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07 सितंबर 2012

अच्छी बारिश के बाद भी चावल उपज घटने का अंदेशा

आर.एस. राणा नई दिल्ल चीनी उत्पादन ठीक - महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में किसानों द्वारा गन्ने का पशुचारे के रूप में इस्तेमाल जरूर हुआ है लेकिन इसकी मात्रा कम है। वैसे भी गन्ने के कुल बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है इसलिए चीनी का उत्पादन पिछले साल के लगभग बराबर ही होगा। चावल की पैदावार के मामले में मानसून में हुई देरी की भरपाई अगस्त व सितंबर की अच्छी बारिश से नहीं हो पाई है। जुलाई तक कमजोर रहे मानसून के कारण चालू खरीफ में चावल का उत्पादन पिछले साल से कम रहने का अनुमान है। केंद्रीय कृषि सचिव आशीष बहुगुणा के अनुसार चावल का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले कम रहने की संभावना है। बहुगुणा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि पिछले डेढ़ महीने में मानसूनी वर्षा अच्छी हुई है तथा खरीफ में धान की रोपाई भी पिछले साल के लगभग बराबर हो गई है। लेकिन शुरूआती मानसूनी बारिश हल्का रहा, इसलिए चावल का उत्पादन पिछले साल से कम रहेगा। पिछले साल खरीफ में 915.3 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ था। मोटे अनाजों के साथ ही दालों के उत्पादन में भी कमी आएगी। पिछले साल खरीफ में 61.6 लाख दालों की पैदावार हुई थी जबकि 322.6 लाख टन मोटे अनाजों का उत्पादन हुआ था। उन्होंने बताया कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक और महाराष्ट्र में बारिश में हुए सुधार से सूखे का असर कम हुआ है लेकिन गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ में लेट मानसून भी सक्रिय न होने से बारिश सामान्य से 60 फीसदी कम रही है, जो चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि भारत में मानसून पर अल-नीनो का प्रभाव नहीं पड़ा है तथा पिछले डेढ़ महीने में अच्छी बारिश हुई है। उत्तर भारत में अगले आठ-दस दिनों में और भी अच्छी बारिश होने की संभावना है जिससे खरीफ के साथ ही रबी में चना और सरसों की फसल को फायदा होगा। फसलों के प्रारंभिक अनुमान 23-24 सितंबर को प्रस्तावित रबी कांफ्रेंस के दौरान घोषित किए जाएंगे। इसके लिए राज्यों से आंकड़े आने शुरू हो गए हैं। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में किसानों द्वारा गन्ने का पशुचारे के रूप में इस्तेमाल जरूर हुआ है लेकिन इसकी मात्रा कम है। वैसे भी गन्ने के कुल बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है इसलिए चीनी का उत्पादन पिछले साल के लगभग बराबर ही होगा। अगस्त-सितंबर में हुई बारिश से कपास, तिलहन, धान और गन्ने की फसलों को फायदा हुआ है तथा इनके उत्पादन अनुमान में पहले के मुकाबले बढ़ोतरी होगी। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार पहली जून से पांच सितंबर तक देशभर में सामान्य से 10 फीसदी कम बारिश हुई है जबकि जून-जुलाई में यह कमी 20 फीसदी से ज्यादा थी। आशीष बहुगुणा ने बताया कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने रबी फसलों के एमएसपी पर अपनी सिफारिश मंत्रालय को सौंप दी है। इस पर संबंधित मंत्रालयों के साथ ही राज्यों की राय मांगी गई है। एमएसपी में बढ़ोतरी पर फैसला केबिनेट की बैठक में लिया जाएगा तथा अक्टूबर के पहले सप्ताह में रबी फसलों के एमएसपी घोषित होने की संभावना है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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