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18 फ़रवरी 2013

पवार ने फिर जीएम फसलों के परीक्षण का समर्थन किया

नयी दिल्ली : प्राकृतिक संसाधनों में आ रही कमी के बीच कृषि मंत्री शरद पवार ने आज एक बार फिर आनुवांशिक रुप से परिवर्धित :जीएम: फसलों के परीक्षण का समर्थन किया और कहा कि वैज्ञानिकों को इस अधिकार से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए. पवार ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में राज्य के सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है और विचार के लिए वैज्ञानिकों का एक दल भेजने के लिए कहा है. कुछ राज्यों ने उनके सुझाव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया जाहिर की है लेकिन बिहार जैसे कुछ राज्यों ने इसका विरोध किया है. उनकी टिप्पणी ऐसे समय आयी है जबकि संसदीय समिति ने जीएम फसलों के परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआई) की 84वीं सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए पवार ने कहा ‘‘जमीन सहित अन्य प्राकृतिक संसाधनों की सीमित उपलब्धता के मद्देनजर 1.2 अरब से ज्यादा आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के वास्ते हमारे समक्ष उत्पादकता बढाने की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है.’’ उन्होंने कहा ‘‘हम अपने वैज्ञानिकों के जोश का दमन कर उन्हें जीएम फसलों का परीक्षण करने से नहीं रोक सकते. अनुसंधान की प्रक्रिया नहीं रोकी जानी चाहिए. इसे जोखिम में नहीं डालना चाहिए.’’ फिलहाल, सरकार ने बीटी कपास की वाणिज्यिक खेती को मंजूरी दे दी है जबकि पर्यावरण से जुडे कार्यकर्ताओं की चिंता के मद्देनजर 2010 में बीटी बैंगन पर स्थगन आदेश लागू कर दिया.(Parbhat Khabar)

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