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21 सितंबर 2012

खरीफ की भरपाई रबी में करेगी सरकार

दक्षिण पश्चिम मॉनसून की बारिश के असमान वितरण के चलते विपणन वर्ष 2012-13 में एक साल पहले के मुकाबले खरीफ फसलों के उत्पादन में गिरावट की संभावना है, लिहाजा सरकार ने अपनी ऊर्जा रबी सीजन में फसलों के अधिकतम उत्पादन में झोंकने का फैसला किया है। रबी की बुआई अक्टूबर के आखिर में शुरू होती है। अधिकारियों ने कहा, तिलहन और दलहन के उत्पादन में सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। बारिश में देर से हुए सुधार से इस कोशिश में मदद मिलने की संभावना है। अधिकारियों ने कहा कि सोमवार से शुरू होने वाले दो दिवसीय सम्मेलन में मुख्य रूप से देर से हुई बारिश का बेहतर इस्तेमाल करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस सम्मेलन में सभी प्रमुख राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों की भागीदारी की संभावना है। अधिकारियों ने कहा, जून व जुलाई में कम बारिश के चलते खरीफ सीजन की शुरुआत हालांकि निराशाजनक रही, लेकिन अगस्त में दक्षिण पश्चिम मॉनसून में सुधार से देश को मौका मिला है कि वह रबी फसलों के दायरे में अतिरिक्त रकबा ला सकता है। सामान्य तौर पर इस रबी सीजन में करीब 604.2 लाख हेक्टेयर जमीन इसके दायरे में लाया जाएगा, जिसमें अधिकतम हिस्सा गेहूं का होगा और उसके बाद दलहन व तिलहन का। अधिकारियों ने कहा, इस साल चूंकि खरीफ फसलों का रकबा सामान्य के मुकाबले 5-6 लाख हेक्टेयर कम रहने की संभावना है, लिहाजा रबी के दौरान ज्यादा जमीन खेती के दायरे में लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। रबी में अधिकतम उपज हासिल करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने इलाकेवार और फसल के आधार पर अलग-अलग सिफारिशें तैयार किया है। अधिकारियों ने कहा, केंद्र सरकार आठ राज्यों मसलन पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, मेघालय और दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अलग से बैठक आयोजित कर सकती है ताकि दलहन व तिलहन की पैदावार में सुधार लाया जा सके। देश में खरीफ फसलों का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले करीब 120-140 लाख टन कम रहने की संभावना है क्योंकि बुआई के शुरुआती दौर में बारिश असामान्य रही ती। साल 2011 मेंं देश में खरीफ सीजन के दौरान 13 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)

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