा नहीं है। गोदाम में पर्याप्त स्टॉक का नहीं होना एनएसईएल सिस्टम की नाकामी है। इसके अलावा एनएसईएल ने मनी लॉन्ड्रिंग की या नहीं इसकी भी जांच होगी। अगर एनएसईएल का बोर्ड योग्य नहीं पाया गया तो असर एमसीएक्स पर भी पड़ेगा। आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन आनंद राठी का कहना है कि एनएसईले का पेमेंट शेड्यूल काफी कमजोर था लेकिन उसके बावजूद एनएसईएल पैसा नहीं जुटा पाया जो काफी निराशाजनक है। एनएसईएल पेमेंट देना बोर्ड और प्रमोटर्स की जिम्मेदारी है। बोर्ड और प्रमोटर्स को देखना चाहिए कि पैसा आए या ना आए किसी भी तरीके से निवेशकों का पैसा लौटाया जाए। आनंद राठी के मुताबिक इस मामले में ईडी, एसएफआईओ की जांच की जरूरत है। साथ ही इस मामले के बाद एनएसईएल में जो स्टॉक बचा हुआ है उस पर नियंत्रण करने की जरूरत है। (Moneycantrol.com)

20 अगस्त 2013

एनएसईएल ने खरीदारों और विक्रेताओं की सूची पेश की

वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) द्वारा दिए गए एक आदेश के बाद एनएसईएल ने आज अपनी वेबसाइट पर खरीदारों और विक्रेताओं की सूची का खुलासा कर दिया। जिंसों के खरीदारों की सूची के अनुसार शीर्ष 5 खरीदारों का 5574.35 करोड़ रुपये के कुल बकाया में लगभग 60 फीसदी का योगदान है। वहीं शीर्ष 10 का इसमें लगभग 85 फीसदी का योगदान है। कुल मिला कर 24 पार्टियों से बकाया रकम वसूली जानी है। हालांकि एक्सचेंज को 148 सदस्यों को 5380.53 करोड़ रुपये चुकाने हैं। इन सदस्यों में इंडियन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (आईबीएमए) भी शामिल है जो कई निवेशकों के लिए समाशोधन एजेंसी है। आईबीएमए के लिए देय रकम 1159 करोड़ रुपये है। 100 से अधिक निवेशकों को आईबीएमए से रकम हासिल होगी। एनएसईएल की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार जिनकी रकम फंसी हुई है, उनमें एमएमटीसी और पीईसी जैसे सरकारी उद्यम शामिल हैं। सबसे अधिक बकाया रकम वाले सदस्यों में एन के प्रोटीन्स 967 करोड़ रुपये के साथ सबसे ऊपर है जो अपनी परिसंपत्तियां बेच कर बकाया का भुगतान करेगी। मुंबई की खाद्य तेल उत्पादक एवं रिटेलर लोटस रिफाइनरीज ने एनएसईएल द्वारा 252.56 करोड़ की लंबित बकाया रकम के लिए किए गए वादे का विरोध किया है। एनएसईएल ने अपनी वेबसाइट पर एक सर्कुलर में लोटस रिफाइनरीज को सिर्फ 'नॉन-कॉम्पलिएंटÓ सदस्य के तौर पर श्रेणीबद्घ किया है। इस दावे का विरोध करते हुए लोटस ने एफएमसी को पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया कि खाद्य तेल कंपनी के लिए एनएसईएल 108 करोड़ रुपये की रकम चुकाए जाने के लिए जिम्मेदार है। लोटस रिफाइनरीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुण कुमार शर्मा ने कहा, 'हमने एनएसईएल से 108 करोड़ रुपये की बकाया राशि वसूले जाने के लिए एफएमसी के समक्ष अपना दावा पहले ही सौंप दिया है। हम एफएमसी की सलाह पर अमल करेंगे।Ó भंडार की गुणवत्ता और मात्रा पर सवाल नैशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) के दो निदेशकों ने एक्सचेंज के गोदामों में पड़े माल की मात्रा और गुणवत्ता को लेकर जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के समक्ष अपनी चिंता प्रकट की है। एफटी समूह के संस्थापक जिग्नेश शाह और एमसीएक्स स्टॉक एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक जोसफ मैसी के ये बयान पिछले मंगलवार को नियामक के साथ हुई बैठक के दौरान सामने आए। साथ ही एक्सचेंज के मुख्य कार्यकारी अंजनी सिन्हा ने निवेशकों और अन्य शेयरधारकों को आश्वस्त किया है कि देनदारियों के निपटान के लिए पर्याप्त स्टॉक है। 13 अगस्त को एफएमसी के साथ हुई बैठक के दौरान एनएसईएल के निदेशक जिग्नेश शाह और एनएसईएल के निदेशक जोसफ मैसी ने अन्य बातों के साथ साथ एनएसईएल के गोदामों में रखे जिंस की गुणवत्ता और मात्रा पर भी चिंता प्रकट की। इन दोनों ने एफएमसी को यह भी बताया कि उन्होंने गोदामों में रखे जिंस की गुणवत्ता और मात्रा के विस्तृत आकलन के लिए एक प्रबंधन फर्म एसजीएस को भी नियुक्त किया है। सेबी के एक पूर्व अधिकारी एवं वरिष्ठï नियामक विश्लेषक का इस संबंध में कहना है, 'ये अधिकारी सिर्फ यह कहकर इस संबंध में किसी संभावित जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं कि वे भी माल की गुणवत्ता और मात्रा को लेकर चिंतित हैं। (BS Hindi)