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27 नवंबर 2012

15 लाख टन गेहूं निर्यात को मंजूरी!

सरकार द्वारा अपने गोदामों से 15 लाख टन अतिरिक्त गेहूं के निर्यात को मंजूरी दिए जाने की संभावना है। सरकार का मकसद अपने सरप्लस स्टॉक को बेचना है। जुलाई में सरकार ने पीएसयू जैसे एमएमटीसी, एसटीसी और पीईसी के जरिये मार्च 2013 तक 20 लाख टन एफसीआई के गेहूं को निर्यात करने की स्वीकृति दी थी। इसमें से 15 लाख टन के लिए अनुबंध किए जा चुके हैं और 8 लाख टन को भेजा जा चुका है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'हमने केंद्रीय भंडार से 15 लाख टन अतिरिक्त गेहूं के निर्यात के लिए एक कैबिनेट नोट भेजा है। इस प्रस्ताव पर जल्द ही चर्चा हो सकती है।' सरप्लस अनाज के निर्यात से भंडारण की समस्या कम होगी, क्योंकि इस समय सरकार के पास 405 लाख टन गेहूं का भंडार है। यह निर्धारित बफर स्टॉक 212 लाख टन से करीब दोगुना है। पिछले दो वर्षों में रिकॉर्ड उत्पादन और खरीद से सरकारी गोदामों में अनाज का स्टॉक बढ़ा है। अब तक एफसीआई का ज्यादातर गेहूं पड़़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, यमन, ओमान, जकार्ता आदि को निर्यात किया गया है। भारत से निर्यातित गेहूं की खेप को वैश्विक बाजार में 300-319 डॉलर प्रति टन की ऊंची कीमत मिली है। फसल वर्ष 2011-12 में देश में 9.39 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। पीएसयू के जरिये एफसीआई के गेहूं के निर्यात के अलावा सितंबर 2011 के बाद निजी कारोबारियों ने 30 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है। (BS Hindi)

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