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04 मई 2013

रबर के उत्पादों पर आयात शुल्क वृद्धि की मांग

रबर की तुलना में उत्पादों के आयात पर शुल्क कम होने से उद्योग प्रभावित नेचुरल रबर के आयात पर 12.5 फीसदी आयात शुल्क है जबकि रबर से तैयार उत्पादों के आयात पर केवल 2.5 से 10 फीसदी ही आयात शुल्क लगता है। इसीलिए घरेलू बाजार में रबर से तैयार उत्पादों का भारी मात्रा में आयात हो रहा है जिसका सीधा असर रबर उत्पाद तैयार करने वाली घरेलू इकाइयों पर पड़ रहा है। आल इंडिया रबर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एआईआरआईए) द्वारा यहां आयोजित दो दिवसीय नेशनल रबर कांफ्रेंस में एआईआरआईए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मोहिन्दर गुप्ता ने कहा कि कच्चे माल की तुलना में तैयार रबर उत्पादों का आयात कम है। उन्होंने कहा कि देश में रबर के घरेलू उत्पादन की तुलना में खपत ज्यादा है इसलिए नेचुरल रबर का आयात करना जरूरी है लेकिन नेचुरल रबर के आयात पर शुल्क 12.5 फीसदी है जबकि तैयार उत्पाद का आयात 2.5 फीसदी से 10 फीसदी आयात शुल्क पर किया जाता है। इसका असर देश की करीब 6,000 रबर तैयार करने वाली छोटी इकाइयों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कुल सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है। इसलिए सरकार को या तो नेचुरल रबर के आयात शुल्क में कमी करनी चाहिए, नहीं तो रबर के तैयार उत्पादों पर आयात शुल्क को बढ़ा दिया जाए। जिससे घरेलू रबर इकाइयां विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सके। उन्होंने कहा कि वस्त्र उद्योग की तर्ज पर रबर उद्योग के लिए एक प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि (टेक्नालॉजी अपग्रेडेशन फंड) बनाने की सख्त आवश्यकता है। इस अवसर पर एमएसएमई मंत्रालय (भारत सरकार) के सचिव माधव लाल ने कहा कि भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार के एक कमेटी का गठन किया है। उद्योग को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की खरीद नीति से भी लाभ प्राप्त करना चाहिए, जिसके तहत विभिन्न पीएसयू अपनी खरीद का 20 फीसदी लघु उद्योगों से करेंगे, ऐसा प्रावधान है। (Business Bhaskar)

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