कुल पेज दृश्य

08 अक्तूबर 2012

2012-13 की दूसरी छमाही में तेजी की वापसी: चिदम्बरम

नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने सोमवार को कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में लगभग नौ सालों में न्यूनतम विकास दर 5.5 फीसदी रहने के बाद मौजूदा कारोबारी साल की दूसरी छमाही में देश के आर्थिक विकास और निवेश में तेजी आएगी। सलाना आर्थिक सम्पादक सम्मेलन में यहां चिदम्बरम ने कहा, पहली तिमाही में विकास दर 5.5 फीसदी थी। आने वाली तिमाहियों में इसके बेहतर रहने की उम्मीद है। चिदम्बरम ने कहा कि हाल में सरकार द्वारा लिए गए आर्थिक सुधार के फैसले के कारण तीसरी और चौथी तिमाहियों में विकास दर में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि घरेलू और विदेशी निवेश से आर्थिक तेजी को बल मिलेगा। उन्होंने कहा, एक बार घरेलू निवेश बढ़ना शुरू होने और विदेशी निवेश आना शुरू होने के बाद स्थिति बेहतर हो जाएगी। उन्होंने कहा, बेहतरी के लिए जो भी सम्भव होगा मैं करुं गा। उन्होंने हालांकि माना कि विरोधी वैश्विक स्थिति के कारण मौजूदा कारोबारी साल में 7.6 फीसदी विकास दर का बजटीय लक्ष्य हासिल हो पाने की सम्भावना नहीं है। उन्होंने हालांकि कहा कि कुछ सुस्ती के बाद भी भारत दुनिया की सबसे अधिक विकास दर वाले देशों में रहेगा। उन्होंने कहा, यदि विकास दर 7.6 फीसदी के लक्ष्य से कम रहा तो भी हमारी विकास दर विकसित अर्थव्यवस्थाओं की औसत दर से चार गुनी और वैश्विक अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर की दोगुनी रहेगी। उन्होंने कहा, हमारा सबसे पहला काम है बचत बढ़ाना और फिर उस बचत को निवेश में बदलना। चिदम्बरम ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में देश की स्थिति बहुत बेहतर है। वश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर वर्ष 2010 में 5.3 प्रतिशत से गिरकर अगले दो सालों में 3.9 प्रतिशत और 3.5 प्रतिशत हो गई। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में भी 3.2 प्रतिशत, 1.6 प्रतिशत तथा 1.4 प्रतिशत विकास दर दर्ज की गई। उन्होंने कहा, भारत इससे अप्रभावित नहीं रह सकता था। उन्होंने कहा, याद रखना चाहिए कि पिछले आठ सालों में सिर्फ दो सालों (2008-09 और 2011-12) में ही हमारी विकास दर सात फीसदी से कम रही। उन्होंने कहा कि महंगाई पर लगाम लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की कड़ी मौद्रिक नीतियों के कारण विकास प्रभावित हुआ, लेकिन चिंता व निराशा की कोई बात नहीं है। (Z-News)

कोई टिप्पणी नहीं: