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13 अक्तूबर 2012

खरीफ फसलें खरीदेगा नेफेड!

राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) खरीफ सीजन के तिलहन, दलहन और कपास के लिए अपनी कीमत समर्थन योजना (पीएसएस) का विस्तार कर सकता है। पीएसएस सरकार की बाजार में हस्तक्षेप की व्यवस्था है, जहां सरकारी एजेंसियां तब बाजार से फसलों की खरीद करती है जब इसकी कीमतें उस सीजन के लिए कृषि मंत्रालय द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चली जाती है। पीएसएस के सक्षम बनाने की खातिर खरीद वाली सरकारी एजेंसियों मसलन नेफेड व नैशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन (एनसीसीएफ) को एमएसपी पर खरीद व इसे बाजार से कम कीमत पर बेचने पर होने वाले घाटे के पूर्ण भुगतान की व्यवस्था वाली योजना कृषि मंत्रालय ने उलट दी है। हालांकि सब्सिडी के भुगतान के अनुपात पर फैसला होने अभी बाकी है। प्रस्ताव के मुताबिक, सरकार भुगतान पर होने वाला खर्च का बंटवारा राज्य व केंद्र के बीच 50-50 फीसदी के हिसाब से करना चाहती है, लेकिन उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए यह 75-25 है। पिछले दो सालोंं से नेफेड को हुआ सब्सिडी भुगतान कुल रकम के 15 फीसदी तक सीमित कर दिया गया, वहीं बाकी रकम पर राज्य व केंद्र अभी तक फैसला नहीं कर पाए हैं। सूत्रों ने कहा, इसलिए इस समय सरकार ने पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी है और वह भी खरीद सीजन की शुरुआत से पहले इस पर किसी तरह की सीमा लगाए बिना। सूत्रों के मुताबिक, नेफेड ने पीएसएस के तहत महाराष्ट्र में उड़द दाल की खरीद शुरू कर दी है क्योंकि इसकी कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य 4300 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे आ गईं। कुछ बाजारों में यह गिरकर 2495-2600 रुपये प्रति क्विंटल पर रहीं जबकि अन्य जगहों पर करीब 6000 रुपये प्रति क्विंटल। दूसरी ओर कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने दक्षिणी बाजारों से 3600-3900 ररुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी पर खरीद शुरू की है क्योंकि इन बाजारों में कीमतें एमएसपी से नीचे 2700-2900 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई थी। दाल उत्पादक इलाकों में मौजूद विनिर्माताओं ने कहा, इन जिंसों की ऊंची कीमतों ने थोक खरीदार व खुदरा खरीदारों की मांग में स्थिरता ला दी है। इन कीमतों पर शायद ही इन जिंसों की खरीद बाजार में हो रही है। एक ओर जहां मिलों ने अपने पास स्टॉक जमा कर रखा है, वहीं उपभोक्ता आवश्यकता के मुताबिक मांग के प्रबंधन में जुटे हुए हैं और अपनी इन्वेंट्री नहीं बना रहे। डीलरों ने कहा, इसके अतिरिक्त देश के पास पर्याप्त मात्रा में आयातित दाल भी है। अगर वहां मांग भी है तो इसकी आपूर्ति न्यूनतम खरीदारी से हो रही है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा, नवंबर के मध्य से अरहर दाल की एमएसपी पर खरीद की दरकार पड़ सकती है। इसी तरह तिलहन यानी सूरजमुखी व सोयाबीन पर भी नजर रखी जा रही है। नेफेड को हाल में कहा गया था कि अगर दलहन व तिलहन की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे जाती हैं तो वह इसका पूरा स्टॉक खरीद ले। चावल व गेहूं के मामले में भारतीय खाद्य निगम को भी ऐसा ही अधिकार दिया गया है। हाल में खोपरा के लिए 100 फीसदी रीइंबर्समेंट योजना अधिसूचित की गई है और अधिकारियों ने कहा कि तिलहन व दलहन के मामले में भी ऐसी ही अधिसूचना जारी की जाएगी। वैसे सरकार ने साल 2012-13 में दलहन के लिए एमएसपी का फैसला वापस ले लिया है। (BS Hindi)

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