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27 फ़रवरी 2013

अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद, आर्थिक उपायों से घटेगी गरीबी

सरकार ने अर्थव्यवस्था में छाई आर्थिक मंदी के खत्म होने की उम्मीद जताते हुए आगामी वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.1 से 6.7 प्रतिशत रहने अनुमान व्यक्त किया है और कहा है कि आर्थिक उपायों के कारण देश में गरीबी घट रही है। लोकसभा में आज वित्त वर्ष 2012.13 के आर्थिक सर्वेक्षण को पेश करते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आशा जताई कि देश मंदी केदौर से जल्दी ही बाहर निकलेगा और आगामी वित्त वर्ष में 2012.13 के पांच प्रतिशत की तुलना में 6.1 से 6.7 प्रतिशत की रफ्तार से दौडेगा। सर्वेक्षण में महंगाई के नरम पडने से ब्याज दरो में कटौती के साथ साथ वित्तीय घाटे को काबू में रखने के लिए डीजल और पेट्रोल की कीमतों को बढाने पर जोर दिया गया है। चिदंबरम ने कहा कि देश ने वैश्विक वित्तीय संकट की चुनौती का डटकर मुकाबला किया और सरकार के उपायो के चलते अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटने की तरफ अग्रसर है। वर्ष 2009-10 में हमारी अर्थव्यवस्था क्रमश: 8.6 प्रतिशत और 9.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी, किन्तु के बाद दो वर्षों में बाहरी एवं घरेलू कारको से अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में रही। चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके पिछले एक दशक के न्यूनतम स्तर पांच प्रतिशत पर आने का अनुमान है। वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई कि इस वर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।सरकार के उपायों क चलते 2013-14 के दौरान घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार लाने में मदद मिलेगी। सर्वेक्षण में महंगाई को नीचे लाने की उम्मीद जताते हुए कहा गया है कि सरकार की प्राथमिकता इसे काबू में रखने की रहेगी। लोकसभा में आज पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2012-13 में देश में गरीबी घटने का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों की संख्या 2004-05 के 37.2 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2009-10 में 29.8 प्रतिशत रह गई है। इसी अवधि में गरीबों की संख्या में पांच करोड 24 लाख की कमी आई है। देश इस समय गांवों में गरीबों की संख्या चार करोड 81 लाख और शहरों में 41 लाख है। हालांकि सर्वेक्षण में स्वीकार किया गया है कि गरीबी मापने के तरीकों में कुछ मतभेद हैं। सरकार ने कहा है कि आर्थिक उपायों से व्यापार जगत में उत्साह और उम्मीदें बढ़ी है। औद्योगिक उत्पादन में सालाना वृद्धि के ताजा आंकड़ो में इसका संकेत मिलता है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भी औद्योगिक क्षेत्र में बढोतरी तीन प्रतिशत के आस पास रह सकती है। हालांकि ढांचागत सुविधा और उर्जा की कमी, भारतीय निर्यात की मांग मे कमी और निवेश मे कमी औद्योगिक विकास के मार्ग में बाधक दिख रही है। गौरतलब है कि आर्थिक सर्वे सरकारी एजेंसियों द्वारा तैयार की गई देश की आर्थिक स्थिति की व्यापक वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट होती है। 2012-13 का आर्थिक सर्वे रघुराम राजन द्वारा तैयार की गया है, जो पिछले वर्ष वित्त विभाग में प्रमुख सलाहकार के रूप में नियुक्त किए गए थे। इससे पहले राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में प्रमुख अर्थशास्त्री के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। (Hindustan)

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