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31 दिसंबर 2013

Gold jewellery imports surge to over 20 ton at fag-end of 2013

New Delhi, Dec 31. With import curbs on gold bars and coins creating shortages, gold jewellery imports have surged suddenly to over 20 tonnes in the October-December period of 2013, according to the Bombay Bullion Association. India, the world's largest gold consumer and that meets its entire demand through imports, did not buy any gold jewellery abroad in the same period last year. "For the first time, gold jewellery imports have picked up suddenly this year. Total imports are estimated to be more than 20 tonnes in October-December of 2013," the Association's past-President Suresh Hundia told PTI. This is despite gold jewellery attracting higher duty of 15 per cent as compared with 10 per cent on gold bullion. Hundia said jewellery makers are facing shortage as recent curbs have made bullion imports difficult. They have resorted to jewellery imports to meet domestic demand. Much of the gold jewellery is imported from the UAE. The imported gold jewellery is melted and re-designed as per the taste of Indian buyers. To bring down current account deficit, government has taken several measures in the past few months to contain gold imports. Import duty on gold has been hiked to 10 per cent, while traders are mandated to re-export 20 per cent of each gold consignment before ordering fresh shipments. Going forward, Hundia said gold jewellery imports are expected to remain higher in the coming months as well.

Gold, silver remain weak on sustained selling, global cues

New Delhi, Dec 31. Extending its losses for the second straight day, gold prices fell by another Rs 150 to Rs 29,800 per ten grams in the national capital today on sustained selling by stockists against falling demand amid a weakening global trend. Similarly, silver lost another Rs 495 to Rs 43,755 per kg. In Mumbai, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity traded at Rs 29,530 and Rs 29,380 per ten grams, respectively, while silver enquired at Rs 45,000 per kg. Traders said sustained selling by stockists against falling demand at prevailing higher levels mainly led to decline for the second day in the precious metals. Weakening global trend as an improving economy cut demand for a protection of wealth also dampened the sentiment, they said. Gold in New York, which normally sets price trend on the domestic front, fell by 1.41 per cent to USD 1196.70 an ounce and silver by 2.54 pc to USD 19.57 an ounce last night. On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity fell by Rs 150 to Rs 29,800 and Rs 29,600 per ten grams, respectively. It had lost Rs 170 yesterday. Sovereign remained steady at Rs 25,100 per piece of eight gram. In line with a general weak trend, silver ready dropped by Rs 495 to Rs 43,755 per kg and weekly-based delivery by Rs 595 to Rs 43,955 per kg. It had lost Rs 750 in last trade. On the other hand, silver coins found selective buying and spurted by Rs 1,000 to Rs 85,000 for buying and Rs 86,000 for selling of 100 pieces.

आभूषण आयात में भारी कमी

चालू खाते के घाटे (सीएडी) को नियंत्रित करने की खातिर सरकार के पीली धातु के आयात पर रोक लगाने के फैसले से चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में सोने के आभूषणों का आयात 93 फीसदी से ज्यादा गिरा है। रत्नाभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल से नवंबर तक देश में सोने के आभूषणों का आयात महज 1,521.11 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 22,989.31 करोड़ रुपये था। सोने के आभूषणों के आयात में भारी गिरावट की दो मुख्य वजह हैं। सरकार ने आभूषण कारोबारियों पर शिकंजा कसा है। ये आभूषण कारोबारी भारत और थाईलैंड बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का फायदा उठा रहे थे। इस समझौते से थाईलैंड से सोने के आभूषणों के आयात पर महज 1 फीसदी शुल्क लग रहा था, अन्यथा यह 10 फीसदी था। इस एफटीए के तहत सरकार ने थाईलैंड में 20 फीसदी मूल्य संवर्धन अनिवार्य कर दिया। कारोबारियों का कहना है कि सोने के गहनों मे इतने मूल्य संवर्धन की गुंजाइश नहीं थी। इसलिए भारत में आयात हुए सोने के सभी गहनों का विनिर्माण चीन या किसी देश में हुआ और उन्होंने थाईलैंड के जरिये इसे भारत को निर्यात किया। ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फैडरेशन (जीजेएफ) ने कहा, 'आभूषणों का ज्यादातर आयात उस दौरान हुआ, जब थाईलैंड से तैयार उत्पादों पर आयात शुल्क 1 फीसदी और कच्चे माल पर 4 फीसदी किया गया। स्वर्ण आभूषण विनिर्माण उद्योग का वजूद बनाए रखने के लिए चीन सहित अन्य देशों के मामले में शुल्क का अंतर कम से कम 10 फीसदी होना चाहिए।' केंद्र सरकार ने एफटीए के तहत थाईलैंड से सोने के आभूषणों पर रोक लगाई है। हालांकि थाईलैंड की सरकार ने यह पेशकश की थी कि वह भारत में सोने का आयात शुल्क चुकाएगी, लेकिन आयातक इसकी व्यावहारिकता को लेकर रहे।' जीजेईपीसी के वाइस चेयरमैन पंकज पारेख ने कहा, 'तैयार उत्पादों के बढ़ते आयात ने घरेलू विनिर्माण उद्योग को खस्ताहाली में धकेल दिया। थाईलैंड से सोने के आभूषणों के बढ़ते आयात का असर भारतीय कारीगरों पड़ा है। वे भारत में विनिर्माण काम कम होने से बेरोजगार हो गए हैं।' एक पुराने उद्यमी ने कहा, 'सरकार ने इस साल जून-जुलाई में आयात शुल्क बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया था, जो इससे 18 महीने पहले 1 फीसदी से भी कम था। सरकार के इन प्रयासों से चालू खाते के घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिली है, जो इस साल 5.5 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गया था और अब यह 3.1 फीसदी पर है। (BS Hindi)

एफएमसी ने रिपोर्ट देने की अवधि बढ़ाई

जिंस डेरिवेटिव्ज बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने मुश्किल वक्त से गुजर रहे नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के ई-सीरीज अनुबंधों के फॉरेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट सौंपने के लिए चोकसी ऐंड चोकसी (सीऐंडसी) दो सप्ताह का विस्तार दिया है। एनएसईएल 5,500 करोड रुपये के भुगतान संकट से जूझ रहा है। वैश्विक सलाहकार कंपनी ग्रांट थॉर्टन (जीटी) द्वारा सौंपी गई ऑडिट रिपोर्ट पर कई सवाल उठने के बाद मुंबई की सीऐंडसी को नियामक ने 24 नवंबर को फॉरेंसिक ऑडिटर नियुक्त किया था। जीटी ने बंबई उच्च न्यायालय में पहले अंतिम रिपोर्ट और इसके बाद पूरक रिपोर्ट सौंपी थी, जिस पर न्यायालय में दायर दो ई-सीरीज मामलों के प्रतिनिधि केतन शाह ने सवाल उठाया था। अब एफएमसी के निर्देशों के मुताबिक सीऐंडसी को 7 जनवरी, 2014 तक नियामक को रिपोर्ट सौंपनी है। (BS hindi)

यूपी में चीनी उत्पादन 44% गिरा

चालू पेराई सीजन 2013-14 (अक्टूबर से सितंबर) में चीनी मिलों में देरी से पेराई सीजन शुरू होने से उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 44.44 फीसदी घटकर 9.20 लाख टन का ही हुआ है। चालू पेराई सीजन में राज्य में केवल 117 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो पाई है। सूत्रों के अनुसार चालू पेराई सीजन में मिलों में गन्ने की पेराई देर से शुरू हुई थी, इसीलिए उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन पिछले साल से कम हुआ है। चालू पेराई सीजन में अभी तक राज्य में केवल 9.20 लाख टन चीनी का उत्पादन ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 16.59 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में राज्य में 117 चीनी मिलों में ही पेराई शुरू हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 122 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो गई थी। पेराई में देरी होने से गन्ने में रिकवरी जरूर पिछले साल से ज्यादा आ रही है। चालू पेराई सीजन में औसतन रिकवरी 8.74 फीसदी की आ रही है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 8.72 फीसदी की रिकवरी आ रही थी। हालांकि पिछले साल उत्तर प्रदेश में 74 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था जबकि चालू पेराई सीजन में उत्पादन घटकर लगभग 70 लाख टन ही होने का अनुमान है। (Business Bhaskar)

रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क वृद्धि का फिर प्रस्ताव

आर एस राणा : नई दिल्ली... 5% में अंतर है रिफाइंड व क्रूड खाद्य तेलों के आयात शुल्क में 7.5% अंतर सुनिश्चित करने के लिए खाद्य मंत्रालय का प्रस्ताव 2.5% आयात शुल्क बढ़ेगा रिफाइंड खाद्य तेलों पर परिणाम क्या होगा फायदा: खाद्य तेल रिफाइनिंग उद्योग को राहत मिलेगी शुल्क में वृद्धि से भार: आयातित रिफाइंड तेल मंहगे होने से बाजार में महंगे होने खाद्य तेल घरेलू उद्योग को राहत देने के लिए केंद्र सरकार रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात शुल्क में 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी करेगी। रिफाइंड खाद्य तेल और क्रूड पाम तेल के आयात शुल्क में इस समय 5 फीसदी का अंतर है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने अंतर को बढ़ाकर 7.5 फीसदी करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इससे पहले कृषि मंत्रालय ने इसी तरह का प्रस्ताव रखा। लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई। इस बार अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है तो खाद्य तेल महंगे होने से उपभोक्ताओं पर भार पड़ेगा। जबकि देश मेंं रिफाइनिंग उद्योग का मार्जिन बढऩे से राहत मिलने के आसार हैं। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि रिफाइंड खाद्य तेलों और क्रूड पाम तेल के आयात शुल्क में पांच फीसदी का अंतर होने के कारण आयातक रिफाइंड खाद्य तेलों का आयात ज्यादा मात्रा में कर रहे हैं। इससे घरेलू खाद्य तेल उद्योग के सामने संकट खड़ा हो गया है। इसीलिए रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव को सभी संबंधित मंत्रालय को भेजा गया है। उन्होंने बताया कि इसी सप्ताह में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की प्रस्तावित बैठक में इस पर फैसला होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात पर इस समय 7.5 फीसदी आयात शुल्क है इसमें 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी करने की सिफारिश की गई है। क्रूड पाम तेल पर आयात शुल्क 2.5 फीसदी ही रहेगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले कृषि मंत्रालय ने आयात शुल्क में बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार किया था लेकिन सभी संबंधित मंत्रालयों की सहमति नहीं बन पाई थी। चालू खरीफ में तिलहनों की पैदावार में बढ़ोतरी की संभावना है जबकि घरेलू बाजार में दीपावली के बाद से अभी तक खाद्य तेलों की कीमतों में करीब 500 से 700 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि खाद्य तेलों में मांग कमजोर बनी हुई है। इंदौर में सोया रिफाइंड तेल का भाव घटकर 690 रुपये, हरियाणा में सरसों तेल का भाव 710 रुपये, बंदरगाह पर क्रूड पाम तेल का भाव 540 रुपये और आरबीडी पामोलीन का भाव 575 रुपये तथा राजकोट में मूंगफली तेल का भाव घटकर 800 रुपये प्रति 10 किलो रह गया है। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार तेल वर्ष 2012-13 के दौरान कुल 103.84 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ है। इसमें रिफाइंड खाद्य तेलों की हिस्सेदारी 22.23 लाख टन है जो कुल आयात का 21 फीसदी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में कुल खाद्य तेलों के आयात में रिफाइंड खाद्य तेलों की हिस्सेदारी केवल 16 फीसदी ही थी। (Business Bhaskar.....R S Rana)

30 दिसंबर 2013

कमोडिटी बाजारः एग्री में आगे क्या करें

आज के कारोबारी सत्र में कैस्टर सीड में जोरदार तेजी दिखी है। दरअसल कैश मार्जिन में कटौती होने का फायदा कैस्टर सीड में साफ देखने को मिला। एनसीडीईएक्स पर कैस्टर सीड 4 फीसदी के ऊपरी सर्किट पर जाकर 4,390 रुपये के आसपास बंद हुआ है। वहीं धनिया में भी आज शानदार तेजी रही है। पिछले 2 दिन में धनिया के भाव करीब 6 फीसदी चढ़ चुके हैं। एनसीडीईएक्स पर धनिया 4 फीसदी की उछाल के साथ 7,750 रुपये के ऊपर बंद हुआ है। ग्वार सीड, ग्वार गम में भी तेजी का ही रुझान रहा है। एनसीडीईएक्स पर ग्वार सीड 3.2 फीसदी की बढ़त के साथ 4,480 रुपये पर बंद हुआ है। वहीं ग्वार गम 4 फीसदी की उछाल के साथ 12,150 रुपये पर बंद हुआ है। एनसीडीईएक्स पर चना 1 फीसदी की तेजी के साथ 3,066 रुपये पर बंद हुआ है। हालांकि एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन करीब 0.5 फीसदी कमजोर होकर 3,775 रुपये के करीब बंद हुआ है। इसके अलावा सोया तेल 0.1 फीसदी की मामूली बढ़त के साथ 694 रुपये के आसपास बंद हुआ है। ट्रेडस्विफ्ट कमोडिटीज की निवेश सलाह कैस्टर सीड एनसीडीईएक्स (जनवरी वायदा) : बेचें 4387, स्टॉपलॉस - 4540 और लक्ष्य - 4175 सोया तेल एनसीडीईएक्स (जनवरी वायदा) : बेचें - 693.8-694.3, स्टॉपलॉस - 698.2 और लक्ष्य - 688 कॉमैक्स पर सोना करीब 1 फीसदी गिरकर 1,204 डॉलर के नीचे आ गया है। वहीं चांदी करीब 1.5 फीसदी टूटकर 19.8 डॉलर के नीचे आ गई है। नायमैक्स पर कच्चा तेल सपाट होकर 100 डॉलर के ऊपर बना हुआ है। एंजेल कमोडिटीज की निवेश सलाह सोना एमसीएक्स (फरवरी वायदा) : बेचें - 28450-28500, स्टॉपलॉस - 28700 और लक्ष्य - 28150/28100 चांदी एमसीएक्स (मार्च वायदा) : बेचें - 44600-44700, स्टॉपलॉस - 45100 और लक्ष्य - 44100/44000 कच्चा तेल एमसीएक्स (जनवरी वायदा) : खरीदें - 6210-6220, स्टॉपलॉस - 6150 और लक्ष्य - 6320/6330 कॉपर एमसीएक्स (फरवरी वायदा) : खरीदें - 464-465, स्टॉपलॉस - 460 और लक्ष्य - 472/473 फिलहाल एमसीएक्स पर कच्चा तेल 0.5 फीसदी की गिरावट के साथ 6,230 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। हालांकि नैचुरल गैस में 1 फीसदी की तेजी आई है। लेकिन इस तेजी के बावजूद नैचुरल गैस 280 रुपये के नीचे कारोबार कर रहा है। सोने और चांदी में आज गिरावट आई है। रुपये में कमजोरी के बावजूद घरेलू बाजारों में दबाव दिख रहा है। सोने का भाव 0.5 फीसदी गिर गया है और ये 28,400 रुपये पर आ गया है। वहीं चांदी में सोने से ज्यादा गिरावट दिख रही है। चांदी का भाव 1 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गया है। एमसीएक्स पर चांदी 44,600 रुपये के नीचे आ गई है। एमसीएक्स पर कॉपर सपाट होकर 468 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। वहीं लेड में करीब 0.2 फीसदी, जबकि जिंक में 0.1 फीसदी की कमजोरी आई है। निकेल 0.5 फीसदी गिर गया है। हालांकि एमसीएक्स पर एल्युमिनियम करीब 1.2 फीसदी मजबूत हुआ है। (Hindi>moneycantorl.com)

इस पूरे साल आखिर सुर्खियों में क्यों रहा सोना!

