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24 जुलाई 2013

प्याज निकाल रहा आंसू, पवार को विश्व बाजार में छवि की चिंता

नई दिल्ली। देश में प्याज की बढ़ी कीमतें जहां लोगों को रुला रही हैं वहीं कृषि मंत्री शरद पवार इसके निर्यात पर प्रतिबंध के खिलाफ है। हाल ही में सरकार ने प्याज की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका को देखते हुए इसकी घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के साथ निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के संकेत दिए थे। शरद पवार ने कहा कि वे प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं है। इस तरह के कदम वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की छवि को प्रभावित करेंगे। उन्होंने कहा कि प्याज की आपूर्ति में कमी एक अस्थाई स्थिति है, जोकि इसके उत्पादक राज्यों जैसे महाराष्ट्र आदि में भारी बारिश की वजह से आपूर्ति बाधित होने से उत्पन्न हुई है। किसी भी तरह की कृषि वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध उचित नहीं होगा.. वैश्विक बाजार में भारत प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश के रूप में स्थापित हो चुका है। अगर हम निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हैं, तो इससे छवि प्रभावित होगी। इसलिए हम प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध के खिलाफ है। पवार यहां नई दिल्ली में डेयरी क्षेत्र के लिए आयोजित सीआइआइ के एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि पिछले एक वर्ष में प्रमुख मेट्रो शहरों के खुदरा बाजारों में प्याज की कीमतें दोगुने से भी अधिक होकर 36 से 40 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं। इस स्थिति से उन ग्राहकों की स्थिति और दूभर हो गई है जो पहले से ही महंगाई की मार से त्रस्त हैं। देश में 22 आवश्यक खाद्य जिंसों के कीमतों की निगरानी करने वाले उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार मौजूदा समय में राष्ट्रीय राजधानी के खुदरा बाजारों में प्याज की बिक्री 36 रुपये प्रति किलो के हिसाब से की जा रही है तथा मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में कीमत 32 रुपये प्रति किग्रा है। वहीं, कुछ बाजारों में प्याज 40 रुपये प्रति किलो की अधिक दर से बेची जा रहा है जो स्थान और प्याज की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। मंत्रालय के आंकड़े दर्शाते हैं कि इन शहरों में एक वर्ष पहले प्याज की कीमत 14 से 15 रुपये प्रति किलो के दायरे में थी। प्याज की कीमत में वृद्धि ने अधिकांश ग्राहकों के बजट को गड़बड़ा दिया है जो ग्राहक पहले से ही महंगे टमाटर, दलहनों और अनाजों की कीमत में त्रस्त हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 776.47 करोड़ रुपये मूल्य के 5,11,616 टन प्याज का निर्यात किया गया है, जो पूर्व वर्ष की समान अवधि में 5,17,274 टन रहा था। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने की संभावना है, क्योंकि सरकार के पास निर्यात को रोकने का कोई और विकल्प नहीं है। इससे पूर्व वह कीमत वृद्धि की स्थिति में न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को बढ़ाया करती थी। हालांकि एमईपी को पिछले वर्ष से समाप्त कर दिया गया है। हालांकि इसके साथ ही विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे समय जबकि सरकार चालू खाते के घाटे को कम करने के लिए निर्यात बढ़ाने का प्रयास कर रही है, प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना एक मुश्किल फैसला होगा। देश में सबसे ज्यादा प्याज महाराष्ट्र में होता है। लेकिन, यहां फसल की स्थिति अच्छी नहीं है। नासिक के लासलगांव के स्पॉट मार्केट में इस बार 1000 टन प्याज की आवक हुई है। जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 1800 टन था, यानी 800 टन की कमी। भारत आमतौर पर हर साल अपने कुल उत्पादन के 10 फीसद भाग का निर्यात करता है। इसमें से ज्यादातर निर्यात बांग्लादेश, मलेशिया और सिंगापुर को किया जाता है। इस कारोबारी साल के पहले तिमाही में ही 5.25 लाख प्याज निर्यात हो चुका है। कम पैदावार और ज्यादा निर्यात से स्थिति और बिगड़ गई है। मौजूदा समय में प्याज की उत्तरी किस्म की ताजा आवक समाप्त हो गई है और मांग को गोदामों में रखे पुराने स्टॉक से पूरा किया जा रहा है। दिल्ली में प्याज के दाम बारिश के चलते दक्षिणी राज्यों से प्याज की नई फसल न आने से राजधानी दिल्ली में प्याज की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया हुआ है। खुले बाजारों में प्याज की कीमत 40-45 रुपये किलो के बीच पहुंच गई है। एक सप्ताह पूर्व तक खुले बाजार में यह 25-30 रुपये तक मिल रहा था। ऐसे में प्याज की कीमतों में 10-15 रुपये तक उछाल आने से लोग परेशान हैं। जून के शुरू में प्याज की कीमत थोक में प्रति किलो 13.50 रुपये रही। माह के अंत तक थोक में प्रति किलो 19 रुपये पहुंची। जुलाई की शुरुआत में थोक में प्याज 19.50 रुपये प्रति किलो तक बिका। इस समय राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र से प्याज आ रही है। मंडी में सितंबर से प्याज की नई फसलों की आवक शुरू होगी। इसके बाद कीमतों के नीचे जाने की संभावना है। (Dainik Jagran)

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