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30 जनवरी 2013

मेडिशनल प्लांट बना किसानों के लिए फायदे का सौदा

रकबा - पिछले पांच सालों में प्रदेश में मेडिशनल एवं सुगंधित पौधों का रकबा 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है। वहीं इन पौधों का उत्पादन भी बढ़कर 84 हजार मीट्रिक टन पहुंच चुका है। मेडिशनल प्रोडक्ट गुजरात की दवा निर्माता कंपनियों सहित चीन एवं यूरोपीय देशों को निर्यात भी की जा रही है। औषधीय फसल उत्पादन बढ़कर 85 हजार टन पहुंचा छत्तीसगढ़ के किसानों में परंपरागत फसलों के स्थान पर मेडिशनल प्लांट के उत्पादन की ओर रुझान तेजी से बढ़ता जा रहा है। पिछले पांच सालों में प्रदेश में मेडिशनल एवं सुगंधित पौधों का रकबा 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है। वहीं इन पौधों का उत्पादन भी बढ़कर 84 हजार मीट्रिक टन पहुंच चुका है। यहां से निर्मित मेडिशनल प्रोडक्ट गुजरात की दवा निर्माता कंपनियों सहित चीन एवं यूरोपीय देशों को निर्यात भी की जा रही है। छत्तीसगढ उद्यानिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि प्रदेश में औषधीय एवं सुगंधित पौधों को लेकर किसानों में जागरूकता दिनों दिन बढ़ती जा रही है। नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन द्वारा भी किसानों को इन प्रजातियों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कुल उत्पादित सुगंधित औषधीय फसलों में 55 प्रतिशत उत्पादन लैमन ग्रास का होता है। राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो केरल, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश और असम लैमन ग्रास के लिए जाने जाते हैं, लेकिन पिछले 3 से 4 सालों में छत्तीसगढ़ में लैमन ग्रास का उत्पादन काफी तेजी से बढ़ा है। लैमन ग्रास में पाई जाने वाली एक तीखी सुगंध के चलते इसका उपयोग साबुन, डिटर्जेन्ट, सौंदर्य प्रसाधन और कीटाणु नाशक उत्पाद बनाने वाली कंपनियों द्वारा किया जाता है। राज्य में लैमन ग्रास का कुल उत्पादन 46,978 मीट्रिक टन है। यहां सबसे अधिक 23,424 मीट्रिक टन उत्पादन रायपुर जिले में किया जा रहा है। लैमन ग्रास के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ यूकेलिप्टस और खुश के उत्पादन में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। प्रदेश में फिलहाल 3228 हेक्टेयर भूमि पर 13,200 मीट्रिक टन यूकेलिप्टस का उत्पादन हो रहा है। सबसे अधिक यूकेलिप्टस का उत्पादन बिलासपुर जिले में हो रहा है। यहां पर 615 हेक्टेयर भूमि पर लगभग तीन हजार मीट्रिक टन यूकेलिप्टस की पैदावार हो रही है। वहीं कोरबा जिले में 2500 मीट्रिक टन और कोरिया जिले में 2052 मीट्रिक टन यूकेलिप्टस का उत्पादन हो रहा है। इसके अतिरिक्त बिलासपुर और धमतरी जिलों में 200 मीट्रिक टन से अधिक अश्वगंधा का उत्पादन किया जा रहा है। रायपुर स्थित ऑइल निर्माता फाइन फ्रेगरेंस के संचालक सुरेंद्र पाठक ने बताया कि सुगंधित और औषधीय फसलों को पैदा करने में बढ़ती किसानों की रुचि के पीछे मुख्य कारण मुनाफा है। चीन लैमन ग्रास का सबसे बड़ा खरीदार है। इसके अतिरिक्त अमेरिका, जापान और पश्चिमी यूरोप के देशों में भी लैमन ग्रास की काफी मांग है। यहां से 15 से 20 हजार टन लैमन ग्रास का निर्यात पूर्वी एशिया, चीन और यूरोपीय देशों को किया जाता है। वहीं एलोवेरा, खुश, सफेद मुसली, अश्वगंधा जैसे पौधों के लिए आयुर्वेदिक औषधि बनाने वाली कंपनियां बड़ी खरीदार हैं। (Business Bhaskar)

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