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09 फ़रवरी 2013

दलहन और तिलहन की पैदावार बढ़ाना जरूरी : पवार

बढ़ते आयात बिल में कमी करने के लिए देश में दलहन और तिलहनों की पैदावार बढ़ाना जरूरी है। सालाना घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के लिए हमें करीब 50 फीसदी खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है जबकि देश में हर साल 30 से 35 लाख टन दालों का आयात होता है। घरेलू बीज कंपनियों के संगठन भारतीय राष्ट्रीय कृषि बीज संघ (एनएसएआई) द्वारा गुडग़ांव में आयोजित दो दिवसीय भारतीय बीज सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में सूखे के बावजूद देश में 25 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन होने का अनुमान है जो घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि देश को दलहन और खाद्य तेलों के मामले में आयात पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता है। वित्त मंत्री दलहन और खाद्य तेलों के ज्यादा आयात से चिंतित हैं। हमें इन दोनों जिंसों का घरेलू उत्पादन बढ़ाना होगा। जिसके लिए बीज में नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल और अन्य सहायता की आवश्यकता है। कृषि में चार फीसदी की वृद्धि प्राप्त करने के लिए कृषि मंत्री ने कहा कि बीज समेत सभी महत्वपूर्ण कडिय़ों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। बीज कृषि का महत्वपूर्ण अंग है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को बेहतर उत्पाद पेश करने के साथ ही, सरकार के बीज बदलने के प्रयास में भागीदारी करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि हम खाद्य संकट के दौर में वापस न लौटें। दलहन और तिलहन जैसी फसलों में निजी क्षेत्र की भागीदारी में कमी को रेखांकित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि दलहन के संकर बीज तैयार करने में प्रौद्योगिकी संबंधी बाधाएं हैं, लेकिन तिलहनी फसलों के संबंध में जो सफलताएं मिली हैं उसे तेजी से आगे बढ़ाया जाना चाहिए। नए बीज विधेयक के संबंध में पवार ने कहा कि यह महत्वपूर्ण बिल लंबे समय से लंबित है। उम्मीद है कि बजट सत्र में इस विधेयक पर चर्चा होगी। इस विधेयक से बीज उद्योग की मांगे काफी हद तक पूरी हो जाएंगी। (BS Hindi)

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