कमोडिटी बाजार में इस साल सोना पूरे साल छाया रहा। हालांकि इस बार सोना अपनी चमक की वजह से नहीं बल्कि अपने खराब असर के कारण चर्चा की वजह बना रहा। तारीख 21 जनवरी 2013, साल के पहले महीने में ही सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी 4 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी करने का फैसला। फैसला इतना आनन--फानन में लिया गया कि वित्त मंत्री ने 1 महीने बाद आने वाले आम बजट का भी इंतजार करना मुनासिब नहीं समझा। 2013 में सोने का सुर्खियों में बनने का पहला मौका था। पूरे कमोडिटी बाजार के लिए ये एक बहुत बड़ी खबर थी। क्योंकि एक झटके में सरकार ने घरेलू बाजार में सोने की कीमत 2 फीसदी बढ़ा दी थी। मकसद तो देश में सोने के इंपोर्ट पर काबू पाना था लेकिन इससे उन लोगों पर ज्यादा असर पड़ा जिनकी रोजीरोटी सोने से जुड़ी हुई है यानि जौहरी। इस फैसले से देश में सोने का इंपोर्ट 2 फीसदी महंगा हो गया। दरअसल देश में बढ़ते सोने के इंपोर्ट से करेंट अकाउंट घाटा बढ़ता जा रहा था। सरकार की दलील थी कि देश में सोने का प्रोडक्शन नहीं होता है, पूरा सोना इंपोर्ट करना पड़ता है और इसके लिए डॉलर में पेमेंट करना पड़ता है। लोगों की सोने में दीवानगी की वजह से कुल इंपोर्ट बिल में कच्चे तेल के बाद सोने ने जगह बना ली है जबकि सोना एक डेट एसेट है। ऐसे में सोने के इंपोर्ट पर इतना डॉलर खर्च करना ठीक नहीं। 22 जनवरी को सरकार ने रॉ गोल्ड के इंपोर्ट ड्यूटी को भी बढ़ाकर 5 फीसदी कर दिया। 30 जनवरी को वित्त मंत्री पी चिदंबरम का बयान आता है कि अब बस, सोने पर सख्ती की अब कोई योजना नहीं लेकिन ये क्या। इसके ठीक एक हफ्ते बाद यानि 6 फरवरी को आरबीआई ने इस बात का संकेत दे दिया कि वह सोने के इंपोर्ट पर सख्ती के उपाय तलाश रहा है। फरवरी में ही 20 तारीख को वाणिज्य मंत्रालय ने थाईलैंड से देश में आने वाले सस्ते गोल्ड ज्वेलरी इंपोर्ट के रास्ते को भी बंद करने का सुझाव दे डाला। वैसे वादे के मुताबिक वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट में तो कोई सख्ती नहीं दिखाई। लेकिन सोना जैसे नॉन एग्री कमोडिटी के वायदा कारोबार पर ट्रांजैक्शन टैक्स लगाने का ऐलान जरूर कर दिया। यही नहीं बजट के बाद यानि 1 मार्च को वित्त मंत्री ने देश की जनता से सोना नहीं खरीदने की अपील भी कर डाली। वैसे अप्रैल तक वित्त मंत्री अपने वादे पर कायम रहे और ये कहा कि स्मगलिंग बढ़ने के खतरे को देखते हुए गोल्ड इंपोर्ट पर कोई सख्ती नहीं होगी। लेकिन 3 मई को आरबीआई ने बैंकों के कंसाइन्मेंट बेसिस इंपोर्ट पर पूरी तरह से रोक लगाकर पूरे बाजार को चौंका दिया। आखिकार मई में एकाएक इंपोर्ट बढ़ने की वजह से परेशान वित्त मंत्रालय ने 5 जून को एक बार फिर सोने के इंपोर्ट पर ड्यूटी को 6 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया। इसके करीब डेढ़ महीने बाद यानि 22 जुलाई को आरबीआई ने एक और सख्ती दिखाते हुए एक्सपोर्ट के आधार पर ही गोल्ड इंपोर्ट की इजाजत देने का फैसला किया। लेकिन फिर भी सोने के इंपोर्ट पर सरकार की कोशिशों का मनचाहा असर नहीं दिखा इसलिए सरकार को फिर से इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का रास्ता अपनाना पड़ा और 13 अगस्त को गोल्ड इंपोर्ट पर लगने वाली ड्यूटी को 8 फीसदी से बढ़ाकर पूरे 10 फीसदी कर दिया। यानि अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले भारत में अब सोना 10 फीसदी महंगा हो गया। बहरहाल सरकार को अब भरोसा है कि उसके इस कदमों की वजह से चालू वित्त वर्ष में सोने के इंपोर्ट बिल में कुछ हद तक राहत मिल सकती है। (Hindi>moneycantorl.com)

2014 में भी फीकी पड़ेगी सोने की चमक!

आमतौर पर अपनी चमक की वजह से सुर्खियों में रहने वाले सोने की चमक इस साल लगातार फीकी पड़ती गई। जानकारों की नजर में 2014 में भी सोना बाजार पर चमक छोड़ने में पीछे रह सकता है। 1 जनवरी 2013 के दिन घरेलू बाजार में सोना करीब 31,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव बिका था। इस दिन जिस निवेशक ने सोने में पैसा लगाया, बेशक वायदा में वह करीब 5 फीसदी के नुकसान पर बैठा है। लेकिन हाजिर बाजार में उसके सोने पर फिलहाल कोई रिटर्न नहीं है। 10 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी की वजह से हाजिर बाजार में गिरावट ज्यादा नहीं आई है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव इस एक साल के दौरान करीब 30 फीसदी लुढ़क गया है। इसी के साथ साल 2013 पिछले 13 सालों में सोने के लिए पहला गिरावट भरा साल साबित हुआ है। जानकार अब कम से कम 1-2 साल आगे भी सोने में कोई रिटर्न की उम्मीद नहीं देख रहे हैं। बेशक सबके जेहन में ये सवाल होगा। निवेशकों का सबसे ज्यादा भरोसे वाला सोना आखिर इस साल बेगाना क्यों हो गया। तो जानिए वजह नंबर एक। साल के शुरुआत से ही अमेरिका की इकोनॉमी में सुधार दिखने लगा था इसलिए वहां 85 अरब डॉलर के राहत पैकेज में कटौती की अटकलें बढ़ने लगी थी। यानि जिस वजह से साल 2008 से 2011 तक सोने में 70 फीसदी की तेजी आई, अब उस वजह का ही अस्तित्व खत्म होने जा रहा था। इन्हीं अटकलों के बीच गोल्डमैन सैक्स ने 10 अप्रैल को सोने पर अपने आउटलुक में भारी कटौती कर दी। उसके बाद तो मानो सोने के बाजार में भूचाल आ गया। सोना इस कदर लुढ़का कि आज तक संभल नहीं सका। इसके साथ ही ये साल सोने के लिए 30 सालों में सबसे खराब साल साबित हुआ है। (Hindi.Moneycantrol.com)

गन्ने का दाम हो एक समान

कर्नाटक के गन्ना किसानों ने राज्य सरकार से पूरे प्रदेश के लिए समान गन्ना कीमत नीति अपनाने का आग्रह किया है। उन्होंने सरकार से यह भी मांग की कि वह चीनी मिलों को पिछले दो वर्षों का 800 करोड़ों रुपये का बकाया भुगतान तत्काल चुकाने का निर्देश दे। कर्नाटक गन्ना उत्पादक संघ (केएसजीए) ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'सरकार ने चीनी मिलों के साथ विचार-विमर्श कर उत्तरी और दक्षिणी कर्नाटक में गन्ने की अलग-अलग कीमतें तय की हैं। सरकार ने उत्तरी कर्नाटक की 45 चीनी फैक्टरियों से किसानों को कटाई और परिवहन की लागत भी चुकाने को कहा है, जबकि दक्षिण की 12 मिलों को केवल गन्ने की कीमत ही चुकाने को कहा गया है, यहां कटाई और परिवहन की लागत किसानों को ही उठानी होगी।' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इस दोहरी कीमत नीति से दक्षिणी कर्नाटक के किसानों को कटार्ई और परिवहन की मद पर 500 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ेगा। वहीं उत्तरी कर्नाटक की मिलें कटाई और परिवहन के एïवज में अतिरिक्त कीमत चुकाएंगी और उनके खेतों से गन्ना खरीदेंगी। (BS Hindi)

Gold falls on profit selling, weak global cues

New Delhi, Dec 30. Snapping a two-day rising trend, gold prices fell by Rs 170 to Rs 29,950 per ten grams in the national capital today on profit selling by stockists at existing higher levels, influenced by a weak global trend. Silver also met with resistance after four days of gains, and lost Rs 750 at Rs 44,250 per kg. Traders said profit selling by stockists at existing higher levels in line with a weak global trend as investor holdings extended their decline to the lowest since 2009, mainly pulled down precious metals. Gold in Singapore, which normally sets price trend on the domestic front, fell by 0.5 per cent to USD 1,206.81 an ounce and silver by 1.5 per cent to USD 19.78 an ounce. On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity fell by Rs 170 each to Rs 29,950 and Rs 29,750 per ten grams, respectively. The yellow metal had gained Rs 220 in the previous two sessions. Sovereign, however, held steady at Rs 25,100 per piece of eight gram in scattered deals. Similarly, silver ready declined by Rs 750 to Rs 44,250 per kg and weekly-based delivery by Rs 600 to Rs 44,550 per kg. The white metal had gained Rs 1,450 in last four trading sessions. Silver coins also dropped by Rs 1,000 to Rs 84,000 for buying and Rs 85,000 for selling of 100 pieces.

28 दिसंबर 2013

Fundamental & Technical Outlook on Commodities:-

Fundamental & Technical Outlook on Commodities:- Precious metal:- Gold prices moved in range on Friday over thin trading volume in international market and physical buying from Chinese consumers. Gold is already down more than 25% for the year. SPDR Gold Trust GLD, the world's largest Gold-backed exchange-traded fund’s holdings continued to fell and are down by 0.19% yesterday. Gold prices in India also moved higher as weaker rupee supported the moving Gold prices along with speculation of easing the Gold import restrictions pushed the prices higher. Gold prices are expected to move in range to lower as better than expected US unemployment claims along with Chinese buying and thin volumes can keep the prices in range. Over all, MCX Gold February future is in consolidation and sustaining around lower levels. For the coming week 27700/27340 will act as a major support whereas 28785/29100will act as a major resistance level in MCX Gold February future. For the next week in MCX Gold, trader can use sell on higher level strategy, if MCX Gold February future sustain below the levels of 28250 then it could test the levels 28080 /27770. Technically, MCX Silver March futures is sideways and sustaining around lower levels. For the coming week 45000/46800 will act as major resistance levels where as 41600/40000 will act as major support in MCX Silver March futures. For the next week in MCX Silver futures, traders can use sell on higher level strategy, if MCX Silver March futures sustains below 43500 then it could test the levels of 42450/ 41000. Energy:- U.S. crude prices rose on Friday as supply disruption fear from Sudan and Libya kept the prices in check during the Holiday week in all major markets. Supply outages in Africa are also in focus and added some geopolitical risk premium to prices. Crude oil prices are expected to move up for the week as ongoing tensions in Libya and Sudan can support oil prices, also draw down in Crude inventories can push the prices higher. For the coming week 6150/5900 will act as major supports levels whereas 6500/6710 will act as major resistance in MCX Crude oil January futures. For the next week, trader can go for buy on lower level strategy, if MCX Crude January future sustain above 6250 levels then it could test the levels 6348/6470. Base Metal:- Copper prices gained on Friday over optimism from Chinese buyers and statement from its cabinet report saying China to grow around 1.6% for the year. Japanese manufacturing activity expanded in December at the fastest clip in more than seven years. Indonesia will provide exemptions to its 2014 mineral export ban for firms that process more domestically. Copper can move higher as demand from China and supply Issues in Indonesia can push the prices higher for the week. Trend of MCX Copper February future is in consolidation and also sustaining around higher levels. For the coming week, it could face major resistance of 497/513 whereas 462/451could be a major support in MCX Copper. For the next week trader may follow buy on lower levels strategy, if MCX Copper future sustain above 473 levels then it could test the level of 482.30/496.90. (Mr. Vivek Gupta- Director Research) Commodity market outlook (CapitalVia Global Research Limited)

एनएसईएल के निवेशकों में फूट

अब बंद पड़े नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) घोटाले में ठगी के शिकार निवेशकों और ब्रोकरों के बीच दरार पैदा हो गई है। एनएसईएल फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिस (एफटीआईएल) समूह की कंपनी है, जो 5,500 करोड़ रुपये के भुगतान संकट से जूझ रही है। करीब 20 लोगों के एक समूह ने एनएसईएल निवेशकों का 'वास्तविक प्रतिनिधि' होने का दावा किया है। इन्होंने एक अलग समूह - एनएसईएल इन्वेस्टर्स ऐक्शन ग्रुप (एनआईएजी) बनाया है, जिसके अध्यक्ष केतन शाह हैं। शाह एनएसईएल की दो निवेशक कंपनियों तरुण अमरचंद जैन एचयूएफ और आशिष सेठ एचयूएफ के प्रतिनिधि हैं। उन्होंने एनएसईएल घोटाले में करोड़ों रुपये के नुकसान का दावा किया है। ये वे दो निवेशक कंपनियां हैं, जिन्होंने बंबई उच्च न्यायालय में ई-सीरीज अनुबंधों का निपटान और डिलिवरी तत्काल रोकने के लिए याचिका दायर की थी। इन्होंने एक्सचेंज के पास उपलब्ध स्टॉक को बेचकर नकदी जुटाने और इसके निवेशकों में समान वितरण को भी रोकने का आग्रह किया था। इसलिए निवेशकों के एक समूह ने वर्तमान प्रतिनिधि संस्था से अपना रास्ता अलग कर लिया है। वर्तमान प्रतिनिधि संस्था एनएसईएल इन्वेस्टर्स फोरम (एनआईएफ) है, जिसका दावा है कि वह अपने प्रयासों में सफल रही है। इसके लिए उसने नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी), आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम को शिकायत भेजने के साथ ही विरोध प्रदर्शन और एनएसईएल व एफटीआईएल के कार्यालयों का घेराव किया था। एनआईएजी के संस्थापक सदस्य शाह ने कहा, 'एनआईएफ ने निवेशकों की चिंताओं को ठीक से उजागर नहीं किया है। हकीकत यह है कि हमने एनएसईएल के खिलाफ विरोध शुरू किया था, लेकिन इसका श्रेय एनआईएफ ने ले लिया। अब हम एनएसईएल के निवेशकों की सभी चिंताओं का ठीक ढंग से प्रतिनिधित्व करेंगे।' एनआईएजी ने मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), और प्रवर्तन निदेशालय में ब्रोकरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इस प्र्रतिनिधि संस्था ने इस घोटाले से जुड़े सभी ब्रोकरों का फारेंसिक ऑडिट कराने की मांग की है। शिकायत में कहा गया है, 'ब्रोकरों को इस बात का पूरा पता है कि बकायेदारों की संख्या महज 18 है, जो एनएसईएल की कुल निवेशक संख्या का महज 0.15 फीसदी है। इसके अलावा निवेशकों की ओर से ब्रोकरों ने नियमानुसार डिलिवरी ऑर्डर या गोदाम रसीद एकत्रित नहीं की। ब्रोकरों ने निवेशकों का धन की सुरक्षित वापसी के बिना ही दे दिया। उन्होंने गोदाम रसीद/डिलिवरी ऑर्डर जुटाकर निवेशकों के धन की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित नहीं की।' (BS Hindi)

एफएमसी ने घटाया मार्जिन

कारोबारियों को नए वर्ष का तोहफा देते हुए वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने एक जिंस के विभिन्न महीनों के अनुबंधों में मार्जिन 60 फीसदी से घटाकर 50 फीसदी कर दिया है। इसका मकसद वायदा बाजार में और मजबूती लाना है। वर्तमान में एक्सचेंज किसी जिंस की खरीद और बिक्री अनुबंधों पर 60 फीसदी शुरुआती मार्जिन लेते हैं। इसके अलावा विशेष और नकदी मार्जिन भी वसूला जाता है। उदाहरण के लिए अगर एक कारोबारी फरवरी के लिए कोई जिंस खरीदता है और इसे मार्च के लिए बेचता है तो वर्तमान नियमों के मुताबिक दोनों तरफ (खरीद व बिक्री) पर 5 फीसदी शुरुआती मार्जिन लगता है और इसके बाद ट्रेडिंग के लिए केवल 6 फीसदी मार्जिन देना होता है। अब 1 जनवरी से लागू होने वाले संशोधित नियमों के मुताबिक कारोबारी को केवल 5 फीसदी मार्जिन ही देना होगा। नियामक ने स्प्रैड ट्रेडिंग को भी उदार बना दिया है। एफएमसी के सर्कुलर में कहा गया है, 'पुनर्गठित जोखिम प्रबंधन समूह (आरएमजी) की सिफारिशों के मद्देनजर आयोग ने यह फैसला किया है कि एक ही जिंस के विभिन्न महीनों के अनुबंधों और इसी जिंस के दो अनुबंध वैरिएंट में स्प्रैड मार्जिन लाभ की स्वीकृति होगी। इसलिए एक्सचेंज पॉजिशनों पर 50 फीसदी शुरुआती मार्जिन (एक्सपोजर व उतार-चढ़ाव मार्जिन सहित) वसूल करेगा।' नियामक ने यह स्पष्ट किया है कि दो अलग-अलग जिंसों के अनुबंधों में स्पै्रड मार्जिन का लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि दोनों जिंसों के बीच जोखिम में भारी बदलाव होता है। अतिरिक्त, विशेष और नकदी मार्जिन की मंजूरी देने के समय के पूर्व दिशानिर्देशों से इतर एफएमसी के सर्कुलर में कहा गया है कि ये अतिरिक्त मार्जिन एक ही जिंस के विभिन्न अवधियों के अनुबंधों में नहीं लगेंगे। कारोबारी सूत्रों के मुताबिक ये सभी मार्जिन स्प्रैड अनुबधों में बाधक साबित हो रहे थे। ऐंजल ब्रोकिंग के सहायक निदेशक (जिंस एवं मुद्रा) नवीन माथुर ने कहा, 'यह बाजार के लिए तीन तरह- शुरुआती मार्जिन में कमी, नकदी व विशेष मार्जिन में छूट और जरूरत पडऩे पर ज्यादा मार्जिन वसूलने का एक्सचेंजों को अधिकार के लिहाज से फायदेमंद हैं।' हालांकि एफएमसी ने एक्सचेंजों को यह स्वीकृति दी है कि अगर उन्हें ज्यादा जोखिम लगे तो वे 50 फीसदी से ज्यादा मार्जिन वसूल सकते हैं। एफएमसी के ये दिशानिर्देश 1 जनवरी से लागू होंगे और ये बदलाव इस समय चल रहे अनुबंधों पर भी लागू होंगे। हालांकि एफएमसी ने विभिन्न जिंसों में स्प्रैड ट्रेडिंग पर रोक बरकरार रखी है। एमके कॉमट्रेड लिमिटेड के सीईओ अशोक मित्तल ने कहा, 'यह स्वागतयोग्य कदम है, क्योंकि इससे जिंस वायदा बाजार में और मजबूती आएगी।' (BS Hindi)

