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16 अक्तूबर 2012

खाद्य तेल में नरमी के आसार

इस खरीफ सीजन में सोयाबीन के रिकॉर्ड उत्पादन और आगामी रबी सीजन में रैपसीड-सरसों के बंपर उत्पादन की संभावना के चलते खाद्य तेल की कीमतें इस तेल वर्ष (नवंबर 2012-अक्टूबर 2013) में 5 से 10 फीसदी तक घट सकती हैं। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन (सोपा) का अनुमान है कि इस सीजन में 126.8 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन होगा जबकि पिछले साल 116.5 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था। इसी तरह विशेषज्ञों का मानना है कि देर से हुई बारिश के चलते मिट्टी में नमी की पर्याप्त मात्रा व अनुकूल मौसम आगामी रबी सीजन में रैपसीड-सरसों का बंपर उत्पादन हो सकता है। ये चीजें रबी की फसल के विकास में सहायक हैं। कीमतों में कटौती से भारतीय उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलेगी, जो हर तरफ से महंगाई से जूझ रहे हैं। रोजाना के खानपान की लागत में खाद्य तेल की हिस्सेदारी करीब 10-15 फीसदी होती है। रुचि ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज ब्रांडेड उत्पादों की कीमतें 5-10 फीसदी घटाने पर विचार कर रहा है। अन्य कंपनियां भी रुचि ग्रुप की तरह फैसला ले सकती हैं। रुचि ग्रुप सोयम व रुचि स्टार के नाम से अग्रणी सोया ब्रांड का उत्पादन करता है। इंडोनेशिया व मलेशिया जैसे प्रमुख उत्पादक देश में कच्चे पाम तेल की घटती कीमतों के चलते भारतीय खाद्य तेल उत्पादक मौजूदा समय में बाजार में कमजोर अवधारणा का सामना कर रहे हैं। स्पष्ट तौर पर कीमतों पर चोट पहुंचाने वाला अन्य कारण है इंडोनेशिया में कच्चे पाम तेल का विशाल भंडार। इंडोनेशिया पाम तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इस संकेत से एनसीडीईएक्स पर रिफाइंड सोया का निकट माह वाला अनुबंध पिछले एक महीने में 14.25 फीसदी फिसला है और यह फिलहाल 665.15 रुपये प्रति 20 किलोग्राम पर है। एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन वायदा भी पिछले एक महीने में 17.75 फीसदी फिसलकर 3169.50 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है। कृषि एक्सचेंज एनसीडीईएक्स पर सीपीओ की कीमतें भी पिछले एक महीने में 22.9 फीसदी घटकर 415.5 रुपये प्रति 10 किलोग्राम पर आ गई हैं। अदाणी विल्मर लिमिटेड के मुख्य कार्याधिकारी अतुल चतुर्वेदी ने कहा, भारतीय खाद्य तेल उद्योग अलग-थलग नहीं रह सकता क्योंकि यह वैश्विक बाजार पर करीब 60 फीसदी आश्रित है। ऐसे में वैश्विक खाद्य तेल बाजार की हलचल का असर भारत पर पड़ेगा। मौजूदा समय में वैश्विक बाजार में कच्चे पाम तेल की कीमतें नरम हैं। ऐसे में भारत में भी खाद्य तेल की कीमतें घट सकती हैं।एक ओर जहां स्टॉकिस्टों की कीमतें तत्काल प्रभावित होती हैं, लेकिन खुदरा स्तर पर इसका असर बाद में दिखता है। सीपीओ का आयात तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि भारतीय उपभोक्ता इसे आसानी से स्वीकार करते हैं, ऐसे में हर महीने 6 से 7 लाख टन का आयात हो रहा है। रिफाइनर भी इस सीजन में लंबे समय तक व्यस्त रह सकते हैं क्योंकि देर से बारिश के चलते कटाई में देरी हो रही है, साथ ही सोयाबीन की बंपर पैदावार के चलते भी। मौजूदा समय में स्टॉकिस्ट सोया तेल की बिक्री 620 रुपये प्रति 10 किलोग्राम पर कर रहे हैं, जो पिछले एक महीने में करीब 22.5 फीसदी फिसला है। खाद्य तेल की खुदरा कीमतों पर इसका असर एक महीने में प्रतिबिंबित होगा, लिहाजा अगले एक महीने में खुदरा कीमतें कम होंगी। सोया तेल की कीमतें और नीचे जा सकती हैं क्योंकि मध्य प्रदेश के प्रमुख उत्पादक इलाकों की हाजिर मंडियों में आवक तेज हो गई है। इस सीजन में पेराई भी अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने की संभावना है और यह पिछले साल के 13 लाख टन के मुकाबले 15 लाख टन रह सकता है। (BS Hindi)

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