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28 मई 2013

किसानों की किस्मत पीली करेगा लाल ग्वार!

काफी विवाद और लंबे इंतजार के बाद ग्वार वायदा कारोबार दोबारा शुरू हुआ तो किसानों के मन में फिर मुनाफे के लड्डू फूटने लगे हैं। राजस्थान और पंजाब की मंडियों में अभी ग्वार की किल्लत है जबकि गुजरात में नई फसल आने से किसानों के पास भरपूर माल है। ऐसे में गुजराती किसान और कारोबारी ग्वार में मुनाफे की चांदी काटने की कोशिश में हैं। लेकिन गुजरात में पैदा हुए ग्वार का रंग लाल है जबकि कमोडिटी एक्सचेंजों ने अपने सर्कुलर में सिर्फ सफेद ग्वार का कारोबार करने की बात कही है। यानी लाल ग्वार का वायदा नहीं चलेगा। गुजरात के किसानों ने देश में पहली बार गर्मियों का ग्वार उगाया है। वायदा शुरू होने से इन किसानों को अपनी फसल के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद है लेकिन रंग लाल होने से यह बाजार में सस्ता बिक रहा है। कमोडिटी एक्सचेंजों के अधिकारियों का कहना है कि किसी भी जिंस की गुणवत्ता का पैमाना पहले ही तय कर दिया जाता है। ऐसे में वही ग्वार वायदा कारोबार में शामिल हो सकता है जिसका सर्कुलर में उल्लेख है। एक्सचेंजों ने ग्वार की गुणवत्ता विशेषता में इसका रंग सफेद लिखा है। तो क्या गुजरात के लाल ग्वार को वायदा कारोबार में शामिल नहीं किया जाएगा? इस सवाल पर एक्सचेंज चुप हैं। गुजरात में गर्मियों के ग्वार की पैदावार करीब 20 लाख बोरी हुई है। रोजाना करीब 25 हजार बोरी लाल ग्वार आ रहा है। यही माल कमोडिटी एक्सचेंजों के वेयरहाउसों में भी पहुंच रहा है। एनसीडीईएक्स के एक अधिकारी ने कहा कि लाल और सफेद ग्वार में खास फर्क नहीं है। गुजरात की मिट्टी लाल रंग की है, इसलिए वहां के ग्वार का रंग लाल होता है। हमारे यहां इसके कारोबार पर रोक नहीं है। एमसीएक्स के अधिकारियों का कहना है कि हमारे यहां सिर्फ सफेद ग्वार का ही कारोबार किया जा सकता है, क्योंकि लाल ग्वार गुणवत्ता पर खरा नहीं उतर रहा है। बीकानेर के वायदा कारोबारी और बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के प्रवक्ता पुखराज चोपड़ा कहते हैं कि ग्वार वायदा एक बार फिर सटोरियों की गिरफ्त में जाता दिख रहा है। सटोरियों की सक्रियता इससे पता चलती है कि हाजिर की अपेक्षा वायदा में कीमतें कम हैं। इस समय गंगानगर में ग्वार 9,100 रुपये और बीकानेर में 9,200 रुपये चल रहा है। इसमें 1.67 फीसदी मंडी कर और 2 फीसदी आढ़त देनी होती है। मजदूरी और पैकिंग का खर्च अलग है। इस तरह एक क्ंिवटल ग्वार में करीबन 500 रुपये का अतिरिक्त खर्च आता है जिससे दाम 9,700 रुपये प्रति क्ंिवटल तक पहुंच जाते हैं। वायदा में कीमतें 8,800 रुपये प्रति क्ंिवटल के आसपास हैं। वह कहते हैं कि फिलहाल कीमतें कम नहीं होने वाली हैं क्योंकि मंडियों में माल नहीं आ रहा है। ऐसे में एक्सचेंज जून अनुबंध में डिलिवरी कैसे देंगे जबकि उनके गोदामों में माल भी नहीं है और माल दिया तो वह लाल ग्वार होगा जो मानकों में खरा नहीं है। कमोडिटी एक्सचेजों के गोदामों में माल नहीं है। हाजिर बाजार में कीमतें ज्यादा हैं। नई फसल की बुआई अभी शुरू नहीं हुई है यानी नई फसल आने में कम से कम 100 दिन लगेंगे। इससे आने वाले समय में कीमतें बढ़ेंगी और तब एक्सचेंज ग्राहकों को लाल ग्वार की डिलिवरी देंगे तो विवाद होगा। दरअसल रंग के साथ दोनों की गुणवत्ता में भी फर्क है। सफेद ग्वार में 33 फीसदी गम निकलता है जबकि लाल ग्वार में 26 फीसदी। यही वजह है कि हाजिर बाजार में लाल ग्वार की कीमत सफेद ग्वार से करीब 300 रुपये प्रति क्ंिवटल कम रहती है। एफएमसी के अधिकारियों का कहना है कि ग्वार वायदा पर इस बार नियम सख्त हैं। इससे सटोरियों को मौका नहीं मिलेगा। सटोरियों की गिरफ्त में आने के कारण 21 मार्च 2012 को ग्वार गम 1,00195 रुपये और ग्वार 30,533 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था। इसके बाद 27 मार्च 2012 को इन जिंसों के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगी थी। लंबे इंतजार के बाद 14 मई को ग्वार का वायदा दोबारा शुरू किया गया है। (BS Hindi)

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