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15 सितंबर 2012

सस्ता और सुरक्षित है सोने में इलेक्ट्रॉनिक निवेश

इलेक्ट्रॉनिक तरीके से निवेश के फायदे गोल्ड ईटीएफ को बिना किसी प्रीमियम का भुगतान किए प्रचलित बाजार कीमतों पर खरीदा जा सकता है गोल्ड ईटीएफ और ई-गोल्ड की डीमैट अकाउंट के जरिए सुविधाजनक तरीके से खरीद- बिक्री निवेशकों के सामने निवेश और सुरक्षा की कोई चिंता नहीं शेयरों की तरह ही गोल्ड ईटीएफ और ई-गोल्ड का कारोबार किया जा सकता है रीसेल की स्थिति में वैल्यू पूरी तरह से सुरक्षित होती है एक परिसंपत्ति वर्ग के रूप में सोना किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल रिटर्न में स्थिरता बल्कि एक लंबे समय में अच्छी संपत्ति सृजित करने का मौका भी उपलब्ध कराता है। पिछले कुछ सालों में आपने देखा होगा कि रिटर्न के मामले में सोना शेयर मार्केट को भी टक्कर दे रहा है। हालांकि, यह रिटर्न सामयिक हो सकता है लेकिन एक बात तो सत्य है कि सका रिटर्न लगभग हमेशा ही महंगाई की तुलना में अधिक होता है। सोने में निवेश के तमाम विकल्प मौजूद हैं लेकिन किफायती विकल्पों में म्यूचुअल फंडों के गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड सेविंग फंड और एनएसईएल के ई-गोल्ड आदि शामिल हैं। संतुलित निवेश के लिए गोल्ड ईटीएफ या गोल्ड फंडों या ई-गोल्ड को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करना निवेशकों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है। फाइनेंशियल प्लानर यह सलाह देते हैं कि निवेश पोर्टफोलियो में एक परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर सोने की हिस्सेदारी पांच फीसदी तो होनी ही चाहिए। सोने में निवेश के किफायती विकल्प गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड सेविंग फंडों या ई-गोल्ड में निवेश कर आप सोना अभौतिक रुप में खरीदते हैं, इसमें भौतिक सोने में निवेश से जुड़ा जोखिम नहीं है। गोल्ड ईटीएफ और ई-गोल्ड चूंकि डीमैट रुप में होता है इसलिए जो निवेशक इसमें निवेश करना चाहते हैं उनका डीमैट खाता होना आवश्यक है। इसके विपरीत गोल्ड फंड, जो वास्तव में गोल्ड ईटीएफ में ही निवेश करते हैं, में निवेश के लिए डीमैट खाता होना जरूरी नहीं है। आम म्यूचुअल फंडों की तरह इनमें निवेश किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति गोल्ड ईटीएफ के यूनिटों की खरीदारी स्टॉक एक्सचेंज से कर सकता है। गोल्ड ईटीएफ ने पिछले एक साल में लगभग 14.44 प्रतिशत का औसत रिटर्न दिया है। समान अवधि में बीएसई के सेंसेक्स ने 9.44 प्रतिशत और एनएसई के निफ्टी ने 10.01 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। जहां तक गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने से पहले फंडों के एक्सपेंस रेशियो की तुलना कर लेनी चाहिए। जिस फंड का एक्सपेंस रेशियो कम हो उस गोल्ड ईटीएफ का चयन निवेश के लिए करना चाहिए। शादी-विवाह के लिए पहले से आभूषण खरीद कर रखने से बेहतर है कि आप गोल्ड ईटीएफ में निवेश करें। जब कभी आभूषण खरीदने की जरूरत हो तो इसके यूनिटों को बेच कर प्राप्त पैसों से नवीनतम डिजाइन वाले गहने खरीदे जा सकते हैं। ई-गोल्ड ई-गोल्ड सोने के निवेश का एक बेहतर जरिया है। हालांकि, यह अब तक निवेशकों में ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाया है। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) ने कई कमोडिटी में ई-सीरीज की शुरुआत की जिसमें ई-गोल्ड और ई- सिल्वर प्रमुख है। साल 2010 के मार्च से ई-गोल्ड में कारोबार की शुरुआत हुई। ई-गोल्ड के यूनिटों की खरीद-बिक्री शेयरों की तरह ही एनएसईएल से की जा सकती है। यहां ई-गोल्ड का एक यूनिट एक ग्राम सोने के बराबर होता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि आप इलेक्ट्रॉनिक तरीके से निवेश करते हुए भौतिक सोने की डिलिवरी ले सकते हैं। ई-गोल्ड में निवेश के लिए डीमैट खाता होना जरूरी है। डीमैट रूप में सोना खरीद कर आपको इसकी शुद्धता, सुरक्षा, रख-रखाव की लागत और इसके बीमा की चिंता नहीं करनी होती है। अगर कोई निवेशक ई-गोल्ड में निवेश कर उसकी भौतिक डिलिवरी नहीं लेना चाहता है तो वह जब चाहे ई-गोल्ड यूनिटों को बेच कर नकदी प्राप्त कर सकता है। ईटीएफ और ई-गोल्ड के तहत डिलिवरी सोने में दीर्घावधि के निवेश का यह भी एक सशक्त माध्यम है। इसकी लागत भी कम है। प्रति ग्राम 2-3 पैसे के एक बार ट्रांजेक्शन शुल्क के अलावा 0.2-0.3 प्रतिशत का ब्रोकरेज शुल्क देना होता है। ई-गोल्ड के अंतर्गत आप सोने के कम परिमाण जैसे 8-10 ग्राम की भौतिक डिलिवरी ले सकते हैं जबकि अगर ईटीएफ से भौतिक डिलिवरी के लिए कम से कम एक किलोग्राम सोना होना चाहिए। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज के डिलिवरी सेंटर लगभग 13 शहरों में हैं। (Business Bhaskar)

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