एफटीआईएल हिस्सेदारी घटाने के आदेश को दे सकती है चुनौती

फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिस (एफटीआईएल) एमसीएक्स बोर्ड के आदेश को चुनौती दे सकती है। अपने आदेश में एक्सचेंज ने अपने प्रवर्तक से एमसीएक्स में हिस्सेदारी एक महीने के अंदर 26 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी से भी कम करने को कहा है। इससे जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आदेश को चुनौती देने वाली याचिका बंबई उच्च न्यायालय में जल्द ही दाखिल की जा सकती है। अधिकारी ने कहा कि कानून के विशेषज्ञ पहले ही इस मसले मंथन कर रहे हैं कि 1-2 दिन में याचिका दाखिल की जाए या 6 जनवरी तक बंबई उच्च न्यायालय के एफटीआईएल द्वारा दायर मामले पर सुनवाई तक रुकें। एफटीआईएल ने वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के एमसीएक्स के प्रïर्वतकों को एक्सचेंज चलाने में 'फिट ऐंड प्रॉपर' न होने के आदेश को चुनौती दी है। एफटीआईएल प्रवर्तित मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के बोर्ड की गुरुवार को बैठक हुई थी और इसमें आगे की कार्रवाई पर चर्चा हुई थी। इसमें फैसला लिया गया कि वह एफटीआईएल को अपनी पेड अप इक्विटी पूंजी में हिस्सेदारी 26 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी करने के लिए पत्र लिखेंगे, जैसा कि नियामक एफएमसी ने आदेश है। बोर्ड ने यह सलाह भी देने का फैसला किया है कि एफटीआईएल 26 दिसंबर के एफएमसी के पत्र के मददेनजर एमसीएक्स बोर्ड में अपने प्रतिनिधि मितेन शाह को वापस बुलाए। एक अधिकारी ने कहा, 'एमसीएक्स एशिया का सबसे बड़ा एक्सचेंज है। इसलिए एक महीने के भीतर हिस्सेदारी 26 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी करना संभव नहीं है। इसलिए एफटीआईएल चाहेगा कि बंबई उच्च न्यायालय एमसीएक्स बोर्ड के आदेश पर रोक लगाए।' इस बीच एफटीआईएल ने इस मसले पर टिप्पणी से इनकार कर दिया है। एफटीआईएल के प्रवक्ता ने कहा, 'यह मामला न्यायालय के विचाराधीन होने से हम इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे।' एफएमसी के आदेश का संज्ञान लेते हुए एमसीएक्स का बोर्ड एफटीआईएल की हिस्सेदारी पर फिर से विचार कर रहा है। क्योंकि जिंस डेरिवेटिव्ज बाजार नियामक ने 17 दिसंबर को दिए अपने आदेश में कंपनी को 'फिट ऐंड प्रॉपर' नहीं पाया था, जो एक बड़ा हिस्सेदार होने के लिए अनिवार्य शर्त है। एक एंकर निवेशक के रूप में एफटीआईएल की एमसीएक्स में 26 फीसदी हिस्सेदारी है। एफएमसी ने एफटीआईएल के अलावा इसके प्रवर्तक जिग्नेश शाह, एमसीएक्स-एसएक्स के पूर्व प्रबंध निदेशक जोसेफ मैसी और एमसीएक्स के पूर्व एमडी और सीईओ श्रीकांत जावलगेकर को भी 'फिट ऐंड प्रोपर' नहीं बताया है। (BS Hindi)

27 दिसंबर 2013

एक्सचेंज बनें ज्यादा जवाबदेह

नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) में प्रबंध निदेशक और निदेशक मंडल के बीच सूचनाओं का ठीक से आदान-प्रदान न होने के नतीजे में सामने आए 5,500 करोड़ रुपये के घोटाले से वायदा बाजार आयोग ने सबक लिया है। उसने गुरुवार को राष्ट्रीय जिंस एक्सचेंजों के बोर्ड की जवाबदेही बढ़ा दी है। एफएमसी ने सूचनाओं के खुलासे की न्यूनतम जरूरत के लिए वैधानिक दिशानिर्देश जारी किए हैं। एफएमसी के इस कदम से एक्सचेंज का पूरा वित्तीय नियंत्रण और जिम्मेदारी बोर्ड के कंधों पर होगी। एफएमसी ने सभी जिंस एक्सचेंजों के निदेशक मंडल से कहा है कि वह प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्यकारी अधिकारी को वित्तीय शक्तियां सौंपने के लिए उचित प्रक्रिया बनाए। एक विशेष स्तर से ज्यादा खर्च के लिए बोर्ड या ऑडिट समिति से मंजूरी लेनी होगी। एफएमसी के एक सर्कुलर में कहा गया है कि व्यय की मदों जैसे पूंजीगत व्यय, ऋण या वित्तीय करार आदि के लिए बोर्ड या ऑडिट समिति से पहले मंजूरी लेनी होगी। नियामक ने सभी खर्च की जांच-पड़ताल और मंजूरी में उचित संतुलन के लिए बोर्ड को शक्तियां दी हैं। इन खर्चों में चंदा, कानूनी खर्च, आईटी से संबंधित खर्च, गोदाम का शुल्क, प्रचार, जनसंपर्क, मीडिया अभियान, पेशवेर शुल्क और अन्य खर्च शामिल हैं। एक्सचेंज के विभाग प्रमुख के स्तर पर वेतन, बोनस, वेतन वृद्धि और पारितोषिक से संबंधित सभी मसलों के लिए बोर्ड की क्षतिपूर्ति समिति से मंजूरी लेनी होगी। सर्कुलर में कहा गया है कि बोर्ड को जोखिम प्रबंधन पर एक बोर्ड समिति बनानी चाहिए। यह समिति एक्सचेंज के जोखिम प्रोफाइल की पहचान, पैमाने और निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी। समिति पर उन जोखिम एïवं नियंत्रण उपायों पर भी नजर रखने की जिम्मेदारी होगी, जिन्हें समय-समय पर सिस्टम में शामिल करना होगा। इन उपायों के अनुपालन की निगरानी व इनमें सुधार के सुझाव और कंपनी की वित्तीय एवं जोखिम प्रबंधन नीतियों के निर्माण और समय-समय पर समीक्षा की की जिम्मेदारी भी समिति की होगी। इसके अलावा समिति को कंपनी की अधिकतम एक्सपोजर सीमा और उधारी सीमा तय करनी होगी। अब नियामकों, किसी सरकारी एजेंसी या अन्य वैधानिक या लाइसेंसिंग अथॉरिटी के आदेश या निर्देशों की अनुपालना से संबंधित सभी मसले सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए बोर्ड के सामने रखे जाएंगे। इस तरह के मामलों में कारण बताओ नोटिस, अनुपालना पर मांगा गया स्पष्टीकरण, एक्सचेंज के खिलाफ दायर दीवानी या आपराधिक मामले, इसके निदेशक और प्रबंधन, कथित अपराध के लिए अभियोजन, एक्सचेंज पर लगाया गया जुर्माना और न्यायालय में लंबित मामले आदि शामिल होंगे। (BS Hindi)

एनएसईएल के निवेशकों में फूट

अब बंद पड़े नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) घोटाले में ठगी के शिकार निवेशकों और ब्रोकरों के बीच दरार पैदा हो गई है। एनएसईएल फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिस (एफटीआईएल) समूह की कंपनी है, जो 5,500 करोड़ रुपये के भुगतान संकट से जूझ रही है। करीब 20 लोगों के एक समूह ने एनएसईएल निवेशकों का 'वास्तविक प्रतिनिधि' होने का दावा किया है। इन्होंने एक अलग समूह - एनएसईएल इन्वेस्टर्स ऐक्शन ग्रुप (एनआईएजी) बनाया है, जिसके अध्यक्ष केतन शाह हैं। शाह एनएसईएल की दो निवेशक कंपनियों तरुण अमरचंद जैन एचयूएफ और आशिष सेठ एचयूएफ के प्रतिनिधि हैं। उन्होंने एनएसईएल घोटाले में करोड़ों रुपये के नुकसान का दावा किया है। ये वे दो निवेशक कंपनियां हैं, जिन्होंने बंबई उच्च न्यायालय में ई-सीरीज अनुबंधों का निपटान और डिलिवरी तत्काल रोकने के लिए याचिका दायर की थी। इन्होंने एक्सचेंज के पास उपलब्ध स्टॉक को बेचकर नकदी जुटाने और इसके निवेशकों में समान वितरण को भी रोकने का आग्रह किया था। इसलिए निवेशकों के एक समूह ने वर्तमान प्रतिनिधि संस्था से अपना रास्ता अलग कर लिया है। वर्तमान प्रतिनिधि संस्था एनएसईएल इन्वेस्टर्स फोरम (एनआईएफ) है, जिसका दावा है कि वह अपने प्रयासों में सफल रही है। इसके लिए उसने नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी), आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम को शिकायत भेजने के साथ ही विरोध प्रदर्शन और एनएसईएल व एफटीआईएल के कार्यालयों का घेराव किया था। एनआईएजी के संस्थापक सदस्य शाह ने कहा, 'एनआईएफ ने निवेशकों की चिंताओं को ठीक से उजागर नहीं किया है। हकीकत यह है कि हमने एनएसईएल के खिलाफ विरोध शुरू किया था, लेकिन इसका श्रेय एनआईएफ ने ले लिया। अब हम एनएसईएल के निवेशकों की सभी चिंताओं का ठीक ढंग से प्रतिनिधित्व करेंगे।' एनआईएजी ने मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), और प्रवर्तन निदेशालय में ब्रोकरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इस प्र्रतिनिधि संस्था ने इस घोटाले से जुड़े सभी ब्रोकरों का फारेंसिक ऑडिट कराने की मांग की है। शिकायत में कहा गया है, 'ब्रोकरों को इस बात का पूरा पता है कि बकायेदारों की संख्या महज 18 है, जो एनएसईएल की कुल निवेशक संख्या का महज 0.15 फीसदी है। इसके अलावा निवेशकों की ओर से ब्रोकरों ने नियमानुसार डिलिवरी ऑर्डर या गोदाम रसीद एकत्रित नहीं की। ब्रोकरों ने निवेशकों का धन की सुरक्षित वापसी के बिना ही दे दिया। उन्होंने गोदाम रसीद/डिलिवरी ऑर्डर जुटाकर निवेशकों के धन की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित नहीं की।' (BS HIndi)

खाने के तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की तैयारी!

सरकार खाने के तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा सकती है। सीएनबीसी आवाज को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक रिफाइंड एडिबल ऑयल पर 2.5 फीसदी तक ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है। सरकार रिफाइंड खाने के तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी करने की तैयारी में है। वहीं खाने के कच्चे तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी 2.5 फीसदी पर बरकरार रखी जा सकती है। इन मसलों को लेकर 12 दिसंबर को हुई सचिवों के समूह की बैठक में आम सहमति बनी है। माना जा रहा है कि रिफाइंड खाने के तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाए जाने का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स के पास भेजा जाएगा। दरअसल इंडोनेशिया से सस्ते रिफाइंड ऑयल के इंपोर्ट से घरेलू इंडस्ट्री को बचाने की कवायद में सरकार ने ये कदम उठाया है। इस बीच सोया तेल जिसकी शुरुआत गिरावट के साथ हुई थी, अब करीब 0.5 फीसदी तक बढ़ गया है। एनसीडीईएक्स पर सोया तेल का भाव 690 रुपये के ऊपर पहुंच गया है। Hindi Moneycantorl.com

कमोडिटी बाजारः एग्री में आगे क्या करें

कैस्टर सीड में आज भी 4 फीसदी का निचला सर्किट लग गया। एनसीडीईएक्स के गोदामों में भंडार बढ़ने से कैस्टर सीड की कीमतों में रिकॉर्ड स्तर से करीब 15 फीसदी की भारी गिरावट आ चुकी है। एनसीडीईएक्स पर कैस्टर सीड का भाव 4220 रुपये पर आ गया है। वहीं कारोबार के अंतिम घंटों में सोयाबीन और चने में बिकवाली बढ़ गई। खाने के तेलों में भी दिन की बढ़त खत्म हो गई है। मसालों में हल्दी और जीरे में तेज गिरावट आई है। धनिया वायदा करीब 4 फीसदी लुढ़क गया है। वहीं इलायची पर भी दबाव बना है। एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन 1.3 फीसदी गिरकर 3775 रुपये के नीचे बंद हुआ है। चना 1.25 फीसदी लुढ़ककर 3050 रुपये के नीचे बंद हुआ है। एनसीडीईएक्स पर सोया तेल 0.2 फीसदी की मामूली कमजोरी के साथ 690 रुपये के नीचे बंद हुआ है। वहीं एमसीएक्स पर क्रूड पाम तेल 0.5 फीसदी फिसलकर 541 रुपये पर आ गया है। एनसीडीईएक्स पर मसालों में हल्दी 1.7 फीसदी की जोरदार गिरावट के साथ 6270 रुपये पर बंद हुई है। जीरा करीब 1.5 फीसदी गिरकर 12,430 रुपये पर बंद हुआ है। एनसीडीईएक्स पर धनिया का भाव 7300 रुपये के नीचे आ गया है। एमसीएक्स पर इलायची 0.5 फीसदी टूटकर 680 रुपये पर आ गई है। अमेरिकी एनर्जी डिपार्टमेंट की आज रिपोर्ट आने वाली है। इससे पहले कच्चा तेल दबाव में आ गया है। हालांकि नायमैक्स पर अभी भी कच्चा तेल 99 डॉलर के ऊपर कारोबार कर रहा है। वहीं ब्रेंट क्रूड की चाल भी सुस्त है। सोने में हालांकि मजबूती बनी हुई है। लेकिन कॉमैक्स पर वॉल्युम बेहद कम है। ऐसे ही चांदी में भी बढ़त पर कारोबार हो रहा है। एसएसजे फाइनेंस की निवेश सलाह चांदी एमसीएक्स (मार्च वायदा) : खरीदें - 44400, स्टॉपलॉस - 44000 और लक्ष्य - 45300 कच्चा तेल एमसीएक्स (जनवरी वायदा) : खरीदें - 6160, स्टॉपलॉस - 6120 और लक्ष्य - 6230 सोने में गिरावट बढ़ गई है। एमसीएक्स पर सोना 0.5 फीसदी की गिरावट के साथ 28,500 रुपये के नीचे आ गया है। वहीं एमसीएक्स पर चांदी सपाट होकर 44,800 रुपये के आसपास नजर आ रही है। कच्चे तेल में दबाव दिख रहा है और आज अमेरिकी एनर्जी डिपार्टमेंट की रिपोर्ट भी आने वाली है जिसमें कच्चे तेल के भंडार में बढ़त की उम्मीद जताई जा रही है। इससे पहले अमेरिकी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में वहां भंडार में बढ़त की बात कही गई थी। एमसीएक्स पर कच्चा तेल 0.1 फीसदी फिसलकर 6,200 रुपये के नीचे कारोबार कर रहा है। इस बीच नैनुचरल गैस में गिरावट बढ़ गई है। एमसीएक्स पर नैचुरल गैस 1.5 फीसदी गिरकर 275.3 रुपये पर आ गया है। गौर करने वाली बात ये है कि पिछले दिनों नैचुरल गैस में जोरदार तेजी आई थी। बेस मेटल्स की चाल बदल गई है। कॉपर अब दबाव में आ गया है। वहीं निकेल की गिरावट खत्म हो गई है। एमसीएक्स पर निकेल 0.75 फीसदी की मजबूती के साथ 886 रुपये पर कारोबार कर रहा है। लेड और जिंक में भी अब रिकवरी दिख रही है। एमसीएक्स पर लेड 0.2 फीसदी मजबूत हुआ है, जबकि जिंक में 0.1 फीसदी की मामूली गिरावट दिख रही है। हालांकि एल्युमिनियम 2 फीसदी की उछाल के साथ 109 रुपये के करीब पहुंच गया है, लेकिन कॉपर 0.3 फीसदी लुढ़क गया है। (Hindi>moneycantorl.com)

