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01 मार्च 2013

कैसा रहा कमोडिटी बाजार के लिए बजट 2013

वित्त मंत्री ने कमोडिटी वायदा पर ट्रांजैक्शन टैक्स लगा दिया है। कमोडिटी वायदा के नॉन-एग्री कमोडिटी कारोबार पर 0.01 फीसदी ट्रांजैक्शन टैक्स लगाया गया है। हालांकि करेंसी वायदा में एफआईआई निवेश को इजाजत दी गई है। लेकिन एक बड़ा मसला गोल्ड इंपोर्ट, जिसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे, वित्त मंत्री ने इसका जिक्र तक नहीं किया। हालांकि एग्रीकल्चर और वेयरहाउंसिग सेक्टर पर वित्त मंत्री ने जोर जरूर दिया है। बजट में कृषि कर्ज का लक्ष्य बढ़ाकर 7 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। नाबार्ड को वेयरहाउसिंग के लिए 5,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। एग्री रिसर्च के लिए 3,415 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। वहीं पूर्वी भारत में खेती के लिए 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान है। वित्त मंत्री ने कृषि मंत्रालय को 27,049 करोड़ रुपये का आवंटन करने का ऐलान किया है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए 9,954 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। नेशनल फूड सिक्योरिटी के लिए अलग से 10,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है। एमसीएक्स के मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीकांत जावलगेकर का कहना है कि नॉन-एग्री कमोडिटी पर सीटीटी लगाने का फैसला भेदभावपूर्ण है। वित्त मंत्री को सीटीटी लगाने का फैसला करेंसी और इंटरेस्ट रेट जैसे सभी डेरिवेटिव पर करना चाहिए था। एंजेल कमोडिटीज के एसोसिएट डायरेक्टर नवीन माथुर का कहना है कि सीटीटी लगाने के फैसले से कमोडिटी बाजार की ओर निवेशकों का रुख कम होने के आसार हैं। सीटीटी के लागू होने से कमोडिटी बाजार के कारोबार पर निगेटिव असर पड़ेगा। करेंसी वायदा में एफआईआई निवेश को मंजूरी देना अच्छा कदम है। लेकिन एफआईआई की भागीदारी इस सेगमेंट में बढ़ने से उतार-चढ़ाव की चाल को काबू में करने की उपाय सोचने होंगे। बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन के प्रेसिडेंट मोहित कंबोज का कहना है कि बजट में सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी नहीं बढ़ाने का फैसला बुलियन मार्केट के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

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