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26 दिसंबर 2012

'भारत के पास होगा 150 लाख गांठ अतिरिक्त कपास'

कमजोर मॉनसून के चलते इस खरीफ सीजन में कपास के रकबे में गिरावट के बावजूद देश में कपास वर्ष 2012-13 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान करीब 150 लाख गांठ सरप्लस होगा। भारतीय कपास संघ (सीएआई) के ताजा अनुमान के मुताबिक देश में इस साल 350 लाख गांठ कपास का उत्पादन होगा और कुल खपत करीब 265 लाख गांठ रहने की उम्मीद है। इस तरह देश में करीब 150 लाख गांठ कपास का भंडार रहेगा। सीएआई के अध्यक्ष धीरेन शेठ ने एसोसिएशन की सालाना आम बैठक में कहा कि कपास के रकबे में पिछले साल के मुकाबले 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में मॉनसून सीजन के दूसरे हिस्से में बेहतर बारिश के चलते फसल शानदार रही है। उन्होंने कहा कि इस साल कपास का उत्पादन 350 लाख गांठ से कम नहीं रहेगा, वहीं इसकी खपत करीब 265 लाख गांठ रहने की उम्मीद है। इस तरह करीब 150 लाख गांठ कपास का सरप्लस रहेगा। वैश्विक स्तर पर भी मांग के मुकाबले ज्यादा कपास की आपूर्ति की संभावना है। वॉशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति (आईसीएसी) के मुताबिक वैश्विक स्तर पर कपास का उत्पादन और मिलों में इसकी खपत साल 2012-13 में क्रमश: 259 लाख टन व 234 लाख टन रहने की संभावना है, ऐसे में वहां 24 लाख टन ज्यादा कपास की आपूर्ति होगी। शेठ ने कहा कि साल 2011-12 में अप्रत्याशित उछाल के बाद वैश्विक स्तर पर कपास के कारोबार में इस सत्र के दौरान 21 फीसदी की गिरावट की संभावना है और यह 77 लाख टन रह सकता है क्योंकि चीन की तरफ से मांग घटी है। लेकिन विश्व के बाकी देशों की तरफ से आयात में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। वैश्विक बाजार में कपास की कीमतों पर नजर डालें तो अप्रैल 2012 से ही यहां कीमतों में गिरावट का रुख नजर आया है। उस समय वैश्विक स्तर पर कपास की कीमतें 100.1 सेंट प्रति पाउंड थी। कॉटनलुक ए इंडेक्स के मासिक औसत के मुताबिक नवंबर 2012 में कपास की कीमतें 80.87 सेंट प्रति पाउंड रही हैं। हालांकि घरेलू बाजार में कपास की कीमतें सीमित दायरे में रहीं। अप्रैल 2012 में कपास की हाजिर कीमतें करीब 34,600 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) थीं, वहीं नवंबर 2012 में इसका भाव 34,100 रुपये प्रति कैंडी रहा। कपास क्षेत्र के परिदृश्य के बारे में शेठ ने कहा कि देश में कपास का रकबा साल 2001-02 में 87.3 लाख हेक्टेयर था जो 2011-12 में बढ़कर 121.78 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन बहुत ज्यादा उत्साहवर्धक नहीं रहा है, वहीं देश में कपास की सफलता की कहानी शानदार रही है। साल 2001-02 में देश में 158 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था, जो एक दशक में बढ़कर दोगुने से भी ज्यादा हो गया है। उत्पादकता में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है और यह साल 2001-02 के 308 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर साल 2011-12 में 500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर पहुंच गया है। इस बीच कपास सलाहकार बोर्ड (सीएबी) के अनुमान में कहा गया है कि कपास वर्ष 2012-13 (अक्टूबर-सितंबर) में 334 लाख गांठ कपास का उत्पादन होगा। 2012-13 में कुल रकबा 116.14 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है। 90वीं सालाना आम बैठक में शेठ ने कहा कि कपास निर्यात से देश को मिलने वाली रकम साल 2001-02 में 44 करोड़ रुपये थी, जो साल 2011-12 में बढ़कर 14,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि ऐसी कामयाबी से देश को सबसे बड़ा कपास उत्पादक व उपभोक्ता होने का खिताब मिला है। पूरी दुनिया में भारत कपास का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक भी है और कपास के रकबे के मामले में भी इसे अग्रणी स्थान हासिल है। (BS Hindi)

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