Gold gains on fresh stockists buying, global cues

New Delhi, Dec 27. Gold prices recovered by Rs 100 to Rs 30,000 per ten grams in the national capital today on fresh buying by stockists amid a firm global trend. Silver also gained for the third straight session by surging Rs 750 to Rs 44,750 per kg on increased offtake by industrial units and coin makers. In Mumbai, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity fell by Rs 160 and Rs 170 to Rs 29,780 and Rs 29,630 per ten grams, respectively; while silver gained Rs 60 to Rs 44,500 per kg. Traders said stockists buying influenced by a firm global trend, where gold traded near a one-week high, mainly boosted the sentiment here. Gold in Singapore, which normally sets price trend on the domestic front, was trading at USD 1,213.39 an ounce, while silver rose by one per cent to USD 19.97 an ounce. In Delhi, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity rebounded by Rs 100 each to Rs 30,000 and Rs 29,800 per ten grams, respectively. It had lost Rs 275 yesterday. Sovereign remained steady at Rs 25,100 per piece of eight gram in limited deals. Silver ready surged by Rs 750 to Rs 44,750 per kg and weekly-based delivery by Rs 710 to Rs 44,830 per kg. The white metal had gained Rs 450 in the previous two sessions. Silver coins also spurted by Rs 1,000 to Rs 85,000 for buying and Rs 86,000 for selling of 100 pieces

26 दिसंबर 2013

जिंस बाजार पर भारी पड़ा एनएसईएल घोटाला

जिग्नेश शाह की अगुवाई वाले नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के 5,600 करोड़ रुपये के घोटाले में फंसने की वजह से देश के जिंस वायदा बाजार की गाड़ी 2013 में पटरी से उतर गई। वर्ष के दौरान गैर कृषि उत्पादों पर लेनदेन कर लगाए जाने से भी जिंस एक्सचेंजों का कारोबार प्रभावित हुआ और जिंस एक्सचेंजों का कारोबार 30 फीसदी घटकर 125 लाख करोड़ रुपये पर आने का अनुमान है। इस साल की शुरुआत वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा बजट में गैर कृषि उत्पादों व प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों पर 0.01 फीसदी जिंस लेनदेन कर (सीटीटी) लगाने के साथ हुई। हालांकि, उद्योग जगत ने इस घटनाक्रम को अच्छे से नहीं लिया। यह कर जुलाई से लागू हुआ और इससे दो सबसे बड़े एक्सचेंजों एमसीएक्स व एनसीडीईएक्स सहित 21 जिंस वायदा बाजारों में मात्रा के हिसाब से कारोबार प्रभावित हुआ। जुलाई का महीना इस दृष्टि से भी अहम रहा कि बिना नियमन वाले नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) में एक बड़ा घोटाला सामने आया, जिससे दशक भर पुराने वायदा बाजार की प्रतिष्ठा को चोट पहुंची। केंद्र ने पिछले साल एनएसईएल को कानून का उल्लंघन कर वायदा अनुबंध चलाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया। बाद में इस एक्सचेंज पर अंतत टे्रडिंग रोक दी गई। एनएसईएल का 5,600 करोड़ रुपये का घोटाला हर्षद मेहता प्रतिभूति घोटाले से भी बड़ा माना जा रहा है। कुल मिलाकर 24 एनएसईएल सदस्यों को 13,000 निवेशकों का बकाया चुकाना है, जबकि भंडारगृह में जमानत के रूप में कोई भंडार नहीं है। अभी तक निवेशकों को 265 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान किया गया है। साप्ताहिक भुगतान के मामले में एनएसईएल लगातार 18 सप्ताह भुगतान में चूक कर चुका है। एनएसईएल में अनियमितताओं की कई एजेंसियों द्वारा जांच की जा रही है और इस मामले में उसके प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी अंजनी सिन्हा सहित कई शीर्ष अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। इस घोटाले की प्रकृति ऐसी थी कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के पास इसकी जांच के लिए साधन नहीं थे। जांच की निगरानी के लिए नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) को वित्त मंत्रालय को स्थानांतरित किया गया। इस साल जिग्नेश शाह को शेयर बाजार शुरू करने की अनुमति मिली थी, जिसके बाद वह काफी चर्चा में थे। लेकिन वह इस भारी भुगतान संकट की जिम्मेदारी से बच नहीं पाए और उन्होंने दो एक्सचेंजों एमसीएक्स और एमसीएक्स एसएक्स से इस्तीफा दे दिया। शाह ने ही इन एक्सचेंजों की स्थापना और आगे बढ़ाने का काम किया। एक प्रमुख ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि 2013 में निवेशकों का भरोसा अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया। एनएसईएल घोटाले व सीटीसी लगाने का जिंस बाजार का काफी प्रतिकूल असर हुआ। एसएमसी कॉमटे्रड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक डी के अग्रवाल ने कहा, 'जिंस बाजार से रिटर्न शेयर बाजार की तुलना मेंं काफी कम रहा। साल के दौरान सोने, चांदी व कुछ कृषि जिंसों का प्रदर्शन काफी खराब रहा। (BS HIndi)

एफसीआई से अनाज की आवाजाही पर असर

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के कर्मचारी 17 अक्टूबर से वर्क टू रूल (नियमानुसार काम ) के जरिए अपना विरोध जता रहे हैं। अगर आने वाले सप्ताहों में उन्होंने अपना रुख और कड़ा किया तो राज्यों के बीच खाद्यान्न की आवाजाही पर भारी असर पड़ सकता है। इस विरोध प्रदर्शन में एफसीआई के 25,000 में से करीब 20,000 कर्मचारी शामिल हैं, जो बेहतर पेंशन की मांग कर रहे हैं। वर्क टू रूल के तहत केवल निर्धारित कम से कम काम किया जाता है, दूसरे काम नहीं किए जाते हैं। एफसीआई के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि भंडारित अनाज का आवंटन कर उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को चालू रखा है। एक अधिकारी ने कहा, 'आमतौर पर हम हर महीने राज्यों के भीतर और बाहर 30 से 35 लाख टन अनाज भेजते हैं। लेकिन नवंबर में विरोध प्रदर्शन की वजह से मात्रा कम होकर 27 लाख टन रही है, जिसकी भरपाई हम दिसंबर और जनवरी में करने की कोशिश कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'नवंबर और दिसंबर में धान ज्यादा भेजा जाता है, क्योंकि यह पीक खरीद सीजन है। हम इसकी व्यवस्था रेलवे के और अधिक रैक लगाकर कर रहे हैं।' हालांकि ऐसा लगता है कि रेलवे सीमेंट और उर्वरक जैसे अन्य क्षेत्रों में मांग को ज्यादा तरजीह दे रहा है। यह स्थिति कम से कम अगले महीने तक जारी रहने की संभावना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने यह मसला रेलवे के उच्च अधिकारियों के समक्ष भी उठाया था और इसका हल ढूंढने की कोशिश की थी।' उन्होंने कहा कि कुछ आश्वासन मिले हैं, लेकिन यह नहीं कह सकते कि यह कब सामान्य होगा। अक्टूबर के शुरू से 19 दिसंबर तक एफसीआई ने अनाज के करीब 611 रैक रवाना किए, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 935 रैक भेजे गए थे। तृतीय वर्ग के कर्मचारियों के अलावा एफसीआई में नियमित पेरोल पर करीब 50,000 श्रमिक हैं। इसके अलावा करीब 1 लाख अनुबंधित मजदूर हैं। देशव्यापी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सुचारू संचालन के लिए राज्य के भीतर और राज्यों के बीच खाद्यान्न की आवाजाही जरूरी होती है। वर्ष 2012-13 में आवाजाही 11 फीसदी बढ़कर करीब 4.08 करोड़ टन रही, जो एक साल पहले 3.67 करोड़ टन थी। एफसीआई रेलवे और सड़कों के जरिये अनाज को इधर-उधर भेजता है। (BS HIndi)

CCEA okays norms for sugar mills to get interest-free loans

New Delhi, Dec 26. Government today approved modalities for the beleaguered sugar industry to avail interest-free loans to the tune of Rs 6,600 crore from banks for effecting timely payment to cane growers. A week back, the Cabinet Committee on Economic Affairs (CCEA) had given an in-principal approval for providing interest-free loans to cash-starved sugar mills and asked the Food Ministry to finalise the guidelines. "In today's meeting, the CCEA approved the modalities for extending interest-free loans to the sugar industry," Food Minister K V Thomas told reporters after the meeting. The entire interest burden on a loan of about Rs 6,600 crore, estimated at Rs 2,750 crore over the next five years, will be borne by the government from the Sugar Development Fund (SDF), he said. The loan would be disbursed through a separate bank account to ensure the utilisation of money is monitored. The Finance Ministry will issue necessary instructions to banks to operationalise the lending process, including appointment of nodal bank for the purpose, he said. As per the guidelines approved by the CCEA, the loans will be provided by banks to sugar mills exclusively for making payments to sugarcane farmers, including arrears. The loans would be equivalent to the excise duty, cess and surcharge on sugar paid by the mills in the past three years. Mills have to repay the loans in five years and can avail of a moratorium on repayment for the first two years. "No interest subvention (is) to be provided for the period of default in the principal repayments," an official statement said. Loans will be given to sugar mills, which have been functional during the 2013-14 season (October-September). Sugar mills with loans classified as Non Performing Assets (NPA) by the banks will also be eligible for the credit provided the concerned state governments give guarantee for their new loans. All loans which are sanctioned by June 30, 2014 and disbursed by September 30, 2014 by the lending banks, pursuant to this notification, would also be covered under interest subvention facility, the Minister said. The lending will be subject to various norms relating to scrutiny, future cash flows of five years, establishing the viability and debt servicing capacity and conduct of loan including the restructuring guidelines as notified by RBI for sugar industry from time to time. The loans will be backed by security and collateral of the concerned sugar industry availing it, including personal guarantees and other assets of promoters which are free from encumbrances, to be decided by the individual banks. The Rs 80,000-crore sugar industry has been facing a cash crunch due to higher cost of production and lower selling prices in the wake of surplus output over the past few years. Providing interest-free loans to sugar mills was one of the recommendations of the informal group of ministers, which was set up by the Prime Minister under the chairmanship of Agriculture Minister Sharad Pawar to address the industry's cash crunch. Other recommendations that are yet to be considered include the recasting of loans taken by mills, sops to produce 4 million tonnes of raw sugar, setting up a buffer stock and doubling of ethanol blending in petrol to 10 per cent.

Gold drops Rs 275; dips below Rs 30k level after four months

New Delhi, Dec 26. Gold prices dipped below Rs 30,000 per ten grams level the first time in over four months in the national capital today on stockists selling against fall in demand at prevailing higher levels. Gold dropped Rs 275 to Rs 29,900 per ten grams, the level last seen on August 14. However, silver added Rs 310 to Rs 44,000 per kg on increased offtake by industrial units and coin makers. In Mumbai, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity traded lower at Rs 29,940 and Rs 29,800 per ten grams, respectively, while silver enquired at Rs 44,440 per kg. Traders said stockists selling against fall in demand at prevailing higher levels mainly pulled down gold prices. They said sentiment also turned bearish in the absence of any direction from overseas markets following closure for 'Christmas' and 'New Year' holidays. In Delhi, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity tumbled by Rs 275 each to Rs 29,900 and Rs 29,700 per ten grams, respectively. It had gained Rs 125 yesterday. Sovereign held steady at Rs 25,100 per piece of eight grams. On the other hand, silver ready strengthened by Rs 310 to Rs 44,000 per kg and weekly-based delivery by Rs 130 to Rs 44,120 per kg. The white metal had gained Rs 140 in last trade. Silver coins, however, held steady at Rs 84,000 for buying and Rs 85,000 for selling of 100 pieces.

25 दिसंबर 2013

Gold recovers on Christmas demand, global cues

New Delhi, Dec 25. Snapping a two-day losing streak, gold prices recovered by Rs 125 to Rs 30,175 per ten grams in the national capital today on Christmas demand coupled with a firm global trend. Silver followed suit and gained Rs 140 to Rs 43,690 per kg on increased offtake by industrial units. Traders said besides Christmas demand, firm global trend on speculation that this month's price drop may spur more physical buying mainly led to a recovery in precious metals. Gold in New York, which normally sets price trend on the domestic front, rose by 0.5 per cent to USD 1,203.30 an ounce and silver by 0.4 per cent to USD 19.48 an ounce. On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity recovered by Rs 125 each to Rs 30,175 and Rs 29,975 per ten grams, respectively. It had lost Rs 350 in last two trade. Sovereign remained steady at Rs 25,100 per piece of eight gram. In line with a general firm trend, silver ready rebounded by Rs 140 to Rs 43,690 per kg and weekly-based delivery by Rs 250 to Rs 43,990 per kg. The white metal had lost Rs 400 in the previous two sessions. Silver coins, however, held steady at Rs 84,000 for buying and Rs 85,000 for selling of 100 pieces.

अब ऑडिट फर्मों पर निगाह

नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) की प्रवर्तक फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिस (एफटीआईएल) के खिलाफ फिट ऐंड प्रॉपर आदेश जारी करने के बाद वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने इसकी ऑडिट फर्मों और सलाहकारों के खिलाफ कदम उठाने की योजना बनाई है। एफएमसी का यह कदम हिदायत के रूप में हो सकता है। नियामक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'ये कंपनियां हमारे क्षेत्राधिकार में नहीं आती हैं, इसलिए हम उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी नहीं कर सकते। लेकिन इन कंपनियों के खिलाफ हम अपने द्वारा नियमित कंपनियों को हिदायत देंगे।' इस हिदायत में इन कंपनियों द्वारा की गई चूक और गलतियों समेत इनके द्वारा निभाई गई भूमिका के बारे में जानकारी दिए जाने की संभावना है और भविष्य में इनकी सेवाएं न लेने की भी सलाह दी जा सकती है। एफएमसी भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान को भी अलग से पत्र लिख रहा है, जिसमें उससे इन खामियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के लिए कहा जाएगा। पिछले सप्ताह एफटीआईएल और इसके निदेशकों जिग्नेश शाह, जोसेफ मैसी और श्रीकांत जावलगेकर के खिलाफ जारी फिट ऐंड प्रॉपर आदेश में आयोग ने इस बात का जिक्र किया है कि किस तरह वर्ष 2011-12 तक सभी वार्षिक रिपोर्टों में जिग्नेश शाह का नाम मुख्य प्रबंधक कार्मिक के रूप में दिया गया। आयोग ने कहा, 'एनएसईएल की वित्त वर्ष 2012-13 की बैलेंस शीट में शाह को प्रमुख प्रबंधक कार्मिक के रूप में नहीं दिखाया गया है। प्रमुख प्रबंधक कार्मिकों की सूची में उनके नाम के अलावा पूर्व वैधानिक ऑडिटर मैसर्स एस वी घाटालिया ऐंड कंपनी को भी निकाला गया। इसमें मुकेश शाह का नाम जोड़ा गया, जो जिग्नेश शाह के मामा हैं। वैधानिक ऑडिटर की नियुक्ति करना तत्कालीन परिस्थितियों में अनुपयुक्त और आपत्तिजनक है।' 5,600 करोड़ रुपये के भुगतान संकट के बाद मुकेश शाह ने हिस्सेदारों से वित्त वर्ष 2013 के लिए एनएसईएल के खातों पर निर्भर न रहने को कहा था। इसके बाद एफटीआईएल की वैधानिक ऑडिटर डेलॉयट ने भी कहा कि वित्त वर्ष 2013 के एनएसईएल के खाते विश्वसनीय नहीं हैं, क्योंकि पैतृक कंपनी के लाभ का बड़ा हिस्सा एनएसईएल के संचालन से आया है। उपर्युक्त अधिकारी ने कहा, 'जियोजित को एक सलाहकार ने रिपोर्ट दी थी, जिसमें कहा गया था कि एनएसईएल के गोदाम डब्ल्यूडीआरए से मान्यता प्राप्त हैं, जो ठीक नहीं था। हम इन मामलों की जांच करेंगे।' एनएसईएल पर ट्रेडिंग करने वाली ब्रोकर जियोजित कॉमट्रेड की सितंबर, 2012 की रिपोर्ट में विभिन्न जोखिमों और उपायों का सुझाव दिया गया है। अन्स्र्ट ऐंड यंग, डेलॉयट और मुकेश शाह ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया है और उन्होंने कहा है कि उन्होंने एनएसईएल में सभी नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया है। (BS Hindi)

