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25 मई 2013

महाबली बाजार से खली निर्यातकों की उम्मीदें रुत

चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग का हाल का भारत दौरा देश के खली निर्यातकों के लिए भारी राहत लेकर आया है। हालांकि भारत से खली के कुल निर्यात में गिरावट के संकेत दिखे हैं, लेकिन एक साल के प्रतिबंध के बाद चीनी बाजार भारतीय खली के लिए खुलने की उम्मीद है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अध्यक्ष विजय डाटा ने कहा, 'इस सप्ताह के प्रारंभ में चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग के भारत दौरे के समय चीन ने भारतीय खली के लिए चीनी बाजार को खोलने पर सिद्धांत रुप से सहमति जताई है। यह अच्छी खबर है।' उल्लेखनीय है कि चीन ने जनवरी 2012 में भारत से खली के आयात पर रोक लगा दी थी। इसके लिए उसने खली में नुकसानदेह डाई और मैलकाइट ग्रीन के अंश होने का हवाला दिया था। एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा, 'उस समय चीन और भारत की कारोबारी संस्थाओं के बीच बातचीत हुई थी और एक प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय खली विनिर्माण इकाइयों का दौरा करने की इच्छा जताई थी। मगर स्थिति में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।' प्रतिबंध से पहले चीन ने भारत से 600-700 करोड़ रुपये की खली आयात की थी। भारत ने 2011-12 में चीन को करीब 5,36,000 टन खली का निर्यात किया था। हालांकि 2011-12 में यह गिरकर 3,54,000 टन रहा, क्योंकि जनवरी, 2012 के बाद आयात पर रोक लगा दी गई थी। भारत से खली निर्यात में गिरावट के रुझान के बीच चीनी अधिकारियों का सकारात्मक कदम खली निर्यातकों के लिए प्रोत्साहन के रूप में आया है। भारत का खली निर्यात पिछले साल 48 लाख टन था, जो 2012-13 में 14.3 फीसदी गिरा है। वर्ष 2011-12 में भारत ने 56 लाख टन खली का निर्यात किया था। यह निर्यात मुख्य रूप से चीन और परंपरागत खरीदार जापान को किया गया था। मेहता ने कहा, 'चीन के प्रतिबंध लगाने के समय ईरान की अहम भूमिका रही। निर्यातकों को चीन का एक विकल्प मिल सका। लेकिन ईरान से साथ भुगतान से संबंधित मुद्दा उलझा हुआ है, इसलिए बहुत से निर्यातक ईरान को निर्यात नहीं करना चाहते हैं। इसलिए चीनी बाजार के खुलने का मतलब है कि उनके पास बहुत से विकल्प होंगे।' उन्होंने कहा, 'चीनी अधिकारियों ने अपना रुख नरम किया है। कुछ औपचारिकताओं पर काम किया जा रहा है और अगले कुछ महीनों में चीन को निर्यात शुरू हो जाएगा।' अप्रैल 2013 में ईरान को खली का निर्यात करीब 31 फीसदी गिरकर 67,500 टन रहा, जो पिछले साल के इसी महीने में 97,900 टन रहा था। एसईए ने अंतरराष्ट्रीय संगठन से मिलाया हाथ सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने राइस ब्रान ऑयल (आरबीओ) को प्रोत्साहित करने की खातिर अंतरराष्ट्रीय संगठन स्थापित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वनस्पति तेल समुदाय के साथ हाथ मिलाया है। इसका मकसद आरबीओ के इस्तेमाल से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी फायदों के बारे में दुनियाभर के वनस्पति तेल उपभोक्ताओं में जागरूकता पैदा करना है। एसईए ने आरबीओ पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राइस ब्रॉन ऑयल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के सुझाए स्तर से मेल खाता है। हाल में एसईए के अध्यक्ष विजय डाटा ने एक बयान में कहा था, 'राइस ब्रान ऑयल पर अंतरराष्ट्रीय परिषद बनाने को लेकर आम सहमति है। इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहन, अंतरराष्ट्रीय व्यापार का विस्तार, दुनियाभर में आरबीओ के गुणों और इसकी खपत को प्रोत्साहित करना है। राइस ब्रान ऑयल पर एक अंतरराष्ट्रीय समिति गठित करने की प्रक्रिया शुरू करने को लेकर एक तदर्थ समिति बनाई गई थी।' (BS Hindi)

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