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24 जनवरी 2013

बढ़ा कपास निर्यात का अनुमान

कपास सलाहकार बोर्ड ने कपास वर्ष 2012-13 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए कपास निर्यात और आयात के अनुमानों में संशोधन करते हुए इजाफा किया है। बोर्ड इस महीने के शुरू में फिर से गठित हुआ था। आज हुई बोर्ड बैठक में निर्यात अनुमान बढ़ाकर 80 लाख गांठ कर दिया गया। पहले यह 70 लाख गांठ था। आयात के अनुमान को भी 12 लाख से बढ़ाकर 20 लाख गांठ किया गया है, क्योंकि दक्षिण भारत की मिलें घरेलू कीमतों की तुलना में आयात को फायदेमंद पा रही हैं। यह घोषणा ऐसे समय की गई है, जब इस साल कपास उत्पादन का अनुमान घटाकर 330 लाख गांठ कर दिया गया है, जबकि पिछले साल अक्टूबर में 334 लाख गांठ का अनुमान लगाया गया था। निर्यात बढ़ रहा है और मिलों की खपत भी 230 लाख गांठ से बढ़कर 234 लाख गांठ रहने की उम्मीद है। इसलिए ज्यादा आयात और ओपनिंग स्टॉक के 28.5 लाख से बढ़कर 40 लाख गांठ होने से आपूर्ति का अंतर होगा। कपड़ा आयुक्त ए बी जोशी ने संवाददाताओं को बताया कि गलती दुरुस्त करते हुए पहली बार संशोधन किया गया है। क्लोजिंग स्टॉक को 34.5 लाख गांठ पर बरकरार रखा गया है। निर्यात के लिए 35 लाख गांठ विदेश व्यापार महानिदेशालय के पास पंजीकृत हैं और अब तक 24 लाख गांठ निर्यात की भी जा चुकी हैं। कैलेंडर वर्ष 2012 अंत में कपास की अंतरराष्ट्रीय कीमतें गिर रही थीं और चीन की मांग भी अनिश्चित बनती जा रही थी। इससे ऐसा लग रहा था कि कपास निर्यात 70 लाख गांठ के अनुमान तक भी नहीं पहुंच पाएगा, लेकिन चीन में मांग सुधरने और अमेरिका में कपास की कीमतें बढऩे से भारतीय कपास की मांग बढ़ी है। अमेरिका में आज कपास की कीमतें 79 सेंट को पार करते हुए 7 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गईं। अब तक जिन 24 लाख गांठों का निर्यात किया गया है, उनमें से 30 फीसदी निर्यात चीन को हुआ है। बांग्लादेश ने पिछले साल की तुलना में इस साल भारतीय कपास का आयात 6 से 8 फीसदी घटाया है। इसकी वजह मंदी और अन्य देशों से आयात करना है। इसके बावजूद बांग्लादेश भारत के दो प्रमुख कपास निर्यात बाजारों में से एक है। कृषि मंत्रालय ने कपास के रकबे में संशोधन करते हुए इसे बढ़ाकर 11.77 लाख हेक्टेयर कर दिया है, जबकि पिछला अनुमान 11.61 लाख हेक्टेयर का था। मिलों की खपत भी बढ़कर 234 लाख गांठ रहने की संभावना है, जबकि पिछले वर्ष 223 लाख गांठ की खपत हुई थी। खपत बढऩे की वजह सूती धागे की निर्यात मांग है। ज्यादातर सूती धागे की मांग चीन और बांग्लादेश से आ रही है। धागा निर्यातकों का निर्यात इस साल 100 करोड़ किलोग्राम रहने की संभावना है, जो पिछले साल 70 करोड़ किलोग्राम रहा था। इस साल कॉटन बाल वार्म की वजह से 10 फीसदी गैर-बीटी कपास खराब हो गई है। इस बात के भी कुछ सबूत मिले हैं कि बीटी कपास में भी कॉटन बाल वॉर्म के अंडे हैं, लेकिन इस पर असर नहीं पड़ा है। (BS Hindi)

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