24 दिसंबर 2013

100 रु किलो प्याज से महंगाई के तड़के तक, रुलाता गया साल 2013

खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी से जन साधारण की जेब तो ढीली हुई ही, इससे वर्ष 2013 का आखीर आते आते संप्रग सरकार को भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। संप्रग को चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार के साथ इसकी कीमत चुकानी पड़ी और यदि महंगाई पर नियंत्रण नहीं हुआ, तो अगले साल आम चुनाव में भी इसका असर पड़ सकता है। इस साल कुछ राज्यों में प्याज 100 रुपए प्रति किलो के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया था। टमाटर भी बीच में 80 रुपए प्रति किलो तक चढ गया था। सब्जियों और रसोईं में काम आने वाली अन्य खाद्य सामग्रियों के दाम चढने से खाद्य मुद्रास्फीति दहाई अंक में पहुंच गयी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में 11.24 प्रतिशत रही। रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दर बढ़ाकर अपनी ओर से मंहगाई दर कम करने की नीतिगत कोशिश करता रहा लेकिन इसका बहुत असर नहीं रहा और लगा कि मुद्रास्फीति ने पांव गड़ा लिया है। चिदंबरम ने कहा था खाद्य मुद्रास्फीति पर लगाम लगाना का कोई आसान तरीका नही है, मुद्रास्फीति पर फौरन काबू पाने का कोई तरीका नहीं है। मुक्षे आशंका है कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में कुछ समय लगेगा। हम इसकी राजनीतिक कीमत चुका रहे हैं। मैं इसे स्वीकार करता हूं लेकिन यह यह सच्चाई है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में 7.52 प्रतिशत थी जो पिछले 14 महीने का उच्चतम स्तर है। सब्जियों, विशेष तौर पर प्याज के दाम पूरे साल तेज रहे। नवंबर में प्याज की कीमतें एक साल पहले की तुलना में 190 प्रतिशत (करीब तीन गुना) थीं और सब्जी खंड की मुद्रास्फीति 95.25 प्रतिशत रही। मंहगाई जहां आम आदमी को परेशान कर रही थी वहीं कांग्रेस को दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनाव में हार की जो वजहें बताईं उनमें मंहगाई भी शामिल है। मई 2014 में आम चुनाव होने वाले हैं। खाद्य महंगाई संप्रग के लिए लगातार तीसरी जीत हासिल करने की की राह में बड़ी चुनौती पेश कर सकती है। चिदंबरम ने कहा था सबको पता है कि आज की सरकार उच्च मुद्रास्फीति की कीमत चुकाएगी, विशेष तौर पर तब यदि मुद्रास्फीति लंबे समय तक बरकरार रहती है। आरबीआई गवर्नर मुद्रास्फीति से साल भर लड़ते रहे। केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए रेपो दर में कई बार बढ़ोतरी की। इससे आर्थिक वद्धि की संभावना पर असर हुआ। आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव की सख्त मौद्रिक नीति उद्योग और विशेषज्ञों को अच्छी नहीं लगी थी। सुब्बाराव ने कहा था देश में करोड़ों लोग हैं जो मुद्रास्फीति से प्रभावित हैं। गरीबों के लिए मुद्रास्फीति अन्यायपूर्ण कर है। इसका असर हमारे जैसे लोगों की बजाय गरीबों पर ज्यादा असर होता है। हमें उन खामोश लोगों की आवाज सुनने की जरूरत है। सुब्बाराव को लगातार मुद्रास्फीति पर ध्यान देने के कारण सरकार में बैठे लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ी। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एक बार यहां तक कहा था कि यदि सरकार को वृद्धि की राह पर अकेले चलना है तो वह ऐसा करने के लिए तैयार है। इधर सुब्बाराव ने सेवानिवृत्ति के समय चुटकी लेते हुए कहा मुझे उम्मीद है कि वित्त मंत्री चिदंबरम किसी दिन कहेंगे, मैं रिजर्व बैंक से अक्सर परेशान रहता हूं, इतना निराश कि मैं सैर पर जाना चाहता हूं चाहे मुझे अकेले ही क्यों न चलना पड़े। लेकिन भला हो भगवान का कि रिजर्व बैंक वजूद है। जब पूर्व आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन ने सितंबर में सुब्बाराव के बाद आरबीआई के गवर्नर का पद ग्रहण किया, तो उम्मीद बंधी कि मुख्य दरों में कटौती से वृद्धि प्रोत्साहित होगी। राजन ने पद ग्रहण करने के बाद मौद्रिक नीति की लगातार दो समीक्षाओं में मुख्य दरों में 0.25-0.25 प्रतिशत की वृद्धि की। 18 दिसंबर को अपनी तीसरी समीक्षा बैठक राजन ब्याज दर नहीं बढाई और कहा कि मुद्रास्फीति में गिरावट के संकेत हैं। Business Bhaskar

मेंथा तेल में बिकवाली से कमाएं मुनाफा

आर एस राणा : नई दिल्ली... | Dec 24, 2013, 10:30AM IST निर्यातकों के साथ ही घरेलू उद्योग की मांग कमजोर होने से मेंथा तेल की कीमतों में गिरावट बनी हुई है। महीने भर में उत्पादक मंडियों में इसकी कीमतों में करीब 100 रुपये की गिरावट आई है और भाव 850 से 925 रुपये प्रति किलो रह गए। उत्पादक मंडियों में मेंथा तेल का बकाया स्टॉक ज्यादा है, साथ ही सिंथेटिक तेल की खपत बढ़ रही है। ऐसे में घरेलू बाजार में मेंथा तेल की कीमतों में और भी 5 से 7 फीसदी की गिरावट आने की संभावना है। इसलिए निवेशक मौजूदा कीमतों पर बिकवाली करके मुनाफा कमा सकते हैं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में चालू महीने में मेंथा तेल की कीमतों में 5.1 फीसदी की गिरावट आई है। दो दिसंबर को जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में मेंथा तेल का भाव 889 रुपये प्रति किलो था जबकि शुक्रवार को भाव घटकर 843 रुपये प्रति किलो रह गया। एग्री विश्लेषक अभय लाखवान ने बताया कि उत्पादक मंडियों में मेंथा तेल का बकाया स्टॉक मांग के मुकाबले ज्यादा है। इसलिए स्टॉकिस्टों की बिकवाली बनी होने से मौजूदा कीमतों में और भी 75 से 100 रुपये प्रति किलो की गिरावट आने की संभावना है। एसेंशियल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष जुगल किशोर ने बताया कि सिंथेटिक तेल की खपत ज्यादा होने से मेंथा क्रिस्टल बोल्ड में मांग कम है जबकि चालू सीजन में पैदावार ज्यादा हुई है। विश्व में कई बड़ी कंपनियों ने मेंथा तेल के बजाए सिंथेटिक तेल का उपयोग शुरू कर दिया है क्योंकि मेंथा तेल के मुकाबले सिंथेटिक तेल की कीमतें करीब 200 से 250 रुपये प्रति किलो कम है। कुल खपत में करीब 15 से 20 फीसदी सिंथेटिक तेल की खपत हो रही है। ग्लोरियस केमिकल के प्रबंधक अनुराग रस्तोगी ने बताया कि मांग के मुकाबले स्टॉक ज्यादा होने से मेंथा तेल में बिकवाली बराबर बनी हुई है। इस समय मेंथा तेल की दैनिक आवक 350 से 400 ड्रम (एक ड्रम-180 किलो) की हो रही है इसके अनुपात में मांग कमजोर है। चंदौसी मंडी में शुक्रवार को मेंथा तेल का भाव घटकर 850-925 रुपये प्रति किलो रह गया। उत्तर प्रदेश मेंथा उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष फूल प्रकाश ने बताया कि चालू सीजन में मेंथा तेल का उत्पादन बढ़कर 65,000 से 70,000 टन होने का अनुमान है जो पिछले साल की तुलना में 15 से 20 फीसदी अधिक है। उत्पादन तो ज्यादा हुआ ही था, साथ ही नई फसल के समय स्टॉकिस्टों के पास बकाया स्टॉक भी बचा हुआ था जिससे कुल उपलब्धता मांग से कही ज्यादा है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) के दौरान 10,650 टन मेंथा उत्पादों का निर्यात हुआ है जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 158 फीसदी ज्यादा था। (Business Bhaskar.....R S Rana)

प्याज 10 से कम, किसानों को गम

उपभोक्ताओं के बाद अब गिरती कीमतों के कारण किसानों की बदहाली की बारी है। महाराष्ट्र में एशिया की दो सबसे बड़ी मंडियों- लासलगांव और पिंपलगांव में किसानों के आग्रह पर नए सीजन की फसल की नीलामी रोकनी पड़ी, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि कीमतें और गिरें। लेकिन दो दिन बाद जब सोमवार को प्याज की नीलामी फिर से शुरू हुई तो स्थितियों में ज्यादा बदलाव नहीं आया। प्याज की कीमतों में गिरावट जारी रही और यह जिंस दोनों बेंचमार्क मंडियों में 3 रुपये प्रति किलोग्राम गिरकर 9.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। इस महीने के दौरान देशभर में प्याज की कीमतें आधी हो चुकी हैं। महज छह सप्ताह पहले उपभोक्ताओं को एक किलोग्राम प्याज के लिए 100 रुपये चुकाने पड़ रहे थे। उस समय बाजार में प्याज की किल्लत थी। लंबे समय तक बारिश के जारी रहने से प्याज की कटाई देरी से हुई और इसकी वजह से ही आपूर्ति कम थी। लेकिन ऊंची कीमत का फायदा उठाने के लिए परिपक्व होने से पहले ही कटाई करने वाले किसानों को अब कीमतों में गिरावट की मार झेलनी पड़ रही है। पिंपलगांव की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के निदेशक अतुल शाह ने कहा, 'महाराष्ट्र की एक प्रमुख मंडी पिंपलगांव में कारोबारियों ने गिरती कीमतों की वजह से प्याज की नीलामी रोक दी थी। इसकी कीमत पिंपलगांव में 8.70 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई थी। कीमतों में और गिरावट के आसार होने की वजह से किसानों के आग्रह पर मंडी ने नीलामी रोकी थी। लेकिन किसानों के पास कम कीमत पर बेचने के अलावा कोई चारा नहीं है, क्योंकि प्याज की कीमतें देशभर की मंडियों में गिर रही हैं।' न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में कमी के बाद शुरुआत में कीमतों में थोड़ी तेजी आई थी, लेकिन सोमवार को नए सीजन की फसल की आवक बढऩे से कीमतों में भारी गिरावट रही। बेंचमार्क लासलगांव मंडी में कीमतें 3 रुपये गिरकर 9.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गईं, जो सोमवार को 12 रुपये प्रति किलोग्राम थीं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में 56 फीसदी कमी कर इसे 800 डॉलर प्रति टन से 350 डॉलर प्रति टन करने के बाद प्याज के दाम 50 पैसे प्रति किलोग्राम बढ़कर 12 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गए थे। कारोबारियों का मानना है कि एमईपी को घटाकर 350 डॉलर प्रति टन करना कारगर नहीं साबित होगा, क्योंकि इस जिंस की कीमत भारत द्वारा निर्धारित कीमत से भी कम चल रही है। भारत से बागवानी उत्पादों के निर्यात का प्रतिनिधित्व करने वाली मुंबई की कारोबारी संस्था होर्टिकल्चर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एचईए) के अध्यक्ष अजित शाह ने कहा, 'ज्यादातर आयातक बाजारों में प्याज की कीमत 250 डॉलर प्रति टन है। इस कीमत पर भी पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को भारत से ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि उनकी स्थानीय मुद्रा में डॉलर की कीमत ज्यादा है। इसलिए हम अप्रतिस्पर्धी होंगे।Ó डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 62 पर है, जबकि पाकिस्तान रुपया 104 पर है। इसका मतलब है कि अगर पाकिस्तानी निर्यातकों को आयातक देशों से प्याज की कीमत भारत जितनी भी मिल जाती है तो यह उनके लिए ज्यादा होगी। (BS Hindi)

लक्ष्य से ज्यादा रहेगी चावल की सरकारी खरीद

आर.एस.राणा नई दिल्ली | Dec 24, 2013, 10:30AM IST उम्मीद से ज्यादा : 313.34 के लक्ष्य के मुकाबले 370 लाख टन खरीद संभव चालू खरीफ विपणन सीजन 2013-14 में चावल की सरकारी खरीद खाद्य मंत्रालय के लक्ष्य से 18% ज्यादा होने का अनुमान है। मंत्रालय ने एमएसपी पर 313.34 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य तय किया है जबकि वास्तव में यह आंकड़ा 370 लाख टन तक जा सकता है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वास्तविक खरीद लक्ष्य से 57-58 लाख टन ज्यादा होने का अनुमान है। आंध ्रप्रदेश, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में खरीद ज्यादा होगी। आंध्र प्रदेश में खरीद का लक्ष्य 40 लाख टन का है जो 65 से 70 लाख टन तक जा सकता है। उड़ीसा में लक्ष्य 26.50 लाख टन है जबकि खरीद 35-36 लाख टन होने की संभावना है। पंजाब, हरियाणा में खरीद तय लक्ष्य के करीब पहुंच गई है और द. भारत और छत्तीसगढ़ में खरीद बढ़ रही है। पंजाब में 83 लाख टन लक्ष्य के मुकाबले एमएसपी पर अभी तक 81.02 लाख टन चावल की खरीद हो चुकी है। हरियाणा में लक्ष्य 23.95 लाख टन का था। आंध्र प्रदेश में 9.57 लाख टन, छत्तीसगढ़ में 14.09 लाख टन, एमपी से 3.74 लाख टन और यूपी से 2.12 लाख टन की खरीद हुई है। (Business Bhaskar...R S Rana)

एनएसईएल ने बैंकों से 11 करोड़ रुपये वितरित करने को कहा

नैशनल स्पॉट एक्सचेंज ने बैंकों से 11 करोड़ रुपये वितरित करने को कहा है। जिंस बाजार को यह राशि निपटान समझौते के तहत मोहन इंडिया से प्राप्त हुई है। एक्सचेंज ने अपने चूककर्ता सदस्य से प्राप्त 11 करोड़ रुपये बांटने के संबंध में पिछले सप्ताह वायदा बाजार आयोग से मंजूरी प्राप्त की थी। निपटान समझौते के तहत यह राशि मोहन इंडिया समूह से प्राप्त की गई है। यह राशि एस्क्रो खाते में 2 नवंबर 2013 से पड़ी है। एनएसईएल ने बयान में कहा कि एफएमसी से मंजूरी मिलने के बाद बैंकों को मोहन इंडिया से प्राप्त 11 करोड़ रुपये वितरित करने को कहा गया है। दिल्ली के सदस्य मोहन इंडिया लि. अंतिम निपटान के तहत करीब 771 करोड़ रुपये अगले एक साल में देने पर सहमत हुई है। कंपनी ने 11 करोड़ रुपये का भुगतान किया है और शेष राशि करीब एक साल में दी जाएगी। कंपनी पर कुल 950 करोड़ रुपये बकाया है। अब तक एनएसईएल ने 263.50 करोड़ रुपये का निपटान किया है। उस पर 13,000 निवेशकों के करीब 5,600 करोड़ रुपये बकाए हैं।

रुपये में जारी है मजबूती, 61.79 पर बंद

डॉलर के मुकाबले रुपये में आज के कारोबार के शुरुआत से ही मजबूती बनी रही। हालांकि कारोबार के अंत में रुपये की मजबूती कुछ कम हो गई। अंत में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे की मजबूती के साथ 61.79 के स्तर पर बंद हुआ है। आज डॉलर के मुकाबले रुपया 61.83 के स्तर पर खुला था। वहीं सोमवार के कारोबारी सत्र में डॉलर के मुकाबले रुपया 61.95 के स्तर पर बंद हुआ था। एसएमसी कॉमट्रेड के रवि सिंह का कहना है कि जब तक डॉलर के मुकाबले रुपया 61.50 का स्तर नहीं तोड़ता तब तक रुपये में जोरदार मजबूती के आसार कम हैं।

Sharma for easing gold import norms to check smuggling

New Delhi, Dec 24. Advocating relaxation of gold import norms to check smuggling, Commerce and Industry Minister Anand Sharma said the government will take action at an appropriate time. "There is a mechanism to periodically review it (gold import norms). We will take an appropriate view as and when required," Sharma told PTI. In order to check rising Current Account Deficit (CAD), the government has raised import duties and the RBI had imposed curbs on import of the yellow metal and also laid down various pre-conditions for inward shipments of the precious metal. "We need a balanced approach. We are allowing gold imports for the industry usage. I don't think they can be drastically brought down...that is why, I have always favoured a balance, so that we do not run the risk of illicit trade i.e. smuggling of gold," Sharma said. The government, he said, needs to ensure that the genuine demands are met and at the same time import is curbed to save foreign exchange. Gems and jewellery exporters, which accounts for about 15 per cent of the country's total shipments, raised concerns over the restrictions on the imports of the yellow metal and demanded easing of the norms. Commerce Secretary S R Rao has also asked Economic Affairs Secretary Arvind Mayaram to consider easing the curbs to push exports. In the April-October period, gems and jewellery exports stood at USD 24 billion. Yesterday, in an interview to a television channel, Reserve Bank of India Governor Raghuram Rajan too said that gold smuggling into India will rise if the import curbs continue for too long.

