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14 नवंबर 2012

वाम दल का रिटेल में एफडीआई के खिलाफ नोटिस

लेफ्ट पार्टियों ने 22 नवंबर को लोकसभा का सत्र शुरू होते ही मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई के खिलाफ प्रस्ताव रखने का नोटिस दिया है। माना जा रहा है कि यह सत्र हंगामेदार रहेगा। इस मुद्दे पर विपक्षी दल ही नहीं, बल्कि यूपीए को बाहर से समर्थन दे रहीं पार्टियां और सरकार में शामिल डीएमके भी सरकार के साथ नहीं हैं। तृणमूल कांग्रेस ने एफडीआई पर ही यूपीए-2 से समर्थन वापस लिया था, जिसके बाद से यूपीए सरकार सपा और बसपा के समर्थन के सहारे चल रही है, जबकि सपा और बसपा दोनों मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई के खिलाफ हैं। सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने चार दलों की बैठक के बाद बताया, वाम दल मत विभाजन के प्रावधान वले नियमों के तहत प्रस्ताव पेश करेंगे और मल्टी-ब्रांड रिटेल में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति देने वाले सरकारी फैसले को खारिज करने की सदन से मांग करेंगे। लोकसभा कार्यवाही में नियम 184 और राज्यसभा में नियम 167 के तहत किसी भी मामले में बहस के बाद मत विभाजन का प्रावधान है। वाम दलों के जारी वक्तव्य में कहा गया, बैठक में सीपीएम, सीपीआई, आरएसपी और फॉरवर्ड ब्लॉक के शीर्ष नेता शामिल हुए। बैठक में सभी नागरिकों की भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी खाद्य सुरक्षा विधेयक और सार्वभौमिक जनवितरण प्रणाली के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ने का भी फैसला लिया गया। राजा ने कहा कि ये पार्टियां पांच करोड़ दस्तखत इकट्ठा करने के लिए देश भर में अभियान शुरू करेंगी और दिसंबर, जनवरी महीने में लेफ्ट कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों के हस्ताक्षर लेंगे। (भाषा)

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