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15 मई 2013

गेहूं खरीदारी में निजी कारोबारी

पंजाब और हरियाणा में गेहूं का उत्पादन कम होने के अनुमान से निजी कारोबारी सक्रिय हो गए हैं और वे देशभर के उत्पादक राज्यों में गेहूं की भारी खरीद कर रहे हैं। इसके चलते खरीद लक्ष्य को 4.4 करोड़ टन से घटाकर महज 3.4 करोड़ टन कर दिया गया है। एफसीआई सूत्रों के मुताबिक खरीद गिरकर 3 करोड़ टन पर आ सकती है। पिछले साल सरकारी एजेंसियों ने 3.81 करोड़ टन गेहूं की खरीद की थी। चालू खरीद सीजन में भारी मात्रा में निजी खरीदारी हो रही है, जबकि पिछले साल यह स्थिति नहीं थी। मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में गेहूं पर बोनस होने के बावजूद बड़े पैमाने पर निजी खरीदारी हो रही है। रोलर फ्लोर मिलर्स ऑफ पंजाब के अध्यक्ष नरेश घई ने कहा कि कम आवक और निर्यातकों की मांग के कारण गेहूं की कीमतें बढ़ सकती हैं, इसलिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से थोड़ी ज्यादा कीमत पर खरीदारी करने में समझदारी है। उत्तर प्रदेश रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आदि नारायण गुप्ता ने कहा कि इस साल कारोबारी भारी मात्रा में खरीदारी कर रहे हैं, क्योंकि कम खरीद से ओएमएमएस (खुले बाजार में बिक्री की योजना) के जरिये जारी होने वाले गेहूं की मात्रा पर असर पड़ सकता है। हालांकि सरकारी गोदामों में भंडारण के लिए जगह नहीं है, लेकिन जल्द लागू होने वाले जा रहे खाद्य सुरक्षा कानून से बफर स्टॉक की जरूरत बढ़ सकती है। एफसीआई ने भारी स्टॉक होने के बावजूद पिछले साल खुले बाजार में बेचे गेहूं की कीमतों में कमी नहीं की थी, इसलिए अभी गेहूं की खरीदारी करना बेहतर है। दक्षिण की मिलें भी इसी राह पर चल रही हैं, क्योंकि खुले बाजार में गेहूं बिक्री की कीमत पर सरकार की नीतियों में बदलाव से उन्हें खुले बाजार से ज्यादा गेहूं खरीदने के लिए प्रोत्साहन मिला है। तमिलनाडु फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के एस कमला कन्नम ने बताया कि खुले बाजार में बिक्री के लिए गेहूं की कीमत 1525 रुपये से घटाकर 1170 रुपये प्रति क्विंटल की गई थी और फिर इसे बढ़ाकर 1750 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। दक्षिण की मिलों ने एफसीआई के बजाय खुद खरीदारी को तरजीह दी है। अहमदाबाद के एक गेहूं ब्रोकर ने इस बात की पुष्टि की कि निर्यातक गेहूं खरीद रहे हैं, क्योंकि उन्हें 15 से 30 मई तक निर्यात खेप भेजनी है। हालांकि यह समय निर्यातकों के लिए अनकूल नहीं है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उक्रेन का गेहूं भारतीय गेहूं से कम कीमत पर उपलब्ध है। भारतीय निर्यातक अपनी निर्यात प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हट सकते हैं और नुकसान पर भी बिक्री कर रहे हैं। एक अधिकारी ने कहा कि कम उत्पादन से किसानों को नुकसान हो सकता है, लेकिन अंतिरिक्त भंडारण की व्यवस्था के दबाव से गुजर रहीं सरकारी एजेंसियों को इससे कुछ राहत मिलेगी। खरीद में 1 करोड़ टन की कमी से अतिरिक्त भंडारण स्थान की जरूरत नहीं पड़ेगी। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पंजाब और हरियाणा में उत्पादन रिकॉर्ड 15 से 20 फीसदी घट सकता है। दोनों राज्यों का केंद्रीय भंडार में 50 फीसदी से ज्यादा योगदान होता है, इसलिए कुल गेहूं खरीद पर भारी असर पड़ सकता है। अधिकारी ने कहा कि कुल उत्पादन में मामूली कम आएगी क्योंकि मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में अच्छा उत्पादन हुआ है। उन्होंने कहा, '2011-12 में 2011-12 की तुलना में गेहूं का उत्पादन 8 फीसदी ज्यादा हुआ था। इस साल यह स्थिर या मामूली गिर सकता है। (BS Hindi)

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