Gold, silver drop further on sustained selling, global cues

New Delhi, Dec 24. Extending losses for the second straight day, gold fell by Rs 175 to Rs 30,050 per ten grams in the national capital today on sustained selling by stockists amid weakening global trend. Silver also declined for the second consecutive session by Rs 120 to Rs 43,740 per kg on reduced offtake by jewellers and industrial units. Traders said sustained selling by stockists on the back of sluggish demand mainly kept pressure on precious metals. Weak global trend, where gold traded below USD 1200 as investor holdings retreated and US equities climbed to a record high amid signs of an improving economy, further dampened the sentiment, they said. Gold in Singapore, which normally sets price trend on the domestic front, traded at USD 1,199.10 an ounce and silver dropped 0.5 per cent to USD 19.37 an ounce. Besides, strengthening rupee against the American currency, which makes the dollar-priced precious metal's import cheaper, too influenced the sentiment, they added. On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity remained under selling pressure and lost another Rs 175 each at Rs 30,050 and Rs 29,850 per ten grams, respectively. It had lost Rs 175 yesterday. Sovereign, however, held steady at Rs 25,100 per piece of eight gram in limited deals. Similarly, silver ready declined by Rs 120 to Rs 43,550 per kg and weekly-based delivery by Rs 230 to Rs 43,740 per kg. The white metal had shed Rs 280 in the previous session. Silver coins followed suit and dropped by Rs 1,000 to Rs 84,000 for buying and Rs 85,000 for selling of 100 pieces.

21 दिसंबर 2013

टूट रहा है सोना, और कितना होगा सस्ता

पिछले 13 साल में पहली बार नेगेटिव रिटर्न देने जा रहे है सोने का आगे का आउटलुक भी खराब है। दुनिया भर के जानकारों का यही मानना है कि सोने में कम से कम अगला साल भी गिरावट भरा रह सकता है। साफ है कि सोना गिरावट दिखा सकता है और सस्ता हो सकता है लेकिन कितना, सबके जेहन में यही सवाल है। इसी सवाल का जवाब जानने के लिए सीएनबीसी आवाज़ लेकर आया है खास पेशकश सोना होगा सस्ता। गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि सोने का भाव और घट सकता है। उनके मुताबिक 2014 तक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव 1050 डॉलर तक फिसल सकता है। यानी एक साल के अंदर सोने की कीमत में मौजूदा स्तर से करीब 12 फीसदी की गिरावट आ सकती है। गोल्डमैन सैक्स ने फिर से आगाह किया है अमेरिकी इकोनॉमी में सुधार की वजह से सोने में गिरावट देखी जाएगी। दूसरी ओर साल 2000 से लगातार चढ़ने वाला सोना, निवेश कम होने की वजह से इस साल गिरावट झेलने वाला है। वायदा बाजार में भी रुझान गिरावट का ही है। अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के ऐलान के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव 6 महीने के निचले स्तर पर बना हुआ है। कॉमेक्स पर ये 1190 डॉलर का निचला स्तर भी छू चुका है। इस हफ्ते इसकी कीमतों में करीब 4 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। वहीं घरेलू बाजार में भाव 28500 रुपये के नीचे फिसल गए हैं। पैराडाइम कमोडिटीज के सीईओ बीरेन वकील का कहना है कि अगर सोना 1177 डॉलर प्रति औंस का स्तर तोड़ता हैं तो सोने में भारी गिरावट आ सकती है। जनवरी के पहले हफ्ते में सोने में ज्यादा स्पष्टता देखने को मिल सकती है। अगर सोने में सालाना क्लोजिंग 1180 डॉलर के नीचे आती है तो वित्त वर्ष 2014 की आखिरी तिमाही में सोने में 1045 डॉलर तक के निचले स्तर भी देखे जा सकते हैं। एंजेल कमोडिटीज के एसोसिएट डायरेक्टर नवीन माथुर का कहना है कि सोने में लगातार बढ़ती गिरावट को देखते हुए आगे चलकर 1100-1000 डॉलर तक के स्तर देखने को मिल सकते हैं। फेड ने टेपरिंग शुरु कर दी है और इसकी वजह से डॉलर मजबूत होगा। साथ ही अमेरिकी इकोनॉमी भी सुधर रही है जिससे डॉलर को सहारा मिलेगा। अगर डॉलर मजबूत होता है तो सोना कमजोर होगा। निवेशकों को सोने की मांग में कमी देखने को मिलेगी। पिछले 1 साल से गोल्ड ईटीएफ की मांग में भी कमी ही देखने को मिली है। इन सब से साफ है कि 2014 में भी सोने में गिरावट का ही रुझान देखने को मिलेगा। बॉम्बे ज्वेलर्स एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट कुमार जैन का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा पूंजी में कमी करने के चलते सोने में गिरावट ही देखी जाएगी। इसके अलावा देश में सोने में पिछले 3 साल से दाम 29000-30000 रुपये के बीच ही रहा है। देश में सोने में निवेश करने वाले लोगों में निराशा है। अगर देश में इंपोर्ट ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी का यही हाल रहा तो आगे चलकर सोने में और गिरावट आ सकती है। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि अगले 4 महीने में घरेलू बाजार में सोना 26,000 रुपये तक जा सकता है। (Hindi>moneycantorl.com)

मुंबई हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे जिग्नेश शाह

एफएमसी के जिग्नेश शाह को एमसीएक्स चलाने के लिए अनफिट करार देने के 3 दिन के अंदर फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज मुंबई हाई कोर्ट पहुंच गई है। अपनी अर्जी में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज ने आरोप लगाया है कि एफएमसी ने जिग्नेश शाह के साथ न्याय नहीं किया और सुनवाई से पहले ही एफएमसी ने जिग्नेश शाह और दूसरे डायरेक्टर को अनफिट घोषित करार दे दिया। एमसीएक्स के बाद अब जिग्नेश की पकड़ एमसीएक्स-एसएक्स से भी खत्म होती दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक खबर मिली है कि सेबी ने फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज से पूछा गया है कि फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज को स्टॉक एक्सचेंज चलाने के लिए फिट और प्रॉपर क्यों माना जाए। साथ ही ये भी पूछा गया है कि फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज के खिलाफ एक्शन क्यों नहीं लिया जाए। सेबी ने नोटिस में पूछा है कि फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज की स्टॉक एक्सचेंज में हिस्सेदारी बेचने के निर्देश क्यों नहीं दिए जाएं। हम आपको बता दें कि फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज की एमसीएक्स-एसएक्स, एमसीएक्स-एसएक्स क्लीरिंग कॉर्प, बीएसई और वडोदरा स्टॉक एक्सचेंज में हिस्सेदारी है। फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी को सेबी को 26 दिसंबर तक जवाब देना है। (Hindi.Moneycantrol.com)

गेहूं की बुवाई लक्ष्य के करीब, चना व सरसों का भी रकबा ज्यादा

चालू रबी में गेहूं की बुवाई बढ़कर 273.97 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जो तय लक्ष्य 280 लाख हैक्टेयर के करीब पहुंच चुकी है। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई बढ़कर 67.53 लाख हैक्टेयर में और चना की बुवाई बढ़कर 86.91 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। ऐसे में चालू रबी में गेहूं के साथ ही चना और सरसों की पैदावार बढऩे का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी फसलों की कुल बुवाई बढ़कर 536.37 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 507.26 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बढ़कर 273.97 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 253.20 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में गेहूं की बुवाई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है। उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई बढ़कर 88.64 लाख हैक्टेयर में, पंजाब में 34 लाख हैक्टेयर में, मध्य प्रदेश में 51.93 लाख हैक्टेयर में, हरियाणा में 24.33 लाख हैक्टेयर में और राजस्थान में 25.23 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। तिलहनों की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 79.50 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 76.30 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई पिछले साल के 63.65 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 67.53 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। दलहन की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 126.84 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 121.22 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 86.91 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 83.04 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। चालू रबी में मोटे अनाजों की बुवाई जरूर पिछड़ रही है। मोटे अनाजों की बुवाई अभी तक केवल 53.92 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 54.81 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। ज्वार की बुवाई चालू रबी में केवल 35.30 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 37.54 लाख हैक्टेयर में ज्वार की बुवाई हो चुकी थी। रबी में धान की रोपाई 1.63 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। (Business Bhaskar....R S Rana)

मेंथा तेल में बिकवाली से कमाएं मुनाफा

आर एस राणा : नई दिल्ली... | Dec 21, 2013, 00:02AM IST निर्यातकों के साथ ही घरेलू उद्योग की मांग कमजोर होने से मेंथा तेल की कीमतों में गिरावट बनी हुई है। महीने भर में उत्पादक मंडियों में इसकी कीमतों में करीब 100 रुपये की गिरावट आई है और भाव 850 से 925 रुपये प्रति किलो रह गए। उत्पादक मंडियों में मेंथा तेल का बकाया स्टॉक ज्यादा है, साथ ही सिंथेटिक तेल की खपत बढ़ रही है। ऐसे में घरेलू बाजार में मेंथा तेल की कीमतों में और भी 5 से 7 फीसदी की गिरावट आने की संभावना है। इसलिए निवेशक मौजूदा कीमतों पर बिकवाली करके मुनाफा कमा सकते हैं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में चालू महीने में मेंथा तेल की कीमतों में 5.1 फीसदी की गिरावट आई है। दो दिसंबर को जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में मेंथा तेल का भाव 889 रुपये प्रति किलो था जबकि शुक्रवार को भाव घटकर 843 रुपये प्रति किलो रह गया। एग्री विश्लेषक अभय लाखवान ने बताया कि उत्पादक मंडियों में मेंथा तेल का बकाया स्टॉक मांग के मुकाबले ज्यादा है। इसलिए स्टॉकिस्टों की बिकवाली बनी होने से मौजूदा कीमतों में और भी 75 से 100 रुपये प्रति किलो की गिरावट आने की संभावना है। एसेंशियल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष जुगल किशोर ने बताया कि सिंथेटिक तेल की खपत ज्यादा होने से मेंथा क्रिस्टल बोल्ड में मांग कम है जबकि चालू सीजन में पैदावार ज्यादा हुई है। विश्व में कई बड़ी कंपनियों ने मेंथा तेल के बजाए सिंथेटिक तेल का उपयोग शुरू कर दिया है क्योंकि मेंथा तेल के मुकाबले सिंथेटिक तेल की कीमतें करीब 200 से 250 रुपये प्रति किलो कम है। कुल खपत में करीब 15 से 20 फीसदी सिंथेटिक तेल की खपत हो रही है। ग्लोरियस केमिकल के प्रबंधक अनुराग रस्तोगी ने बताया कि मांग के मुकाबले स्टॉक ज्यादा होने से मेंथा तेल में बिकवाली बराबर बनी हुई है। इस समय मेंथा तेल की दैनिक आवक 350 से 400 ड्रम (एक ड्रम-180 किलो) की हो रही है इसके अनुपात में मांग कमजोर है। चंदौसी मंडी में शुक्रवार को मेंथा तेल का भाव घटकर 850-925 रुपये प्रति किलो रह गया। उत्तर प्रदेश मेंथा उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष फूल प्रकाश ने बताया कि चालू सीजन में मेंथा तेल का उत्पादन बढ़कर 65,000 से 70,000 टन होने का अनुमान है जो पिछले साल की तुलना में 15 से 20 फीसदी अधिक है। उत्पादन तो ज्यादा हुआ ही था, साथ ही नई फसल के समय स्टॉकिस्टों के पास बकाया स्टॉक भी बचा हुआ था जिससे कुल उपलब्धता मांग से कही ज्यादा है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) के दौरान 10,650 टन मेंथा उत्पादों का निर्यात हुआ है जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 158 फीसदी ज्यादा था। (Business Bhaskar....R S Rana)

सोने के आयात में सिर्फ 14,000 करोड़ की कमी

क्या कहते हैं आंकड़े 1.74 लाख करोड़ रुपये का आयात जनवरी-जुलाई के दौरान 18,000 करोड़ रुपये का सोना आयात हुआ अगस्त-नवंबर, 2013 के दौरान 1,61,376 किलो सोना आयात हुआ मई, 2013 में 1,42,462 किलो सोना आयात हुआ अप्रैल, 2013 में सरकार द्वारा चालू खाता घाटा (कैड) को कम करने की योजना के तहत सोने के आयात पर ड्यूटी बढ़ाने और प्रतिबंध लगाने के बावजूद भी कोई खास सफलता हासिल नहीं हुई है। साल 2012 की तुलना करें तो इस साल जनवरी से नवंबर तक जो सोना आयात हुआ है, उसमें महज 14,000 करोड़ रुपये की कमी आई है। हालांकि जनवरी से जुलाई के दौरान पिछले साल की तुलना में काफी वृद्धि हुई है। सूचना अधिकार के तहत सुभाष अग्रवाल के द्वारा मांगी गई जानकारी के मुताबिक साल 2012 मेंं जनवरी से नवंबर के बीच कुल 2.06 लाख करोड़ रुपये के सोने का आयात हुआ जबकि इस साल इसी अवधि में 1.92 लाख करोड़ रुपये का सोना आयात हुआ है। सरकार ने चूंकि जुलाई-अगस्त से सोने पर ड्यूटी बढ़ानी शुरू की थी, पर उसके पहले इस साल काफी सोना आयात हो चुका था। जनवरी से जुलाई के बीच इस साल कुल 1.74 लाख करोड़ रुपये का सोना आयात किया गया जबकि पिछले साल यह आंकड़ा इसी अवधि में महज 1.20 लाख करोड़ रुपये था। यानी इस दौरान करीबन 54 हजार करोड़ रुपये का सोना अधिक आयात हुआ। इस साल सबसे अधिक सोना 1,61,376 किलो मई में आयात किया गया था जिसकी कुल वैल्यू 40,868 करोड़ रुपये थी। जबकि अप्रैल में ३६,२२३ करोड़ के 1,42,462 किलो सोना आयात हुआ। यानी करीब 40 फीसदी से अधिक सोना तो केवल दो महीने में ही आयात किया गया। जबकि अगस्त से नवंबर तक महज 18,000 करोड़ रुपये का ही सोना आयात हुआ है। पिछले साल सबसे अधिक सोना अक्टूबर में 98,902 किलो आयात किया गया था जबकि दिसंबर में 94,860 किलो और जनवरी में 89,712 किलो सोना आयात किया गया था। यानी पूरे साल के 40 फीसदी से अधिक का सोना इन तीन महीनों में आयात किया गया जो 72 हजार करोड़ रुपये से अधिक का था। (Business Bhaskar)

Gold recovers on low-level buying, global cues

New Delhi, Dec 21. Gold prices recovered by Rs 240 to Rs 30,400 per ten grams in the national capital today on emergence of buying at existing lower levels amid a firm global trend. Silver also snapped three-day losing streak by gaining Rs 450 to Rs 43,950 per kg on increased offtake by industrial units and coin makers. Traders said emergence of buying at existing lower levels amid a firm global trend, spurred by the Federal Reserve's decision to taper stimulus, mainly led to a recovery in precious metals. Gold in New York, which normally sets price trend on the domestic front, rose by 0.8 per cent to USD 1,203.70 an ounce and silver by 1.4 per cent to USD 19.45 an ounce. On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity recovered by Rs 240 to Rs 30,400 and Rs 30,200 per ten grams, respectively. It had lost Rs 270 in last two sessions. Sovereign, however, held steady at Rs 25,150 per piece of eight gram. In line with a general firm trend, silver ready rebounded by Rs 450 to Rs 43,950 per kg and weekly-based delivery by Rs 200 to Rs 44,000 per kg. The white metal had lost Rs 1,580 in the previous three sessions. Silver coins also jumped up by Rs 1,000 to Rs 85,000 for buying and Rs 86,000 for selling of 100 pieces.

