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17 सितंबर 2012

वायदा में एस एक्सचेंज तीसरे स्थान पर काबिज

देश में 181 खरब रुपये के जिंस वायदा कारोबार में तीसरा स्थान हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है। राष्ट्रीय स्तर के जिंस वायदा प्लैटफॉर्म पर कारोबार के महज दो साल के भीतर कोटक की अगुआई वाले एस डेरिवेटिव ऐंड कमोडिटी एक्सचेंज ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को कारोबार के मामले में पीछे छोड़ते हुए देश के तीसरे जिंस एक्सचेंज बनने का दावा पेश करने के स्तर पर पहुंच गया है। एस ने अपने दो निकटतम प्रतिद्वंद्वी अहमदाबाद के नैशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई) और इंडियाबुल्स व एमएमटीसी द्वारा प्रवर्तित इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (आईसीएक्स) को पांच पखवाड़े पहले ही बड़े मार्जिन से पीछे छोड़ दिया है। राष्ट्रीय स्तर पर मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज और नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज कारोबार के मामले में क्रमश: पहले व दूसरे स्थान पर काफी लंबे समय से बने हुए हैं। गैर-कृषि कारोबार के मामले में एमसीएक्स अग्रणी है जबकि गैर-कृषि जिंसों के मामले में एनसीडीईएक्स अव्वल है। 31 अगस्त 2012 को दोनों एक्सचेंजों की बाजार हिस्सेदारी क्रमश: 86.33 फीसदी व 10.62 फीसदी थी। वायदा बाजार आयोग की तरफ से संकलित आंकड़ों के मुताबिक, एक ओर जहां एस का कारोबार 16-30 जून के पखवाड़े में 7712.52 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, वहीं इस अवधि में एनएमसीई व आईसीएक्स का कारोबार क्रमश: 3789.49 करोड़ रुपये व 2623.10 करोड़ रुपये रहा। तब से एस का बेहतर प्रदर्शन जारी है और अपने दोनों प्रतिस्पर्धियों के कुल कारोबार के मुकाबले ज्यादा रहा। एस का कारोबार 12069.47 करोड़ रुपये रहा जबकि एनएमसीई व आईसीएक्स का कारोबार क्रमश: 7856.14 करोड़ रुपये व 4407.76 करोड़ रुपये रहा। इस क्षेत्र में बढ़ रही प्रतिस्पर्धा के बीच एस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हालांकि इश कामयाबी पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। एस ने अगस्त 2010 में राष्ट्रीय जिंस एक्सचेंज का दर्जा हासिल किया था। इससे पहले वह क्षेत्रीय एक्सचेंज था। एस कृषि जिंसों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। तब से इस एक्सचेंज ने विशेषीकृत जिंस पर अपना ध्यान केंद्रित किया और सोया खली वायदा अनुबंध पेश किया, यह ऐसा उत्पाद है जो मौजूदा समय में राष्ट्रीय स्तर के किसी भी एक्सचेंज पर उपलब्ध नहीं है और इसे कारोबारियों का खासा समर्थन मिला है। साथ ही एक्सचेंज ने कई डिलिवरी केंद्र स्थापित किए हैं ताकि कारोबारियों के लिए यह सुविधाजनक हो। पिछले कई सालों से एमसीएक्स व एनसीडीईएक्स पहले व दूसरे स्थान पर बना हुआ है जबकि तीसरे स्थान के लिए जिंस एक्सचेंज बदलते रहे हैं। आईसीएक्स के प्रबंध निदेशक रजनीकांत पटेल ने कहा, हम अपने खोए हुए कारोबार को हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। एफएमसी के पास हमने 11 अनुबंधों की मंजूरी के लिए आवेदन भेजा है। मंजूरी मिलने के बाद हमें आंशिक कारोबार हासिल होगा। बागवानी पर केंद्रित एनएमसीई अपनी चुनौतियों से ही जूझ रहा है। एनएमसीई के प्रबंध निदेशक अनिल मिश्रा ने कहा, पिछले कई महीनों में घटे कारोबार का हम विश्लेषण कर रहे हैं और इसकी कमियों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। यह प्रगति महत्वपूर्ण है क्योंकि जिंस वायदा में प्रवेश करने वाले नए खिलाड़ी ने एक दशक पुराने खिलाड़ी को पीछे छोड़ दिया है। वास्तव में एनएमसीई को साल 2003 में राष्ट्रीय एक्सचेंज का दर्जा हासिल हुआ था और ऐसा दर्जा हासिल करने वाला यह पहला एक्सचेंज था। बाद में एमसीएक्स व एनसीडीईएक्स को राष्ट्रीय एक्सचेंज का दर्जा हासिल हुआ था। (BS Hindi)

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