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31 अक्तूबर 2012

टायर विनिर्माताओं को राहत

पर्याप्त सबूत के अभाव में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने अपोलो टायर्स, एमआरएफ, जेके टायर, सिएट और बिड़ला टायर्स समेत टायर विनिर्माताओं को क्लीन चिट दे दी है। इन विनिर्माताओं पर सांठगांठ का आरोप था। आयोग ने अपने आदेश में कहा है, यह निष्कर्ष निकालना सुरक्षित है कि सतही आधार पर उद्योग सांठगांठ से जुड़ी कुछ विशेषताओं का प्रदर्शन करता है, लेकिन किसी गठजोड़ के अस्तित्व का कोई ठोस सबूत नहीं है। कारोबार के लिहाज से उद्योग को हमेशा ही आयात से जुड़े प्रतिस्पर्धी खतरों से दो-चार होता है। हालांकि आयोग के एक सदस्य इससे असहमत थे। शिकायतकर्ता ऑल इंडिया टायर डीलर्स फेडरेशन (एआईटीडीएफ) ने सीसीआई के इस आदेश के खिलाफ अपीलीय अथॉरिटी द कंपिटीशन अपीलेट ट्राइब्यूनल (कॉम्पैक्ट) जाने का फैसला किया है। यह आदेश इस वास्तविकता के बाद आया जबकि आयोग के महानिदेशक (जांच) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि देश की प्रमुख टायर कंपनियों ने सामंजस्य के साथ काम किया और उद्योग के संगठन ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटमा) ने कीमत, निर्यात और आयात आदि से जुड़ी सूचनाओं के आदानप्रदान के लिए सदस्यों को प्लैटफॉर्म उपलब्ध कराया। इसके अलावा आयोग के बोर्ड के छह सदस्यों में से एक ने अंतिम आदेश असहमति जताई। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह मामला बंद हो गया है और ज्यादातर सदस्यों ने सांठगांठ के खिलाफ अपनी राय दी क्योंकि टायर कंपनियों के खिलाफ उपलब्ध सबूत पर्याप्त नहीं है। टायर विनिर्माताओं के सांठगांठ के खिलाफ नियामक साल 2010 से जांच कर रहा है और यह शिकायत एआईटीडीएफ ने की थी। एआईटीडीएफ ने साल 2007 में कंपनी मामलों के मंत्रालय को टायर व ट्रांसपोर्ट में सांठगांठ की जांच के लिए शिकायत सौंपी थी। तब मंत्रालय ने साल 2008 में मामला एमआरटीपी आयोग को सौंप दिया था। साल 2010 में यह शिकायत सीसीआई के पास हस्तांतरित कर दी गई थी। टायर विनिर्माताओं के हक में फैसला आने के बाद टायर डीलर्स एसोसिएशन ने कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ कॉम्पैक्ट के पास जाएंगे। एआईटीडीएफ ने कहा, इस फैसले के खिलाफ टायर डीलर कॉम्पैक्ट के पास अपील करेंगे। सांठगांठ की मौजूदगी तब मानी जाती है जब दो या दो से अधिक कंपनियां कीमतें तय करने, उत्पादन व आपूर्ति सीमित करने, बाजार हिस्सेदारी या बिक्री के कोटे का आवंटन आदि के लिए आपसी समझौता करती हैं। प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 3 के तहत सांठगांठ पर पाबंदी है। हाल में आयोग ने सीमेंट कंपनियों की आपसी सांठगांठ की जांच की थी और अपने आदेश के तहत उन पर भारी जुर्माना लगाया था। कंपनियों ने हालांकि अब इस आदेश के खिलाफ कॉम्पैक्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस प्रगति पर नजर रखने वालों का कहना है कि सीमेंट कंपनियों के खिलाफ आदेश के बाद से ही आयोग पर औद्योगिक लॉबी का दबाव था और शायद इसी वजह से टायर विनिर्माताओं के खिलाफ आदेश में नरमी बरती गई हो। हालांकि सीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मुद्दे पर टिप्पणी से इनकार कर दिया। टायर कंपनियों की सांठगांठ के खिलाफ सीसीआई यह आदेश जून में ही आना था, लेकिन इस निष्कर्ष तक पहुंचने में थोड़ा वक्त लग गया। (BS Hindi)

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