19 दिसंबर 2013

नवंबर में सोने के आयात में भारी गिरावट

देश में सोने का आयात नवंबर में भारी गिरावट के साथ 5,619 करोड़ रुपये पर आ गया। इससे सरकार की सोने के आयात पर अंकुश की नीति की सफलता का संकेत मिलता है। पिछले साल नवंबर में सोने का आयात 25,272 करोड़ रुपये का रहा था। यह जानकारी वित्त मंत्रालय ने सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल को दी है। हालांकि मंत्रालय ने कहा है कि इन आंकड़ों में इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज (ईडीआई) की सूचना ही शामिल है। इनमें मैनुअल आंकड़े शामिल नहीं हैं। सरकार ने सोने के आयात पर शुल्क की दर जनवरी, 2012 के 2 प्रतिशत से बढ़ाकर इस साल अगस्त में 10 फीसदी कर दी। इसके अलावा सोने के आयात पर अंकुश के लिए कई अन्य कदम उठाए गए हैं। भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक है। 2012-13 में देश का सोने का आयात 830 टन रहा था। (BS Hindi)

गेहूं बिक्री की समीक्षा करेगी केंद्र सरकार

ओएमएसएस में आवंटित 85 लाख टन में से सिर्फ 19 लाख टन गेहूं की बिक्री खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत केंद्रीय पूल से गेहूं की बिक्री बढ़ाने पर विचार किया जायेगा। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) की 18 दिसंबर को प्रस्तावित बैठक में इस आशय पर चर्चा की जायेगी। ओएमएसएस के तहत केंद्रीय पूल से अभी तक 19.53 लाख टन गेहूं की बिक्री ही निविदा के माध्यम से हो पाई है जबकि केंद्रीय पूल ने ओएमएसएस के तहत 85 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला किया था। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि केंद्रीय पूल से गेहूं की बिक्री पर गठित ईजीओएम की बैठक में ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री की समीक्षा की जायेगी। केंद्रीय पूल से गेहूं की बिक्री की हर सप्ताह समीक्षा करने के लिए सचिव स्तर की कमेटी बनाई गई है जिसकी अभी तक आठ बैठकें हो चुकी है तथा 9वीं बैठक 18 दिसंबर को होनी प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि ओएमएसएस में गेहूं की बिक्री की समीक्षा के लिए ईजीओएम की पहली बैठक भी 19 दिसंबर को होगी जिसमें केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के अलावा केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम, खाद्य एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि ओएमएसएस के तहत अभी तक कुल 19.53 लाख टन गेहूं की बिक्री हुई है। इसके अलावा स्मॉल ट्रेडर्स में कुछ गेहूं की बिक्री हुई है। (Business Bhaskar./...R S Rana)

खाद्यान्न का बफर स्टॉक दोगुना करने की तैयारी

आर एस राणा : नई दिल्ली | Dec 19, 2013, 11:42AM IST एक्स्ट्रा बर्डन : इस कदम से सरकारी खजाने पर 9,719 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी का पड़ेगा बोझ ज्यादा स्टॉक क्यों <+> मंत्रालय का मत, सभी राज्यों में खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद बढ़ेगा खाद्यान्न आवंटन <+> पीडीएस और कल्याणकारी योजनाओं में भी लगातार बढ़ रहा है खाद्यान्न का उठाव <+> इसी के मद्देनजर केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का बफर स्टॉक बढ़ाने का लिया गया है निर्णय 333 लाख टन अनाज का बफर स्टॉक होगा पहली जनवरी को 129.6 लाख टन चावल व 203.4 लाख टन गेहूं को मिलाकर 2005 के बाद से ही खाद्यान्न के बफर स्टॉक में बढ़ोतरी नहीं की गई है, जबकि इस दौरान पीडीएस में बढ़ा है खाद्यान्न आंवटन सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं में बढ़ते आवंटन को देखते हुए केंद्रीय पूल में खाद्यान्न के बफर स्टॉक को दोगुना करने की तैयारी है। खाद्य मंत्रालय द्वारा तैयार नोट के अनुसार, इससे सरकारी खजाने पर लगभग त्र9,719 करोड़ की अतिरिक्त सब्सिडी का बोझ पड़ेगा। आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की गुरुवार को प्रस्तावित बैठक में इस पर फैसला होने की संभावना है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'बिजनेस भास्कर' को बताया कि देश के सभी राज्यों में खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद खाद्यान्न आवंटन बढ़ेगा। इसके अलावा पीडीएस और कल्याणकारी योजनाओं में भी खाद्यान्न का उठाव लगातार बढ़ रहा है। इसलिए सरकार ने केंद्रीय पूल में खाद्यान्न के बफर स्टॉक को बढ़ाने का फैसला किया है। इससे सरकार पर करीब 9,719 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी का भार पड़ेगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 के बाद से खाद्यान्न के बफर स्टॉक में बढ़ोतरी नहीं की गई है जबकि इस दौरान पीडीएस में खाद्यान्न का आंवटन बढ़ा है। खाद्यान्न के बफर स्टॉक का इस्तेमाल गैर उत्पादक राज्यों में खाद्यान्न की सप्लाई सुगम बनाने के साथ-साथ सूखे जैसी आपदा से निपटने में किया जाता है। वर्ष 2005 के आधार पर पहली अप्रैल को केंद्रीय पूल में 122 लाख टन चावल और 40 लाख टन गेहूं को मिलाकर 162 लाख टन खाद्यान्न का बफर स्टॉक होना चाहिए। इसी तरह पहली जुलाई को केंद्रीय पूल में 98 लाख टन चावल और 171 लाख टन गेहूं को मिलाकर केंद्रीय पूल में 269 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक होना चाहिए। अधिकारी ने बताया कि पहली अक्टूबर को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में 52 लाख टन चावल और 110 लाख टन गेहूं को मिलाकर कुल 162 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक होना चाहिए तथा पहली जनवरी को 118 चावल और 82 लाख टन गेहूं को मिलाकर कुल 200 लाख टन खाद्यान्न का बफर स्टॉक होना चाहिए। इसके अलावा आपदा जैसी स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 20 लाख टन चावल और 30 लाख टन गेहूं को मिलाकर कुल 50 लाख टन खाद्यान्न का रिजर्व भंडार भी बनाया हुआ है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय द्वारा तैयार प्रस्ताव के अनुसार पहली अप्रैल को केंद्रीय पूल में 190.4 लाख टन चावल और 133 लाख टन गेहूं को मिलाकर 323.4 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक होना चाहिए। इसी तरह पहली जुलाई को एफसीआई के गोदामों में 194.6 लाख टन चावल और 340.7 लाख टन गेहूं को मिलाकर कुल 535.3 लाख टन खाद्यान्न का बफर स्टॉक होना चाहिए। पहली अक्टूबर को 161.9 लाख टन चावल और 274.4 लाख टन गेहूं को मिलाकर 436.3 लाख टन होगा। इसी तरह पहली जनवरी को 129.6 लाख टन चावल और 203.4 लाख टन गेहूं को मिलाकर कुल 333 लाख टन खाद्यान्न का बफर स्टॉक होगा। (Business bhaskar....R S Rana)

भारत के मुकाबले पांच गुना सब्सिडी दे रहा है अमेरिका

साक्षात्कार :- देविंदर शर्मा, एग्रीकल्चर इकनॉमिस्ट बाली सम्मेलन के सफलतापूर्वक समापन के बाद भारत में इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। मसलन, भारत की अर्थव्यवस्था के अलावा वैश्विक स्तर पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। इन तमाम मुद्दे को लेकर बिजनेस भास्कर ने एग्रीकल्चर इकनॉमिस्ट देविंदर शर्मा से बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश... यह है सच्चाई : ट्रेड फैसिलिटेशन से एक लाख करोड़ डॉलर आने की बात सही नहीं है : वैश्विक अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की बात में भी नहीं है कोई दम बाली सम्मेलन में भारत के हाथ में क्या आया? इसका प्रभाव भारतीय कृषि के अलावा देश की पूरी अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ेगा? भारत किसानों को दी जाने वाली कृषि सब्सिडी की राह में आने वाली समस्या को केवल कुछ समय के लिए टालने में सफल रहा है। बाली में अंतरिम पीस क्लॉज को मंजूरी मिली है जिसके जरिए इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी देश सब्सिडी से जुड़े मसले का स्थायी समाधान निकलने तक भारत को डब्ल्यूटीओ डिस्प्यूट सेटलमेंट मैकेनिज्म में नहीं ले जाएगा। विकासशील देशों में पहले से ही कृषि सब्सिडी के मुदे पर बातचीत आठ साल से चल रही है। इसलिए भारत के लिए यह काफी महत्वपूर्ण था कि इस मामले के स्थायी समाधान के लिए कोशिश की जाए, इसके बजाए इसे अगले चार साल के लिए प्रभावी रूप से टाल दिया जाए। भारत ने डब्ल्यूटीओ द्वारा निर्धारित कृषि सब्सिडी से जुड़े नियमों का उल्लंघन किया है। एग्रीकल्चर के मुद्दे पर हुए समझौते में भारत को अधिकतम 10 फीसदी के सपोर्ट को मंजूरी मिली है। इसे डि-मिनिमिस कहा जाता है। चावल के मामले में भारत पहले से ही 24 फीसदी की सहायता किसानों को उपलब्ध करा रहा है। इसका संबंध 60 करोड़ किसानों के जीवनयापन की सुरक्षा से जुड़ा है। भारत के किसानों और गरीब तबके के लोगों की खाद्य सुरक्षा के साथ समझौता केवल डब्ल्यूटीओ के भविष्य के नाम पर नहीं किया जा सकता है। वैश्विक स्तर पर इस डील का अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर क्या असर होगा? हमने हाल ही गन्ना किसानों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर किए गए प्रदर्शनों को देखा है जिसमें दो किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी जो गन्ने की कम कीमत दिए जाने का विरोध कर रहे थे। आप कल्पना कीजिए कि विश्व व्यापार संगठन के दबाव में जब चावल और गेहूं उत्पादन करने वाले किसानों के लिए प्रोक्योरमेंट प्राइस घटाकर आधी कर दिया जाए। एक ही झटके में खेती से होने वाली आय में इतनी गिरावट से सरकार के सामने सामाजिक और राजनीतिक संकट खड़ा हो जाएगा। इसका परिणाम यह होगा कि खेती लाभ का जरिया नहीं रह पाएगा और किसान या तो सामूहिक आत्महत्या करने या खेती छोडऩे को मजबूर होंगे। डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक पुराने हो चुके प्रोक्योरमेंट प्राइस से बांधना किसी विनाशकारी कदम से कम नहीं होगा। हरित क्रांति के चार दशक बाद इतने परिश्रम के बाद देश खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भर हुआ है ऐसे में प्रोक्योरमेंट प्राइस में कटौती से आत्मनिर्भरता प्रभावित होगी। व्यापार सेवाओं को आसान बनाने के मसले पर आपकी क्या राय है? ट्रेड फैसिलिटेशन सर्विसेज में होने वाले सुधार का मुख्य रूप से फायदा विकसित देशों के मल्टीनेशनल और बड़े बिजनेस हाउस को होगा। इस बात को आगे बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका अमेरिका और यूरोपियन यूनियन की है जो पोट्र्स पर सामान और सेवाओं की आवाजाही को बेरोकटोक किए जाने पर जोर दे रहे हैं ताकि अमीर देशों के बिजनेस में तेजी से इजाफा हो सके। इसका फायदा विकासशील और कम विकसित देशों को मिलता नहीं दिख रहा है। यहां पर भारत एक बार फिर अवसर खो चुका है। ट्रेड फैसिलिटेशन के मुद्दे पर बातचीत आसानी से की जा सकती है जब भारत के स्किल्ड मैनपावर के लिए रास्ते केवल इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नहीं बल्कि दूसरे सर्विस सेक्टर जैसे मेडिसीन, एजूकेशन और विज्ञान के क्षेत्र में खोले जाएं। ट्रेड फैसिलिटेशन से वैश्विक इकनॉमी में एक लाख करोड़ डॉलर आने की बात काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश की गई है। इस आंकड़े को अमेरिकी भी चुनौती दे रहे हैं। जहां तक व्यापार में बढ़ोतरी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की बात है जिसका कि विश्व व्यापार संगठन दावा कर रहा है, वह झूठा साबित होगा। अगर वैश्विक व्यापार इतना लाभकारी होता तो क्यों वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट का माहौल देखा जा रहा है और बेरोजगारी एक बड़ी राजनीतिक समस्या का रूप ले रही है? इससे आर्थिक फायदा होने की बात गलत है, इससे केवल विकासशील देशों को पुरानी शर्तों पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रलोभन दिया जा रहा है। विभिन्न तरह की सब्सिडी का इकनॉमिक्स क्या है? भारत इसके दायरे में कहां आता है? यह विकसित देशों के लिए दोहरे सिद्धांत का मामला है। अमेरिका ने 2012 में एग्रीकल्चर के लिए 130 अरब डॉलर की सहायता दी है। यूरोपियन यूनियन ने करीब 90 अरब यूरो की सहायता दी है। इसमें से अधिकतर सब्सिडी ग्रीन बॉक्स के तहत संरक्षित होने की वजह से विश्व व्यापार संगठन में इसे चुनौती नहीं दी जा सकती । "अगर वैश्विक व्यापार इतना लाभकारी होता तो क्यों विश्व अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट का माहौल देखा जा रहा है और बेरोजगारी एक बड़ी राजनीतिक समस्या का रूप ले रही है? इससे आर्थिक फायदा होने की बात गलत है।" (Business Bhaskar)

Gold drops below USD 1,200 for first time since June

London, Dec 19. Gold today fell below 1,200 dollar an ounce for the first time since June as improving US economy prompted the Federal Reserve to cut stimulus and reduced demand for precious metals as an alternative assets. Gold fell by 1.5 per cent to USD 1,199.63 an ounce, the lowest since June 28, silver by 2.2 per cent to USD 19.30 an ounce. The Fed said it will cut monthly bond purchases by USD 10 billion to USD 75 billion, citing an improved outlook for the US employment market ahead of jobless-claims data today. Prices tumbled 38 per cent since reaching a record in September 2011 as the US economic recovery gained momentum. Global equities have advanced to the highest in almost six years, and US inflation is running at 1.2 per cent. Gold rose 70 per cent from December 2008 to June 2011 as the Fed expanded its balance sheet through debt purchases, fueling expectations of accelerated inflation and a weaker dollar. Investor appetite for the precious metal waned this year as inflation failed to accelerate and the S&P 500 stocks Index reached all-time highs.

Gold import bill drops sharply by Rs 29,900 crore in November

New Delhi, Dec 19. The value of India's gold imports in November fell by over Rs 29,900 crore, or 84 per cent, from the level in January after steps taken by the government to curb inward shipments of the metal. About 21,281 kgs of gold valued at Rs 5,619.66 crore was brought into the country last month, according to data provided by the Finance Ministry in response to a query filed under the Right to Information. In January, India had imported 1.2 lakh kgs of gold worth Rs 35,528.24 crore. They stood at Rs 23,688 crore in January 2012. Monthly gold imports have fluctuated since the start of this year. Gold imports stood at about Rs 26,930 crore in February, Rs 12,741 crore in March, Rs 36,223 crore during April, Rs 40,867 in May and Rs 8,543 in June. The value of inward shipments of gold was Rs 13,225 crore in July, Rs 2,899 crore in August, Rs 3,149 crore in September and Rs 6,433 crore in October, according to the data. The ministry said the data was based on information received through the electronic data interchange only and excludes "manual data." RTI activist Subhash Chandra Agrawal had sought information on whether gold imports had declined after customs duty on the metal was increased. The government raised customs duty on gold to 10 per cent in August from 2 per cent in January 2012, besides imposing other curbs on imports of the metal. The moves were aimed at narrowing the current account deficit (CAD), the difference between the outflow and inflow of foreign currency. The CAD touched a historic high of 4.8 per cent of GDP in 2012-13 and was mainly attributed to high imports of gold and petroleum products. The CAD narrowed to 1.2 per cent of GDP in the second quarter of this financial year after a steep decline in gold imports. The deficit was 4.9 per cent of GDP in the first quarter (April-June). India is the largest importer of gold, which is mainly used to meet demand of the jewellery industry. Imports stood at about 830 tonnes in 2012-13.

Gold, silver fall on stockists selling, global cues

New Delhi, Dec 19. Gold prices fell by Rs 65 to Rs 30,365 per ten grams in the national capital today on stockists selling in tandem with a weak global trend, while Silver lost Rs 425 to Rs 44,225 per kg on reduced offtake. In Mumbai, gold of 99.9 per cent purity traded lower at Rs 29,950 per ten grams and silver lost Rs 200 to Rs 44,200 per kg on reduced offtake by coin makers. Traders said stockists selling in line with a weak global trend as an improving US economy prompted the Federal Reserve to cut stimulus, which reduced demand for precious metals as alternative assets. Gold in London, which normally sets price trend on the domestic front, declined by 1.5 per cent to USD 1,199.63 an ounce, the lowest since June 28. Silver also fell by 2.2 per cent to USD 19.30 an ounce. On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity fell by Rs 65 each to Rs 30,365 and Rs 30,165 per ten grams, respectively; while sovereign held steady at Rs 25,200 per piece of eight gram. Silver ready remained under selling pressure and surrendered further Rs 425 to Rs 44,225 per kg and weekly-based delivery by Rs 420 to Rs 44,580 per kg. The white metal had lost Rs 430 yesterday. Silver coins maintained steady trend at Rs 85,000 for buying and Rs 86,000 for selling of 100 pieces.

चीनी कंपनियों को सरकार का जोरदार झटका!

चीनी कंपनियों के लिए सरकार ने जो राहत पैकेज का ऐलान किया था उसे आज सीसीईए से मंजूरी मिल सकती है लेकिन इसमें भारी कटौती की जा सकती है। सीएनबीसी आवाज को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक ब्याज माफी के तौर पर दी जाने वाली रकम में करीब 700 करोड़ रुपये की कटौती की जा सकती है। साथ ही दूसरे राहत वाले कदमों में भी खाद्य मंत्रालय कटौती करने का मन बना चुकी है। दरअसल सरकार की ओर से चीनी कंपनियों के लिए 7,260 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज देने का इरादा था। हालांकि अब माना जा रहा है कि सरकार की ओर से चीनी कंपनियों को 6,600 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाएगा। साथ ही सरकार की ओर से 40 लाख टन रॉ शुगर उत्पादन के लिए रियायत दिए जाने का संकेत दिया गया था। लेकिन अब 40 लाख टन के बजाय 20 लाख टन रॉ शुगर के उत्पादन के लिए रियायत दी जा सकती है। सरकार की ओर से शुगर एक्सपोर्ट पर ड्यूटी ड्रॉ बैक में राहत देने का प्रस्ताव था। हालांकि वाणिज्य मंत्रालय ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि शुगर एक्सपोर्ट पर ड्यूटी ड्रॉ बैक में राहत को लेकर डब्ल्यूटीओ नियमों की अनदेखी हुई है। (Hindi Moneycantrol.com)

18 दिसंबर 2013

जिग्नेश शाह फिट एंड प्रॉपर नहीं: एफएमसी

जिग्नेश शाह को एक और बड़ा झटका लगा है। एफएमसी ने कहा है कि जिग्नेश और उनकी कंपनी फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी, फिट एंड प्रॉपर नहीं है। एफएमसी ने कल रात को फिट एंड प्रॉपर पर अपनी रिपोर्ट जारी की है जिसके तहत एफएमसी ने साफ किया कि जिग्नेश शाह, जोसेफ मेसी, और श्रीकांत जावलगेकर एक्सचेंज चलाने के लिए काबिल नहीं है। इसके अलावा एफएमसी के मुताबिक फाइनेंशियल टेक भी एमसीएक्स में 2 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखने के योग्य नहीं है। फिलहाल एफटी की एमसीएक्स में 26 फीसदी हिस्सेदारी है। एफएमसी द्वारा घोषित अनफिट, अनप्रॉपर का मतलब है कि जिग्नेश शाह, जोसेफ मैसी देश के किसी भी कमोडिटी एक्सचेंज में 2 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं ले पाएंगे। इसके बाद फाइनेंशियल टेक को अपनी मौजूदा शेयरहोल्डिंग एमसीएक्स से खत्म करनी होगी। एफएमसी की रिपोर्ट पर जब सीएनबीसी आवाज़ ने जिग्नेश शाह से उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की तो उन्होनें इस बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है। जिग्नेश शाह ने मीडिया से बार-बार पूछने के बावजूद भी कोई जवाब नहीं दिया। एफएमसी के जिग्नेश शाह को एक्सचेंज चलाने के लिए फिट एंड प्रॉपर नहीं मानने पर जानकारों का मानना है कि एफएमसी के फैसले के बाद जग्नेश शाह को तुरंत डायरेक्टर पद छोड़ना होगा। सेबी के पूर्व ईडी जे एन गुप्ता का मानना है कि एफएमसी के जिग्नेश शाह को एक्सचेंज चलाने के काबिल नहीं बताने के बाद एमसीएक्स-एसएक्स को एक्सटेंशन देने के फैसले पर सेबी पुनर्विचार कर सकता है। कानूनी सलाहकार एच पी रनीना के मुताबिक पूरे मामले में सेबी की फिलहाल कोई भूमिका नहीं होगी। फाइनेंशियल टेक को नया डायरेक्टर नियुक्त करना होगा और नए डायरेक्टर की नियुक्ति तक सेबी की कोई भूमिका नहीं होगी। 1 महीने में नया डायरेक्टर नियुक्त होने की उम्मीद है। एच पी रनीना के मुताबिक 1 या 2 डायरेक्टर की वजह से कंपनी बंद नहीं होगी। (Hindi>moneycantorl.com)

फूड सिक्योरिटी पर सरकार की नई पहल

फूड सिक्योरिटी लागू करने के लिए सरकार अपने भंडार में दोगुने अनाज रखने का फैसला लेने जा रही है। इस पर गुरुवार को होने वाली कैबिनेट कमिटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स की बैठक में अंतिम मुहर लग जाएगी और सिर्फ अनाज रखने के लिए सरकार को सालाना 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा। माना जा रहा है कि सरकार की इस पहल के तहत सरकारी गोदामों में पहले के मुकाबले दोगुनी मात्रा में गेहूं और चावल होंगे। सरकार अनाज रखने की न्यूनतम मात्रा बढ़ाने की तैयारी में है। दरअसल हर साल 1 अक्टूबर को फिलहाल कम से कम 210.2 लाख टन अनाज रखने का नियम है। हालांकि सरकार के नए प्रस्ताव के मुताबिक अब पहली अक्टूबर को कम से कम 430.63 लाख टन अनाज रखा जाएगा। साथ ही 1 अप्रैल, 1 जुलाई, 1 जनवरी को बफर नियमों की न्यूनतम सीमा में भी भारी बढ़ोतरी होगी। (Hindi Moneycantorl)

चीनी उत्पादन 15 दिसंबर तक पिछले साल से आधा

गन्ने की कीमत को लेकर करीब एक महीने तक बने रहे गतिरोध के बाद अब गन्ने की पेराई धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में 15 दिसंबर तक 24.2 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जो पिछले साल इस अवधि के दौरान हुए उत्पादन से करीब आधा है। फिर भी 30 नवंबर तक उत्पादन में 66 फीसदी कमी को देखते हुए यह अच्छा सुधार है। देश में चीनी का सीजन अक्टूबर से सितंबर तक होता है। वर्ष 2012-13 के दौरान देश में करीब 251 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था, जबकि 2013-14 में उत्पादन करीब 244 टन रहने का अनुमान है। इस्मा ने 2013-14 में 250 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान जताया है। इस्मा ने आज जारी बयान में कहा, 'इस साल 15 दिसंबर तक करीब 426 चीनी मिलों ने पेराई शुरू कर दी है, जबकि पिछले साल इस समय तक 457 मिलों ने पेराई चालू कर दी थी।' देशभर की चीनी मिलों ने इस साल अपनी पेराई में देरी कर दी है, क्योंकि उनका अपने ऊपर बढ़ते बकाये को लेकर किसानों के साथ गतिरोध बना हुआ था। मिलों ने कहा था कि वे गन्ने की कीमत पिछले साल से ज्यादा देने की स्थिति में नहीं हैं, जबकि किसानों ने ज्यादा कीमत की मांग की थी। इस्मा ने कहा है कि 15 दिसंबर तक महाराष्ट्र ने करीब 1.28 करोड़ टन गन्ने की पेराई कर 12 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जो पिछले साल से करीब 35 फीसदी कम है। राज्य में करीब 150 मिलों ने पेराई शुरू कर दी है, जिनमें से करीब 56 मिलें निजी क्षेत्र की हैं। पिछले साल राज्य में 155 मिलों ने पेराई चालू कर दी थी। उत्तर प्रदेश में 110 चीनी मिलों ने पेराई चालू कर दी है, जबकि पिछले साल इस समय तक 116 मिलों ने पेराई चालू कर दी थी। राज्य ने 15 दिसंबर तक 2.3 लाख टन चीनी उत्पादित की है, जो पिछले साल से करीब 78 फीसदी कम है। इस्मा ने कहा कि एक अक्टूबर, 2013 से 30 नवंबर 2013 तक भारत ने करीब 27,000 टन चीनी का आयात किया है, जबकि 2.2 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया है। (BS HIndi)

प्याज : गिरे दाम, घटा निर्यात मूल्य

कुछ सप्ताह पहले ग्राहकों को रुलाने वाला प्याज अब कारोबारियों और किसानों के आंसू निकाल रहा है। देश में प्याज की सबसे बड़ी मंडी नासिक में इसकी कीमत गिरकर 900 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गई है। कीमतों में भारी गिरावट से नाराज कारोबारियों को चुप करने के लिए सरकार ने प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में भारी कटौती कर दी है। उसने इसे 1,150 डॉलर प्रति टन से घटाकर अब 800 डॉलर प्रति टन कर दिया है। हालांकि कारोबारी और किसान इससे संतुष्ट नहीं हैं। प्याज के निर्यात मूल्य में भारी कटौती के बावजूद इसकी कीमतों में सुधार की फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं है। मंगलवार को नासिक (लासलगांव) में प्याज की औसत कीमत गिरकर 950 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गई। कारोबारियों की राय में फिलहाल कीमतों में सुधार की कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि रबी सीजन की फसल की आवक का समय हो चला है। एमईपी घटाने से भी प्याज कीमतों में तेजी नहीं आएगी, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस कीमत पर भी प्याज बिकना मुश्किल है। पड़ोसी देश पाकिस्तान से प्याज 300 डॉलर प्रति टन पर आ रहा है, इसलिए सरकार को एमईपी 300 डॉलर प्रति टन करना होगा। एपीएमसी में प्याज के बड़े कारोबारी और निर्यातक मनोहर तोतलानी कहते हैं कि बाजार में आपूर्ति ज्यादा है और एमईपी अधिक होने के कारण निर्यात करना मुश्किल है। घरेलू बाजार में मांग की तुलना में आपूर्ति काफी अधिक है, जिससे कीमतें कम हो रही हैं। वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए जरूरी है कि सरकार कारोबार को बेडिय़ों से मुक्त करे या फिर पड़ोसी देशों के बराबर एमईपी तय करे। गौरतलब है कि नवंबर में थोक बाजार में प्याज की कीमतें 6,500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थीं, जबकि खुदरा बाजार में प्याज 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक जा पहुंचा था। प्याज की कीमतों में इस बढ़ोतरी की प्रमुख वजह निर्यात बताया गया था। निर्यात पर नकल कसने के लिए सरकार ने नवंबर में एमईपी 650 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 1,150 टन कर दिया था। किसान इस दर पर प्याज बेचने से इनकार कर रहे हैं। लासलगांव में प्याज से लदे करीब 1,500 टैंकर पिछले दो दिनों से खड़े हैं। नासिक के प्याज किसान रमेश पिंगले कहते हैं कि मंडी में कीमत 600 रुपये से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। किसानों को भाड़ा और मजदूरी अपने पास से ही देनी पड़ती है। खेत से प्याज की खुदाई और मंडी तक लाने का खर्च काटने के बाद किसान के हाथ में मुश्किल से 100 रुपये प्रति क्विंटल बच रहा है, जो उसकी लागत से भी कम है। इसे कब तक बर्दाश्त किया जा सकता है। शेतकरी संघटना के अध्यक्ष राजू शेट्टी का कहना है कि जब किसानों के पास माल नहीं होता है तो प्याज की कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाती है और जब माल होता है तो यह 100 रुपये प्रति क्विंटल हो जाती है। यह किसानों का शोषण है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सरकार उचित कदम नहीं उठाती है तो किसान सड़कों पर उतरेंगे। पिछले एक सप्ताह से किसान मंडी में लगभग हर दिन संकेतिक विरोध कर रहे हैं। सोमवार को मुंबई-पुणे राजमार्ग भी थोड़े समय के लिए रोका गया था। अब किसान संगठन तैयारी के साथ सड़कों पर उतरने की तैयारी में जुट गए हैं। इस समय नासिक में हर दिन औसतन 2,000-2,200 टन प्याज की आवक हो रही है, जबकि नवी मुंबई के वाशी बाजार में औसतन करीब 1,100 टन प्याज की आवक रोजाना हो रही है। (BS Hindi)

Cabinet may tomorrow consider Rs 7,200 cr loans to sugar mills

New Delhi, Dec 18. The Cabinet is likely to consider tomorrow a proposal on providing interest-free loans of Rs 7,200 crore to the cash-starved sugar industry for making sugarcane payment to farmers. "The proposal on giving a financial package to the sugar industry will come before Cabinet at the earliest," Food Minister K V Thomas told reporters after the meeting of an informal group of ministers (GoM) on the sugar issue. A source said the Food Ministry's proposal on giving Rs 7,200 crore interest-free loans to the beleaguered sugar industry is expected to come before the Cabinet for discussion tomorrow itself. The proposal is in line with relief measures recommended by the PM-constituted ministerial panel, headed by Agriculture Minister Sharad Pawar, to address the cash crunch facing sugar mills and their inability to pay higher cane prices this season. Mills have cane arrear of Rs 3,400 crore. The remaining amount will be utilised for this year's payments. Concerned that non-payment of cane arrears would increase farmers' woes ahead of the general elections, the ministerial panel today met again to examine additional sops for millers to help improve their working capital. Thomas said: "In the GoM, we discussed about other incentives, especially reducing the period for re-export of imported sugar from the existing 18 months. We heard views from the industry. No decision has been taken." Besides Pawar and Thomas, Finance Minister P Chidambaram, Petroleum Minister Veerappa Moily and Civil Aviation Minister Ajit Singh were present at the meeting. The representatives from Indian Sugar Mills Association, National Federation of Cooperative Sugar Factories Ltd, and top officials of Shree Renuka Sugars, EID Parry's and Simbhaoli Sugars were also present in the meeting. In the Cabinet note, the Food Ministry has proposed that loans worth Rs 7,200 crore would be provided by banks to the sugar mills exclusively for sugarcane payment. Banks will lend equivalent to the excise duty paid by mills in the last three years, while the entire interest of 12 per cent would be borne by the Centre and Sugar Development Fund. Mills would have to repay the loans in five years and can avail of a moratorium on repayment in the first two years. Sources said the Food Ministry is expected to move a separate Cabinet note for giving additional incentives to the industry as suggested by the PM panel. Besides interest-free loans, the panel had recommended recasting of loans taken by mills as per Reserve Bank norms, incentives to produce 4 million tonne of raw sugar and setting up of buffer stock, besides doubling ethanol-blending in petrol to 10 per cent. The sugar industry is facing financial problems due to higher cost of production and lower sugar prices in the wake of surplus production in the last few years.

Gold recovers by Rs 30 on low level buying

New Delhi, Dec 18. Snapping a two-day falling trend, gold prices recovered by Rs 30 to Rs 30,430 per ten grams in the national capital today on low level buying, while silver lost Rs 430 to Rs 44,650 per kg on reduced offtake. In Mumbai, gold traded higher at Rs 30,330 per 10 grams and silver traded lower at Rs 44,400 per kg. Traders said some low-level buying by retailers for the marriage season mainly led to the recovery in gold prices, while silver declined on reduced offtake by industrial units and coin-makers at prevailing higher levels. On the domestic front, gold of 99.9 and 99.5 per cent purity recovered by Rs 30 each to Rs 30,430 and Rs 30,230 per 10 grams, respectively, after losing Rs 530 in last two trade. Sovereigns followed suit and gained Rs 50 to Rs 25,200 per piece of eight grams. On the other hand, silver ready fell by Rs 430 to Rs 44,650 per kg and weekly-based delivery by Rs 580 to Rs 45,000 per kg. The white metal had surged by Rs 1,080 yesterday. Silver coins dropped by Rs 1,000 to Rs 85,000 for buying and Rs 86,000 for selling of 100 pieces on fall in demand at prevailing higher levels.